Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 64132 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
किले हुलि
किले हुलि
बैठी मांजी आज ऐ घघुति उदास
कैका बाना धैरी हुलि
इन हैरा भैरा डालियों मां आस
झम झम झम बर्खाणी
हुलि यूँ का आंख्युं मां बरसात
तीळ तीळ कैकी मौरनि हुलि
ऐ यखुली यखुली किले की दिन रात
बल्दू की घांडी बज्दी
घस्यारियों गीतों न ऐ दांडी
कैका हेर मां हुलि तांसि जीकोडी विंकी
किले हुलि यखुली तप्राणी
टुकड़ी टुकड़ी कु
जीकोडी को हेर नि च वींको क्वी ठौर
यखुली सोचणी कै बाना सजायूँ हुलु
हमुन ऐ अपड़ो घौर..... २
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
बेल च बस
सुबेर बयोखन को खेल च बस
जिंदगी को ये बेल च बस
औरि कुछ ना छूछी और कुछ ना
कटी जलो ये दिन बी
उन दिनों जनि
ये आस च मेर दगड मेरी
अब मेर दगडी ही राली जी
अब मेर दगडी ही जाली जी
सुबेर बयोखन को खेल च बस
जिंदगी को ये बेल च बस
औरि कुछ ना छूछी और कुछ ना
कुछ खाली खाली च
भर ही जालो जब भरण हुलु
पर पत्ता निच मिथे ओरि कैथे
ऊ दिस दीद कब परती आलो
ऊ दिस कया मि देखि जौंलो
सुबेर बयोखन को खेल च बस
जिंदगी को ये बेल च बस
औरि कुछ ना छूछी और कुछ ना
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
तेरी खुद मां मेरु जग्वाळ बी
तेरी खुद मां मेरु जग्वाळ बी
फीको पौड़ ग्याई ..... निर्भगी फीको पौड़ ग्याई
रो रो की मेरा द्वि आंखा दगड बी
ऐ जिकोडो रो द्याई .. मेरु जिकोडो रो द्याई
बुरांस जनि सजी आँखी डालि डालियों मां
पत्ता पत्ता थे ऊ मेरु दसा सुणणा लगि छे
सुण सुण कि ई लाटी डाली बोटी बी
अब मेर दगड दगड कमल्हण लगीं छे
रो रो की मेरा द्वि आंखा दगड बी
ऐ बुरांस बी रो द्याई .. ऐ पत्ता बी रो द्याई
पिंगली जलेबी देखि देखि खुद तेरी आंद
मिथि मिथि रसीली पाक जनि याद मां तेर ले जांद
फेर फक फके कि तेल कु गरम् उबाल कु तौल मां
रति बेराती मिथे तेरु दगड ऊ खूब पकांद
रो रो की मेरा द्वि आंखा दगड बी
ऐ पिंगली जलेबी रो द्याई .. ऐ रसीली पाक बी रो द्याई
तेरी खुद मां मेरु जग्वाळ बी
फीको पौड़ ग्याई ..... निर्भगी फीको पौड़ ग्याई
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
May 30 at 11:13am ·
अपड़ी छाप
अपड़ी छाप
अपड़ी मां ना रै जाली
बिन्सरी घाम
स्वील मां ना सै जाली
छिरकुणुं रैगे
बगत सदनी एथर एथर
मनु जोग सदनी रैगे
वैकु किलै पैंथर पैंथर
जै थे हम ल्यख्दा बि छ
अर हम पढदा बि छ
हिटदा हिटदा बाटों मां
वै आखर कख हरै गेनि
कुंगला डालौं मां
मौल्यार कन खिल जांद
दूसर दिन ऊ डालियों को
मौल्यार कख लुकी जांद
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
May 20 at 6:23pm ·
अब ना कैर अबेर
अब ना कैर अबेर
ह्वैगे छुचा ते थे अब भंडया देर
सिन्कोली कु तू धर ले बाटा
जब जबैर तिल खर्च्यां छन रुपया हजार
ऊ नारंगी की सीसी को तेल
रति बेरति गौं मां उन्कों मेल
