दो लाइन ग्लोबल वार्मिंग पर
गोला गरम हो रहा है,
हिमालय पिघल रहा है,
कही चक्रवात कही तूफान है,
कही ज्वालामुखी का उफान है,
कही कोहरा ढका है,
कही बादल फटा है,
कही आग बरस रही है,
कही धरती दरक रही है,
कही नक्लिजेशन है,
कही रेडियेशन है,
पर्यावरण संतुलन खो रहा है,
क्या प्रलय हो रहा है?
क्यों हा-हा कार है,
कौन जम्मेदार है,
जिसकी गोद मैं बैठे है,
उसी प्रकृति को चुनोती दे रहे हैं,
xx xx xx xx
हमें प्रदुषण रोकना होगा,
प्रकृति के सांथ चलाना होगा
तब हम शुखद जी पायंगे,
संसार को बचा पायंगे.