Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 63394 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
लगिं छे टिकिटू कु
लगिं छे टिकिटू कु
गॉथम गौथा,गॉथम गौथा
तौड़ी डाली कुर्सी
ना मिली टिकिटू त
ह्वैगे चालु जूतम जूता
लगिं छे टिकिटू कु ...............
कु करदु खैल जनता कु
कु पूछ्दु हाल घैल जनता कु
लग्यां छन सबि कुर्सी बणा
ना मिली टिकिटू त
ह्वैगे लातम लात
लगिं छे टिकिटू कु ...............
कैथे फ़िक्र हुली जनता की
कैथे बिचार आलो बिकास की
सबी बणाण लग्यां छन माळ
ना मिली माळ त
ह्वैगे त लूटम लुटा
लगिं छे टिकिटू कु ...............
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
जै बाठु उकाळ नि हुळू
जै बाठु उकाळ नि हुळू
वै बाठु मि कते नि जोंळू
जै बाठु उकाळ नि हुळू
मनखी लगाळू मनखी कि ब्याथा,
किलै गिड़गिड़ांदु किलै बौडी जांदू बथा
हर आस मां ध्यास छुपी छा
कब तिस लगैली कब बुझैली बथा
कख छिन अपड़ा जौं अपड़ी छुई छे लगांद
कदो की रोटलु छे जौं तुड़े कि अरदू अरदू खांदा
अब बी ऊं कि ऐ बेळ वे बेळ बाट मि हेरदू
तुड़े कि अरदू कदो की रोटलु जब जब मि खांदू
कमसी कम अपड़ो थै मि इकठ्ठा करी जोंळू
स्वाभिमान सी जिणा कु बाठु मि यखी इन बणै जोंळू
बिकास कु बाठु अब लगा दे तू बिकासा कु कथा
हौळ पकड़ी की दगडी दगड मेर चकबंदी तू हिठ
जै बाठु उकाळ नि हुळू .........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
ऐ बारि चुनाव मां
ऐ बारि चुनाव मां
कच्ची मिळाली या पक्की ... २
(ठेके की मिळाली दुकाना कि
तू बोल दे तू सच्ची सच्ची )... २
कैल नि जान पाई
कैल नि बिंग पाई (इन माया तेरी) . २
झूठी छे कि सच्ची ..पक्की.. छे ..कच्ची
वोटों का बाण (तू बोल दे तू सच्ची सच्ची )... २
कनके लुक्या तिन
हजार पांचसो कनके चलाया तिन .....२
द्वि हजार का गठा इतगा कख भते लया तिन
ये तिकड़म कला तेरी हम थे बी सिका दे सच्ची सच्ची
ऐ बार बि तिन कन तिन उन ... २
भोळ सिदा मनखी थे पुरु तुण्ड तिन कन
जाम ऊँ कि मोर देनी अपड़ी जमा मोरी कि
द्वि दीना की सैर बैर तेर फिर पञ्च बरसा की खिंड
ऐ बारि चुनाव मां ........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
याद दिलोँण कि बेळ फिर ऐई
याद दिलोँण कि बेळ फिर ऐई
झूठा वादों कि धूम फिर छैई
धूम फिर छैई ..... धूम फिर छैई .....
रीटा कूड़ा सूँघुला ताळ
बोळ्या बण गैनी यख एक एक गारा
चोर भज गैनी काफळ चूरे कि ...... २
खोज्दा ... २ खुटयूँ मां घुस गैनी कांडा
याद दिलोँण कि बेळ फिर ऐई
अपडों मतों की ताकद दगडी लाई
ताकद दगडी लाई......ताकद दगडी लाई.......
सैर बैर ग़ैर गेल्या सब एक ह्वै जावा
बरसों की कोयड़ी लगिन्छ अब छांटी जावा
एक खुथा तेरु बस ऐ अपड़ा पहाड़ बान
बिकास कु नाम पर अपड़ो अंगठा दे जावा
याद दिलोँण कि बेळ फिर ऐई...............
