प्रस्तुत कविता उनकी सबसे ताजी रचना है, जो उन्होंने अभी-अभी मुझे भेजी है-
सब हो गया ठप्प, हो गया क्याप्प,
क्यों हुआ, पता नहीं, कैसे हुआ, कसप....!
लिखें-पढे़ तो नौकरी ठप्प,
शाम हुई तो बिजली ठप्प,
ऑफिस चलें तो बाइक ठप्प,
मेल देखें तो साईट ठप्प,
सब हो गया ठप्प, हो गया क्याप्प,
क्यों हुआ, पता नहीं, कैसे हुआ, कसप....!
सरकार बनी तो विकास ठप्प,
बारिश हुई तो निकास ठप्प,
करार हुआ तो विश्वास ठप्प,
बीज बोया तो बरसात ठप्प,
सब हो गया ठप्प, हो गया क्याप्प,
क्यों हुआ, पता नहीं, कैसे हुआ, कसप....!
कब होगा भ्रष्ट्राचार ठप्प?
कब होगा पलायन ठप्प?
कब होगी महंगाई ठप्प?
कब होगा अत्याचार ठप्प?
ये किसे पता नहीं , हो गया क्याप्प,
क्यों हुआ, पता नहीं, कैसे हुआ, कसप....!