Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253462 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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माया बिसरी

बिसरी बिसरी गैण
तीसलू तीसलू रैण
खुदमा बैठी खुदैड़ी
छुंयीं लगा दे डंडाली...२
बिसरी बिसरी गैण

घसा की गठरी गठरी
पीड़ा की गोठरी
मै दगडी माया लगे ये
रोटी सगा की टोकरी...२
बिसरी बिसरी गैण

डंडा मा कोयेडी कोयेडी
जीकोडी मा धोंप्यान्ली
लोंप्यान्ली माया गढ़ की
बाटों बाटों मा हेरा ली ....२
बिसरी बिसरी गैण

कुदु का बीज बीज
पुंगडु मा सखी पेराली
बंजा पड़ा मेरा भागा
ग्दनीयु दगडी बोग्यली ...२
बिसरी बिसरी गैण

ये रास्ता याखाडु याखाडु
उन्दारू वा उकलू
छुडी गैना जो भी यख
माया का जी को उधारु ...२

बिसरी बिसरी गैण
तीसलू तीसलू रैण
खुदमा बैठी खुदैड़ी
छुंयीं लगा दे डंडाली...२
बिसरी बिसरी गैण

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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रींग रिंग

छुयीं लगदे
मी थै अपरी
बात बथा दे
प्रीत बिंगा दे
ये मोबाईल जी दगडी छुयीं लग्दै

रींग रिंग
बज्दै कनु मा
आवाज आइजादी
ईण जीकोडी मा
ये मोबाईल मेर जी दगडी छुयीं लग्दै

गला गलुआडी हंसी
इण ना अब पिचका
आंखी लजाणी येरै
दात पट्टी तो छुपादे
ये मोबाईल जी दगडी छुयीं लग्दै

रेशमी लाटोंलों थै
बथों दगडी फर फरा दे
लाली लगी अटुओं मा
बंगडी हाथों मा पहन दे
ये मोबाईल जी दगडी छुयीं लग्दै

पहाड़ की बबली छुं
गढ़ देश की बेटी छुं
रामी जसी जाणी युकुली णी
अब मोबाईल दगडी छुं
ये मोबाईल जी दगडी छुयीं लग्दै

छुयीं लगदे
मी थै अपरी
बात बथा दे
प्रीत बिंगा दे
ये मोबाईल जी दगडी छुयीं लग्दै

बालकृष्ण डी ध्यानी
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चौखम्बा चोटी मा

चोपटा सुरम्य गांव
केदार को बाट
तुंगनाथ यात्रा को शुरुवात
चंद्रशिला मंदीर
नंदा देवी थाट बाटा
चौखम्बा चोटी माँ
माँ जन्ननी को वासा
जय नंदा देवी माता जय केदार बाबा को पहला कपाटा
चोपटा सुरम्य गांव ...........

बर्फानी घटीयुं मा
देवदार का घनघोर डंडा
वख रहैणु माँ भगवती को बघा
मंदीर मा सजी लाल पिला पताका
सर झुके ले अश्रीवादा
चल यात्र को बाटा
जय नंदा देवी माता जय केदार बाबा को पहला कपाटा
चोपटा सुरम्य गांव .....

माँ नंद माँ भगवती
दैण हो जा गढ़ मा खोली को देवा
गुप्तकाशी ओर गोपेश्वर का बाटा
मठो मठो चल भक्त चोपटा का डंडा
माँ बैठी च त्रिशोल ले हाथ
कंण भलो लगदु मेरु पहाडा
जय नंदा देवी माता जय केदार बाबा को पहला कपाटा
चोपटा सुरम्य गांव .....

चोपटा सुरम्य गांव
केदार को बाट
तुंगनाथ यात्रा को शुरुवात
चंद्रशिला मंदीर
नंदा देवी थाट बाटा
चौखम्बा चोटी मा
माँ जन्ननी को वासा
जय नंदा देवी माता जय केदार बाबा को पहला कपाटा
चोपटा सुरम्य गांव ...........

बालकृष्ण डी ध्यानी
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नचैडी

कण नचणी....२ नचैडी वा
कण नचणी....२
भुल्ह को ब्योच कण नचणी
लस्का धसका लगाणी नचैडी वा
कण नाचणी....२

जमा होयां गाम की बेटी ब्वारी आज
चौका लगी कण ये बहार
गड्वाली गीतों की उधाण
भुल्ह थै आज ब्योला बणाण
कण नचणी ....२

एक दुई का मार ठुमका
दीदी भुलीयुं तुम भी मार झम्पा
दे दै साथ मेरा दगडीयुं
हार णा माणा मेरा सखीयुं
कण नचणी ....२

खैरी विपदा भुल्दै
गढ़ देश मी थै बाथदै
आपर अन्गोली मा बोई
दुई घड़ी मी थै हसा दै
कण नचणी ....२

मासों बाजा सुरीला
ढोल दामू जरा छुंयीं लगा
खूटी मेरी तु आज खीदा
मेर पीड़ा थै भुल्ह
कण नचणी ....२

कण नचणी....२ नचैडी वा
कण नचणी....२
भुल्ह को ब्योच कण नचणी
लस्का धसका लगाणी नचैडी वा
कण नचणी ....२

बालकृष्ण डी ध्यानी
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जाडॉ मा

उजाड़ों उजाड़ों का
ठंडो मा जाडॉ मा
डाणड मा रोल्युं मा
कोयेड़ी छायी
गढ़ओं मा पहाड़ो मा..............

बुरंस मौली गैणी
प्योंली बोउली गैणी
जाड़ा का दीण सैणी
जाड़ों राता ठीठोर गैणी
गढ़ओं मा पहाड़ो मा..............

उकाला बाटा छुप गैणी
उन्दारू मा भुर रररर गैणी
बिरला कुकरा कूल्हण लुक गैणी
गढ़ की कहणी मुक रैह गैणी
गढ़ओं मा पहाड़ो मा..............

विपदा का गाथा
खैरी की कथा जाडॉ मा
रीटा बाटा ये स्याणी का पथ
गढ़ की दुर्दश म्यरु मन स्तब्द
गढ़ओं मा पहाड़ो मा..............

उजाड़ों उजाड़ों का
ठंडो मा जाडॉ मा
डाणड मा रोल्युं मा
कोयेड़ी छायी
गढ़ओं मा पहाड़ो मा..............

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गुडा धेली गढ़

गुडा की धेली धेली गुडा की
मीठी ना लगदी चा चीनी की
गुडा की धेली धेली गुडा की

पहली भैली भैली पहली की
म्यार देबता इष्ट देवों की
गुडा की धेली धेली गुडा की

दूजी भैली भैली दूजी की
बोये भगवती माँ चरणु की
गुडा की धेली धेली गुडा की

तीजी भैली भैली तीजी की
बाबा केदार बद्री धमा की
गुडा की धेली धेली गुडा की

चोथी भैली भैली चोथी की
संत देवों की स्थली देवभूमी की
गुडा की धेली धेली गुडा की

पांचवी भैली भैली पांचवी की
सफल सुफल रयां गढ़ नरेशा की
गुडा की धेली धेली गुडा की

गुडा की धेली धेली गुडा की
मीठी ना लगदी चा चीनी की
गुडा की धेली धेली गुडा की

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बरखा

ऐगै भरमणत
ऐगै झणमणत
ऐगै बरखा बरखा बरखा
छणमणत
ऐगै भरमणत
ऐगै झणमणत भरमणत ऐगै झणमणत.........२

पहाड़ों मा छेगै
ऐगै धडधडहट
सरर र र बरखा की धार
पुआडै सारी रात
ऐगै झणमणत भरमणत ऐगै झणमणत.........२

कवि मण त्यांसु रहैगै प्यासु
बरखा धार एक रेखा
उजाड़ जीकोडी बाण हरीयालु
गों बाटा पुंगड़ डाणड़
ऐगै झणमणत भरमणत ऐगै झणमणत.........२

बरखा की सैर
घार घार गाम गाम
बद्री केदारनाथ धाम
ऊँचा ये कैलाश थान
ऐगै झणमणत भरमणत ऐगै झणमणत.........२

ऐगै भरमणत
ऐगै झणमणत
ऐगै बरखा बरखा बरखा
छणमणत
ऐगै भरमणत
ऐगै झणमणत भरमणत ऐगै झणमणत.........२

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धगोली-थगोली

धगोली धगोली थगोली थगोली
मेर बोये तो कखक होली
बिराण मुल्क बिराण बाटा
बोये क्या होलो पर परबता
धगोली धगोली थगोली ........

आणी छे याद एक एक बाता
वो पहाडा की राता वो कूड़ा वो बाटा
घिर घिर आणी वहाली बरसता
अन्ख्युं मा छेगै बोये अंशुं की धार
धगोली धगोली थगोली ........

बोई याद आणु वो बालपन को दीण
कभी स्कूला कभी सरीयुं कभी डालीयुं दीण
कभी डगडीयुं कभी मैत्र कभी भै भैणु गीण
हींशोला काफल कींगोडा छे हम टिप
धगोली धगोली थगोली ........

