सुमन को भूसे और रेत से बनी हुयी रोटियाँ खाने को दी गयी जब सुमन ने उनको खाने से इनकार कसर दिया तो उस शीत ऋतू में उन बाल्टियों और पिचकारियों से ठंडा पानी फेंका गया!
सुमन सात दिन तक बिना खाए पिए और बिना विस्तर शीले फर्स उन पर भारी बेड़ियों से जकड़े पड़े रहे !सुमन को दिर्ड भावना को देखते हुए सातवें दिन जेल ले कर्मचारियों को कुछ झुकना पड़ा,सुमन के बिस्तर कपडे तथा हजामत का सामान उन्हें लोटा दिया गया,बेड़ियाँ खोल दी गयीं !
और आश्वासन दिया गया कि उन्हें पत्र ब्यवहार करने कि सुविधा दी जाएगी !२१ जनवरी १९४४ से सुमन पर राजद्रोह के केस चलाया गया देहरादून के खुर्सिद्याल वकील को सुमन कि पैरवी करने के लिए स्विकिरती नहीं दी गयी !
अथ सुमन ने स्वयं पेरवी कि और ब्यान में कहा ----में इस अभियोग को सर्वथा झूठा,बनावटी और बदले कि भावना से चलाया गया मानता हूँ !मेरे विरुद्ध लाये गये साक्षी सर्वथा बनावटी हैं,वे या तो सरकारी कर्मचारी हैं,या तो पुलिस के आदमी हैं,में जहां अपने भारत देश के लिए पूर्ण स्वाधीनता के धेय में विश्वास करता हूँ!
वहां टिहरी राज्य में मेरा और प्रजामंडल का उदेश्य वैध व शांतिपूर्ण उपायों से श्री महाराज कि छत्रछाया में उत्तरदायी शान प्राप्त करना और सेवा के साधने द्वारा राज्य के सामाजिक आर्थिक और सब प्रकार कि उन्नति करना है !
टिहरी महराज और उनके साशन के विरुद्ध किसी प्रकार का विद्रोह,द्वेस और घिर्णा का प्रचार मेरे सिद्धांत के बिलकुल विरुद्ध है!मैंने प्रजा कि भावना के विरुद्ध बने हुए काले कानूनों और कार्यों कि अवस्य आलोचना कि है!इसे मैं प्रजा का जन्म सिद्ध अधिकार समझता हूँ!सत्य और अहिंसा के सिद्धांत पर विश्वास करने वाला होने के कारण मैं किसी के प्रति घिर्णा और द्वेष का भाव नहीं रख सकता !