Author Topic: आवों अपनी भाषा सीखे ! LET US LEARN OUR LANGUAGES !!  (Read 49434 times)

Bhishma Kukreti

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Samples of Different Dialects of Kumauni Language one of the Indian oldest langauges . Part - 4-5


                    Presented by Bhishm Kukreti on Internet



                      भाग-४


हिंदी : मैंने स्नान किया

१- पिठौरागढ़-खास की बोली : मैल नाछ

२- गंगोलीहाट की बोली:   मैल नाछ

३- बेरीनाग की बोली : मैंलि नांछ

४-अस्कोट की बोली: मैले नयाँ हालिछ 

५- थल की बोली :  मीले हौड़धोयू 

६- लोहाघाट -चम्पावत की बोली : मीले नाछ 

७- खासपर्जिया बोली:  मैल नाछ

मल्ला ढान्गु ,गंगासलाण ( पौड़ी गढ़वाळ ) की बोली : मि नयाई/नया छौ

मुम्बइया गढ़वाली  ; मीन स्नान कौर

 

                  भाग ५


हिंदी :वह शहर गया था

१- पिठौरागढ़-खास की बोली :उ बाजार गेछ्यो

२- गंगोलीहाट की बोली: ऊ सहर ग्यो

३- बेरीनाग की बोली :उ शहर ग्यो

४-अस्कोट की बोली:उ बजार झ्यारिथ्यो

५- थल की बोली :  ऊ शहर ग्वेछ

६- लोहाघाट -चम्पावत की बोली : उ शहर जारो छ्यो 

७- खासपर्जिया बोली: ऊ शहर गोछि

मल्ला ढान्गु ,गंगासलाण ( पौड़ी गढ़वाळ ) की बोली : उ शैर गे/ग्याई  छौ

मुम्बइया गढवाळी ; उ शहर गे/ग्याई छौ





Sources

१- पिठौरागढ़-खास की बोली श्री देव चन्द्र चौधरी, पवदेव, पिठौरागढ़ २- गंगोलीहाट की बोली: कु. मुन्नी पंत, पाली , गंगोलीहाट

३-बेरीनाग की बोली: श्री नरेंद्र नाथ पंत , बेरीनाग , श्री जयदेव पंत , बेरीनाग ४-अस्कोट की बोली: दलजीत पाल, खोलीगौं , अस्कोट

५- थल की बोली: श्री गोपीचंद ठाकुर, बरड़ , थल ६- लोहाघाट -चम्पावत की बोली : श्री प्रताप सिंह अधिकारी, लोहाघाट

७- खासपर्जिया बोली: श्रीमती मुन्नी जोशी, मल्ला जोशीखोल़ा, अल्मोड़ा
Refrence: Dr. Bhavani Datt Upreti . 1976 Kumauni Bhasha Ka Addyayan , Smriti Prakashan, 124 Shahara Bag, Allahabad , UP

Published by Kumauni Samiti

3 B Katra , Allahabad

Copyright@ Dr Bhavani Datt Upreti

 

 

 

 

 

               Samples of Different Dialects of Kumauni Language one of the Indian oldest langauges  . Part - 1

 

                           Presented by Bhishm Kukreti on Internet Medium

भाग-१ अ

 

हिंदी :                        वह कहाँ से आया

१- पिठौरागढ़-खास की बोली : उ काँ आछ ?

२- गंगोलीहाट की बोली  : ऊ कैहैं  आ ?

३- बेरी नाग की बोली : तौं कां बटी आ ?

४-अस्कोट की बोली   : ऊ  काँ बठे आँछ ?

५- थल की बोली :    ऊ काँ बैठे आच्छ ?

६- लोहाघाट -चम्पावत की बोली : उकाँ  बठे आछ ?

७- खासपर्जिया बोली: ऊ कां बै आछ ?

भाग-१ ब

 


हिंदी :   तुम कंहाँ से आये हो ?

१- पिठौरागढ़-खास की बोली : तौं काँ बठे आछै

२- गंगोलीहाट की बोली: तुम  कैहैं आछा ?

३- बेरीनाग की बोली : तिमी कैहैं आछा ?

४-अस्कोट की बोली:  तुम काँ बठे आछा ?

५- थल की बोली :  तुमि काँ बैठे आच्छा ? 

