Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 64224 times)

devbhumi

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एक अजाण बांदा दगडी

एक अजाण बांदा दगडी, यन भेंट ह्वैगैई
बल कया ह्वाई ये ना पूछा , कुच इन छुवीं ह्वैगैई
एक अजाण.............

यन अचणचक  ऐगैई, इन रतन का समण मां 
जनि .... ऐगे व्हालू बदली भतेक कि जून
मुखड़ी  परि लटलु  विंको , यन घिरियूं हुयां छा
जन दोपरी मां रूमक ..... ह्वैगैई
एक अजाण.............

घुघति छे वा हिलांसी छे , बथा दूँ  ते थे वा कण दिखे
मेरु कबि ज्यू मां ऐन लगे होली बनेक कुई कबिता 
मैन त बल वींथे ल्याखि छ्या
वा मेस रूसै .....  ग्याई
एक अजाण...........

कन बिगरेली ऐ छुवीं छा , बल दुई घड़ेक को दगड छा
सरया उमरी मिथे रालो औ याद जी
मि त यखुली  छ्या बल वा मेर दगड़्या  बणी गैई
मेर सोंजड़या ह्वैगैई
एक अजाण...........

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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devbhumi

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पास मेर बल कोर पान 

पास  मेर बल कोर पान
रैगीनि ऊ कोर ही कोर
मिल बी जमाई पौध यख
बंदरों न सब उजाड़ा गैनि

पंधेर साम सम ऐ बौंण
कथा मेर वा कन लगाण छन 
नि राई म्यारा बस मा कुच बी
एक एक कैरी की बताणा छन
पास मेर बल कोर पान  .......

फ्योंली बी रूनी मिथे देखि क
ब्योली थे झूठी किलै  आस बध्ना छन औ
मेरा हात मां कुच बी नि राई
सब लुछी लेगैनी जो माया मिल लगैनि
पास मेर बल कोर पान  .......

अब मिथे ऊ धेय लगान्दु
हात पकड़ी कि मिथे चौक मां बिठंदू
समझा बोथे की मेरु ज्यू थे मेसे
फिर किलै की ऊ यखुली कै जांदू
पास मेर बल कोर पान  .......

बालकृष्ण डी ध्यानी
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छिड़बिड करि गे

नांगी खुतड़ियूं  की खुद ब्वे 
छिड़बिड छिड़बिड सूखा पत्तों मा बबराणी छे
नांगी खुतड़ियूं  की  ..............

ब्याळि  रति सुपनियूं मा ऐई   माँ
ऐकी मयारू बाळपन लेकि गैई माँ
वळ्या-पळ्या माथों मा मि भागी रे
खूब भूक खूब तिस मै थे लागि रे
नांगी खुतड़ियूं  की  ..............

वखि माटा मा लिप्ड्युं माँ
नकुड़ी पोंछी ले मि सिपडियूं माँ
डालीयूँ टुक गैई ऐ मेरु ज्यूं
आबि बी अल्जी छौं मि वखि छौं
नांगी खुतड़ियूं  की  ..............

नखरा मेरा भौर भौरीकि माँ
अब बी वखि पड्यां छ्या क्वी चुरैस्की ना माँ
अब बी छकै कि ऊ मिथे रुवाणु छन
याद भौर भौरीक ऊ तेर दिलाणा छन
नांगी खुतड़ियूं  की  ..............

म्यारा पिछने पिछने किलै आनु छा   
मयारू ज्यू थे किलै छिड़बिड कै जानू छा   
नांगी खुतड़ियूं  की खुद ब्वे   
छिड़बिड छिड़बिड सूखा पत्तों मा बबराणी छे

 बालकृष्ण डी ध्यानी
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झपक झौळ

झपक झपक झौळ-झौळ
यूँ आंखियुं  को तौळ-मौळ

टपक- ळपक अछलेण लगै
भैर- भित्र वा किलै कैन लगै

सात समोदर वार-पार
अगास ह्वैगे किलै बिमार

नाड़ी कि कैर जांच जात-पात
रोग -शोध सुरु व्हैगे बारात

ऐथर-पैथर लछ्ण लगीगे
ऐ ज्वनि मे दगड कया तू कैगे ?

माया पौड़ी यूँ  आंखियुं मां
जिकोडी को  ग़ुमच्वट ह्वैगे 

झपक झपक झौळ-झौळ ...

बालकृष्ण डी ध्यानी
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धौ

कख कख जाळी धौ
अग्ने पिछने आळी धौ

बथों स्वास फुलालि धौ
उजाडों थे सजालि धौ

ज्यूको धौंण जगालि धौ
गीत न्यो लगालि धौ

कुजानि कख भते आळी धौ
कुजानि  कख जाळी धौ

बिंग लेदी वा मेर धौ
वा ह्वै जाळी अब तेर धौ

कख कख जाळी धौ
अग्ने पिछने आळी धौ

बालकृष्ण डी ध्यानी
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हे,जी....सूंणा जा ....
 