कब हम बड़ा होयां कब ग्याई बचपन छीन
धयाडी कमाण वास्ता गढ़ भी छुट ग्याई
मण मारी की बैठीं छुं सात समुद्र पार
बोई कब आलो ओ दीण कब हम वाला साथ
धगोली धगोली थगोली ........

धगोली धगोली थगोली थगोली
की बस अब रैगे इण साणी मा याद
बोई बाबा दादा दादी ये मेर गढ़ देश
ते थै च मयारू सत सत प्रणाम
धगोली धगोली थगोली ........

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ये गढ़वाल

दादा दादी
बैठ छन घार
तिबारी दार
सनघुला ताला
माथा कूड़ा देखा
देखा तुम ताल
पूरा गढ़ देश का एक ही हाल
पलायन काण लग्युं इन यान
पलायन पलायन बस ये गढ़ धाम

बतवा मी थै दीख्वा इन गाम
जख नी पुन्ह्न्छु ये शैतान ण
गव्हाई दिला ये बाटा ये कूड़ा
हकीकत बयां करला ये बोहज्याँ चुलह
कबैर जल्दी छे इन मा भी आगा
कंण फुटयूँ मेर इन भाग्य
देवभूमी छुडी मी भी भागा
पलायन काण लग्युं इन यान
पलायन पलायन बस ये गढ़ धाम

रीटा कूड़ा उजड़ा पडू ये ड़णड़
बंजा पड़ा पुंगडा सरयागढ़ धाम
कमधणी नीच बस ध्याड़ी की बात
कण के विपदा को उकल चढ़लू ये गढ़ धाम
खैरी खैरी च यखा और सीयीं छ सरकार
विचार गोष्टी कै की बस बाणगया बात
शीलन्यास करै की कम चलो होलो परबत
इन मा दीण दिण चली गैनी कब आलू ओ प्रभात
पलायन मुक्त होलू मेरु गढ़ धाम
पलायन काण लग्युं इन यान
पलायन पलायन बस ये गढ़ धाम

भैर भटैक आयां व्यापारी कामदी यख रुपया हजार
यखा का नोजवान बुल्दी हमकोंण दुई चार
उंदर बाट बाट जाकी जब णी बाणी माया बात
वाख जाके तब आयी मेरी भांडी याद
चुना की रोटी ल्ह्शोंनै की चटनी को स्वाद
जेकोड़ी मा तब लगी दण मण बरसात
रहे रहे कीले वहाली याणी बात मेर गढ़ धाम
छुडी जाण तुंम सात समुदर पार
पलायन यो समस्या को नीच समधान
विचार कर ये बात जब तुम जब छुडीला गढ़ताज
पलायन काण लग्युं इन यान
पलायन पलायन बस ये गढ़ धाम

दादा दादी
बैठ छन घार
तिबारी दार
सनघुला ताला
माथा कूड़ा देखा
देखा तुम ताल
पूरा गढ़ देश का एक ही हाल
पलायन काण लग्युं इन यान
पलायन पलायन बस ये गढ़ धाम

बालकृष्ण डी ध्यानी
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एक नयै आशा

बेटी थै पडै लिखै
एक नयै दिशा दिखा
पहाडा की सोच मेरी
हीन्शोंला सी मेर दाणी
एक नयै आशा

नारी शक्ती को प्रताप
बंच्च्युं ये गढ़ देश आज
छोटा छोटा हाथों मा बंगडी
माथा मा गढ़ का टीका आज
एक नयै आशा

देखण च गढ़ पलायन आज
औरतों णी थमीच अब कमान
दारू मुद्दा हो राज्युं को सुधार
मा भगवती तेरु च पुड़कर
एक नयै आशा

बंधा दै धाडस लगा दै माया
गौरी तिल बदलणी गढ़वाल की कया
माता भावनी ये बेटी ब्वारी
तै मा जुडी अब मेर देश की छाया
एक नयै आशा

एक प्रभात आलों
गढ़ देशा मा तेरो उपकार रहलो
चोंह देश अब धणी वहाली
म्यार देशा मा अब राजी खुशी आली
एक नयै आशा

ना हर माण ना विपदा बिंगा
भैर गाम गें भै दिदों थै दिखा
हमरा गढ़ देश कम धमा णी हर्ची
क्या करण तील वख जब रोप्या खर्ची
एक नयै आशा

बेटी थै पडै लिखै
एक नयै दिशा दिखा
पहाडा की सोच मेरी
हीन्शोंला सी मेर दाणी
एक नयै आशा

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