खटीमा गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि.......आओ हम प सब लोग इन् लोगो को याद करते है..इन् को प्रणाम करते है...उत्तराखंड आन्दोलन की असली शुरुवात यही से हई थी . राज्य निर्माण में अपनी शहादत देने वाले आन्दोलनकारियों के योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता है।इन शहीदों पर हम सभी को गर्व है..एक सितंबर 1994 को को उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन का काला दिन माना जाता है,, क्योंकि इस दिन की जैसी पुलिस बर्बरता की कार्यवाही इससे पहले कहीं और देखने को नहीं मिली थी। पुलिस द्वारा बिना चेतावनी दिये ही आन्दोलनकारियों के ऊपर अंधाधुंध फायरिंग की गई, जिसके परिणामस्वरुप सात आन्दोलनकारियों की मृत्यु हो गई।उत्तराखंड राज्य गठन जनांदोलन में 1सितम्बर 1994 को तत्कालीन उप्र मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की पुलिस द्वारा खटीमा में शांतिपूर्ण ढ़ग से आंदोलनकर रहे राज्य आंदोलनकारियों को गोलियांे से भूना गया, उस काण्ड की 19 वीं बरसी पर सभी शहीदों की पावन स्मृति को शतः शतः नमन्। उत्तराखंड राज्य बनाने को लेकर देवभूमि के लोगों ने आंदोलन किया था। उत्तराखंड आंदोलन के दौरान एक सितंबर 1994 को खटीमा में पुलिस गोलीकांड में छह लोग शहीद हुए थे। इनमें सलीम अहमद, गोपी चंद, रामपाल सिंह, धर्मानंद भट्टं, प्रताप सिंह मनोला व परमजीत सिंह ने कुर्बानी दी थी,,उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान एक सितंबर 1994 को खटीमा में कोतवाली का घेराव करने जा रही आंदोलनकारियों की भीड़ पर पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी थी। दरअसल, आंदोलनकारी एक स्थान पर सभा कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया। जिसके बाद आंदोलनकारियों की भीड़ उग्र हो गई और कोतवाली घेराव करने पहुंच गई। भीड़ को रोकने के लिए पुलिस ने फायरिंग कर दी..राज्य आन्दोलन के शहीदों के सपनों के अनुरूप प्रदेश के चहँमुखी विकास के लिये हम सबको एकजुट होकर कार्य करना होगा। शत शत नमन अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि।आपके बलिदान के लिये पूरा उत्तराखण्ड आपका आजन्म आभारी रहेगा। इस ऋण से हम कभी उऋण नहीं हो पायेंगे। कन्न लाडा छाई,कन्न जीता छाई
कन्न कन्न खेला छाई हमल खंड
एक छाई जब मांगू हमल उत्तराखंड
याद कारों पौड़ी ,मंसूरी ,खटीमा गोलीकांड
कैकी कन्ना छोव अब हम जग्वाल
भूली ग्यो सब सौं करार ,रंगत मा छिन्न गौं बज्जार
ना बिसरा उ आन्दोलन -हड़ताल , उ चक्का जाम
एकजुट रावा, बोटिकी हत्थ,ख़्वाला आँखा अब
कैकी कन्ना छोव अब हम जग्वाल.. रचनाकार :गीतेश सिंह नेगी