Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 65539 times)

devbhumi

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एक गेड़ी मा गेठी जोंला

हम दुइया
एक गेड़ी मा गेठी जोंला
यखि बैठि बैठी  सरि उमरि
माया को गीत गोला 
एक गेड़ी मा गेठी जोंला ...... २

त्यारा  सपुनिया म्यारा ह्वैगी
म्यारा सपुनिया त्यारा  ह्वैगी
त्यारा   म्यारा अँखियों का बाटा
दगडी दगड़्या ऊँ सपुनिया थे भेंटी जोंला 
एक गेड़ी मा गेठी जोंला ...... २

अंजूळ मा पाणि  भोरिकि
गीत लगाणु  छौ प्यारी माया धौलि कि 
हात त्यारा म्यारा हातो मा धैरीकि 
बिसरि जौंला सरया  पीडा  खैरिकि
एक गेड़ी मा गेठी जोंला ...... २

म्यारु जिकुडु  त्यारु ह्वैग्याई
त्यारु जिकुडु  अब म्यारु ह्वैग्याई
इन जिकुड़ी कि  अदला  बदलि  मा
एक  सरीर  एक सांस  ह्वैग्याई
एक गेड़ी मा गेठी जोंला ...... २

बालकृष्ण डी ध्यानी
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कख त्वै थे खोजूं 

आणि छे तेर खुद मिथे
बोल मि क्या  कैरू
अगास थे हेरदा  हेरदा
अगास दा अपड़ो टैम पास कैरू

ना बिकास ब्याई
बल ना लेंदी गौड़ी हात आई
दूध का हरका फरका छरका
कोरी ही मिळ अब चै प्याई

अंग्वठो दिखे दिखे  कि
वा गुस्सा दिलाणु छ्या
खत्यूं मेरू बीज इन
आज मि आँखा दिखाणु छ्या

अग्वानया पिछनया जबै हेरूं
जियू मां झप्प जस होनि छ्या
क्दगा बरसा पछि मिल पिछने हेर
भंडया ह्वेगे अब मिथे देर

कनुदि मां  ऐबी जा ऐबी जा
ऐ छुछा अब  तू ऐबी जा
तू धवड़ि अब बी लागणी छ्या
लाचारी का गीत बस मि गाणु छो

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बरखा ऐग्याई

बरखा ऐग्याई
झिर झिर पौड़ी
अँगालो मां ऐकी
झिर बिर कैग्याई

बिन बोलि वा
छतों बि ना खोलि वा
तितर बितर छितर
मिथे  कैग्याई

ढुंगा गारों मां
म्यारा पहाड़ों मां
बिन माँगि कि हैराळी
वा मिथे देग्याई

दबक्यूँ बैठ्युं छा
अटक्यूँ  ऐंठ्युं छा
तप्युं ज्यू को ताण थे
उल्यार देग्याई

बरखा ऐग्याई

बालकृष्ण डी ध्यानी
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ऐ ज्यू

जखि देखि
तवा परत
वखि बिताई
सारी रात

सोलह बरसे
ऐगे  ज्वानि
बिगरैलि पुंग्ड
ख़ोजण लग्युं छ

जु नि धोलु
अपनोँ मुख
ऊ क्या देलो
हैका सुख

अगास लग्युं
खगास जिकडो
खण्न क्या वैला
पैली पौध

गाँठु अल्झी गे
बाँटू भागी गे
हरच्युं अपड़ो ज्यू
वैल क्या खोजी दे

खूटा खूटी
बल जी जपाट
बण बनिकी
बल हिटिले

बालकृष्ण डी ध्यानी
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जब बरखा ऐई