ऊ च्फल्या उनदरू मां सब घैल
तेरो ही मच्युं ऐ देल फ़ैल
कन औरृ कबरी चलली ऐ रेल
देखा ऐ नेतों कु रच्यूं ऐ खेल
एक चीज को द्वि तीन बारी शिल्यानास
देखले बांदरून कु तू बी ऐ नाच
डम डम डमरू को आवाज
टक्कों कु हुनु कन हास
ऐ च क्या मेरु पहाड़ कु बिकास
उत्तराखंड की नि बुझनी प्यास
डैम बणग्या सारू पहाड़
बति नि बलनि अब बी मेरा घार
बैठ्यूं छु अपड़ो को सार
हेर बी मेरु ह्वैगे बेकार
हुनु छे चौषठ सुरंग कु द्वार
हे मान जामेरा देबता बद्री केदार
अब ना कैर अबेर
ह्वैगे छुचा ते थे अब भंडया देर
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
दान आदिम की बातों का
दान आदिम की बातों का
और आँमला कु स्वादों को
आन्दु बाद मा याद जी
छूछा......आन्दु बाद मा स्वाद जी
बगत अब आन्दु जान्दु रे
उड़दू पाखी बनेकि
उछलि मारदि जांदी रे
दगडी कर्म कि द्वी नाली कि
हाथ का रेघा अब रे
बल बस अब पुस्दा जांदा जी
हाथ मां दीदा अखेर मां
हिसाब कुछ बी नि आन्दु जी
इन ठगीगियूं मि राई जी
अपडों ना कबि बताई ना जताई जी
पढ़ाई लिखाई बल जाट जी
अर मयारू हैगे 16 दुनी आठ जी
दान आदिम की बातों का .....
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
अपड़ी मां राई
अपड़ी मां राई
ये उमर इन ही ग्याई
रुवाई हांसे कि
वा कख लुक ग्याई
झट दिखै जांद वा
सूट कख रौड़ी जांद वा
द्वि सांस गेड़ी की माया का
किलै अल्झी जांद वा
सोच्दु मि राई
औरी खोजदू राई
बगत इने की वख
देख कब फुर्र उड़ेग्याई
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
June 22 at 12:51pm ·
म्यारू मन
म्यारू मन ... २
किलै उडी जांदू
हे दूर अगासा
लागि कुतगली
झट बौड़ी आन्दु
हे अप्डू का पास
म्यारू मन ... २
घुघूती घोल मां
बुरांसा की टोल मां
हे लागि बडूली
म्यारू मन ... २
कन इन टोह छ
कन ऐ बिछोह छ
हे मेरा मन मां... २
म्यारू मन ... २
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
भैंसा का घिच्चा
भैंसा का घिच्चा
फ्योली कु फूल
भूल गे रे पहाड़ी
तू तेरु मूल
अपड़ा लाटा की साणी
अफु बिग्येन्दी
गीची ना खोल
अब सबल सुँयाळी
कुक्कूर मा कपास औरृ
बांदर मा नरियूल
दुट्याल बोल्दा फिरदा
जी हजूर जी हजूर
जन त्येरु बजणु,
तन मेरु नचणु
खेल दुनिया को
अब इन सजणु
ना गोरी होली
ना स्वाली होली
ब्वारी व्हाळि मेर
वा पहाड़ी व्हाळि
कौजाला पाणी मा
छाया नि आन्दी
धत तेरु जिबान
जेथे गढ़वाली नि आंदि
भैंसा का घिच्चा ......
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
भूली गे........
भुल्दा मनखी
भूली गे
हो टक्कों दगडी
कन झूलीगे
एक बारी यख देखण
भूली गे
कथगा मतलबी छुछा
सट रौड़ीगे
मनखी त्यारु कण
घोर प्यासा छे
जबै गंगा, जमुना जी
त्यारा मुल्क त्यारु पास छे
मनखी ये तेरो मन
आज किले उदास छे
जबै द्वि स्वास की जिंदगी
बची तेर पास छे
भुल्दा मनखी भूली गे........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22