इन लागी गैल्या
त्वै थे अंग्वाल मां भेंटि
इन लागी गैल्या
जन मिथे अपडों देब्तों को
ठो यखी मा मिल ग्याई
जन मिथे अपडों गौं मिल ग्याई
त्वै थे अंग्वाल मां भेंटि .....
बस इत्गा ही छे माया मेरी ...२
जन हैरा भैरँ बणु मा खिलदा बुरांस
त्वै थे देख्दा ऊ खिल खिल हैंसी ग्याई
जन ऐग्याई व्हाळु ऐ उमरी मां वेमां मौल्यार
त्वै थे अंग्वाल मां भेंटि .....
पोटली मां दड़यां ऊ चौंवळो को बुका
देखद ते कछि मां लुकि लालु चुलग्याई
अरसों की सूंघ कण आणि छे त्वैमा गैल्या
मेर नकुड़ी अप्डू सुख दुःख सबि बिसरिग्याई
त्वै थे अंग्वाल मां भेंटि .....
क्दगा बरसी बाद तेर मेर भेंट व्हाई गैल्या
मेरा जाणा का बाद तिन कन गुजारी ऊ छूईं लगा
बैठूँल दुईयाँ अब यखमा निरजक व्हैकि
मिथे तू अपड़ी दुःख सुख कि सरि कथा लगा
त्वै थे अंग्वाल मां भेंटि .....
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित