Author Topic: Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी  (Read 63968 times)

devbhumi

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किलै कि आज  ?

कुछ पुराणी खुद दगडी
दगडियूं आज खुदेणु छो
डबली भोर भोरी कि आणि
किलै कि आज इन रुणु छो

खुचिल मां उठे  विंळ  कबि 
में दग्डी अप्डी माया लगेई छे
चुकापट्ट हुनु हुलु  हेर वख अब
वा देलि बैठी कैकि बाट हेनि छा

अगास गे किलै  ऐ खुदेलि नजरि
आज कैथे यख वख वा खोज्याणि छा
कबलाट कनि लागि यकुली जिकुड़ी
टकटेर वै शौर थे  कख ले जाणी छा

चमलाट मचाणू रयूंस्यूं बच्यूं जिबन
छब्लाट आज किलै कैरि जाणू  छ्या
अच्छेणु  छ्या अब वा अच्छे जाळु जी
दोपरि कु बच्यूं घाम जौ तपराणु छया   

बालकृष्ण डी ध्यानी
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हर  ऐक छुई  मां

मेर हर  ऐक छुई  मां
तू छे छोरि
मेर ऐ खिक्ल्वाट मां
बी तू छे छोरि

जबै देखि मिल
फुलि बुराँस
बॉडी ले ऐई बल
वा सुर तेरि खुद

ल्याखि  क्या च
मि सबि धाणी भूली ग्याई
तेर मयालि मुखड़ि
मेर समण जबै ऊजळै ग्याई

कदग बरस हैगे
बाटा मि बिरडी गे छौ
देखि कि तुम थे आज
मैसे मि भेंटि गे छौ

परदेस भत्ते कि
ई नजरि कख कख ग्याई
जख  विथे जाण छ्या बळ
वि शोर बस तेर ओर ऐई

बालकृष्ण डी ध्यानी
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अब दिल्ली कॉलनी

मंगसिर का मैना
फिर बोई ऐगे ना

कन बीति बारमास
कख गैणा हर्चि ना 

ह्यूंद को जदू  को किलै
ठिठरट नि जाणू

भट्ट बुकोंदा... २
ज्यू  कैथे खोज्यानु

पल  छाली छौ कबि
ऊ  गौ मेरु स्वाणु

खंदवार ह्वैगेनि कुडा
निर्भगी  कलेजी फुकेणी

बारमास सुपनिया
अब दिल्ली कॉलनी

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सोर मा

रितु बॉडी आली
कब चकबन्दी ब्याळि
बिरदया  अपड़ा पुंगड़ा 
बिकासा बिज ल्याळा     

सुद्धि पोड्यां ऊ खोड
खिकलाटूँ का सोर
पातर मां छीपि जाळा
क्य भितर क्य भैर

कछडि मा ना बैथ
दुस्मनि थे तू  छोड़
दबड़ाक  छन बोळ
खमणांटूँ का टोळ

अंगरी का ऊ छाळा
अंगर्याण कब तक राळा
फिनकु  मा लगि आग
अँगिठि मा ना सेक

रितु बॉडी आली

बालकृष्ण डी ध्यानी
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अफ ते

खोजी स्की त
अफ थे तू खोजी ले तू
तू बिरदी छ्या अफ मां
भीतरी भतेक कखि
खोजी स्की त .....
माटू छया तू
माटू ही रालो
बता दे अफ से तू
क्दगा अग्ने जालु
खोजी स्की त .....

छुई लगदे
अफ से कबि तू
ना नेडू बोगा अब तू
बेकार यनि तू
खोजी स्की त .....

छू लेदी कबि
मन का आकस थे
भैर का आकस खोजी कि
बल कया पाई तिल
खोजी स्की त .....

द्वि सांस का
बल जी जोड़ छन ऐ
जोड़ जोड़ की
एकदा ही घटे जाल जी
खोजी स्की त .....

बालकृष्ण डी ध्यानी
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 मुझ से

अब अलग थलग रहना
खूब रास आने लगा है मुझे 
जब अपना वो जमाना
मुझ से दूर जाने लगा है

भूल हो जाने पर
क्षण  क्षण में गुस्सा हो  जाता  था जब मैं
उसी गुस्से को  अनसुना कर
मुझ से आगे बढ़ जाता हूँ अब मैं

पहले  एकांत अखरता था मुझे खूब
पहाड़ों के संन्नाटों को चीरता जाता था जब मैं
मुझ से  अब भी भीड़ को एकांत ही पता हूँ मैं

बस इतना ही मैं  बदल गया हूँ
मैं  अपने  आप से  अब तक
बस मैं  और मेरा स्थान बदल गया मुझ से

बालकृष्ण डी ध्यानी
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सुवा  मेरी

अब की बारी आलि
आलि कि  ना आलि तू
मिथे  तू बता देई
नानि नानि  छुईयों मा
इन ना रूस  सुवा
छुछी मानी जा 
(मानी जा  मानी जा )
छुछी तू मानी जा 
छुई मेर मानी जा
(सुवा  मेरी सुवा )  ..... २

देख  दूर पौर डलियो
बुरांस फुल्यां  छन
हिलमिल  कि
पत्तों  दगडी कन  मिस्या छन
चल हम दुईया
ऊनि  हि  मिसी  जौला
छोड़ ये गुसा थे
चल झट दौड़ी जोला
अब त मानी जा  छुछी
(सुवा  मेरी सुवा )  ..... २

देख  भंडया गुसा
सरीर को ठिक नि छ 
उजळी  मयाली मुखडी मा
कन  ऎंठ  छन  ये रेघा ठिक नि छ
इन रेठया  रेघों  थे
अप्डी हैंसी से मीसा
अब त मेर बात मानी जा छुछी
छुछी यन  ना मैसे  रुसा
(सुवा  मेरी सुवा )  ..... २

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बोळ म्यारा मैथे  ही

बोळ म्यारा मैथे  ही
घति घाल कै गैनि
उजाळी मेर मुखड़ी थे
अजाण, अपछयाण  कै गैनि
बोळ म्यारा मैथे  ही

भरकस जोर लगै मिनि
तरकस को कै बाण चलै यनि
अपड़ो नि देख नि परे कबि
यखुलो रैग्युं मि सदे यनि
बोळ म्यारा मैथे  ही

लग्यार नि लगे स्की कबि मिन
घोंन्त, बेजति सै अफे मिनि
मेर माफिक  नि मिल कुई यख
जोड़ जोड़ का जोड़ छन सबि यख
बोळ म्यारा मैथे  ही

अशकुन  नि मानी मिल कबि 
तौकाणया ही रैग्यून मि हर मुखी
घसर-पसर मेरु घर बार रे रैबार
नि मिल मिथे मेरु कबि ऐतवार   
बोळ म्यारा मैथे  ही

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वै बाटा ऊ फिर हिटन लग्यां

जबलाट  च छ्यों
अब यों आंख्यों मां
नींद बि हर्चि अब जीबन मां
किलै यन  चबळाट मच्यो छ्या
यों आंख्यों मां

ढबळौण सि टिप टिप
अब यन्मां इन किले हुँन लंगिच 
ईं  कि डिबली किले कि
आज यखुली यखुली  रून लंगिच 

रैग्या  अपुरा  देख्या
ऊका  सरया सुपन्या
विंकी  झळ झौळ मां
यों थे उमळण लंगिच 

परगति बाटा  अब
किलै कि परतण लग्यां छन
लतड़क भूयां पौड़ीक बल
वै बाटा ऊ फिर हिटन लग्यां

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बब जी

ऐसु का साल
क्या छन हाल
क्या छन हाल
ऐसु का साल

अंग्वठा दबेकि
बोट दे उंला
बोट दे उंला
अंग्वठा दबेकि

ऐ अगास सरग
इसरों कि जै कारा
इसरों कि जै कारा
ऐ अगास सरग

बिता पाँच साल
मिन बि मुंन्दरी गड़ेदि
मिन बि मुंन्दरी गड़ेदि
बिता पाँच साल

सरया दुनिया मां
मिल भारत थे माना
मिल भारत थे माना
सरया दुनिया मां

अखोड़ की दाणी
मेरु पाड़ा को पाणी
मेरु पाड़ा को पाणी
अखोड़ की दाणी

आखर आखर जुड़े की
बिकास कैरी द्यूंला
बिकास कैरी द्यूंला
आखर आखर जुड़े की

उत्तरखंड मेरु
म्यारू च सौंसार 
म्यारू च सौंसार 
उत्तरखंड मेरु

बब जी

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