ब्याली बोई मेर सुप्न्यूमा मा ऐई
ब्याली बोई मेर सुप्न्यूमा मा ऐई
बुकी मेर चौकटी पर पिके गैई
मि दगडी खूब छूईं लगैई
सिदा बाटों कन हिटन फिर सिकेगैई
कया तेर हल छन कया ब्यापार
कण छ हमरा नत नतनियूँ कु तेर सैर मां हाल
राखी पैल बेटा तू अपड़ो सेहत कु ख्याल
ब्वारी थे बोल्दी कैर ना ज्याद पैसों की दैल फ़ैल
चम चमकणय
दुनिया का सुपन्या तू जादा ना देखी
सादो अपड़ो जीबन राखी ई छैलु माया दोई बगत कि
आज तेर पास भौल फिर हैन्क पास
जिबान थे अपड़ो तू ना बणन देई ब्यापार
पहाड़ी छे तू कबि ना भूल तू ऐ बात
दे अपड़ा बेटा बेटीयुं थे अपड़ो पहड़ों कु संस्कार
अध् बोटो भोर भोरिकी असीस लेले छकै की
बुकी तेरी पीणु छो फिर तू नारज ना ह्वै
ब्याली बोई मेर सुप्न्यूमा मा ऐई.......
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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