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
मेर कबिता में दगडी
कबी रुंदी छे
कबि हसदी छे
मेर कबिता में दगडी
अलगद मेसे छुई लगान्दी छे
डाली डाली पात्ति पात्ति
वा झट कैकी कबि टूक चढ़ि जांदी छे
गौड़ बछडों कु गालौड़ों बन्दी की धगलो जनि
घ्ण्ड घ्ण्ड बज जांदी छे
यखुली मा कबि, कबि कलुहणा भित्र
भैर भतेक कैर देंदी वा मिथे छितर छितर
विं पर लिखण कुन मि मुजबर ह्वै जांदू
वै बॅळ वै टैम वा कन जादू कै जांदी
अँखियों की विंकी भाषा छन पियारी
हाथों मां विंकी माया छन भारी
प्रगति का वा रोज गीत छै लगाणी
कदगा पीड़ा लगे फिर बी वा (आस छे बधाणी) ..... २
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
यखुलू मि
कख लगि हुली मांजी
कख बिरडी हुली
सबेर घास कु ग्याई
मांजी कख हर्ची हुली
क्वी जाण ना
विं की क्वी पछाण ना
कै डालू छैलु बैठी मांजी
रुन लगि हुली
कख कख खोजों विंथे
विं बाण कख रिंटू
थमेंदु नि जिकोडी धकध्याट
विं से कया बोलूँ मांजी
हल मेर इन छिन
कैथे मि जैकी बोलू
बाबाजी मेर छन मांजी
सात समुदर पार
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
छुछा
अब तू छुछा दिखेणु नि छै
कख तू छुछा सैगुसै ह्वेगे
द्वि बियां कु चार अनारा
कैगे तू कदगों कु बिमारा
बल तिल खूब कमैई कै छै
तेरु किलै क़ि अब निखंडु ह्वेगे
पहाड़ पिछणे पहाड़ हुलु
क़दगा पिडा लुक्के हुलु
अब तू छुछा दिखेणु नि छै
कख तू छुछा सैगुसै ह्वेगे
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
जिकुड़ि
जिकुड़ि धड़क धड़क कनि
क्वै कुंन आजा ..... २
झप झपिगे पराणी मेरी
कु लुक्यों ऐ मन का बाटा
जखन तखन सरग गिड़िके
स्यां स्यां (बिजुलि कु धागा) .... २
तड़क झड़क कन फरक कैगे
पाणी का ऐ धारा
रुणन झुणन बिजली बलिगे
उलरि (जिकोडी कु ऐ सांझ).......२
मन कदों कदों कख बिरदी छा.
अपडा मनमा ही लाटा
हिरे-हिरे की बथो आंदि
क्वी औरृ (क्वै की खबर लांदी) ....२
कनु कै ऐ अशांत जी
कन हुलु आज शान्ता
जिकुड़ि धड़क धड़क कनि
कै कुंन आजा ..... २
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बिराणी
हे री तेर देरी ....ऐ बेरी
इत्गा किलै ह्वैग्याई
आंखियुं का आंसू पुछ्दा सुख्दा
जिबन भोळ ह्वैग्याई
हे री तेर देरी ....ऐ बेरी ........
अकुलौ माया
मन माया बाई मा समागैई
लांद, झूटा-फीटा
सऊँ खंद दिटा किलै इन कैरगैई
हे री तेर देरी ....ऐ बेरी ........
झुटि सच्ची स्याणी
कंठि किलै गोठ्याणी काणि
मैंत बोदू बात सोच दिन रात
मुरखू कु संग किलै कैरगैई
हे री तेर देरी ....ऐ बेरी ........
आँखु देखि लाडी
बात कैगे लाटी बुरु ना मानी
जगत की गालि पोट्गी की खाणी
मिथे इन बिराणी ना कैजादि
हे री तेर देरी ....ऐ बेरी ........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
यखुलू मि
कख लगि हुली मांजी
कख बिरडी हुली
सबेर घास कु ग्याई
मांजी कख हर्ची हुली
क्वी जाण ना
विं की क्वी पछाण ना
कै डालू छैलु बैठी मांजी
रुन लगि हुली
कख कख खोजों विंथे
विं बाण कख रिंटू
थमेंदु नि जिकोडी धकध्याट
विं से कया बोलूँ मांजी
हल मेर इन छिन
कैथे मि जैकी बोलू
बाबाजी मेर छन मांजी
सात समुदर पार
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22