Author Topic: Brief Details of Books & Writer of Uttarakhand- जानकारी किताबे और लेखक  (Read 20540 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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तिमला पूफल- चिन्मय सायर, कविता, सन् 1997.

तीन गढ़वाली गीतिका- विद्यावती डोभालतीलू

रौतेली- डॉú पुरुषोत्तम डोभाल, नाटक, सन् 1990, पृष्ठ 82.

दर्पण- विद्यादत्त शर्मा, कविताएं, शिखर साहित्य, पौड़ी, सन् 2008, पृष्ठ 115.

द्वि आखर- उमा भट्ट, कविता, विनसर पब्लिशिंग कं., देहरादून, सन् 2010, पृष्ठ 80.
द्वी आंसू- सुदामा प्रसाद प्रेमीदिख्य
ां दिन तप्यां घाम- ललित केशवान, कविता संग्रह, जागर, दिल्ली, सन्
1994, पृष्ठ 66.

दिल का उमाळ- चन्द्र सिंह राहीदीवा
“वे जा दैणी- ललित केशवान, कविता संग्रह, शालीमार गार्डन, गाजियाबाद,
सन् 2009, पृष्ठ 126.

दुन्दभी-डिम-डिम- श्रीधर जमलोकी, विशाल कार्यालय, नारायणकोटि, सन्
1964, पृष्ठ 95.

दुन्याँ कि तर्प पीठ- राकेश चन्द्र नौटियाल, कविता, अविचल प्रकाशन,
बिजनौर, सन् 2004, पृष्ठ 80.

दैसत- अबोधबंधु बहुगुणा, कविताएं, गढ़वाली प्रकाशन, नई दिल्ली, सन् 1996, पृष्ठ 51.

धरती का पूफल- गोविन्द चातकधीत-
नरेन्द्र गौनियाल, कविता, धाद प्रकाशन, देहरादून, सन् 2003, पृष्ठ 88.

धुँयाळ- अबोध बंधु बहुगुणा, लोकगीत, गढ़वाली साहित्य परिषद, देहरादून, सन्
1983, पृष्ठ 82.

धै- नेत्रा सिंह असवाल, विनोद उनियाल, पारेश्वर गौड़, लोकेश नवानी
;संपादक मण्डलद्ध, कविताएं, गढ़ भारती, नई दिल्ली, सन् 1980, पृष्ठ 48.

नया गढ़वाळि गीत- अतुल मोहन सकलानीनवांण्

ा- गिरिधारी प्रसाद कंकाल गीत, विनय नगर, नई दिल्ली, सन् 1956, पृष्ठ 32.
नागरजा- कन्हैयालाल डंडरियाल, महाकाव्य, गढ़वाली साहित्य परिषद, कानपुर,
सन् 1993, पृष्ठ 255.

नाचि नरसिंह- जगदीश पोखरियाल, नाटक, श्रीनगर, गढ़वाल, सन् 1973, पृष्ठ 50.
निमाणी- नित्यानंद मैठाणी, उपन्यास, अलकनंदा प्रकाशन, लैन्सडौन, सन्
1989, पृष्ठ 240.
निराली भौंण- डॉú महावीर प्रसाद गैरोला, कविता, अखिल गढ़वाल सभा,
देहरादून, सन् 2006, पृष्ठ 88.

नौ{ नवाण- गजेन्द्र नौटियाल, नाटक, विनसर पब्लिशिंग कं., देहरादून, सन्
2005, पृष्ठ 144.

नौबत- चक्रधर बहुगुणा, कविताएं, स्वयं प्रकाशित, सन् 1953, पृष्ठ 52.

नौबत- हरिदत्त भट्ट ‘शैलेश’ नाटक, विनसर पब्लिशिंग कं., देहरादून, सन्

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डांड्यू वुफ रैबार- गोकुलानंद किमोठी, कविता संग्रह, विनसर पब्लिशिंग कं.,
देहरादून, सन् 2006, पृष्ठ 80. 

