Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 65782 times)

devbhumi

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पैली बी मिन त्वै थे देखि छ्या

पैली बी मिन त्वै थे देखि छ्या
इन भेंट होलि नि सोची छ्या
पैली बी मिन त्वै थे देखि छ्या

सुपनियूं मा मिल त्वै थे देखि
छुईं न मेर मिथे ना तब रोकी
कुतगली लगे कि ये जिकुड़ी थे
निंद टूटी मेर मिल फिर त्वै थे  खोजी

पैली बी मिन त्वै थे देखि छ्या ......

ऊपरी मन का सब खेल छन
जिकुड़ी धक् धकध्याट आज तेज छन
सौर मेरु जब ग्याई त्वै मा
मि  तब नि राई मैं मा

पैली बी मिन त्वै थे देखि छ्या ......

फूल बुराँसी का फूली गे
डाली डाली हिलंसि लाजि गे
ऐई समण तू जबै बी  म्यारा
ये छुअली गिची सब बिसरि गे

पैली बी मिन त्वै थे देखि छ्या ......

बालकृष्ण डी ध्यानी
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दादा दादी जी  की माया

दादा दादी जी  की माया
कैल नि  बिंग पाया
यखुली रैगेनी ऐ गढ़ मा
यख ही परम् धाम पाया
दादा दादी जी  की माया  ......

अख़रोटा कि वा द्वि दाणी
अपुरी रैगे औंकि  कहाणी
छैल  बि नि मिळू  औंथे 
जैन हैरां भैरा पौधों थे जमाया
दादा दादी जी  की माया  ......

दादी रैगे सदनि खुद मा
अपड़ो बिराणो कि सुद मा
दादा न गुड गुड तंबाखू सिलगया
अपड़ो रुंदु जिकोड थे बिसाया
दादा दादी जी  की माया  ......

गिर गिर फेरा मार जै बान
वैन अपड़ो मुक थे लुकाया
लालस रैगे बस ये अखेर
बुकि न पै  सकि नतियों कि
दादा दादी जी  की माया  ......

बालकृष्ण डी ध्यानी
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मेर झगुली

मिथे ठगे ठगे झगुली
यानि सुखु दुःख लगै कि सरि उमरी
कख फुर्र उड़गे उड़गे चखुली
मिथे ठगे ठगे मेर झगुली  .............

सुपुन्यू का चार आँखा दुई कैरिकी
बुति बिजवाड़ क्यारी उजाड़ा कैरिकी
बंध आंखियुं कु तमासु सरया बगैकी
मिथे ठगे ठगे मेर झगुली  .............

मन कु भेद त्वेमा जबै बोल्याली
धरती आगास एक के द्यूलु
गर जबै तू मान जाली
मिथे ठगे ठगे मेर झगुली  .............

खेली चोपड़ पांसु कुटंबदरि की
आज यखुली किलै छोड़ीगे मिथे
अपड़ा से बिराणा कैरी कि
मिथे ठगे ठगे मेर झगुली  .............

निर्दयी छन आँशु खूब रवैगैई
खुद मां अपड़ी मिथे भिजै गैई
एकुलांस कि पीड़ा थमै गैई
मिथे ठगे ठगे मेर झगुली  .............

बालकृष्ण डी ध्यानी
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लगुलि सि माया मेरि

लपलपि सि माया मेरि
झप झपै जांदि
जिकुड़ि मां लगुलि सी वा
झट लिपै जांदि
लपलपि सि माया मेरि .......

लटक्याळी लटल्यूँ मां विकि
सर लुकै जांदि
रुगबुग्या मुखड़ी मां विकि
झट  दिखै जांदि
लपलपि सि माया मेरि .......

सुरम्यळि आँखी मां विकि
टक टकै जांदि
फ्योंळी सी दंत पंक्ति विकि
झट हँसै जांदि
लपलपि सि माया मेरि .......

झपझपी धौन्पेली विकि
रचक छाछक जांदि
ज्वनि की फैड्यूं मा रे गैल्या
कस  घिरै जांदि
लपलपि सि माया मेरि .......

रमकट फेर लगे मिथे ऐ लगुलि
फर उड़ै जांदि
चखुली कि गदगदा घोल मां
सुरक छीपै जांदि
लपलपि सि माया मेरि .......

बालकृष्ण डी ध्यानी
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चल हिटोला 

चल हिटोला 
वै ऊकाळा थे भेंटि ऊंला
आणु होलु ह्यूंद वख
चल थर थर कॉंपि ऊंला
चल हिटोला  ............

बाटो तेरु मेरु  एक ही छैना
माया कि गेड़ी छुईं लगाणी ......ऐना ऐना
वै पिपला डला मोड़ी फिर  बैठी जौंला
आंख्युं मा आँखि डाली  रौँला
चल हिटोला  ............

दगड़्या  दग्डी मां ही 
जिंदगी को  सारो सुख दड्यु  छया
एकुलांस पीड़ा भंडया  गैरी च 
सिन्कुली ऐजा  ना कैर जर बी देर
चल हिटोला  ............

