Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 64074 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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निंदी
ढुल ढुल कैकि
आंदि जांदी छे
मुंड थे झुल झुल कैकि
हिलांदी छे
कु हुलु निर्जक सियुं
गुर गुर करनु
नाक कु छिद्र कु बथों थे
सुर सुर करनु
कैथे ऐजाँदी
सिंकुली सुरक करि की
मिठा सुपनीयू ले जांदी
अंचल भौरि कि
कैथे याखुली याखुली
क्दगा तड़पादीं छे
पिछणे पिछणे अपडा
क्दगा दौड़ांदी छे
खेळ छन विंक
रति बेराती न्यारा न्यारा
कबि हसंदी रुलांदी
कबि खूब बचांदी छे
निंदी जबै
में पास आंदि जांदी छे
बालकृष्ण डी ध्यानी
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जिकुड़ि
जिकुड़ि धड़क धड़क कनि
क्वै कुंन आजा ..... २
झप झपिगे पराणी मेरी
कु लुक्यों ऐ मन का बाटा
जखन तखन सरग गिड़िके
स्यां स्यां (बिजुलि कु धागा) .... २
तड़क झड़क कन फरक कैगे
पाणी का ऐ धारा
रुणन झुणन बिजली बलिगे
उलरि (जिकोडी कु ऐ सांझ).......२
मन कदों कदों कख बिरदी छा.
अपडा मनमा ही लाटा
हिरे-हिरे की बथो आंदि
क्वी औरृ (क्वै की खबर लांदी) ....२
कनु कै ऐ अशांत जी
कन हुलु आज शान्ता
जिकुड़ि धड़क धड़क कनि
कै कुंन आजा ..... २
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जिकुड़ि
जिकुड़ि धड़क धड़क कनि
क्वै कुंन आजा ..... २
झप झपिगे पराणी मेरी
कु लुक्यों ऐ मन का बाटा
जखन तखन सरग गिड़िके
स्यां स्यां (बिजुलि कु धागा) .... २
तड़क झड़क कन फरक कैगे
पाणी का ऐ धारा
रुणन झुणन बिजली बलिगे
उलरि (जिकोडी कु ऐ सांझ).......२
मन कदों कदों कख बिरदी छा.
अपडा मनमा ही लाटा
हिरे-हिरे की बथो आंदि
क्वी औरृ (क्वै की खबर लांदी) ....२
कनु कै ऐ अशांत जी
कन हुलु आज शान्ता
जिकुड़ि धड़क धड़क कनि
कै कुंन आजा ..... २
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छुछा
अब तू छुछा दिखेणु नि छै
कख तू छुछा सैगुसै ह्वेगे
द्वि बियां कु चार अनारा
कैगे तू कदगों कु बिमारा
बल तिल खूब कमैई कै छै
तेरु किलै क़ि अब निखंडु ह्वेगे
पहाड़ पिछणे पहाड़ हुलु
क़दगा पिडा लुक्के हुलु
अब तू छुछा दिखेणु नि छै
कख तू छुछा सैगुसै ह्वेगे
बालकृष्ण डी ध्यानी
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यखुलू मि
कख लगि हुली मांजी
कख बिरडी हुली
सबेर घास कु ग्याई
मांजी कख हर्ची हुली
क्वी जाण ना
विं की क्वी पछाण ना
कै डालू छैलु बैठी मांजी
रुन लगि हुली
कख कख खोजों विंथे
विं बाण कख रिंटू
थमेंदु नि जिकोडी धकध्याट
विं से कया बोलूँ मांजी
हल मेर इन छिन
कैथे मि जैकी बोलू
बाबाजी मेर छन मांजी
सात समुदर पार
बालकृष्ण डी ध्यानी
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म्यारा बाठों मां
म्यारा बाठों मां अयां अद कच्चा रास्त्ता
म्यारा भागों मां कु कु उकेरी कि गयां
सिपुड़ा नाक मेरु मिन इन लिपि सिपी
स्लेट कु आखर बस मिथे लेकि ऊ दौड़ी
पिंगळा लाल फूल नि मिथे इन रसाई
लाल सारी हैरी चूड़ी पैनी कि वा घार आई
कमरी तौड़ी मेर इन गरीबी की छैलि न
फिर अद कच्चा रास्त्ता म्यारा बाठों मां अयां
बालकृष्ण डी ध्यानी
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अपड़ी छाप
अपड़ी छाप
अपड़ी मां ना रै जाली
बिन्सरी घाम
स्वील मां ना सै जाली
छिरकुणुं रैगे
बगत सदनी एथर एथर
मनु जोग सदनी रैगे
वैकु किलै पैंथर पैंथर
जै थे हम ल्यख्दा बि छ
अर हम पढदा बि छ
हिटदा हिटदा बाटों मां
वै आखर कख हरै गेनि
कुंगला डालौं मां
मौल्यार कन खिल जांद
दूसर दिन ऊ डालियों को
मौल्यार कख लुकी जांद
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अब ना कैर अबेर
अब ना कैर अबेर
ह्वैगे छुचा ते थे अब भंडया देर
सिन्कोली कु तू धर ले बाटा
जब जबैर तिल खर्च्यां छन रुपया हजार
ऊ नारंगी की सीसी को तेल
रति बेरति गौं मां उन्कों मेल
ऊ च्फल्या उनदरू मां सब घैल
तेरो ही मच्युं ऐ देल फ़ैल
कन औरृ कबरी चलली ऐ रेल
देखा ऐ नेतों कु रच्यूं ऐ खेल
एक चीज को द्वि तीन बारी शिल्यानास
देखले बांदरून कु तू बी ऐ नाच
डम डम डमरू को आवाज
टक्कों कु हुनु कन हास
ऐ च क्या मेरु पहाड़ कु बिकास
उत्तराखंड की नि बुझनी प्यास
डैम बणग्या सारू पहाड़
बति नि बलनि अब बी मेरा घार
बैठ्यूं छु अपड़ो को सार
हेर बी मेरु ह्वैगे बेकार
हुनु छे चौषठ सुरंग कु द्वार
हे मान जामेरा देबता बद्री केदार
अब ना कैर अबेर
ह्वैगे छुचा ते थे अब भंडया देर
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ऐ भाना मेरी
ना भान कैर ऐ भाना मेरी
क्दगा हेरों मि ना कैर इन देरी
सुबेर भतेक खिल्यां फूल
देक अब कुम्ल्हाण लग्याँ छन
भौंर बी रास पि पैकी फूलों कु
अब यख भत्तेक दूर जाणा लग्याँ छन
ना भान कैर ऐ भाना मेरी
क्दगा हेरों मि ना कैर इन देरी
रात कु ऊ जून बि अब देक हैसण लग्युं च
जुगनू भी अन्धार मां ऐ ऐकी
देख कन तिम-तिमाणान लग्याँ छन
मि अपरा छैलु से पुछ्नु किले ह्वै ते अबैर
ना भान कैर ऐ भाना मेरी
क्दगा हेरों मि ना कैर इन देरी
बेन्सरी बेल अब आण ह्वालि
लाली आग्स मां फिर छैण ह्वालि
कली फिर फूल बणन को बेकरार च
जीकोडो मां मेर तू ऐली फिर बली आस च
ना भान कैर ऐ भाना मेरी
क्दगा हेरों मि ना कैर इन देरी
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ब्याली बोई मेर सुप्न्यूमा मा ऐई
ब्याली बोई मेर सुप्न्यूमा मा ऐई
बुकी मेर चौकटी पर पिके गैई
मि दगडी खूब छूईं लगैई
सिदा बाटों कन हिटन फिर सिकेगैई
कया तेर हल छन कया ब्यापार
कण छ हमरा नत नतनियूँ कु तेर सैर मां हाल
राखी पैल बेटा तू अपड़ो सेहत कु ख्याल
ब्वारी थे बोल्दी कैर ना ज्याद पैसों की दैल फ़ैल
चम चमकणय
दुनिया का सुपन्या तू जादा ना देखी
सादो अपड़ो जीबन राखी ई छैलु माया दोई बगत कि
आज तेर पास भौल फिर हैन्क पास
जिबान थे अपड़ो तू ना बणन देई ब्यापार
पहाड़ी छे तू कबि ना भूल तू ऐ बात
दे अपड़ा बेटा बेटीयुं थे अपड़ो पहड़ों कु संस्कार
अध् बोटो भोर भोरिकी असीस लेले छकै की
बुकी तेरी पीणु छो फिर तू नारज ना ह्वै
ब्याली बोई मेर सुप्न्यूमा मा ऐई.......
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