Author Topic: Brijendra Lal Sah Lyrist of Bedo Pako- बेडू पाको गाने के रचियता बिजेंद्र लाल साह  (Read 15199 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Brijendra Lal Sah's Troup Performed n Dehli
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१९५४ में ब्रिजेन्द्र लाल साह, सरकार के ग्राम्य विकास योजना के तहत असिस्टंट प्रोजेक्ट ऑफिसर के रूप में ब्रिजेन्द्र लाल प्रथम नियुक्ति कपकोट, बागेश्वर जिले में हुयी! उसी वर्ष जोहार तथा मल्ला दानपुर के स्त्री पुरष का प्रथम दल लेकर व गणत्रंत्र दिवस समारोह में दिल्ली पहुचे और वहां स्टेडियम में चाचरी, बैसी लता गंगनाथ जागर के प्रभाव पूर्ण अंशो का प्रदर्शन किया ! लगभग बीस दिन तक इन कलाकारों के संपर्क में रहने और उनसे दानपुर व जोहार के कई लोग गीत सिखाने का अवसरमिला

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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While he was doing service in Kapkot area of Bageshwar, his interest increased for Folk Music Books. He collected Books like :

    - Bali Kusama
    - Sidua Viduwa
    - Ramul
    - Bhana Gangnath

He performed in a place during the  Uttarayani Fair in Bageshwar (Bhana Gangnath) . Year 1955.

It was first such kind of an effort.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सरकारी नौकरी करते हुए भी लोक कलाकार संघ से जुड़े रहे और उनके लिए समूह गान एव नाटक लिखते रहे! शरदोत्सव में भाग लेने के लिए उन्होंने दो बाल एकांकी ऋतूरैण और ख़ुशी के आंसू लिखे जिन्हें बाल कलाकारों द्वारा अल्मोड़ा एव नैनीताल में शरदोत्सव में में १९५५-५६ में प्रस्तुत किया गया !

इनके अतिरिक्त उन्होंने "शिल्पी की बेटी" की रचना की ! इस बीच कतयूर और नाकुरी की पट्टियों में विचरण करते हुए ब्रिजेन्द्र लाल साह ने लोक गीतों की विभिन्न धुनों को शिखने में अपना समय लगाया!

अगस्त १९५७ में ब्रिजेन्द्र जी ने उत्तराखंड के सांस्करतिक विकास अधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला और सीमान्त के पर्वतीय जिलो में लोक संस्कर्ती के संग्लन, संरक्षण, एव संवर्धन के महतवपूर्ण कार्य में जुट जाय! संन १९५७ से १९६२ तक का समय उनकी लोक यात्रा का महतवपूर्ण काल रहा है! क्योकि उस बीच उन्होंने पर्वतीय क्षेत्र में प्रचलित प्राचीनतम लोक गीतों को खोजने, धव्यलेखित करने एव सीखने में सफलता प्राप्त की !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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He Compiled more than 2000 Folk Songs
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लोक गीतों को माटी से मंच तक पचुचाने के अतिरिक्त ब्रिजेन्द्र ने उस दौरान जो लगभग दो हजार लोक गीत भी एकत्रत किये उनकी धुनों के व्यस्त भावो और बिम्बों का विश्लेषण करते हुए उनका चारित्रिक वर्गीकरण करने में उन्होंने सफलता प्राप्त की ! अलग-२ पात्रो के स्वभाव तथा विभिन्न परिस्थितियों के प्रेरित उनके आचरणों को ध्यान में रख कर, लोक गीतों की धुनों का वर्गीकरण करते हुए २००० धुनों में से २०० धुनों को चुनकर उन्होंने ४०० गीतों में " कुमाउनी राम लीला" तथा ४८० गीतों में गढ़वाली राम लीला लिखी !


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सन १९६० में मुन्सारी के राथी ग्रामे में "कुमाउनी राम लीला" के धनुष यज्ञ प्रसंग को पहली बार मंच पर प्रतुत किया गया! इसमें उन्होंने स्वय परशुराम का अभिनय किया था!  यह प्रतुति अत्यधिक आकर्षक रही ! दूसरी तरफ थल के व्यापारिक मेले में सीता हरण प्रसंग की ! इसी दौरान गढ़वाली रामलीला के भी धनुष यज्ञ, सीताहरण, लक्ष्मण शक्ति, शबरी, उदार, गौरी पूजन आदि प्रसंग चमोली तथा उत्तरकाशी जिले के अनेक ग्रामो तथा नगरो में पर्दर्शित किये गए! जिन्हें जन मानुष ने उत्साहपूर्ण स्वीकार किया !


पंकज सिंह महर

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बजेन्द्र लाल शाह जी पर श्री कपिलेश भोज जी ने एक पुस्तक लिखी है "लोक का चितेरा- ब्रजेन्द्र लाल शाह, निम्न लिंक पर जांये।


ब्रजेन्द्र लाल साह के रचना संसार का परिचय


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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BeduPako is an Uttarakhandi folk tune which was conceptualized and written by late Brijendra Lal Shah. It was first composed by Late Mohan Upreti and B M Shah and till date has come out in innumerable versions seen and heard by Uttarakhandis across the Globe. It was played on stage for the first time in 1952 at GIC, Nainital. The song became popular when it was sung and played in Teen Murti Bavan in honour of an international gathering. Pt. Jawaharlal Nehru chose this song as the best of folks among other participants from India and Mohan Da, became BEDU PAKO BOY. The recording on HMV were given to the guests as Souvenir. Recently, in the honor of all who gave this folk tune an international fame and to make Uttarakhand folk available all around the world 24X7, an online radio, which is one of the only and very first on-line radio of Uttarakhand available on web, was created by the name of bedupako.


 

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