ढोल सागर- ब्र“मानंद थपलियाल ;संपादकद्ध, ढोल सागर संग्रह, बदरीकेदारेश्वर
प्रेस, पौड़ी, संवत् 1989, पृष्ठ 58.

परदेसी भै- प्रदीप वुफमार वेदवाल, कहानी, गढ़वाल अध्ययन प्रतिष्ठान, दिल्ली,
सन् 1998, पृष्ठ 106.

पसीन की खुशबू- सुरेन्द्र खुशहाल, कविता, अन्दरसौं-डाबरी, रिखणीखाल, सन्
1989, पृष्ठ 30.
पांखु- सत्य प्रसाद रतूड़ी, देवीदत्त नौटियाल, विद्यालाल पुंडीर, मेधाकर
नौटियाल, नाटक, वीरगाथा प्रकाशन, दोगड्डा सन् 1932, पृष्ठ 40.

पतिव्रता- हर्षपति डोबरियालप्र“लाद-
भवानी दत्त थपलियाल, नाटकप्रेमी

पथिक- तोताकृष्ण गैरोला, सन् 1932.

पाखा घसेरी- भोला दत्त देवराड़ी, कविता, सन् 1934.

पाणि- नरेन्द्र कठैत, खण्डकाव्य, समय साक्ष्य, देहरादून, सन् 2008, पृष्ठ 39.

पारवती- डॉ. महावीर प्रसाद गैरोला, उपन्यास, टिहरी, गढ़वाल, सन् 1981,
पृष्ठ 108.
पार्वती- अबोधबंधु बहुगुणा, कविताएं, गढ़वाली प्रकाशन, नई दिल्ली, सन्
1994, पृष्ठ 180.

पिठैं पैरालो बुरांस- वीणापाणि जोशी, कविता, केशव प्रकाशन, देहरादून, सन्
2003, पृष्ठ 141.

पितरू को रैबार- गोकुलानन्द किमोठी, कविताएं, नवभारत प्रकाशन मंदिर,
सहारनपुर, सन् 1979, पृष्ठ 42.

पीड़ा- विद्यादत्त शर्मा, कविताएं, शिखर साहित्य, पौड़ी सन् 2003, पृष्ठ 104.

पैंसठ रुमाल- प्रेमी राणा, गीत, रेलवे बुकस्टाल, )षिकेश, सन् 1979, पृष्ठ 63.

पुष्पांजलि- शशि शेखरानंद सकलानी, मोहन सदन, देहरादून, सन् 1949, पृष्ठ 53.

पंफचि- लोकेश नवानी, कविता, गढ़भारती, नई दिल्ली, सन् 1977, पृ. 36.

पुफर-घिंडुड़ी- कंकाल, कविता, सन् 1959, पृष्ठ 16.

पुफलकंडि- योगेश्वर प्रसाद शास्त्राी, कविताएं, नारायणकोटि, गढ़वाल सन् 1938,
पृष्ठ 80.

पफौंदार जी की कछड़ी- भवानी दत्त थपलियाल, नाटक, वीरगाथा प्रकाशन,
दुगड्डा, सन् 1930, पृष्ठ 36.

बट्वे- सुदामा प्रसाद ‘प्रेमी’, कविता, प्रेमी प्रकाशन मंदिर, कल्जीखाल, पौड़ी,
सन् 1964, पृष्ठ 22.

