छिड़बिड करि गे
नांगी खुतड़ियूं की खुद ब्वे
छिड़बिड छिड़बिड सूखा पत्तों मा बबराणी छे
नांगी खुतड़ियूं की ..............
ब्याळि रति सुपनियूं मा ऐई माँ
ऐकी मयारू बाळपन लेकि गैई माँ
वळ्या-पळ्या माथों मा मि भागी रे
खूब भूक खूब तिस मै थे लागि रे
नांगी खुतड़ियूं की ..............
वखि माटा मा लिप्ड्युं माँ
नकुड़ी पोंछी ले मि सिपडियूं माँ
डालीयूँ टुक गैई ऐ मेरु ज्यूं
आबि बी अल्जी छौं मि वखि छौं
नांगी खुतड़ियूं की ..............
नखरा मेरा भौर भौरीकि माँ
अब बी वखि पड्यां छ्या क्वी चुरैस्की ना माँ
अब बी छकै कि ऊ मिथे रुवाणु छन
याद भौर भौरीक ऊ तेर दिलाणा छन
नांगी खुतड़ियूं की ..............
म्यारा पिछने पिछने किलै आनु छा
मयारू ज्यू थे किलै छिड़बिड कै जानू छा
नांगी खुतड़ियूं की खुद ब्वे
छिड़बिड छिड़बिड सूखा पत्तों मा बबराणी छे
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/http://www.merapahadforum.com/में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित