अपनों से ही लड़ी, हमने अपने आंदोलन की लड़ाई,
अपनों ने ही तब, हम पे कुछ गोलियाँ चलाई।
औरतों की अस्मत, जब लूटने आये लूटेरे,
अपने तब कुछ भाई, सीना तान आगे आ डटे रे।
हो गये शहीद, आंदोलन में वो कुर्बान हो गये,
'तरूण', उत्तराखंडियों में वो नया जोश भर गये।
आओ इस बरस फिर, उनकी चिताओं पर चंद फूल चढ़ायें
याद करके उन शहीदों को, वर्षगांठ का ये जश्न मनायें।।