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बसंती- विश्वम्भर दत्त उनियालबसुमती-
डॉú उमेश चन्द्र नैथानी, कहानी, सुमन प्रकाशन, पौड़ी, सन् 2006, पृष्ठ 45.
बांसुली- गोविन्द चातक, गीत, जुगलकिशोर एण्ड ब्रदर्स, देहरादून, सन् 1955,
पृष्ठ 48.
बांसुली- भगवती प्रसाद पांथरी गढ़वाली साहित्य वुफटीर, मसूरी, पृष्ठ 32.
बाजूबंद- गोविन्द चातक, गीतबाजूबंद-
मालचन्द रमोला, समीक्षा, टिहरी, सन् 1989, पृष्ठ 140.
बाट की गोडाई- बलदेव प्रसाद शर्मा, सन् 1930.
बाबा की कपाल क्रिया- भवानी दत्त थपलियालबिंदरा-
पुरुषोत्तम डोभालबीजि
ग्याई कविता- मधुसूदन थपलियाल, ;संपादकद्ध कविता, धाद प्रकाशन,
देहरादून, सन् 2004, पृ. 104.
बुराँस की पीड़- मोहनलाल नेगी कहानी संग्रह, मोहन प्रकाशन, टिहरी, सन्
1987, पृष्ठ 206.
बेदी मा का बचन- महेश तिवाड़ी, गीत.
ब्योलि- दयाधर प्रसाद बमराड़ा, जागर प्रकाशन, नई दिल्ली, सन् 1988, पृष्ठ 150.
भाषा तत्व और आर्य भाषा का विकास- शिवराज सिंह रावत ‘निसंग’,
विनसर पब्लिशिंग कं., सन् 2010, पृष्ठ 272.
भुम्याळ- अबोधबंधु बहुगुणा, ;महाकाव्यद्ध, हिमालय कला संगम, नई दिल्ली,
सन् 1977, पृष्ठ 184.
भ्यूंचळो- उमाशंकर थपलियाल ‘समदर्शी’, कविताएं, श्री ज्वाल्पा निवास,
श्रीनगर गढ़वाल, सन् 1992, पृष्ठ 24.
मंगतू- कन्हैयालाल डंडरियाल, गढ़वाल साहित्य मण्डल, नई दिल्ली, सन् 1960,
पृष्ठ 18.
मध्य पहाड़ी की भाषिक परंपरा और हिंदी- गोविन्द चातक, व्याकरण,
तक्षशिला प्रकाशन, नई दिल्ली, सन् 2000, पृष्ठ 188.
मन अघोरी- चिन्मय सायर, कविता, बिजनौर, सन् 2005, पृष्ठ 96.
मनतरंग- केशवानंद कैंथोला. कवितामलेथा
की वूफल- भोला दत्त देवरानी, काव्य संग्रह, वीरगााथा प्रकाशन, दुगड्डा,
संवत् 1997, पृ. 32.
मां- तारादत्त लखेड़ा, सन् 1997.
माया मेलुड़ी- भगवान सिंह रावत ‘अकेला’ गीत, जुबलापाड़ा, बम्बई, सन्
1978, पृष्ठ 38.
मुट्ट बोटीक रख- नरेन्द्र सिंह नेगी, गीत, पहाड़, नैनीताल, सन् 2002, पृष्ठ 48.
मुण्ड निखोळू- जीवानंद श्रीयाल, कविता, ;चक्रपाणी श्रीयालद्ध विनसर पब्लिशिंग

