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Bal Krishana Dhyani's Poem on Uttarakhand-कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Dosto,

We are posting some exclusive poems written by Shri Bal Krishna Dhyani on Uttarakhand. We are sure that you will appreciate these poems on various of Uttarakahnd by Dhyani Ji.


कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
 
बस इनि मा ही गैई

बस इनि मा ही गैई
म्यार मुल्का का लोक ,म्यार मुल्का का लोक
घुमी घुमी सड़की
घूमे कैकि ले गेनि दूर ऊ सड़की छोर,ऊ सड़की छोर
बस इनि मा ही गैई

पैल दोई खुटीन हिटदा जाँदा
अबै दा लागि चार पाईयों को जोड़ ,चार पाईयों को जोड़
कैमा कया लगाण
ते थे कया रैगे दिखाण रीता रीता गौंऊ,रीता रीता गौंऊ
बस इनि मा ही गैई

सुधि कया मिसाण
कैल कुल देब्तों कु निशाँण उठन,कैल निशाँण उठन
ढोल दामू अब हर्ची
नरसिंगा कैल तेर जै कार लगाण,कैल जै कार लगाण
बस इनि मा ही गैई

बस इनि मा ही गैई
म्यार मुल्का का लोक ,म्यार मुल्का का लोक
घुमी घुमी सड़की
घूमे कैकि ले गेनि दूर ऊ सड़की छोर,ऊ सड़की छोर
बस इनि मा ही गैई

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित


M S Mehta


M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
 
उघड़ी गे

उघड़ी गे रे उघड़ी गे
बाबा केदार कु कपाट
भोला भंड़री
त्रिकाल चटी कु दार
उघड़ी गे रे उघड़ी गे
बाबा केदार कु कपाट

ऐजावा बाबा डोला मा बिराजी
नरसिंगा हड़कु डोलकु बाजी
गढ़वाल रैफल की धुन मा
बाबा ऐजावा अपरा घोर मा

उघड़ी गे रे उघड़ी गे
बाबा केदार कु कपाट
भोला भंड़री
त्रिकाल चटी कु दार
उघड़ी गे रे उघड़ी गे
बाबा केदार कु कपाट

रूद्र रूप ना धार
सौम्या बणीकी विराजा
बाबा पाप सबि बोगेगेनी
अब शांत वहइजा महराजा

उघड़ी गे रे उघड़ी गे
बाबा केदार कु कपाट
भोला भंड़री
त्रिकाल चटी कु दार
उघड़ी गे रे उघड़ी गे
बाबा केदार कु कपाट

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
May 5 
७ वोट फॉर उत्तराखंड

बिजी जावा बिजी जावा
बिजी जावा बिजी जावा
पाडे का पाड़ि मेरा बिजी जावा
बिजी जावा बिजी जावा

आच तारिक़ सात च
पाड़ि ते थे कया याद च ..... २
झट तैर व्हैजा ..... २
अपरा मत दे कि ऐजा

सियुं ना रै इनि नि तर सियुं रै जालु अपरू पाड़
बिजी जावा बिजी जावा
बिजी जावा बिजी जावा
पाडे का पाड़ि मेरा बिजी जावा
बिजी जावा बिजी जावा

सोचि ले समझि ले
जैन भाग थे प्रगति बाट ले जालूं
वै थे अपरू कीमती वोटो दे
नोट दरू देनारुँ थे छोड़ि दे

नै त ऐ दारू ला धार से पाड़ा बोगी जालु
बिजी जावा बिजी जावा
बिजी जावा बिजी जावा
पाडे का पाड़ि मेरा बिजी जावा
बिजी जावा बिजी जावा

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
May 2
माया अ अ अ अ अ

माया अ अ अ अ अ
माया तू कै कि बि ना

बल पुट्गी खानी दानी
निभैनी ब्स तेरि जिमेदारी

किसा मा ना तेरा टक्का
कु बाबाजी कु छे रे तू बच्चा

माया अ अ अ अ अ
माया तू कै कि बि ना

पाड़ा मेरु तू मेरु गेल्या
रैगे मेर जनि तू यकुला

छोड़ गैनी ते थे मै थे
वो मेर भैजी परदेसी टक्का

माया अ अ अ अ अ
माया तू कै कि बि ना

बैठी रैगे बौजी मेरि
दीद कि दौड़ी जि इनि

अपरा परै थे छोड़ीकी
माया माया दगडी मुख मौड़ीकी

माया अ अ अ अ अ
माया तू कै कि बि ना

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
April 29
मेर देबी भगवती

मेर देबी भगवती
मेर पाडे कि माता देबी भगवती
राखि सबु परि हाथ माता भगवती
किरपा रै सदनी हम परि बोई भगवती
मेरे देबी भगवती
मेर पाडे कि माता देबी भगवती

लाल चुनरी हरि कांचा कि चूड़ी माता भगवती
पिंगला बाघा मा सवारी व्हैजा ऐजा माँ भगवती
ऊंचा पाड़े की माता माता रानी भगवती
लाल सिंदूरी लाली छे पाड़ा मा माता भगवती
मेरे देबी भगवती
मेर पाडे कि माता देबी भगवती

चारा हाथा कि त्रिरकल त्रिशूला माता भगवती
मेर बालकुंवारी माता माँ भगवती
शंका मा गुँजे तेरि गूंज पाड़ा मा भगवती
मै बालक तु मेरि माता माँ भगवती
मेरे देबी भगवती
मेर पाडे कि माता देबी भगवती

मेर देबी भगवती
मेर पाडे कि माता देबी भगवती
राखि सबु परि हाथ माता भगवती
किरपा रै सदनी हम परि बोई भगवती
मेर देबी भगवती
मेर पाडे कि माता देबी भगवती

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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