६- लोहाघाट -चम्पावत की बोली :  तुम काँ बठे आछा ?

७- खासपर्जिया बोली: तुम कौ बै आछा ?

 

भाग-१- स

 


हिंदी :  मै शहर से आया हूं                       

१- पिठौरागढ़-खास की बोली : मैन बाजार बठे आयूँ

२- गंगोलीहाट की बोली: मूं सहर है आयूं

३- बेरीनाग की बोली : मुं शहर बटि  आयूं

४-अस्कोट की बोली:   मै बजार बठे आयूं 

५- थल की बोली :  मु शहर बै आयूँ   

६- लोहाघाट -चम्पावत की बोली : मी शहर बठे आछूं

७- खासपर्जिया बोली: मै शहर है आयुं

 

Sources

१- पिठौरागढ़-खास की बोली श्री देव चन्द्र चौधरी, पवदेव, पिठौरागढ़

२- गंगोलीहाट की बोली: कु.  मुन्नी पंत, पाळी, गंगोलीहाट

३-बेरीनाग की बोली: श्री नरेंद्र नाथ पंत , बेरीनाग , श्री जयदेव पंत , बेरीनाग

४-अस्कोट की बोली: दलजीत पाल, खोलीगौं , अस्कोट

५- थल की बोली: श्री गोपीचंद ठाकुर, बरड़ , थल

६- लोहाघाट -चम्पावत की बोली : श्री प्रताप सिंह अधिकारी, लोहाघाट

७- खासपर्जिया बोली: श्रीमती मुन्नी जोशी, मल्ला जोशीखोल़ा, अल्मोड़ा   

 

Refrence: Dr. Bhavani Datt Upreti . 19976 Kumauni Bhasha Ka Addyayan , Smriti Prakashan, 124 Shahara Bag, Allahabad , UP

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Samples of Different Dialects of Kumauni Language one of the Indian oldest langauges . Part - 2-3

 

                               Presented by Bhishm Kukreti on Internet Medium

                     

                                 भाग - २


हिंदी :  उसने क्या किया ?

१- पिठौरागढ़-खास की बोली : वील के कर्छय 

२- गंगोलीहाट की बोली: वील कि करी 

३- बेरीनाग की बोली : वीमिलि के करी 

४-अस्कोट की बोली:   उले कि करीछ

५- थल की बोली :  उले क्या गरिच्छ

६- लोहाघाट -चम्पावत की बोली : वीले कि कच्छर्य

७- खासपर्जिया बोली: वील के करी 

                                  भाग ३


हिंदी : तुमने क्या पढ़ा ?

१- पिठौरागढ़-खास की बोली : तैलू के पड़ छ्य ? 
 
२- गंगोलीहाट की बोली: त्वील कि पड़ो (यहाँ , ड़ो =ड़ + औ )  ?
 
३- बेरीनाग की बोली : तीमिलि  कि की पड़ो (यहाँ , ड़ो =ड़ + औ ) 

४-अस्कोट की बोली:   तुमले की पड़ो (यहाँ , ड़ो =ड़ + औ )

५- थल की बोली :  तीले क्या पड़छै     
 
६- लोहाघाट -चम्पावत की बोली : तुमले कि पड़छ  ?(ड़ आधा )   
 
७- खासपर्जिया बोली : तुमल के पड़ी

Sources

१- पिठौरागढ़-खास की बोली श्री देव चन्द्र चौधरी, पवदेव, पिठौरागढ़

२- गंगोलीहाट की बोली: कु. मुन्नी पंत, पाली , गंगोलीहाट

३-बेरीनाग की बोली: श्री नरेंद्र नाथ पंत , बेरीनाग , श्री जयदेव पंत , बेरीनाग

४-अस्कोट की बोली: दलजीत पाल, खोलीगौं , अस्कोट

५- थल की बोली: श्री गोपीचंद ठाकुर, बरड़ , थल

६- लोहाघाट -चम्पावत की बोली : श्री प्रताप सिंह अधिकारी, लोहाघाट

७- खासपर्जिया बोली: श्रीमती मुन्नी जोशी, मल्ला जोशीखोल़ा, अल्मोड़ा

 
 

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Samples of Different Dialects of Kumauni Language one of the Indian oldest langauges . Part - 4

 

                    Presented by Bhishm Kukreti on Internet Medium

 