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मेघदूत- धर्मानंद जमलोकी, ;गढ़वाली अनुवादद्ध, आनन्द प्रकाशन, ऊखीमठ,
सन् 1971, पृष्ठ 47.
मेरी अग्याळ- )षि कंडवाल, कवितामेरी
पूपूफ- ओमप्रकाश सेमवाल, कहानी संग्रह, धाद प्रकाशन, देहरादून, सन्
2009, पृष्ठ 132.
मेरु दंदोळ- मुवुंफदराम वुफकरेतीमेरो
ब्वाडा- पूरन पंत ‘पथिक’ कविताएं, गढ़वाली साहित्य परिषद, कानपुर, सन्
1989, पृष्ठ 113.
मोछंग- चक्रधर बहुगुणा, बदरीकेदारेश्वर प्रेस, पौड़ी, सन् 1938, पृष्ठ 58.
मौल्यार- गिरिधारी प्रसाद ‘कंकाल’ गीत, विनयनगर, नई दिल्ली, सन् 1963,
पृष्ठ 48.
मौळ्यार- गिरीश सुन्दरियाल, गीत, हिमालय लोक साहित्य एवं संस्कृति विकास
ट्रस्ट, देहरादून, सन् 2008, पृष्ठ 62.
म्वारि- दुर्गाप्रसाद घिल्डियाल, कहानी संग्रह, गढ़वाल अध्ययन प्रतिष्ठान, देहरादून,
सन् 1986, पृष्ठ 111.
यु गढ़देश- प्रेमी राणा, पाहवा प्रकाशन, )षिकेश, सन् 1978, पृष्ठ 52.
ये गुठ्यार- रघुवीर सिंह अयाळ, कविता, गढ़वाली साहित्य परिषद, कानपुर, सन्
1998, पृष्ठ 80.
रंगदोळ- शेर सिंह गढ़देशी, कविता, डोईवाला, देहरादून, सन् 2001, पृष्ठ 134.
रंत-रैबार- डॉú गोविन्द चातक, गीत, श्याम बुक डिपो, देहरादून, सन् 1963,
पृष्ठ 96.
रंभा शुक संवाद- रघुनाथ प्रसाद शर्मा, संवत् 1996.
रमा- श्यामा देवी, सन् 1927.
रमा- बलदेव प्रसाद ‘दीन’ सन् 1927.
रांसुली- उमाशंकर सतीशरामदेई-
नित्यानन्द मैठाणी, कविता, प्रांजल प्रकाशन, देहरादून, सन् 1991, पृष्ठ 64.
रामू की बदरी-केदार यात्रा- गोविन्दराम शास्त्राी.
रुक्मणी गौरव- आत्माराम पफोंदड़ी ‘कमल’ गाथा काव्य, चौरास विकास एवं
जनकल्याण समिति, टिहरी, सन् 1986, पृष्ठ 63.
रैबार- सदानंद जखमोला ‘संतत’ खण्डकाव्य, चण्डीशिला, दुगड्डा, सन् 1951,
पृष्ठ 22.
रैबार- डॉ. प्रेमलाल शास्त्राी, कविताएं, स्वयं प्रकाशित, सन् 1995, पृष्ठ 58.
रैमासी- उमाशंकर सतीश

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रोन्देड़ू- श्रीधर जमलोकीवसुधारा-
हरिदत्त देवरानी ;संपादकद्ध गढ़वाल साहित्य परिषद, प्रयाग, सन्
1946, पृष्ठ 220.
विगुल- गुणानन्द पथिक, गीत, स्वयं प्रकाशित, सन् 1962, पृष्ठ 24.
विरहणी बाला- तारादत्त लखेड़ा. गीतविरहिण्
ाी शैलबाला- पानदेव भारद्वाज, सन् 1964.
वीर सैनिक गढ़वाल- विशालमणि शर्मा, सन् 1945.
वीरवधू देवकी- भजनसिंह ‘सिंह’, खण्डकाव्य, पौड़ी, सन् 1980, पृष्ठ 11.
हरि हिंड्वाण- ललित केशवान, नाटक, विनसर प्रकाशन, नई दिल्ली, सन्
1989, पृष्ठ 132.
हर्बि-हर्बि- मधुसूदन थपलियाल, कविता, धाद प्रकाशन, देहरादून, सन् 2002, पृ. 80.
हारुल- लक्ष्मीकान्त जोशी, जौनसारी लोकगीत, विनसर पब्लिशिंग कं., देहरादून,
सन् 2007, पृष्ठ 160.
हिंसूर- पुरुषोत्तम डोभालहिंसर-
किनगोड़-कापफळ- धर्मानन्द उनियाल, कविताहुँण्
ात्यालि डालि- अमरनाथ शर्मा, काव्य, बद्रीनाथ, सन् 2005, पृष्ठ 132.
सत्यप्रेम- तारादत्त लखेड़ासमळौंण्
ा- जग्गू नौडियाल, कविताएं, समळौण प्रकाशन, पौड़ी, सन् 1980, पृष्ठ 124.
समौण अर बुझौण- सर्वेश्वर दत्त कांडपाल, गीत, गौचर, सन् 1971, पृ. 40.
सिंह सतसई- भजनसिंह ‘सिंह’ सत्यपाल सिंह, पौड़ी, सन् 1985, पृष्ठ 171.
सिंहनाद- भजनसिंह ‘सिंह’, गढ़वाली प्रेस, देहरादून, सन् 1930, पृष्ठ 186.
सीता बणवास- भगवती प्रसाद जोशी, हिमवन्तवासी प्रकाशन, दुगड्डा, सन्
2002, पृष्ठ 104.
सुमनांजली- वसुन्धरा डोभालसुद्य
ाळ- रामप्रसाद गैरोला, कविता, विशाल कार्यालय, नारायणकोटि, संवत्
2023, पृ 68.
सुर्ज कांठ्यों- प्रीतम भरतवाण, ;संपादक- गजेन्द्र नौटियालद्ध, गीत, विनसर
पब्लिशिंग कं., देहरादून, सन् 2010, पृष्ठ 152.
सूना बैण- गिरधारी प्रसाद ‘कंकाल’ गढ़वाल साहित्य मण्डल, नई दिल्ली, सन्
1960, पृष्ठ 28.
स्वर मन्दाकिनी- कमल साहित्यालंकार.
शेरु- भीमराज सिंह कठैत.
शैलवाणी- अबोधबंधु बहुगुणा, कविताएं, हिमालय कला संगम, नई दिल्ली,
सन् 1981, पृष्ठ 224.

