Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 253462 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कन कै रैन तेर बिगेर बल
कन कै रैन तेर बिगेर बल ,तू ऐकि मिथे बथे जैई
जियु नि लगदु तेर बिगेर ,तू ऐकि वैथे समझे जैई
बिगरैलि आंख्युं मा तेरी बल यो इन जियु अल्झि ग्याई
देख्दु रैंदु सुपनियु तेरा बल वेका सुपनियु मा तू जरूर ऐई
कन के रालो यखुली यखुली बल तै दगड़ ऐथे तू ले जैई
जब तू ना देखेली येथे समणा बल वैकि दशा कया हुलि
वैकि खुदी मा तू रालि सदनि बल सदनि ऊ रलो तेरो
इन ना दे वैथे तू सजा बल वैथे छोड़ी की वैसे इन दूर ना जा
जब आलो बसंत तेर बिगेर बल यूँ डांडियों कंठियुं मा
हेर दो रला ऊ दोई आँखा बल ऐकि ऊँ कि हेर तू मिटे दैेई
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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उत्तराखण्ड बनेक बल हमुल क्या पाया
उत्तराखण्ड बनेक बल हमुल क्या पाया
उत्तरांचल को खण्ड खण्ड जब हमुल कैदयाई
अपरा अपरा क्वी नि यख सब अब ह्वैगे बिराणा
घार अपरा छोड़िक सबो का परदेस ठिकाणा
राम सब यख छन पर बल मन मा रावण बस्यूचा
अंखयूं अंखयूं न रोज अब किलै सीता हरण हुनिचा
एक खुटा दून एक दिल्ली मा अब बल धरयूंचा
कैल सोचण पहाड़े की जब अपरू नाणो ही खुटुचा
देखा डामा को गढ्देश मेरो उत्तराखंड बणीग्याई
तब भतेक अपरो देऊ देबता हम से रूसैग्याई
बूढारी अंखयूंन देखिछया सब भल भली के जो सुपनिया
अब की पीढ़ी न ऊ सुपनियों को छितर बितर कैदयाई
बालकृष्ण डी ध्यानी
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आज किलै की
आज किलै की औ आज किलै की
तू मेरो सुपनीयू मा आणु छे
तू किलै की आज मि रुलाणु छे
आज किलै की औ आज किलै की
आँखयूँ का ऊ सुपनीयू आँखयूँ मा रैगेनि
अपडों छोड़ सात समोदर ऊ पार चलीगैनी
चखलु जनि उड़णु मिथे कैल हुलू सिखैई
आज किलै की औ आज किलै की
जून जुन्याली छे यख वख बी इनि हुली कया
जन रुणु छो यखुली यखुली ऊनि बी हुली रुंदी वा
कैल बने हुलू टक्कों थे कैल ईं पर पैल माया लगे हुली
आज किलै की औ आज किलै की
ईं अंध्यारी रात मा तू मेरो उजालू बणी की ऐई
बाटू बिरड़ी छियूँ मि मिथे बाट बथे जैई
हाथ पकड़ी की मेरो तू अपड़ो दगडी ले जैई
आज किलै की औ आज किलै की
बालकृष्ण डी ध्यानी
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म्यारा हिर्दय की दुकी दुकी मा
म्यारा हिर्दय की दुकी दुकी मा
तू स्वास बणी मठु मठु आणि जाणी लगे छे
यूँ आँखयूँ की छपी छपी मा
तेर तस्बीर देख लुकी छुपी जाणी लगे छे
म्यारा हिर्दय की दुकी दुकी मा ....
देखी जब तेरु ऊ हसणु मुखड़ी
ऐ जिकोड मेरो हुलु तब च धड़की
तेरा पिछणे पिछणे मिल ऐकी ऐ बांदा
कख कख नि मिल मार दी फेरी
म्यारा हिर्दय की दुकी दुकी मा ....
मिथे बता तेरु नोऊ च क्या
कै कॉलेज तू पड़दी तेरु गौं च क्या
देख तू अब इन औरी ना बाहण लगा
सब धणी तेरु तो मिथे दे बता
म्यारा हिर्दय की दुकी दुकी मा ....
तेरी मयलदी ऊ आँख दोई
मै बान माया देखांदी वै माया थे जता
अपरी परेली थे ना इन झपक
साफ साफ बाता कुछ ना लुका
म्यारा हिर्दय की दुकी दुकी मा ....
बालकृष्ण डी ध्यानी
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वहां पहाड़ों में
गिरते हुये झरनों का पानी कहे
छम छम
मेरे पहाड़ों की वो रवानी कहे
छम छम
अमरुद सेब अरु की डाली झूमे
झम झम
मेरे पहाड़ों की वो बोली झूमे
झम झम
पौड़ी कमो टिहरी जौनसार घूमे
चल चल
मेरे पहाड़ों की वो सड़कें घूमे
चल चल
छूट ना जाये कुछ सुंदर सा तेरा
पल पल
मेरे पहाड़ों पर वो यादें चले
पल पल
बालकृष्ण डी ध्यानी
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मेरी कहाणी मा तू याद आली
मेरी कहाणी मा तू याद आली
जबै तक ऐ .....धरा राली
ऐ फ्योंली बौरांसी फुलाली
मिथे जबै जबै तेर याद आली
मेर कहाणी मा तू सदनी इनि राली
मेरी कहाणी मा तू याद आली
ऐ दंडा ऐ कंठा मेरा
मेरा ना कुछ यख सब च यख बल तेरा
तेर ही सदनी यख बसेरू रालो
मेरु च ये बस बल तेर बान ही यख फेरु
मेरी कहाणी मा तू याद आली
ऐ गदनि तेर ही गीत गाली
सदनी तेरी माया इनि बगदी राली
ढुंगा गारा तेर बान मासु दामो बजला
धिंग्तालो ऐ मनखी मनखी तब लगाला
मेरी कहाणी मा तू याद आली
ऐ माटी मा तेर माया बसींचा
मेर हैंसी ही तेर दगड देख हंसी चा
अरदू छो मि तेर बिगेर मि यकलू
ऐजा मे दगड मिथे कैदे बल तू पोरू
मेरी कहाणी मा तू याद आली
बालकृष्ण डी ध्यानी
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उत्तराखंड मनोरंजन तुम थै कंण लग जी?
August 12 at 7:42am ·
त्यारा ख्यालों की दुनिया मा डूबीयूँ रोऊं मि