 


हिंदी :

१- पिठौरागढ़-खास की बोली :

२- गंगोलीहाट की बोली:

३- बेरीनाग की बोली :

४-अस्कोट की बोली:

५- थल की बोली :

६- लोहाघाट -चम्पावत की बोली :

७- खासपर्जिया बोली: 

मल्ला ढान्गु ,गंगासलाण ( पौड़ी गढ़वाळ ) की बोली :

मुम्बइया गढवाळी ;


 
 

Sources

१- पिठौरागढ़-खास की बोली श्री देव चन्द्र चौधरी, पवदेव, पिठौरागढ़

२- गंगोलीहाट की बोली: कु. मुन्नी पंत, पाली , गंगोलीहाट

३-बेरीनाग की बोली: श्री नरेंद्र नाथ पंत , बेरीनाग , श्री जयदेव पंत , बेरीनाग

४-अस्कोट की बोली: दलजीत पाल, खोलीगौं , अस्कोट

५- थल की बोली: श्री गोपीचंद ठाकुर, बरड़ , थल

६- लोहाघाट -चम्पावत की बोली : श्री प्रताप सिंह अधिकारी, लोहाघाट

७- खासपर्जिया बोली: श्रीमती मुन्नी जोशी, मल्ला जोशीखोल़ा, अल्मोड़ा




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                                Garhwali Words are Now being Extinct -8







                     Presented by Bhishm Kukreti




Source Shri Ramakant Benjwal and Shrimati Vina Bejwal , Garhwali Shabdkosh

छंचर =शनिवार

छंछा = कलंकिनी , चरित्रहीन

छ्न्तोळी =रिंगाळ का छाता

छंवाळ =अवस्था, पीढ़ी

छकटु /छकटो  =मौका , अवसर

छकल्वी =घरों में छोटा मोटा काम कर जीवन बसर करने वाला

छ्क्कू = पेटू

छगटणु = ठगना ,ल़े लेना

छ्छल़ोण/छ्याळणु  =भेद लेना, पूछताछ करना

 छsडु  /छsड़ो = झरना, (s = आधी अ )

छपनवास = छुप जना, लुप्त हो जना

छपड्वड़ी =पर्याप्त

छांगण  =चुनना , बीनना

छारु , छारो = राख

छिर्वणि = कच्चे गूल से रिसता पानी   

छिलबिलू= पतला कपड़ा

छिलडेणु  =छटपटाना

छुचकार = लानत

छुदर, छेपरू = क्षुद्र

छुन्यार  =सेवा, टहल करने वाला

छुंवोदारि = वह स्त्री जो नवजात शिशु को सर्वप्रथम छूती है

छेपरवाती= ओच्चेपन की बातें

छोळया =वह पशु जिसके दूध में वसा अधिक हो

छ्वैणा  = दूध दुहना

 

 Courtesy:  Shri Ramakant Benjwal and Shrimati Vina Bejwal , Garhwali Shabdkosh

 

Garhwali Words are Now  being Extinct

 

 

 

 Presented by Bhishm Kukreti

 


Source Shri Ramakant Benjwal and Shrimati Vina Bejwal , Garhwali Shabdkosh



उनगण  = प्रसव होना, स्वील होण

 

उनगी  = प्रसव हो गया

उनाणयण   = जम्हाई लेना

उनौणु = ध्यान में लाना

उन्य देसी = परदेसी

उमटाळ = उबटन

उगाळ  = उबटन

उराडु = औडळ, झंझावत , आंधी

अलखणि /उलखणि  = विचित्र , अनोखा, अजीव

ओंजू = संतानोत्पति हेतु एक तांत्रिक क्रिया

ओगरा = पथ्य हेतु हल्का भोजन

औरु = बैरु, बहरा

औल़ाण  = उलाहना

औळयूँ लगण = बच्चे का माता पिता के पीछे लगना या जिद करना

औसर = नाचने गाने का अखाड़ा

कंकाली = झगडालू

कणसुणा=किसी की बात छुपकर सुनना

कटकटकार =  अत्यंत कठोर

कड़कड़कार  = बहुत प्रेत से बेहोश मनुष्य या अत्यंत सख्त

कमचूस = कंजूस

कमोल़ा = मिटटी की छोटी हांडी

करूड़ /करूड़ो =कठोर

कळखानी = झगडालू / कलह की खान

कळदार = सिक्का

कळपणा = बुरी नजर /किसी के पास अछि चीज देख पाने की कल्पना

कसलो =तकलीफ

कांकर = मकान की पहली/दूसरी मजिल की छत  का भीतरी भाग

कांडण =रस्सी बटना

काँण  = परेशानी

किरचड़ = बारीक और छोटा खराब दाने

किलबाड़ = खूंटा (कीलु)