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Shri Mahant Harsha Puri Gusain : The Initial stage Garhwali Poet of Modern time

Bhishma Kukreti

Harsha puri was born in 1820 and was the chief priest of Kinkleshwar temple Shrinagar Garhwal

Mahant Harsha Puri created poetry in Garhwali and published them in Garhwali , a monthly magazine.

He was also the poet of Braj Bhasha and Khadi boli. This is the reason his Garhwali and the subject is influenced by Braj language and its spiritualism. His poems are with full of tenderness and melody. Social awareness orientation, inspirational or idealistic subjects is the specialty .

Mahant Harsha Puri expired in 1905 .

Copyright @ Bhishma Kukreti, Mumbai, India, 2009

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Though, Pradeep Pant was famous in literary field from his student life and was getting appraisal from his fellow intellectuals but he becme popular among average Hindi readers after publishing his novel Mahamahim in 1988
Birth date: April 1941
Place : Haldwani , Uttarakhand
Education M A from Lucknow
Ideal libertarian for Pradeep pant : in prose Harishankar parsai and in poetry Sher jang garg
His Published work
A -Novels all in Hindi :
1-     Mahamahim: Pant became the central place in literature world when this novel came on stands . Very fine book on the corrupt mathods in political arena
2-     Antral kke Baad
3-     Ek Asambhav Mrityu
4-     Kab Tak
B- Collections of satiric literature
1- Main Gutnirppex hun
2-Private Sector ka Vyangkar
C  Story Collections
1- Aam admi ki Ray
2- Kutte ki Maut
D- Travelogue ( Itali ke yatra samsmaran )
E Dramas : he wrote about a dozen of drama for puupet dramas
Awards:
1-     Journalist Welfare Award, delhi
2-     2-Hindi Academy Award Delhi
3-     Uttara Pradesh government for Ek asambhav mrityu