जन्मदिन की भौत भौत सुब कामना श्री नरेंद्र सिंह नेगी जी

त्यारा ख्यालों की दुनिया मा डूबीयूँ रोऊं मि
त्वै थे ख्याल आई त लटुली फूली गैनी
लटुली फूली गैनी

त्यारा ख्यालों की दुनिया मा डूबीयूँ रोऊं मि
त्वै थे ख्याल आई त लटुली फूली गैनी
लटुली फूली गैनी

रुझ दा भिझ दा तरी पर ऐनी सौंण भादों
रुझ दा भिझ दा तरी पर ऐनी सौंण भादों
मिन बोली लठ्या लूँ विं खोजी ल्याळो
दडमन असधरियोँ न मुखड़ी छल्याणु रोऊं मि
आंसू उबेनी त लटुली फूली गैनी
लटुली फूली गैनी

त्यारा ख्यालों की दुनिया मा डूबीयूँ रोऊं मि
त्वै थे ख्याल आई त लटुली फूली गैनी
लटुली फूली गैनी

कोँपू दू कोँपू दू थर थर फिर हियुन्द आई
कोँपू दू कोँपू दू थर थर फिर हियुन्द आई
त्यारा बाठों हियुं बी मैं मा ढोली ग्याई
टप टप पठळीयूँ को हियुं सी गल्नु रोऊं मि
मौल्यार आई त लटुली फूली गैनी
लटुली फूली गैनी

हैंस दू खेल दू खिल खिल बसन्त आई
हैंस दू खेल दू खिल खिल बसन्त आई
मेरी सुनि देलियों मा फूल ढोली ग्याई
मूल मूल हैंस्दा फूलों मा तै खोज्णु रोऊं मि
खोजी खाजी आली त लटुली फूली गैनी
लटुली फूली गैनी