कुपस्यौ = बुखार का पसीना

कुकराण = कुत्ते के शारीर की गंध

कुकराण = सभा में खि भद्दी या असंगत बात

 

कुन्नु = जाळीदार थैला

 

कुपाण = बुरी प्रवृति

कुमलौण =चापलूसी कर ठगना

कुरजाडु= कुल्हाड़ी का हथा

केंटा  =  लडका

केंटि = लडकी

कोळसांटु = विवाह की एक प्रथा जिसमे किसी परिवार से बहू लाने के बदले उसी परिवार बेटी ब्याही जाती है

(डा. शिव प्रसाद डबराल का भी मात है की यह प्रथा या शब्द साबित करते हैं की गढ़वाली पहले खस व कोळ

भाषा मिश्रित थी)

क्वाणेणु .= उदास होना

क्वनका   = खेत में धान का ढेर

क्वडया = दो दीवारों के मिलाने का स्थान , कोर

 

Source Shri Ramakant Benjwal and Shrimati Vina Bejwal , Garhwali Shabdkosh

 

Garhwali Words are now being extinct Part-3


Presented on Internet  by Bhishm Kukreti




Source : Shri Ramakant Benjwal and Shrimati Vina Benjwal , Garhwali - Hindi Shabdkosh

खंक = कठोर

खंक = खरोच

खंकताळ = नष्ट भ्रष्ट करना

खंकळ =गैरजिम्मेवार

खंकळयौ = उत्तरदायित्वहीनता 

खंकळयौ =उत्तरदायित्वहीनता से होने वाली अव्यवस्था

खंकमाळ = नंगापन , कुछ न रहने की दस

खंजरोळ  = अड़चन

खंटु  = काटे होंट वाला

खंणकि = व्यर्थ ही

खंतड्या = जिसने पुराने कपड़े पहने हों

खमल़ो = खम्भा

खकलाण =हताश होना, स्तंभित होना

खगड़त्या = उबड़ खाबड़ , खुरदरा

खच्चा = काम अकल वाला, कार्य में बिघ्न डालने वाला

 ख्ज्जन = उन्मूलन, विनाश

खड़कील =जो गाय/भैंस कभी कभी दूध ना दे

खडंचा =घास से ढकी झोपडी

खड्वानि  = खेतों के आस पास का बंजर क्षेत्र जो घास पनपने के लिए छोड़ा जाता है

खत्वाड़= खेतों के कच्चे पुश्ते   

खपरांत = पथरीली, उबड़ खाबड़ जमीन

खबाळ = फटी हुयी दरार युक्त जगह

खरबगनी= चीजों को नष्ट करने वाला

खsल़ू = आँगन, चौक

खाकंद = पाखंड

खाकंडी= पाखंडी

खाती = युधिस्ठिर

खादर= नदी किनारे की भूमि

खिरस्यण =ईर्ष्या करना

खुंगु = खांसी

खुट्कुलू/ ख्वबडल़ू = पानी का छोटा गड्ढा

खड़बिजु =समूल नष्ट करने की दशा

खुलपिता = मा बाप का लाडला

खुवा = गहरी खाई

खुवा =काम बिगाड़ने वाला , खोने वाला

खूसण =बल झड़ना

खेदकट्टो =ईर्ष्यालु

ख्यSरा  = खेतों के कंकड़ पत्थर, ( छुट छुट र्याड़ )

ख्वंचि = सिर का पिछ्ला भाग 

ख्वमा =खेत का वह भाग जहाँ हल नहीं चलाया जा सकता है .

