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Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी

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devbhumi:
कानों मा झुमकी ,नाक मा नथुली
गला गुलुबंदा सजै आ
माथा कि बिंदुली क्या बोल्नी छुचि
अप्डी जिकुड़िळ मेर जिकुड़ि मां
अपरी सरया माया भोरे जा

हमारी संस्कृति हमारी पहचान
जय हो देवभूमि उत्तराखंड

बालकृष्ण डी ध्यानी

devbhumi:
आदिम औरृ डाळा

 

आदिम

बेकसूर डाळों को कुल्हड़ी न हत्या करदु

वूं का सीरर ते इजा कैरि कि

निरदई

उघड़ मां वों को परपंच लगे देंदु

अदिमों को राज यन हि हुंदु



भोल डाळों कि सत्ता आळी

तब आदिम का बि हड़गा टुटला

वों ते बि ऊनि ई जनि उघड मा रखे जालो

वूं का कुंटब मां कैकि मृत्यु हैव जाली त

वूं पर हुंया अत्याचार जनि

वो आदिम पर वो प्रयोग करला

आदिम राज आण से पैल

हत्या का सबूत ठिकाण लगाण धरण कला

डाळा बि आत्मसात कैर दयाळा

जन एक बार फिर

वूं कि सत्ता ऐजाव



बालकृष्ण डी. ध्यानी

devbhumi:
जय गोलू देबता

हमरी पीड़ा अफि मा जा तू समै
क्या पाई तिल यखमा रैकि यख रुपै
गोलू देबता लगे हमुन फिर ते थे  धे
दौडी ऐजा हमते लिजा ते दगडी सरे

दुई हात जोड़ि कि हम छा बैथयां
अपडा से एकमत ह्वैकि हम छा बैथयां
तेरु ही धास तेर सार अब हमते लग्युं छा
चिट्ठी मा स्वाल लिखी सब्बि छा बैथयां

मनोकामना सबै कि पूरी व्है जाली
न्याय देबता जबै तू सबते न्याय देलि
घांट चिट्ठी मिल बि गेड़ी च मंदिर मा
तू मिते ना  कै ते ना अब ना तू बिसरे

हमरु उत्तराखंड को चितई गोलू देवता
तेरू जय जयकरा रै  हमरा मुखम सदै
हम सबु ते तू सत बुद्धि सत मार्ग बते
छोड़ि  कि गयां सबु ते पाड़ों मा परते

हमरी पीड़ा अफि मा जा तू समै  ....
जय गोलू देबता
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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devbhumi:
लड़ी ले जिकोडि तू हिमत भोरिकि

ना ऐ पिछने तू इन पाठ फिरैकि
लड़ी ले जिकोडि तू हिमत भोरिकि

जैल ऐ बि बुरू टैम थोडु टैम लगे दि
अपडो परयों कि बल खुद लगे कि
ध्यान धैर ध्यानी ऐ आखेर नि छ
डैरी डैरी कि हि  सै ते थे बाट देखेलि

ना ऐ पिछने तू इन पिठ फिरैकि
लड़ी ले जिकोडि तू हिमत भोरिकि

पता छे ते वै समण तू ठैर निसकदु
कुच निछ ते पास वै दगड़ लड़णा कुन
फिर बि वैते चित्कारी ललकार देणु रे
बिच बिच मां तू वै ते हुंकार देणु रे

ना ऐ पिछने तू इन पिठ फिरैकि
लड़ी ले जिकोडि तू हिमत भोरिकि

ध्यान धरि ऐ समै क्या शिक्षा देणु
हरेक बेल ऊ तुमरी परीक्षा लेणु
उपयोग मा ले अफ ते सक्षम कना कुन
कु छु मि ? अर क्या ह्वै सक्दु ऐ जण ना कुन

ना हात-खुथी गालि वै कु रूप देखिकि 
स्वार हवैजा वै पर लड़णु छ ऐ ठरैकि
ना ऐ पिछने तू इन पिठ फिरैकि
लड़ी ले जिकोडि तू हिमत भोरिकि

बालकृष्ण डी ध्यानी
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devbhumi:
मायाजाळ

सब्यू  ते .....  ते यख
लाइक ,कमेन्ट...  शेयर चैन्दु
यूँ  रगरायाट अंख्यूं  ते
क न  यु सुख चैन  चैन्दु
सब्यू  ते .....  ते यख

स्वप्नयाळी आँखि थक गैनी
जग्वाळ  देख कैरी कैरी
क्वी त  होलो दगड़्या बिन पड़ी
लाइक ,कमेन्ट...  शेयर करलू ..... हरी हरी
सब्यू  ते .....  ते यख

बडू  टैम  ह्वैगे
कैल  बि वै  पोस्ट ते ख्वगेल ना
निराशा व्हाई क्वी बी ऐना
ऐना  दिख्या  ग्याई मि भिर-भिराट  कैरि
सब्यू  ते .....  ते यख

अप्डू  सुख  अफ दगडी हि  छा
मिल वै  ते  खोजी भैर  भैर
अब बी  नि  व्हाई  देर
झट स्वप्नियु  मा  ख्वै जै कैर अप्डी ..... केयर
सब्यू  ते .....  ते यख

बालकृष्ण डी ध्यानी
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