Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 65311 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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एक एक्लो ऐ सैर मा
एक एक्लो ऐ सैर मा रति मां दोपहरी मां
ठौर थिकाणो खोजणो छो कुड़ी थे खोजणो छो
दिस रीटा रीटा भांडा छन और्र रति छे जन अंधो कुंओं
इन शांत अंधारी आँखियों मां नेडु का बदलि आणू च धूंऊँ
जियुणा को आस क्वी निच मरणा कु भानो खोजणो छो
एक एक्लो ऐ सैर मा .....
इनि उमरी से लंबी सड़की थे गंतव्या तक पौन्च्दा देखि ना
बल अटकदि घुमणी रैन्दि च हमण त रुकदा देखि ना
इन अजाण सैर मा जणण वाळा पछांण वाळा खोजणो छो
एक एक्लो ऐ सैर मा .....
बालकृष्ण डी ध्यानी
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जो न बोळ स्की ऊ बोळ
जो न बोळ स्की ऊ बोळ
वैथे लिख्दु जांदू छो
मन की पीड़ा थे इनि ही रोज...... लाटा
मन की पीड़ा थे इनि ही रोज
यों अँखियों न बोगोंदी छो
जो न बोळ स्की ऊ बोळ
वैथे लिख्दु जांदू छो
मैथे क्वी कबि कवी ना जाना ना माना
मि इनि रोज अप्ड़ी दबाई बणादू छो
मेर मरजा कु इलाजा ना क्वी
कागद भौरिकि बस लेखी जांदू छो
जो न बोळ स्की ऊ बोळ
वैथे लिख्दु जांदू छो
मेर माया कु प्रेम बल ढुंगा गारा
वैथे मि अपड़ो पहाड़ बणादू छो
बग्दी गदनि छन ऐ नेडू मेरा
वैथे मि इनि हैरेल पोछाँण दू छो
जो न बोळ स्की ऊ बोळ
वैथे लिख्दु जांदू छो
ब्याळ मि जब मौरी जाळू जी
कैथे थे मेरो ऐ ख्याल आळू जी
वै मा मि इनि मिसी जाळू जी
फिर अपडों छोड़ी कख नि जाळू जी
जो न बोळ स्की ऊ बोळ
वैथे लिख्दु जांदू छो
बालकृष्ण डी ध्यानी
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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी with Geeta Chandola and 129 others.
November 24 at 8:41pm ·
कैथे खोज्णु छै
कैथे खोज्णु छै
ऐ जियु तू कैथे खोज्णु छै
ऐ स्वास बी बिराणी रे
बस आंदि जांदी छै
कैथे खोज्णु छै ..........
मौल्यार कु कंडू छै
ऐ उजाड़ा कु तू धांडू छै
ऐ आँखि भाति रौड़ी गैनी
बस अंद्यरु कु बाटु छै
कैथे खोज्णु छै ..........
तन कि पीड़ा छै
ऐ मन कु तू विपदा छै
अपणा बारा अपणु बाना रे
तू कख कख दौड़ी छै
कैथे खोज्णु छै ..........
छैल छबीली दुन्या छै
ऐ रंग रंगीली दुन्या छै
इं भूल भूल्या दुन्यामां
तू कै बाटा बिरड़ी छै
कैथे खोज्णु छै ..........
बालकृष्ण डी ध्यानी
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फिर ऐजा
उकालो ऊंदरू का बाटा
चल ऊँथे फिर भेटीं ओंला
खिल्दा फूल हैंसदा पात
कखक हुली इन जनि बात
झपन्यळू छैलू मां ऐजा
ऐकि ऊं खुद थे मिटै जा
रौन्तेळी बथों मा ऐकि
द्वि घड़ी टम कैकी सैजा
घैणि हर्याळी बिंछी छा
घुघुती बी घूर घूर लगींचा
डाळा डाळा मां झम्पा तेरा
धारा मां ऐकि तिस बुझै जा
देखि ले ये सबी यूँ नजारा
अंग्वाल भोरी भोरी कि लेजा
अँखियों माँ खिंच ले मि
सेल्फी मेर अप्डी दग्डी लेजा
उकालो ऊंदरू का बाटा
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ऐ काला पैंसा
हमन त नि देखि .....नि देखि
ऐ काला पैंसा हमरा पहाड़ों मां ....
ऐ आँखियों मां नि पौडी ...नि पौडी ...
इत्गा सुपनिया यों आँखियों मां
हमन त नि देखि .....नि देखि। ...
गर पात पात मा पैंसा खिल्दा
हैंसदरा मायादार हम ते कख बठे मिल्दा
तब कख लुकि हुन्दी ऐ बिन्सरी बेल
रात भर जगदा सुबेर कन क्वे उठ दा
हमन त नि देखि .....नि देखि। ...
पलायन कु ऐ नोऊ बी नि हुन्दु
दुःख पीड़ा मां एक बी गौं बी नि हुन्दु
मौज्दा रैंदा सब टक्कों टक्कों थे
एक बी ऊजाड़ा बांज खल्याण नि हुन्दु
हमन त नि देखि .....नि देखि। ...
द्वी नम्बरा कया हुन्दो हम थे कया पता
क्नो क्वे जम्मा करदा हम थे कैल नि सिखै
हरकौणौं-फरकौणौं हम थे आंदो नि
बौग कन कै मरदा तू ऐकि ऐजा सिखा
हमन त नि देखि .....नि देखि। ...