ख्वल़ा /ख्वाळ=मोहल्ला

 *********S = आधी अ

Garhwali Words are now being extinct, to be continued in  Part-4

 

  Courtesy  : Shri Ramakant Benjwal and Shrimati Vina Benjwal , Garhwali - Hindi Shabdkosh

 

 

        Garhwali Words are now being extinct Part-4

         विलुप्त होते गढ़वाली शब्द



Presented on Internet by Bhishm Kukreti



 

 


Source : Shri Ramakant Benjwal and Shrimati Vina Benjwal , Garhwali - Hindi Shabdkosh

 

गंडखाण्या = स्वादहीन

गंडखुलै  = कर्ज लेते बक्त शाहूकार को थैली की गांठ खोलने के एवज में दी जाने वाली रकम

गजगूर = दुःख की अभिव्यक्ति

गट्टू = टंग (वस्त्र)

गट्टू= जिसमे पानी की मात्र कम हो

गमटाण  =दुविधा में रहना

गरडै  =अम्प्लता के करण गले में होने वाली जलन

गलफू = फुले गाल

गळमारा . गळसट्टी =कोरी गप्पें

गाछु = इतिहास, ऐतिहासिक गाथा

गाटु  = धनि, समृद्ध

गाबल़ू =भेद का बच्चा

गुंट = सुन्दर, सुडौल

गुजरी -पुन्जरी = परशराम से एकत्रित की थोड़ी सी सम्पति

गुरख्वळ  = गुरु गृह , गुरु-मुहल्ला

गुळया = दरवाजे की चिटकनी

गैठवा = पुत्र

गैल = साथ, संगत

गैल्याणी =सहेलियां

गो-गिन्ड़ो, ग्वींडा = ग्वरबट, संकरा पतला गायों के जाने का रास्ता

गौंकारा = किसी काम को करने का साहस   

गुनखा = आला

गौंथ्यारी = उषा काल में गौमूत्र एकत्रित करने वाली स्त्री

गौंथ्यारी बगत =  उषाकाल

गौडखी= गाय बांधने का कमरा 

ग्वस्यार= हरिजनों की बृति के सवर्ण परिवार जिनसे हरिजनों (लोहार, टमटे आदि) को फसल पर अनाज मिलता था.

 


Garhwali Words are now being extinct, to be continued in Part-5



Courtesy : Shri Ramakant Benjwal and Shrimati Vina Benjwal , Garhwali - Hindi Shabdkosh


Garhwali Words those are now being extinct Part-5


 

 Internet Presentation  by Bhishm Kukreti

 

 

Source : Shri Ramakant Benjwal and Shrimati Vina Benjwal , Garhwali - Hindi Shabdkosh

 

घणज = पथरीला स्थान

घंमटेण/घंमटयण  = गले लगाना, आलिंगन

घगाड़= विशेषग्य , चतुर

घSणकसाल़ा  = कष्ट उठाने का साहस

घमतप्पु = बिना काम काज के धूप सेंकने वाला

घरबैसू /भितरपैन्छु =गृह प्रवेश

घांटी= गले की आहार नलिका 

घाण =एक बार में ओखली में कूटे/चक्की में पीसने लायक वाला अनाज

घाण = समूह , टोली

घूंग्यसी = घूमी हुई

घूंग्यसू   =घुमा हुआ

घुंजबैठण =घुटनों का काम न करना

घुग्गी = सिर ढकने का वस्त्र

घुगेर = पीठ पर बच्चों को ल़े जाने वाला

घुत्तु = पत्थर को काट कर बनायीं हुई बडी ओखली जिसमे औरतें पैर धोती थीं .

घिंता = उत्साहहीन खासकर उद्दंड व्यक्ति जब उद्दंडता चोड़ देता हो

घ्यप्सु= विव्कूफ़,

घ्वस्याट = धीमे शब्दों में की जाने वाली जिद्द , हठ

घ्वीड्योण  = खदेड़ना , भगाना

 



Garhwali Words are now being extinct, to be continued in Part-6



Courtesy : Shri Ramakant Benjwal and Shrimati Vina Benjwal , Garhwali - Hindi Shabdkosh

 

 

                                 Garhwali Words those are now being extinct Part-6


                                    विलुप्त होते गढ़वाली शब्द
 

                                  Internet Presentation by Bhishm Kukreti



Source : Shri Ramakant Benjwal and Shrimati Vina Benjwal , Garhwali - Hindi Shabdkosh

 