--
 


Dhanyabad
Regards
Bhishma Kukreti

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थपलियाल रेखा। १९९१ प्राचीन मध्य हिमालय कुमाऊँ का इतिहास : सांस्कृतिक भूगोल : नृवंशीय अध्यया। नई दिल्ली; नॉर्दन बुक सेन्टर।
पाण्डे बद्रीदत्त १९९० कुमाऊँ का इतिहास। अल्मोड़ा; श्याम प्रकाशन श्री अल्मोड़ा बुक डिपो।
जोशी महेश्वर प्रसाद १९९४ उतराञ्चल हिमालय समाज, संस्कृति, इतिहास एवं पुरात्व। अल्मोड़ा; श्री अल्मोड़ा बुक डिपो।
बालदिए, के. एस. १९९८ कुमाऊँ (लैंड एण्ड प्यूपिल)। नैनीताल; ज्ञानोदय प्रकाशन।
नौटियाल शिवानन्द १९९८ कुमाऊँ दर्शन। लखनऊ; सुलभ प्रकाशन।
सक्सेना कौशल किशोर १९९४ कुमाऊँ कला, शिल्प और संस्कृति। अल्मोड़ा; श्री अल्मोड़ा बुक डिपो।
वाजपेयी श्री कृष्णदत्त १९६२ उत्तर प्रदेश का सांस्कृतिक इतिहास। आगरा; शिवलाल अग्रवाल एण्ड कम्पनी (प्रा.) लि.।
पाठक शेखर १९९२ पहाड़ हिमालयी समाज, संस्कृति, इतिहास तथा पर्यावरण पर केन्द्रित। डी. के फाईन आर्ट प्रेस।
वर्मा विमला १९८७ उत्तर प्रदेश की लोककला, भूमि और भिप्ति अलंकरण। दिल्ली; जय श्री प्रकाशन।
मठपाल यशोधर १९९७ उत्तराखण्ड का काष्ठशिल्प। देहरादून; शिवा ऑफसेट प्रेस।
अग्रवाल, डी.पी. एवं एम.पी. जोशी १९७८ "रॉक पेंटिंग इन कुमाऊँ"। मैन एण्ड इन्वायरनमेंट भा. इंडियन सोसायटी फॉर प्रीहिस्ट्री एण्ड क्वार्टनरी स्टडीज (अहमदाबाद)।
त्रिवेदी विपिन बिहारी १९८७ उत्तर प्रदेश साहित्य, संस्कृति एवं कला। नई दिल्ली; एस. चन्द एण्ड कम्पनी (प्रा.) लि.।
उप्रेती नाथूराम १९७७ कुमाऊँ की लोककला, कुमाऊँनी संस्कृति। रुद्रपुर; उपयोगी प्रकाशन।
एटकिन्सन, ईयटीय १९७३ द हिमालयन गजेटियर वा. क्ष् व क्ष्क्ष्। दिल्ली; कास्मो पब्लिकेशन।
कठोच यशवंत सिंह १९८१ सध्य हिमालय का पुरातत्व। लखनऊ; रोहिताश्व प्रिन्टर्स।
गरोला, टी.डी. १९३४ हिमालयन फोकलोर। इलाहाबाद।
जैन कमल कुमार १९८३ उत्तराखण्ड के देवलयों का परिक्षण। लखनऊ; ध्यानम पब्लिकेशन।
जोशी, एम.पी. १९९२ उत्तराञ्चल (कुमाऊँ - गढ़वाल हिमालय)। अल्मोड़ा; श्री अल्मोड़ा बुक डिपो।
जोशी प्रयाग १९९० कुमाऊँनी लोक गाथाएँ : एक सास्कृतिक अध्ययन। बरेली; प्रकाश बुक डिपो।
डबराल शिव प्रसाद १९९० उत्तराखण्ड का इतिहास। गढ़वाल; वीर गाथा प्रकाशन।
पोखरिया देव सिंह १९८९ "कुमाऊँ के लोकनृत्य", उत्तराखण्ड भाग - ३। उत्तराखंड शोध संस्थान।
प्रसाद जगदीश्वरी १९८९ कुमाऊँ के देवालय। अल्मोड़ा; उत्तराखण्ड सेवा निधि ।
पांडे त्रिलोचन १९७७ कुमाऊँनी भाषा और उसका साहित्य। लखनऊ; उ.प्र. हिन्दी संस्थान।
फ्रुैंगर, ए.सी. १९९० दि जागर : हिमालय पास्ट एण्ड प्रजेन्ट। अल्मोड़ा; श्री अल्मोड़ा बुक डिपो।
बैराठी कृष्णा एवं सत्येन्द्र कुश १९९२ कुमाऊँ की लोक कला, संस्कृति और परम्परा। अल्मोड़ा; श्री अल्मोड़ा बुक डिपो।
बाजरोयी कृष्णदत्त १९९० भारतीय वास्तुकला का इतिहास। लखनऊ; उ.प्र. हिन्दी संस्थान।
नौटियाल, के.पी. १९६९ आर्कीयौलॉजी ऑफ कुमाऊँ इन्कलूडिंग। वाराणसी; चौखम्बा संस्कृत सीरीज।
भ मदन चन्द्र १९८१ उत्तराखण्ड का "पुरातत्व विशेषांक"।
मठपाल यशोधर १९८७ उत्तराखण्ड की संस्कृति की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि उत्तराखण्ड वार्षिकी, उत्तराखण्ड शोध संस्थान।
वैष्णव यमुनादत्त १९८३ कुमाऊँ का इतिहास, "खस कस्साइट जाति के परिपेक्ष्य में"। अल्मोड़ा; श्री अल्मोड़ा बुक डिपो।
पाण्डे, पी.सी. १९९० इथनोबौटनी ऑफ कुमाऊँ हिमालया, हिमालय इन्वायरनमेंट एण्ड डबलपमेट। अल्मोड़ा; श्री अल्मोड़ा बुक डिपो।
सर्राफ, डी.एन. १९८२ एंडियन क्राफ्ट्स। दिल्ली; विकाल पब्लिकिंशग हाऊस, अनसारी रोड।
पाण्डे गिरिश चन्द्र १९७७ उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था। नैनीताल; कंसल पब्लिशर्स।
पालीवाल, नारायण दत्त १९८५ कुमाऊँनी - हिन्दी शब्दकोश। दिल्ली; तक्षशिला प्रकाशन।
पाण्डे, चारु चन्द्र १९८५ कुमाऊँनी कवि 'गोर्दा' का काव्य दर्शन। अल्मोड़ा; देशभक्त प्रेस।
वैष्णव शालिग्राम १९२३ उत्तराखण्ड रहस्य। नागपुर-चमोली; पुष्कराश्रम।
सांकृत्यायन राहुल १९५३ हिमालय परिचय। इलाहाबाद; लॉ जर्नल प्रेस।
सिंह वीर १९८९ खेती और पशु : पहाड़ी खेती के आधार। नैनीताल; संपादक व प्रकाशक पाठक।
जोशी, एम.पी. १९७४ सम रेअर स्कल्पचर्स फ्राम कुमाऊँ हिल्स संग्रहालय पुरातत्व पत्रिका।