बालकृष्ण डी ध्यानी
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अफी -अफी बिरडणु छौं
अफी -अफी बिरडणु छौं
अप्ड़ी ही बणाई ई बिराणी दुनिया मां
ना त बेल च मेर पास ना त सबेर च
ना त पास छौं मि ना मि फेल च
फिर बी कै दुलण दुलण मि सिरणो छौं
कन क्वे रचाई मिल ऐ खेळ अब सोचणु छौं
अफी -अफी बिरडणु छौं .......
कबि यख छौं मि कबि वख छौं मि
पता नि मिथे मि कख कख छौं मि
जख मिथे छौं जी रैन वखि नि छौं मि
ऊँ सब थे मिल कन क्वे फुंडु चुलाई जी
फिर बी कै दुलण दुलण मि सिरणो छौं
कन क्वे रचाई मिल ऐ खेळ अब सोचणु छौं
अफी -अफी बिरडणु छौं .......
पिछनै पिछनै सरकयली मिल ऊँ बाटा
जै बाटों मिथे कबि चुबदा छन ऊँ कांटा
मेरा मुंडमां बि अबि बी तक ऊ बात नि आई
कन कन कैरी की पौटगी भोरदि छे मेर माई
फिर बी कै दुलण दुलण मि सिरणो छौं
कन क्वे रचाई मिल ऐ खेळ अब सोचणु छौं
अफी -अफी बिरडणु छौं .......
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तेरी खुद मां मेरु जग्वाळ बी
तेरी खुद मां मेरु जग्वाळ बी
फीको पौड़ ग्याई ..... निर्भगी फीको पौड़ ग्याई
रो रो की मेरा द्वि आंखा दगड बी
ऐ जिकोडो रो द्याई .. मेरु जिकोडो रो द्याई
बुरांस जनि सजी आँखी डालि डालियों मां
पत्ता पत्ता थे ऊ मेरु दसा सुणणा लगि छे
सुण सुण कि ई लाटी डाली बोटी बी
अब मेर दगड दगड कमल्हण लगीं छे
रो रो की मेरा द्वि आंखा दगड बी
ऐ बुरांस बी रो द्याई .. ऐ पत्ता बी रो द्याई
पिंगली जलेबी देखि देखि खुद तेरी आंद
मिथि मिथि रसीली पाक जनि याद मां तेर ले जांद
फेर फक फके कि तेल कु गरम् उबाल कु तौल मां
रति बेराती मिथे तेरु दगड ऊ खूब पकांद
रो रो की मेरा द्वि आंखा दगड बी
ऐ पिंगली जलेबी रो द्याई .. ऐ रसीली पाक बी रो द्याई
तेरी खुद मां मेरु जग्वाळ बी
फीको पौड़ ग्याई ..... निर्भगी फीको पौड़ ग्याई
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किलै लग्यां छा
किलै लग्यां छा
तुम सबी मेर जग्वाल मां
मि त एक सुधि ढुंग छो
वै बगदि न्यार मां
क्य मिथे समझि सकद
तुम आच ब्याळ मां
कैपर छ लगणू हुलु
मि घात बणी खडयाळ मां
छन छक्वैक कि
गुसैण रौड़ी जाणी गौठयार मां
कुटुमदारी कु दुधे गिलास
छुटेगे मेर मठयाण मां
किलै लग्यां छा .....
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जो न बोळ स्की ऊ बोळ
जो न बोळ स्की ऊ बोळ
वैथे लिख्दु जांदू छो
मन की पीड़ा थे इनि ही रोज...... लाटा
मन की पीड़ा थे इनि ही रोज
यों अँखियों न बोगोंदी छो
जो न बोळ स्की ऊ बोळ
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मैथे क्वी कबि कवी ना जाना ना माना
मि इनि रोज अप्ड़ी दबाई बणादू छो
मेर मरजा कु इलाजा ना क्वी
कागद भौरिकि बस लेखी जांदू छो
जो न बोळ स्की ऊ बोळ
वैथे लिख्दु जांदू छो
मेर माया कु प्रेम बल ढुंगा गारा
वैथे मि अपड़ो पहाड़ बणादू छो
बग्दी गदनि छन ऐ नेडू मेरा
वैथे मि इनि हैरेल पोछाँण दू छो
जो न बोळ स्की ऊ बोळ
वैथे लिख्दु जांदू छो
ब्याळ मि जब मौरी जाळू जी
कैथे थे मेरो ऐ ख्याल आळू जी
वै मा मि इनि मिसी जाळू जी
फिर अपडों छोड़ी कख नि जाळू जी
जो न बोळ स्की ऊ बोळ
वैथे लिख्दु जांदू छो
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अब की बार रूडी
अब की बार रूडी
फिर इन हिंवली बरखा पौड़ी
दौड़ी दौड़ी दौड़ी बॉडी
फेर देरहादूण कुन दौड़ी
वख आयां छन मोदी
भोरण कुन उत्तराखंड कि रीती थौली
जौली जौली माँ हमारी
पैलबार प्रथम सेवक दगडी भेंट हुली
डाला डाली टुक
सडक्री पुन्गडी सब सका सुक
उबा रैणा कु ना कख खुटा
ऐ भुला दे दे मिथे धरणा कुन खुटा
नमो नमो छै गूंजो
शिवाय थे पैल कैन पूजो
उकालों मां अब सड़की दौड़ी
केदार बद्री धाम थे बॉडी ने हाथ जोड़ी
अब की बार रूडी ...........
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