हम लड़ते रैयाँ भुलू हम लड़े रूंलो
कृष्ण कूंछौ अर्जुन थैं -
‘‘सारि दुनी भै रणभूमी तौ-रण कॉ बचूंलो।
हम लड़ते रैयाँ भुलू हम लड़े रूंलो।।
ऐलघातै की रण छू आब उत्तराखण्ड ल्यूंलो -
यो रण लणूंलो भुलू! लड़ि बेरै जितूंलो।।
रणभूमी की महिमा यारो सबनैलै बखानी
शतुर-मितुर, झुट कि साँचा यैं पछ्यांणी जानी
धैं यो रण में को कां देखीं
हमलैकी देखूंलो-रण लड़ी जितूंलो भुलू !
उत्तराखण्ड ल्ह्यूलो।।
धन मयेड़ी छति उनरी, धन त्यारा उं लाल
बलिदानै की जोत जगै ढोलिगे जो उज्याल
खटीमा, मसूरी,मुजफ्फ कैं हम के भुलि जूलो
उत्तराखण्ड ल्ह्यूलो बैणो।
उत्तराखण्ड ल्ह्यूलो।।
कस होलो उत्तराखण्ड, कास हमारा नेता,
कसि होली विकासै नीति, कसि होली व्यवस्था।
जड़ि-कंजड़ि उखेलि भलीकै
पुरि बहस करूंने-उत्तराखण्ड ल्ह्यूलो बिकै
मनकसो बंणूलो।।
बैणी फांसी नी खाली जां, रौ नि पड़ाल भाई,
मेरि बाली उमर नि माजैलि तलिउंना कढ़ाई।
रम, रैफल, ल्यैफ्ट-रैट
कसि हंुछौ बतूंलो - उत्तराखण्ड ल्ह्यंूलो ज्वानो !
उत्तराखण्ड ल्ह्यंालो।।
लुछालूछ कछेरि में नि हौ, ब्लौकन में लूट,
मरी भैंसा का कान काटि खांणैकी नि हौ छूट।
कुकरीगांसै नियत नि हौ
यौस जनत करूं लो - उत्तराखण्ड ल्ह्यूंलो विकै
मनकसो बंणूलो।।
सांच नि मराल् झुरि-झुरी ‘जां, झुट नि डौंरी पाला,
लिस, लाकाड़, बजरी चोर जां नि फौरी पाला।
जै दिन ज लै यौस नि है जौ
हम सड़ते रूं लो - उत्तराखण्ड ल्ह्यूंलो बिकैं
मनकसी बणूंलो।ं
मैसन हंू घर - कुड़ि हौ, भैंसन हूं खाल,
गोरू - बाछन हूं गोनर हौ, चाड़ - प्वाथन हूं डाल
धुर - जंगल फूल फुलौ
यौस मुलुक बंणूलो - उत्तराखण्ड ल्ह्यूंलो विकै
ब्यौल जै छजूंलो।।
सार मुलुक छजै आपुण उन कै देखूंलो -
उत्तराखण्ड ल्ह्यूंलो परू ! उत्तराखण्ड ल्ह्यूंलो।।
- ‘गिर्दा’