Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 64108 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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तेरी मेरी प्रीत सुवा
तेरी मेरी प्रीत सुवा
कन बगद पाणी,जन लगद पाणी
कख भतेक कि आई तू
कख ले जैकी मि बौगानि
अखरोटा की दानि हुली
या नारंगी कि दानि,या सेबा कि दानि
अरसा जनि लगनि मिथि
ऊ चावलों कु बौकानि
अगास कु बादल छे तू
हैरालू कु गागर छे तू मेरु तू सागर छे तू
मेरु नोऊ कु आगळ छे तू
मेरु जिऊ तू मेरु परान
बालकृष्ण डी ध्यानी
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अब की बार रूडी
अब की बार रूडी
फिर इन हिंवली बरखा पौड़ी
दौड़ी दौड़ी दौड़ी बॉडी
फेर देरहादूण कुन दौड़ी
वख आयां छन मोदी
भोरण कुन उत्तराखंड कि रीती थौली
जौली जौली माँ हमारी
पैलबार प्रथम सेवक दगडी भेंट हुली
डाला डाली टुक
सडक्री पुन्गडी सब सका सुक
उबा रैणा कु ना कख खुटा
ऐ भुला दे दे मिथे धरणा कुन खुटा
नमो नमो छै गूंजो
शिवाय थे पैल कैन पूजो
उकालों मां अब सड़की दौड़ी
केदार बद्री धाम थे बॉडी ने हाथ जोड़ी
अब की बार रूडी ...........
बालकृष्ण डी ध्यानी
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भारत देसो कु बासि छौं
भारत देसो कु बासि छौं
पहाड़ा कु मि रैबासि छौं
गौंऊ मेरु पाली गाम
पौड़ी जिला मेरु राज्य उत्तराखंड
ढुंगु गारों कु खिलाड़ी छौं
रोज फंडो दगडी लिप लेपी कोदू कि बॉडी खन्दो छौं
बगदी छे हे कंठा मां सरस्वाती माँ गदनि बनि छम छम
गढ़वाली गीतों की जनि हुली बरखा बरखनि झम झम
चन्द्रसिंग गढ़वाली कु सानी छौं
माधवासिंग भंडारी कु मि पाणी छौं
तिलु रौतेली भैणी मेरी रामी बौ राणी कु स्वामी छौं
पहाड़ी भासा मेरी मिथि मिथि भासा ,ऐजा अब धे लगणु छौं
देर सबेर बोला कख कख नि हुदुं
ई जियोती जिंदगी को झख झख कख कख नि हुदुं
यख्लु जु रैग्याई रैंदु हिमाला सी चमकणु जी सदा
हम ते ना पुछा जी अपड़ मन थे ऐकि यख बौथा
बालकृष्ण डी ध्यानी
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फी -अफी बिरडणु छौं
अफी -अफी बिरडणु छौं
अप्ड़ी ही बणाई ई बिराणी दुनिया मां
ना त बेल च मेर पास ना त सबेर च
ना त पास छौं मि ना मि फेल च
फिर बी कै दुलण दुलण मि सिरणो छौं
कन क्वे रचाई मिल ऐ खेळ अब सोचणु छौं
अफी -अफी बिरडणु छौं .......
कबि यख छौं मि कबि वख छौं मि
पता नि मिथे मि कख कख छौं मि
जख मिथे छौं जी रैन वखि नि छौं मि
ऊँ सब थे मिल कन क्वे फुंडु चुलाई जी
फिर बी कै दुलण दुलण मि सिरणो छौं
कन क्वे रचाई मिल ऐ खेळ अब सोचणु छौं
अफी -अफी बिरडणु छौं .......
पिछनै पिछनै सरकयली मिल ऊँ बाटा
जै बाटों मिथे कबि चुबदा छन ऊँ कांटा
मेरा मुंडमां बि अबि बी तक ऊ बात नि आई
कन कन कैरी की पौटगी भोरदि छे मेर माई
फिर बी कै दुलण दुलण मि सिरणो छौं
कन क्वे रचाई मिल ऐ खेळ अब सोचणु छौं
अफी -अफी बिरडणु छौं .......