त्यारा ख्यालों की दुनिया मा डूबीयूँ रोऊं मि
त्वै थे ख्याल आई त लटुली फूली गैनी
लटुली फूली गैनी

अंगार सी बरखी नि घाम रूडी बुडी
अंगार सी बरखी नि घाम रूडी बुडी
छमोटोल पाणी पै की बी सैली नि पौडी
झपन्याळी लटल्यों को छैल लौक्याणु रोऊं मि
हाथ पौछिन त लटुली फूली गैनी
लटुली फूली गैनी

त्यारा ख्यालों की दुनिया मा डूबीयूँ रोऊं मि
त्वै थे ख्याल आई त लटुली फूली गैनी
लटुली फूली गैनी

लटुली फूली गैनी लटुली फूली गैनी
लटुली फूली गैनी लटुली फूली गैनी

उत्तराखंडी गीत है
त्यारा ख्यालों की दुनिया मा डूबीयूँ रोऊं मि
गायक श्री नरेंद्र सिंह नेगी जी
उत्तराखंडी भाषा को बढ़वा देने के लिये
चल चित्र के निचे गीत लिखा है बस
उत्तराखंड मनोरंजन तुम थै कंण लग जी?
बालकृष्ण डी ध्यानी
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किलै ई दुनिया मिथे आजमणि च्या
किलै ई दुनिया मिथे आजमणि च्या
मेरो जियु थे तोड़ी की मिथे ही वा किलै हंसणी च्या
जाने क्या छुईं झळकणी च्या मेर मुखड़ी मा
म्यारा बाटों मा रुक रुकी की किलै रोडो अटकणी च्या
किलै ई दुनिया मिथे आजमणि च्या
फ़िक्र नीच कित्गा बी दुनिया मेर खिलाफ व्हैजेई
हिटों वै बाटों पर ही मी जो सिधो और साफ़ व्हैजेई
म्यारा जिकोडी मा बी बास ने मुंडा धरयुं च्या गैल्यों कबी
म्यारा अंग्वाल मा बी त कबी फूलों की डाली फूली छया
किलै ई दुनिया मिथे आजमणि च्या
ऊ माया बी क्या माया च की जो हर छुईं मा
अपरी माया थे यकीन दिलणा वास्ता सौं खाण पड़े
क्वी पीड़ा निच तेर बिछोह से ज्यादा सोंजड़ी मेर
म्यारा दगड तेरो एक्लोपन ही अब मिथे खूब च
किलै ई दुनिया मिथे आजमणि च्या
बालकृष्ण डी ध्यानी
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ये जिकोडी मेरी
ये जिकोडी मेरी
नि जाण तिल क्या कर बैठी
में से बिन पूछी ही
तू मेसे सवाल कर बैठी
कन कैरुं मि साबित
की तुमरी खुद खूब आंदि
मेर माया तू समझे जा
की मिथे बतोंदी नि आंदि
अपरी जिकोडी मा खोजी
वख ना मी त कख बी ना मी
माया छो मी तेरो स्पर्श को
ना तर मि कख बी ना
परेली मा नेडू जियु मा पीडा
हैंसदर बता रुनु वालो कन रोयो
ई छुईं ऊ जंणदू एक्लोपन को बेल
जैन जिंदगी मा पाण से पैल खोई
ये जिकोडी मेरी .....
बालकृष्ण डी ध्यानी
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बेल च बस
सुबेर बयोखन को खेल च बस
जिंदगी को ये बेल च बस
औरि कुछ ना छूछी और कुछ ना
कटी जलो ये दिन बी
उन दिनों जनि
ये आस च मेर दगड मेरी
अब मेर दगडी ही राली जी
अब मेर दगडी ही जाली जी
सुबेर बयोखन को खेल च बस
जिंदगी को ये बेल च बस
औरि कुछ ना छूछी और कुछ ना
कुछ खाली खाली च
भर ही जालो जब भरण हुलु
पर पत्ता निच मिथे ओरि कैथे
ऊ दिस दीद कब परती आलो
ऊ दिस कया मि देखि जौंलो
सुबेर बयोखन को खेल च बस
जिंदगी को ये बेल च बस
औरि कुछ ना छूछी और कुछ ना
बालकृष्ण डी ध्यानी
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