Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253913 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मेर छुईं मेरी च
मेर छुईं मेरी च
और्री ना वा कैंकि रे
वैमा ही मि रैंदु रे
वै दगडी ही मि सेंदु रे
मेर छुईं मेर च
ना फिकर च ना कैकि चिंता
ना भीतर ना भैर की चिंता
अपरा ही छुईं मा रेंदु रे
आपरी मा ही बचेन्दु रे
मेर छुईं मेरी च ...................
ना आच ना भोळ ना परबत की चिंता
जबै भी जलैई मिल अपरी छुईं की चिता
वा ही मेर भूक च वा ही मेर तिस रे
वा ही मेरो परण वा ही मेरो जियू रे
मेर छुईं मेरी च ...................
बालकृष्ण डी ध्यानी
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जनि छाई मेरो गढ़ तब
जनि छाई मेरो गढ़ तब ,अबी बी ऊनि ही छे
नजरि मां तेरी बल ,बस ये फर्क पौड़ीगे
जनि छाई मेरो गढ़ तब ,अबी बी ऊनि ही छे .......
शीर्ष हिमाल को,अबी बी ऊनि ही छे
बस तेरो शीर्ष उन्द ग्याई,बस ये फर्क पौड़ीगे
जनि छाई मेरो गढ़ तब ,अबी बी ऊनि ही छे .......
मेरी हिमत मेरो बल बी ,अबी बी ऊनि ही छे
बस तेर धैर्य तेर बल मां,बस ये फर्क पौड़ीगे
जनि छाई मेरो गढ़ तब ,अबी बी ऊनि ही छे .......
दाणा स्याणा ही यख ,अब बाकि रैगे
ज्वानो को टोला अब ,वै न्यारा मां बोगीगे
जनि छाई मेरो गढ़ तब ,अबी बी ऊनि ही छे .......
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हे राम हे राम
सुबेर भतिक कि व्हैगे शाम
ना य्ख मिली ना व्ख मिली मिथे तेरो धाम
नि मिली ना बणी रे मेरो काम
क्ख्क लुक्यूं हुलु रे तू मेरो भगवान
हे राम हे राम
देक क्ख्क बी ना तू दिके
देक तेर बाण मिन पूरी ये धरा खोजी दे
फिर बी मेर जियू थे ना मिली आराम
फिरदा रैग्युं मि सरया चारों धाम
हे राम हे राम
शन्ति निच ये अब बी मन मा मेरी
किलै की मिन इनि सुदी मार दी फेरी
गुरु बिना यख ज्ञान नि मिल्दु
भित्र खोजी ले तेर भैर भगवान नि मिल्दु
हे राम हे राम
बालकृष्ण डी ध्यानी
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जिकोड़ी मेरी बस जी
जिकोड़ी मेरी बस जी अब बी भटकण लगिं च
तै दगडी ही जियू अब बी वा लटकण लगिं च
हिटा दा हिटा दा ये सैरी जिंदगी तेर बान
ऐग्युं ये छोर (अब तब जब निकलाल परान ) ... २
जिकोड़ी मेरी बस जी अब बी भटकण लगिं च .......
सैरी जिंदगी मेर अब इनि ही ग्याई
यख कुच बी नि पाई मिल सबै ब्यर्थ ही ग्याई
अक्ल दाढ़ बी मेर ये बुढ़ापा मां ही ऐई
हैरी हैरी हरी कैकि (मिल कया पाई ) ... २
जिकोड़ी मेरी बस जी अब बी भटकण लगिं च .......
बोगी की ग्याई बल सब यख जी कुच बी ना राई
फक्त एक स्वास आई बस जी एक स्वास ग्याई
अपरी मां रैग्युं मि जी कुच बी समण देक नि पाई
कुटुमदरी कू झमेलों से (मि कबि निकल नि पाई ) ... २
जिकोड़ी मेरी बस जी अब बी भटकण लगिं च .......
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जनि छाई मेरो गढ़ तब ,अबी बी ऊनि ही छे
नजरि मां तेरी बल ,बस ये फर्क पौड़ीगे
जनि छाई मेरो गढ़ तब ,अबी बी ऊनि ही छे .......
शीर्ष हिमाल को,अबी बी ऊनि ही छे
बस तेरो शीर्ष उन्द ग्याई,बस ये फर्क पौड़ीगे
जनि छाई मेरो गढ़ तब ,अबी बी ऊनि ही छे .......
मेरी हिमत मेरो बल बी ,अबी बी ऊनि ही छे
बस तेर धैर्य तेर बल मां,बस ये फर्क पौड़ीगे
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दाणा स्याणा ही यख ,अब बाकि रैगे
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जिकोड़ी मेरी बस जी
जिकोड़ी मेरी बस जी अब बी भटकण लगिं च
तै दगडी ही जियू अब बी वा लटकण लगिं च
हिटा दा हिटा दा ये सैरी जिंदगी तेर बान
ऐग्युं ये छोर (अब तब जब निकलाल परान ) ... २
जिकोड़ी मेरी बस जी अब बी भटकण लगिं च .......
सैरी जिंदगी मेर अब इनि ही ग्याई
यख कुच बी नि पाई मिल सबै ब्यर्थ ही ग्याई
अक्ल दाढ़ बी मेर ये बुढ़ापा मां ही ऐई
हैरी हैरी हरी कैकि (मिल कया पाई ) ... २
जिकोड़ी मेरी बस जी अब बी भटकण लगिं च .......
बोगी की ग्याई बल सब यख जी कुच बी ना राई
फक्त एक स्वास आई बस जी एक स्वास ग्याई
अपरी मां रैग्युं मि जी कुच बी समण देक नि पाई
कुटुमदरी कू झमेलों से (मि कबि निकल नि पाई ) ... २
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हे राम हे राम
सुबेर भतिक कि व्हैगे शाम
ना य्ख मिली ना व्ख मिली मिथे तेरो धाम
नि मिली ना बणी रे मेरो काम
क्ख्क लुक्यूं हुलु रे तू मेरो भगवान
हे राम हे राम
देक क्ख्क बी ना तू दिके
देक तेर बाण मिन पूरी ये धरा खोजी दे
फिर बी मेर जियू थे ना मिली आराम
फिरदा रैग्युं मि सरया चारों धाम
हे राम हे राम
शन्ति निच ये अब बी मन मा मेरी
किलै की मिन इनि सुदी मार दी फेरी
गुरु बिना यख ज्ञान नि मिल्दु
भित्र खोजी ले तेर भैर भगवान नि मिल्दु
हे राम हे राम
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सुप्निया मेरा आँखि तू
सुप्निया मेरा आँखि तू ,देकि ले देकि ले
ऊँ सुपनियों थे अब तू ,समझी ले आकारी ले
सुप्निया मेरा आँखि तू
ढुंगा ढुंगा तू जोड़दा,कथा वै अपरी तू लिख्दा जा
तेरी कथा मा वा दिक जालो ,तै बिगर यखुली ऊ कण कै राळू
सुप्निया मेरा आँखि तू ,पली ले तू पली ले तू
सुप्निया मेरा आँखि तू .......
बड़ी मयाल्दी है वा ,अपरी जल्म भूमि छे वा ,
पोट्गी भूख सुप्निया बिखरेगे ,यखरा मिथे यखुली तै से कैरिगे
सुप्निया मेरा आँखि तू ,रोई ले तू रोई ले तू
सुप्निया मेरा आँखि तू .......
कोरा बिखरा पड्या छन,म्यार सुप्निया जो अपुरा रंग्या छन
यक्लोप्न मेरो रंगणो छा वैमा ,जीकोडी को खूब खोल मां वो पड्या छन
सुप्निया मेरा आँखि तू ,कोरी ले कोरी ले
सुप्निया मेरा आँखि तू .......
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कुच त बात च तैमा
कुच त बात च तैमा
ये दिन रात किलै बसै त्यरा बसमा
हैंसदरी मुखडी बतै जा बतै जा ये बात मैमा
कया राज लुक्यूं च तैमा
कुच त बात च तैमा ...........
मयल्दी बी छे बिगरेली ई तू बिगरेली
कांडों दगड़ा दगडी खिल्दी हैरेली ई तू हैरेली
ये पहाड़ा की तू ये पहाड़ तेरो ये पहाड़ तेरो
ये ऊंचा डंडा कंठों को ये घार तेरो ये घार तेरो
कुच त बात च तैमा ...........
दुख पीड़ा क्या हूंद तैर समण सब फुंड जी सब फुंड जी
विपदा थे झट उचाट दें दी अपरा मुंड से जी अपरा मुण्ड से जी
तू छे भगवती बाल कुँवारी तू ही नरेणी तू ही नरेणी
ये उत्तराखंड कुमो गढ़वाल की तू तारेणी तू तारेणी
कुच त बात च तैमा
ये दिन रात किलै बसै त्यरा बसमा
हैंसदरी मुखडी बतै जा बतै जा ये बात मैमा
कया राज लुक्यूं च तैमा
कुच त बात च तैमा ...........
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बिकासा की चाबी खोज्दों छों
खोज्दों छों मि खोज्दों छों
बिकासा की चाबी खोज्दों छों
क्ख्क हर्ची हुली (वा बिकासा की चाबी ) .... २
ना वैकि अगड़ी च ना छ पिछडी
हरदा दा मेरो हरदा
लग गे नंबर मेरो बी गिनीज किताब को भित्तर बी
उत्तराखंड को मेरो नाम व्हैगे
कण मेरो पहाड़ को बिकास हैगे
हरदा दा मेरो हरदा
जिंदल जिंदल जिंगल जिंगल
नेनिसार मां कैरेगे वैथे तू मिंगल
घोटाला मा रे तेरा घोटाला छन
हरदा दा मेरो हरदा
ना खता च एक ना च यख बही
ऐ टक्कों की गंगा क्ख्क भत्ते बही
तेन ज्या बोली वा च सही
हरदा दा मेरो हरदा
माफ़ियों को राज्य ये बनिगे
तेरो बस ये काज ये बनिगे
लूट लुटेकी लगैनी हम बस देख्दा रैगे
हरदा दा मेरो हरदा
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