Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253913 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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तुम थे देखि

तुम थे देखि त ये बिचार ऐई
जिंदगी घाम , तुम घणेर सौली

आच फिर जियु नि एक आस बंधी
आच जियु थे फिर हमुन समझेई

तुम जबै हर्ची जला तब सोचला
हमुल कया खोई कया पाई
.
हम जैथे गुनगुना नि सक्दा
बगता न इन गीत किलै गाई

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
October 14 at 7:27am ·

गिन गिनी की

क्वी अपरू ना क्वी परयु
फिर जियू तिल हाक किलै मारी

घुघूती अब लगीगे वा घुरनि
कै आमा डाई बैठी हुली वा हाक देनि

ढुंगा ढुंगा गारा गारा व्हैगेनी
परदेश जै स्वामी निर्जक व्है कि सैगेनी

मि छों लगि यख यखुली यखुली
आच दूर गयां बाटा कि खुद भंडया आनि

दोफरी बाद रात राता बाद सुबेरा आलू
गिन गिनी की ऐ दिन बीत जालू

बालकृष्ण डी ध्यानी
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किलै बोला ना सकी ना

ते बिन मेरो जी रैं ना सकी ना
माया बिना एक दिस बी मि रैं ना सकी ना
पियार मा क्या आखर हूंद बोला ना सकी ना
यूँ आँखी की भसा बी मि पैड़ ना सकी ना
ते बिन मेरो जी रैं ना सकी ना

मि तै पियार करदु मि तै पर मरदु किलै बोला ना सकी ना
ते बिन मेरो जी रैं ना सकी ना
माया बिना एक दिस बी मि रैं ना सकी ना ……

हाथ मा फूल लेकि मि विन्थे दे ना सकी ना
तिना आखर पियार विन्से किलै बोला ना सकी ना
आंदा जांदा बाटा बैठी विंकी कि मि अड़ै ना सकी ना
मेरो जीकोडी की कथा किलै विं मि सुनै ना सकी ना
ते बिन मेरो जी रैं ना सकी ना

मि तै पियार करदु मि तै पर मरदु किलै बोला ना सकी ना
ते बिन मेरो जी रैं ना सकी ना
माया बिना एक दिस बी मि रैं ना सकी ना ……

मेरो जियो की धक धक विं किलै धके सकी ना
दूर बैठी मेरो ये हाल पास ऐकि विं थे बथे सकी ना
कन खलबलहट मच्यु च यु कैल बिंगै सकी ना
बोगी गै सुर पाणी आँखा कू कैल यख मैटी सकी ना

मि तै पियार करदु मि तै पर मरदु किलै बोला ना सकी ना
ते बिन मेरो जी रैं ना सकी ना
माया बिना एक दिस बी मि रैं ना सकी ना ……

बालकृष्ण डी ध्यानी
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मेरी बात राई में दगडी ..........

मेरी बात राई में दगडी
वहै गे प्रभात देख कै दगडी
कण रात ग्याई मि जंणदू
अपरू दुःख मि अफि सरदु
मेरी बात राई में दगडी ..........

बैठ्युं राई अपरि मि
कोई नि आई यखरि मा मि
कैल नि अब मि ध्यै लगे
दूर भ्तेकी बी वेळ नि बचे
मेरु स्वास में मा राई
में दगडी ही वा यखुली ग्याई
मेरी बात राई में दगडी ..........

ये अंधारु उजाळु को खेल
बिठे नि पाई मि विं दगडी मेल
झुक झुक कैकि दिस ऐई गैई
छूटी ग्याई मेर ज्योंदगी की रेल
सज नि आई या खेल नि पाई
दूर बैठिक मि बस देख्दी राई
मेरी बात राई में दगडी ..........

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
3 mins ·

ऐ बी जावा ऐ बी जावा

ऐ बी जावा ऐ बी जावा
म्यारा गढ़ देशा मा जी ऐ बी जावा

बाटों बाटों मा हिटा कांडों कंडो मा
नाचा नाचा दीधो ढ़ोल दामू मा
नचेड़ी डंडी कंठी ऐजा मेरो साथी
ऐ बी जावा ऐ बी जावा
म्यारा गढ़ देशा मा जी ऐ बी जावा

रंग रंगा की फूल खिल्या छन
मस्त व्हैकि लस्का धसका लग्या छन
जोड़ा तोड़ कैरि सब खूब नच्या छन
ऐ बी जावा ऐ बी जावा
म्यारा गढ़ देशा मा जी ऐ बी जावा

ये उकाल दगङया दगडी सरोंला
रुकी सुकी खैकी अपरी हिमत बढोंला
हैरी भैरी सैरी धरती थे चल सरग बणोंला
ऐ बी जावा ऐ बी जावा
म्यारा गढ़ देशा मा जी ऐ बी जावा

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
October 15 at 11:55pm ·

मुल्क बणाई

कैका बणा मुल्क बणाई कै बणा
छोड़िकि जाणा छन किलै सब भाई कै बणा

कैका बणा गोली मिल यख खाई कै बणा
तेरा आंख्युं ल बल आंसूं चुलैई कै बणा

कैका बणा मेरो रौंतेलों मुल्का कै बणा
अप्रि ब्यथा वैल खुद किलै लगैई कै बणा

कैका बणा मिन भाणा बनेई कै बणा
कैथे सुणाण मिल यकुली हे राई कै बणा

बालकृष्ण डी ध्यानी
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होटल की नौकरी

होटल बण्यू दफ्तर
कलम कर्छी चा …… २
मिन काद्गा देखि सुप्निया
किस्मत इनि चा ई की लचारी चा

ईं नौकरी का बाना
सैरयूं सैरयूं घुमी मि
इन नौकरी का मिल
खाई मिल ठोकरी

होटल बण्यू दफ्तर
कलम कर्छी चा …… २
मिन काद्गा देखि सुप्निया
किस्मत इनि चा ई की लचारी चा

घर भैठींन गरीब ही रैन
दुखी लाचारी मा पढ़े कैन मिन … २
होटल बण्यू दफ्तर
कलम कर्छी चा …… २
मिन काद्गा देखि सुप्निया
किस्मत इनि चा ई की लचारी चा

इंटर कैरी मिन बी ऐ भी कैर्याली
डिग्री बिसरमैकु सिरयाँण धैर्याली … २
होटल बण्यू दफ्तर
कलम कर्छी चा …… २
मिन काद्गा देखि सुप्निया
किस्मत इनि चा ई की लचारी चा

धरती मा दौड़ी दौड़ी खुटे घिस गेन … २
होटलों का भांडा धोये धोये हाथ सड़े गेन .... २
होटल बण्यू दफ्तर
कलम कर्छी चा …… २
मिन काद्गा देखि सुप्निया
किस्मत इनि चा ई की लचारी चा

नेतओं मा जैकी फ़ैल दिखाई
नेताओं न फ़ैल देखि मूक लुकाई .... २
होटल बण्यू दफ्तर
कलम कर्छी चा …… २
मिन काद्गा देखि सुप्निया
किस्मत इनि चा ई की लचारी चा

मना की बात कैल नि जानि
आंख्युं को पाणी आज नि उबानि .... 2
होटल बण्यू दफ्तर
कलम कर्छी चा …… २
मिन काद्गा देखि सुप्निया
किस्मत इनि चा ई की लचारी चा

बालकृष्ण डी ध्यानी

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मुल्क बणाई
कैका बणा मुल्क बणाई कै बणा
छोड़िकि जाणा छन किलै सब भाई कै बणा
कैका बणा गोली मिल यख खाई कै बणा
तेरा आंख्युं ल बल आंसूं चुलैई कै बणा
कैका बणा मेरो रौंतेलों मुल्का कै बणा
अप्रि ब्यथा वैल खुद किलै लगैई कै बणा
कैका बणा मिन भाणा बनेई कै बणा
कैथे सुणाण मिल यकुली हे राई कै बणा
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फिर बी फैशन हो ऐसा जी
खानु कू नि पैंसा
फिर बी जमानु चैणु ऐसा जी
फिर बी फैशन हो ऐसा जी
छोरी जनि लट्लु
ब्याल च की बैठूल नि समझने हो
फिर बी फैशन हो ऐसा जी
बोबा व्हैगे बोई जी
बोई व्हैगे अब बोबा हो
फिर बी फैशन हो ऐसा जी
कन बदली हुणि च
वो कख जाने की सोचणी हो
फिर बी फैशन हो ऐसा जी
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