कख भत्ते ऐई सोर
मैसे मिथे लुछी गे
गड़गड़ांद सरग बाजी
छप छपाई कैई गे

मेसे  पूछी सरगा न
अब कब बौडी अऊं
घाम पड्युं ऐंसु यानि
कब तै भीजैई जऊं

बरखा कि हेर मा
आज लग्यां छन सबि
कै कुनि कै गोठ्यार
यन ऐठ्यां छन सबि

जन कडैई मां जिलेबी
पिंगली तली गे होली
पाणी बिसाण बिसगे
तैळ तांसु तिसण लगे

गौळि मेर पीजाण लगे
सरग  खौज्यांण लगे
रिता रिता बादल देखिकि
मन निरसा हुन लगे

कख भत्ते ऐई सोर

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देश बिराण

अब जाणू छौ ब्वै
देश बिराण
ना जाण त्वे दगड
अब कब  भेंट हुलि

स्लेफ़ी खिचाले
में दगड़ मेर ब्वै
तेर ये फोटो अब मैथे
बिदेश मा सारू  द्याली

दगड तू  इन  राली
जन झट  छूट जाली गाडी
ना  रुवाँसी ह्वै मेर ब्वै
खिंच ले  फोटो हैंसली

त्यारा आँखों का कोर
कथा पीड़ा का  लगाणा छन
माया इत्गा मेर ब्वै मयाली
ना सुदि इन ना तू बौगे दे

अब जाणू छौ ब्वै.......

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ईनि कबि मि सोच्दु

ना सुधि ढोल
मैल में परि दादा
जिंदगी न खूब
में परि ढोली छे

इल्जाम लगाण कै परि
सबि अपड़ा बिरणा क्वी ना
छीटगा उड़ा मेरा  बी
बल वैथे कख लुकाणु रे

कैर काडी की थकिगियूं
हौल जोति की भगिगियूं
मौल सरेणा को मि
सैर बाटा मा हरगियूं

कख ले जाणी छे
को जाणा बथों कै छोर
जिकोडी मेरु उमाळ
में मा ही ऊ समै जांद

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भैर बैठ्यूं छा

भैर बैठ्यूं छा
ऊ भितर ऐग्याई
मन को मेरु मैल
मिथे मैलु कैग्याई

कागद मां उकेरी
काला आखर लिख्या छन
डाब डबी आंख्युं न
जै  सुपनिया देख्यां छन

दुई घड़ेक को टैम चा
बल जी दगडेतों को मेल चा
जैल जमै दे वैल रमै दे
अपड़ी सोच थे जैन  समजे दे

भली भली ऐ  बात च
बल भली भली ऐ लोक छन
भली ही होळू  ओं को
जैंकू भला भला सा सोच छन

भैर बैठ्यूं छा .....

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मेर थिंच्वणि

थिंची थिंची कि
ऐ थिंच्वणि मिल बनाई चा
कबि मुला दगडी
कबि आलू दगडी विंथे खूब सिजाई चा

लूण मर्च खूब डाली
किंकरलो घियु मां  विथे उबाली
पाणी पंधेरा को ठंडु मिठु सैरी की
मिन विंकी  तिस बुझाई चा

कूट पीसी पियाज टिमाटर को
 ऐ झौळ मिन पकाई चा
हल्दू मसालु डाली की ऐमा
मिल ऐकू जैईका  बड़ाई चा

जीबन बि बल ईनि छ गैल्या
कबि लूँण कबि मर्च छ गैल्या
कबि ठंडु मिठु पाणी पंधेरा को
औरि जनि जैईका इन मसलों को

थिंची थिंची कि ..............

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मेरु राम

मेरु छे  मेरु राम
दुजी ना मेथे क्वी अब काम
जैल जख बी जन बी बोलद्याई
वैकु ह्वैग्याई मेरु राम

सुदी .. २  बी तू बोल दे
अपड़ी गिची अफि बटी
एक बारी अफि से खोल दे
बाटू देखे दे वैथे वै को  धाम

जीकोडी माँ जैंकी  बैठ्यां छन
कनुडि जो आंदा जांदा छन
ओं आंख्युं मां तैरिकी भेंटी ले
अपड़ो सुख कैमा तू खोजी ले

दुई आखर बसी  बल  ऐ माया छन
क्दगा भवसागर तैरिकी  ऐ आया छन
डुबकी लगे की  तू  तैरि जा 
अप्डू भार दगडी तू ऐमा समैई जा

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