देख्दा  देख्दा ऊ आँखा चार
बल अब किलै कि ऊ दुई हवैगेनी
हे,जी....सूंणा जा ....
कख बिरड़ी गे होलो मेरु मौल्यार
(कै डंडियूं कै कंडियूं पार वा हवैगेनी ) ..... २
देख्दा देख्दा ऊ आँखा चार .....

ईं  उमरी का ऊ मेरा अपुरा सुपनिया
उबालि उबालि कि भैर बल आण लग्याँ
ज्वनि का दगडो छोड़ी को मेरु बुढ़पा
बयां खोलिकि किलै दूर जाणू लग्यूँ
देख्दा देख्दा ऊ आँखा चार .....

जौ  छूटी गैना जौ टूटी गैना
मेरा आंख्युं का परेली उ सुखिगैन
यखलु यखलु उ मैसे किलै रूसी गैना
एक एक कैरी सब मि थे पीड़ा देगैना
देख्दा देख्दा ऊ आँखा चार .....

देख्दा देख्दा ऊ आँखा चार
बल अब किलै कि ऊ दुई हवैगेनी
हे,जी....सूंणा जा ....

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हेर

तुम इतगा आज किलै हैंसण छौ
कै पीड़ा थे तुम यन पिणा छौ
तुम इतगा किलै कि आज हैंसण छौ

कबरी बटिन  तिल वै कि बाट हेरि.. २
वै बाटो मां क्दगा दिन भतेक कैल नि मार फेरी
कै पीड़ा थे तुम यन पिणा छौ
तुम इतगा किलै कि आज हैंसण छौ

कख औरृ कन तिल वै थे बल खोजण .. २
जो ईं माया दगड खुद बी हर्चिग्युं छ
कै पीड़ा थे तुम यन पिणा छौ
तुम इतगा किलै कि आज हैंसण छौ

हेर छ बल यख अब तेरु मुकदर  .. २
हेर दगडी बल तुम अब बी हिटण जाण छौ
कै पीड़ा थे तुम यन पिणा छौ
तुम इतगा किलै कि आज हैंसण छौ

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झंण किलैकि  इन व्हाई

बारि बारि इन सोच्दु
झंण कया मि यख यखलू  खोज्दू
कया चीज हर्चि छ मेरी
कैकि ह्वैली ऐ मां मरजी

खुद मां खुदेणु छौ मि
अफ दगडी ही खुचरेंडु छौ मि
खणिक देख्याली सरि धरती
अब बी खस्ताळ  छौ मि

अब बी खोंकाल छौ हम
अब बी हम एक नि ह्वाई
एक बारि मशाल बलिछा बल
ऊ बी देख ब्यर्थ ही ग्याई

बारि बारि इन सोच्दु
झंण कया मि यख यखलू  खोज्दू
नि उत्तर मि अब बी राई
झंण किलैकि  इन व्हाई

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हर्चण लग्यां छा सब

हर्चण लग्यां छा सब
बल जी रुपया खर्चण लग्यां छा  सब
दूर बैठी एक कविता मेर लिखी
अगास कि खुचलि मां बैठि रुंण लगि

मुखड़ी परि मुखड़ी छपी छा यख
कन ईं बस्ग्याल मां कुयेडी लगि छा वख
को सुखी छ  को दुखी
दैल फ़ैल मां बल बस माया जी छ लगि

ऐथर पैंथर ईंका गूंद सि लिप्यां छन सब
को नि जणदू कया हुलु अग्ने अब 
रूमक पड़ी गे हुलु कुई से गे ह्वलू वख
यख इंक पिछ्ने अब भी पड्यां छन सब

हर्चण लग्यां छा सब
बल जी रुपया खर्चण लग्यां छा  सब

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फूल बुरांस को

फूल बुरांस को
कांडों मां वा डाँडो मां वा मुखड़ी कुनस कि
फूल बुरांस को  ......

बल बथों ऐ उल्यार कि
माया लगाणी छे वा म्यारा पहाड़ कि
फूल बुरांस को  ......

हैरी भैरी डंडीयूँ मां घुघूती घुराणि छे
मायादार मुखड़ी थे वा आस बधाणि छे
बिंदी वा माथा की
माथा थे चमकणी छे  वा म्यारा पहाड़  कि
फूल बुरांस को  ......

घाम यो खुदेंण को खुद लगी छ तुमरी
स्वामी जी ऐ जीकोडी मां ब्यखोंद को
ऐ ऋतू  ज्वाण छ
ऐ बी जावा स्वामी ऐगे मौल्यार छ
फूल बुरांस को  ......

ठंडो मिठो पाणि यख तिस मिटाणि छे
तेर मेर आंखियों बल रुमुक कि कहाणि छ
ऐ बचन मौल्यार का
उमरी भरी गीत गोंला हम अपडा पहाड़ का 
फूल बुरांस को  ......

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