दोस्तों,
बदलते समय के अनुसार कई बार देखा गया है उत्तराखंड की कुमाउनी एव गढ़वाली बोली में भी परिवर्तन दिख रहा है! जिस प्रकार हिंदी की आम भाषा में लोग अग्रेजी के शब्दों का लोग प्रयोग कर रहे है उसी प्रकार हमारी लोक बोलियों में हिंदी और अन्य भाषाओ का भी प्रयोग देखा गया है जिससे ये भाषाए अपने कई वास्तविक शब्दों के खोते जा रहा है!
इस टोपिक में कोशिश करंगे जानने की कि कहाँ-२ आम बोली में इस प्रकार का परिवर्तन आ रहा है ! जैसे
कुमाउनी - म्यर डाड में पीड़ हुन रेई!
हिंदी - मेरे पेट में दर्द हो रहा है !
वर्तमान कुमाउनी - म्यर पेट में दर्द हुन रेई!
देखिये - डाड एक बहुत पुराना शब्द है - जो अब आम बोल चाल में इस्तेमाल नहीं हो रहा है! वही पीड़ .. जिसकी जगह हिंदी शब्द दर्द ने ले ली है !
एम् एस मेहता