हिन्दी गीता कु ये च गढ़वाली बोळ संस्करण तुम थै कंण लग जी
लगि जा गौलि
लगि जा गौलि कि फिर ईं हैंसी राति व्है न व्है
शैद फिर ईं जन्मी मा भेंट व्है न व्है
हम थे मिली च आच ये बेल क्द्गा भाग से
जी भोरिकी देकि लियां जी हम थे करीब से
फिर आप का भाग मा,ये छुईं व्है न व्है
शैद फिर ईं जन्मी मा भेंट व्है न व्है
नजदिक ऐ जा की हम नि ऐंन यख बार बार
बाँयां गौली मा डालि की हम रो लेण मूल मूल
आँखा दगडी फिर ये ,प्रीत की बरखा फिरि व्है न व्है
शैद फिर ईं जन्मी मा भेंट व्है न व्है
एक उत्तराखंडी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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हिंदी गाणा बोल छंण ... लग जा गले के फिर ये हसीं रात हो ना हो
चित्रपट : वह कौन
गढ़वाली मा ये बोल जी कंन लाग्यां जी आप थै बतवा जरुर जी
हिन्दी गाने का ये का गढ़वाली बोळ संस्करण