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Garhwali has a rich literature in all genres including poetry, novels, short stories and plays[16]. Earlier, Garhwali literature was present only as folklore. Although Garhwali was the official language of the Kingdom of Garhwal since 8th century, the language of literature was mostly Sanskrit. The oldest manuscript that has been found is a poem "Ranch judya judige ghimsaan ji" written by Pt.Jayadev Bahuguna(16th century). In 1828 AD, Maharaja Sudarshan Sah wrote "Sabhaasaar". In 1830 AD, American missionaries published the New Testament in Garhwali. Thereafter, Garhwali Literature has been flourishing despite government negligence. Today, newspapers like "Uttarakhand Khabarsar" and "Rant Raibaar" are published entirely in Garhwali.[17] Magazines like "Baduli", "Hilaans", "Chtthi-patri" and "Dhaad" contribute in the development of Garhwali language. Some of the important Garhwali Litterateurs and their prominent creations are:


Abodhbandhu Bahuguna - "Ankh-Pankh", "Bhoomyal","Ragdwaat"
Kanhaiyyalal Dandriyal - "Anjwaal"
Jayakrishna Daurgadati - "Vedant Sandesh"
Sadanand Kukreti
Atmaram Gairola
Taradutt Gairola - "Sadei"
Satyasharan Raturi - "Utha Garhwalyun!"
Bhawanidutt Thapliyal - "Pralhad"
Chandramohan Raturi - "Phyunli"
Chakradhar Bahuguna - "Mochhang"
Bhajan Singh 'Singh' - "Singnaad"
Keshavanand Kainthola - "Chaunphal Ramayan"
Bholadutt Devrani - "Malethaki Kool"
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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