उत्तराखंडी भाषाएँ अब वो भाषाएँ नहीं बोली जाती हैं जो की पहले बोली जाती थी बदलते समय के अनुसार कुमाउनी और गढ़वाली के बोल चाल में अब हिंदी सब्दों का विलय हो रहा है,अगर किसी को गढ़वाली या कुमाउनी में एक वाक्य कहाँ या बोलना हो तो उस वाक्य में ३०% शब्द हिंदी के होते हैं, एक समय ऐसा भी आयेगा जा कुमाउनी और गढ़वाली भाषाएँ ही बिलुप्त हो जायेंगीं !