बालकृष्ण डी ध्यानी
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तेरी खुद मां मेरु जग्वाळ बी
तेरी खुद मां मेरु जग्वाळ बी
फीको पौड़ ग्याई ..... निर्भगी फीको पौड़ ग्याई
रो रो की मेरा द्वि आंखा दगड बी
ऐ जिकोडो रो द्याई .. मेरु जिकोडो रो द्याई
बुरांस जनि सजी आँखी डालि डालियों मां
पत्ता पत्ता थे ऊ मेरु दसा सुणणा लगि छे
सुण सुण कि ई लाटी डाली बोटी बी
अब मेर दगड दगड कमल्हण लगीं छे
रो रो की मेरा द्वि आंखा दगड बी
ऐ बुरांस बी रो द्याई .. ऐ पत्ता बी रो द्याई
पिंगली जलेबी देखि देखि खुद तेरी आंद
मिथि मिथि रसीली पाक जनि याद मां तेर ले जांद
फेर फक फके कि तेल कु गरम् उबाल कु तौल मां
रति बेराती मिथे तेरु दगड ऊ खूब पकांद
रो रो की मेरा द्वि आंखा दगड बी
ऐ पिंगली जलेबी रो द्याई .. ऐ रसीली पाक बी रो द्याई
तेरी खुद मां मेरु जग्वाळ बी
फीको पौड़ ग्याई ..... निर्भगी फीको पौड़ ग्याई
बालकृष्ण डी ध्यानी
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यखुलू मि
कख लगि हुली मांजी
कख बिरडी हुली
सबेर घास कु ग्याई
मांजी कख हर्ची हुली
क्वी जाण ना
विं की क्वी पछाण ना
कै डालू छैलु बैठी मांजी
रुन लगि हुली
कख कख खोजों विंथे
विं बाण कख रिंटू
थमेंदु नि जिकोडी धकध्याट
विं से कया बोलूँ मांजी
हल मेर इन छिन
कैथे मि जैकी बोलू
बाबाजी मेर छन मांजी
सात समुदर पार
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म्यारा बाठों मां
म्यारा बाठों मां अयां अद कच्चा रास्त्ता
म्यारा भागों मां कु कु उकेरी कि गयां
सिपुड़ा नाक मेरु मिन इन लिपि सिपी
स्लेट कु आखर बस मिथे लेकि ऊ दौड़ी
पिंगळा लाल फूल नि मिथे इन रसाई
लाल सारी हैरी चूड़ी पैनी कि वा घार आई
कमरी तौड़ी मेर इन गरीबी की छैलि न
फिर अद कच्चा रास्त्ता म्यारा बाठों मां अयां
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मन की पीड़ा थे
मन की पीड़ा थे
मन मा दबै ई दे
हेरि तिळ कन मि थे
ईन दवा ई दे
अपड़ी अंगडी मा
मिथे तू कढे ई दे
अंजुली भोरी कि
ई जुन्याली मां मि सम ई दे
मिळूलू दगड तेर तर
भोरी कि मिल् गठरी जम ई दे
ई आँखि बुझ्न स पैल
ई दुनिया तू मि दिखै ई दे
चुखुला बणन स पैल
मिथे तू इन ना उड़ै ई दे
कड़ी मीठी जन बी हुली
अपड़ा हाथों मिथे पिलै ई दे
मन की पीड़ा थे ......
बालकृष्ण डी ध्यानी
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आळी मेर बेळ बी
आळी मेर बेळ बी
मि दिखाळु अपड़ो खेळ बी
कन के नि पोछलि जी
मेरा पहाड़ों मां रेल जी
रंगीली दुनिया का छन
रंग छन न्यारा न्यारा
सुपनिया उंका छन
बड़ा जी पियारा पियारा
आली तेर जब बेल जी
बोगी जालो तेरो सारू खेळ बी
कन आळी फिर मेरा पहाड़ों मां रेल जी
ना ना इन नि हुलु
मि इन कन के करलू
अपड़ो पहाड़ अपड़ो घर थे
कन के यखुली छोड़ी जोंलू
जब पुंगड़ी बांज पौड़ी जाली
पोट्गी की भूक तिस तै सतैलि
देखिकी सिकासैरी तेरी खुटी हटेली
कख जालो तेरो बिस्वास जी
इखि रालो तेरो ऐ पहाड़ जी
पर तू बोगी जालो यखुली छोड़ी जालो
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एक डाली
एक डाली मेर केदार की
एक डाली मेर बद्री धामा की
एक डाली मेर भगवती की
एक डाली मेर देबता ईस्टों की
एक डाली माया की
एक डाली छैलू की
एक डाली ब्योला ब्योलि की
एक डाली मैता की
एक डाली संस्कार की
एक डाली रीती रिवाज की
एक डाली गौं की
एक डाली मेर पहाड़ की
एक डाली सैंति पाली की
एक डाली ७ फेर की
एक डाली बेदी की
एक डाली अग्नि की
एक डाली हैरालि की
एक डाली वा बिगरैली सी
एक डाली जो लगाला
वैकुंठ द्वार अपड़ा बणाला जी
एक डाली कुमो की
एक डाली गढ़वाला की
एक डाली उत्तराखंड की
एक मेर भारत देशा की
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