जीबन च  एक फुला
झट मौरी जोंला 
आँखा मेरा छुई लगे  दे वै आँखा थे
ना बिसरि जै ये  ऊकाळा थे
चल हिटोला  ............
 
बालकृष्ण डी ध्यानी
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रौतेलो मेरु पहाड़

स्वर्ग जनि  धरति मेरि, हिमलाय  का  पास .
सरी दूनिया रौतेली होळी (रौतेलो मेरु पहाड़ ) .... ४   

नंदा देवी ओर्री गौरा देवी जनमा म्यारा घार
बिगरैली तीलू रौतेली  ( धन्य  मेरु  पहाड़) .... ४   

बिशनी देवी शाह को ऊ तम तमोनू च भाल 
कण बिसरि जालो मि ( मेरु पहाड़ को इतिहास ) .... ४   

रानी कर्णावती कि तबै चम चमकी छे तलवार
औरंगजेब भागी गे छे (छोड़ि मेरु  पहाड़) .... ४

साठ दशक मां दारू लड़ै लड़े  टिंचरी माई को साहस
शराब की दुकानें जलै (आंदोलन को मेरु  पहाड़) .... ४

गोरखों आक्रमण लड़ै कि गवै दे अपड़ी जान
कोलिण जगदेई देवी थे  (पूजणु मेरु  पहाड़) .... ४

लोकगीतों पंवाड़ों मां यूँ सबु थे मिली मान 
वीर नारी वीरांगनाओं ( धरति मेरु  पहाड़) .... ४

पहाड़ा की नारी को पहाड़ा मा ना मिली सास
काम काज गीजी रैंदी (सदनी मेरु  पहाड़) .... ४

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मुखड़ा चंदोला दीदी ने लिखी  है  धन्यवाद  दीदी

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आटू की डौळ सी

गुथण लग्यूं
ओलण लग्यूं
आटू की डौळ सी

गिंदि जनि  गौळण लग्यूं
गुटमुट ळौटण लग्यूं
आटू  की डौळ सी

लड़बड़ि सि बेळण लग्यूं
जून सी झलकै लग्यूं
आटू की  रोवट सी
 
दडबड़ी  दाल गैत की
लुटपुटी  रोटी माया की
गढ़ोळि बोलण लग्यूं
आटू की डौळ सी

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कैथे  मि धैरुं

कैथे  मि धैरुं
कैथे  मि निसड़ू
हुनि च  बस जी यख  दिन ये रात
बल निस जाणी छे मेर ये  सांस

ऐजा ऐजा तेर याद  ऐजा
अखियों मां सोँण मैना जन छै जा
हुनि च जन ये बरसाता
बल ईं टिप टिप दगडी तू ऐजा याद

खुद कि इन आज बरखा लगी छन
अखियों  का आँसूं  नकोडी को  सिप लिपि पोति धरि छन
सिडके सिडके कि तू  छकै रुळैगे  आज
सम्लोंण  रैगे बस जी तेर याद मेर पास

कैथे  मि धैरुं

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सुदि मुदि

सुदि मुदि ना ठगा ,ना ठगा हे गैल्या
सुदि मुदि ना ठगा

देखण दे देखण दे  ये बौणो हैरा भैर,हैरा भैर
हैरा भैर हे गैल्या
सुदि मुदि ना ठगा .....

टिकुलि टिमटिमाट कैना ,कैना ये माथा
टुकुड़ जिकुड़ी को.
भितर भैर वैना , वैना हे गैल्या
सुदि मुदि ना ठगा

आखर बिरडी गैन गैन हे गैल्या
अंजूळ मां माया , माया हे गैल्या
सुदि मुदि ना ठगा

आँख्यूं कि कक्षा,  कक्षा हे गैल्या
चलणी हैना , हैना  हे गैल्या
सुदि मुदि ना ठगा

कथा अपडी माया  को
दंडी कंठी गाणी,  गाणी हे गैल्या
सुदि मुदि ना ठगा..ना ठगा हे गैल्या

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मेर रूसा

जन तिन बोलि दे
मिनि ऊनि मानि दे
राखि बिस्वास मिन तै परि
तिल मेरु बिस्वास तोड़ि दे

पैलि मिकु बोलि दे
इन ना लुका झट वै अनार सोलि दे
माया धरिच कख कन गेडी मारिक
ऊ अलजी जिकुड़ी को धागा खोलिदे

ना पुच मिथे गैल्या
ना पिछ्नया धारों कि ना मिथे बाट बता
सड़की का ऊ छोर मोड़
ऊ थे हेरनु मिल भौत पैल छोड़ि दे

इतगा ना  रूसा मैसे सुवा
बात तू सुन मेरी ना अपडी बात बड़ा
दोई रेघ छन हम एका मेका  का
वै रेघ थे तू इन ना मिटा

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