बालकृष्ण डी ध्यानी
Yesterday at 11:35am · Manama, Bahrain · Edited ·
एक कवि गिर्दा अब भी रहता है
मेरे उत्तराखंड के पहाड़ में
एक कवि गिर्दा अब भी रहता है
सादगी से भरा है उसका वो दिल
बस मेरे पहाड़ के लिये वो धड़कता है
मेरे उत्तराखंड के पहाड़ में .......
वो अडिग अटल है विचारों से
हर मोर्चे पर वो आगे पग धरता है
अति विलक्षण यथार्त् का वो धनी
अपनों के लिये वो दिन रात जलता है
मेरे उत्तराखंड के पहाड़ में .......
वो आया और वो चला भी गया
दो बोल जो बोले वो अमर हो गये
कविताओं की जो उन्होंने माला पिरोई
हमे दिन रात वो प्रेरणा देते रहते है
मेरे उत्तराखंड के पहाड़ में .......
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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