चंक/चंख   = सतर्क

चंगचंगु = जो आसानी से न चबाया जा सके

चन्दोया = वितान

चकचिमैडु = चमगादड़

चकना/चकंदर = छिछोरा , अश्लील हंसी करने वाला

चकन्वाति  = छिछोरापन, हल्की हंसी

चग्टा/चकता  = शारीर पर चोट आदि के निशान

चटपट्याल़ू =फुर्तीला, क्रियाशील

चड्ला= मूर्छा.बेहोशी  के दौरे

चढ़गट्युअं   = बदमिजाज, चढ़े दिमाग का

चणक -क्षणिक उत्तेजना

चणकणु =उत्तेजित होना

चन्नार =पूर्वाभास, चेष्टाओं से पूर्वाभास होना

चरखदु =सतर्क

चळका = मुतणि अत्यंत भयभीत होने की दशा

चलणपात =काम धंधा, हाल छाल . कारोबार

चलुणिया =सेवक,

चाचरी =बिखेरना

चाड़ा =ढलान , चट्टान

चाफरा /चाफरु =बड़ा टुकडा

चिंग = क्रोधित होने की आदत

चिंडू =परोठी

चिंडळ  =चिंथड़ा

चिंदरिया =जूतों वाला

चिड़ो  =अजगर

चिमरताण्या = दुबला पतला

चिल्सणु =क्रोधित होना

चिसकौण =जलाना

चिलान्खी =पेड या पर्वत का सर्वोच्च शिखर, शिखर

चोमक्या= काम पानी का स्रोत्र

चोमा -सपोड़ण , सुडकना

चौंळआ  =नखरे

चौणदु  =पहाड़ी धर के ऊपर का चय्रस स्थान

चौभांण  = बिलकुल खुला हुआ

च्यूंरा = झुर्री , शिकन

चौरासी बीती = दारूण कष्ट सम्वत चौरासी (सन सत्ताईस में ) गढ़वाल में घोर बिप्पती पड़ी थी.)

चौसेरू = चार  लड़ियों वाला चन्द्रहार

 


Garhwali Words are now being extinct, to be continued in Part-7



Courtesy : Shri Ramakant Benjwal and Shrimati Vina Benjwal , Garhwali - Hindi Shabdkosh




 

 

 

Bhishma Kukreti

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तकनिकी युग अपने चरम पर है...कैसे...तो ज्ञान बढ़ने के लिए निम्नलिखित साधारण, फिर भी ठीक-ठाक चुट्कुलें पढ़ें और ठीक लगे तो मुस्कराएं....

सल्ली पट्टी (तकनीक) जुग चंख मा च . कनकैक ....त ...' ज्ञान बढोणो बान कुछ चबोड़ इ ह्व़े जाओ . रौंस/मजा आओ त मूल मूल हैन्सी जैन हाँ !!!!!!

 

हिंदी - श्री केशर सिंग बिष्ट , प्रमुख उपसंपादक नव भारत , मुंबई

गढ़वाळी अनुबाद -भीष्म कुकरेती

१. भिखारी :बीबीजी कुछ खाने को हो तो दे दो

मंगत्या : ये ! ठकुर्याणि ! कुछ खाणो बणयूँ ह्वाऊ त  द्याव्दी

बीबीजी :अभी खाना बना नहीं है

ठकुर्याणि - ह्यां ! मीन अबि रस्वै नि पकै
 
भिखारी :ओके बन जाये तो एफबी पे उपडेट कर देना ...मैं आ जाऊंगा

मंगत्या: भलो ! भलो ! जब रस्वै पाकी जाली त मैं तैं फेसबुक (FB ) मा रैबार दे दियां हाँ ! .. मी चाट घाळीक ऐ जौलू

२. औरत एक भिखारी से-
 मैंने तुम्हे कहीं देखा है?

२- एक कज्याण मंगत्या देखिक : ए ! इन लगद, मीन त्वे तैं कखी दिख्युं च ?

भिखारी - क्या मैडम कल ही तो FB पर CHATTING की थी और आपने मेरी
 फोटो पर Comment भी दिया

मंगत्या: क्या ! ए ठकुर्याणि जी ! तुम बि त ! ब्याळी त हम दुयूंन फेस बुक मा मिसैक छ्वीं (चैट) लगैन अर तुमन मेरी फोटकौ बड़ें बि कार बल मी क्त्गा बिगरैल छौं .. ....   

 

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