Uttarakhand > Utttarakhand Language & Literature - उत्तराखण्ड की भाषायें एवं साहित्य

Difference in Uttarakhandi Spoken Language - उत्तराखंडी की बोलियों में अंतर

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Dosto,

Generally, Kumaoni and Garwali are the prominent spoken languages of Uttarakhad. I think almost 70-80 % of Kumaoni and Garwali languages match with each other. Even there is areas-wise difference in kumaoni and same is in Garwali also.

Firstly, we will give here the details of some co-spoken languages of Kumaoni and Garwali. Thereafter, we would give here the details about slight difference in the languages by framing some sentence.

We would request you to please join in this initiative.

Regards,

M S Mehta  

P S : The following information has been taken from Hamar Pahad (Reg) Society Faridabad and the artile written by Dr Rajeshwar Uniyal, Mumbai.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

गड़वाली भाषा मे नौ उप भाषायें बोली जाती है
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१.  श्री नगरी : यह गड़वाल की सबसे लोक प्रिय बोली है! इस बोली का प्रयोग श्री नगर, पौडी व् खिर्सू क्षेत्र में किया जाता है !श्री नगरी को गड़ वाल की प्रतिनिधि भाषा भी कहा जाता है !

२. राठी : यह बोली राठ क्षेत्र में प्रचलित है ! इसका प्रयोग थैलीसैण, विनसर, ढूधातोली तक किया जाता है! गैरसैण से राठ क्षेत्र तक लोह्ब्या का प्रयोग किया जाता है !

३. सलाण : तल्ला, मल्ला व गंगासलाण क्षेत्र में सिलाणी बोली जाती है !

४. नागपुरिया : नागपुर क्षेत्र (जिला रुद्रप्रयाग) में बोली जाने वाली बोली को नागपुरिया कहा जाता है !

५. दसौल्या : नागपुर क्षेत्र के पास दसौल्या का प्रयोग किया जाता है !

६. बैथाणी : नंदाकिनी एव पिंडर के मध्य मे बैथाणी बोली जाती है!

7. टेहरियाली : जिला टेहरी गड़वाल में टेहरियाली भाषा बोली जाती है,  इसे गंगपरिया भी कहते है !

8. माझ - कुम्मैया : गड़वाल एव कुमाओं से जुड़े हुए क्षेत्रो में गड़वाली कुमाउनी भाषा का मिश्रण है ! अतः इसे माझ : कुम्मैया कहते है !

9.   जौनसारी - जिला उत्तरकाशी के सीमांत क्षेत्र तथा देहरादून जिला की चकरौता तहसील में जौनसारी बोली जाती है

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
As per Shree Ganga Dutt Upreti, Shree Badri Dutt Pandey and Shree Rahul Shankratiyan, kumaoni language can be categorized into following  categories:-
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1. अस्कोटी : पिथोरागढ़ जनपद के उत्तर पूर्व में सीरा क्षेत्र में अस्कोट के आस पास बोली जाने वाली को अस्कोटी कहते है! इस बोली को साराली, नेपाली और जौहारी बोलियों का आग्नेय भाषा परिवार की रानी और तिब्बती वर्मी भाषा परिवार की शौक बोलियों का प्रभाव पड़ा है !

2.  साराली -  अस्कोट (जिला पिथोरगढ) के पश्चिम और गंगोली के पूर्व का क्षेत्र सीराला कहलाता है, जिसकी बोली सीराली कहलाती है ! साराली के अर्न्तगत डीडीहाट, बारा बीसी, अटाबीसी, मालीली आदि क्षेत्र आते है! साराली बोली पर अस्कोट, जोहरी और गंगोली बोलियों का प्रभाव प्रलिक्षित होता है !

3. सोर्याली - जिला पिथोरागढ़ के सोर परगने में बोली जाने वाली बोली को सोर्याली कहते है! यह क्षेत्र पूर्व में काली नदी, दक्षिण में सरयू, पश्चिम में पूर्वी राम गंगा और उत्तर में सीरा के घिरा हुआ है ! सोर्याली पूर्वी कुमाउनी की प्रतिनिधि बोली मानी जाती है !

4. कुम्मुया / कुमाई - काली कुमाऊ क्षेत्र की बोली को कुम्मुया या कुमाई कहते है ! कुम्मुया या कुमाई बोली उत्तर में पनार और सरयू, पूर्व में काली, पश्चिम में देवी धुरा तथा दक्षिण में टनकपुर भाबर तक एक भूभाग में बोली जाती है! यह मुख्यतः चम्पावत व लोहाघाट की भाषा है !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

5.  गंगोली /गंडाई : गंगोलीहाट क्षेरा में दानपुर, दक्षिण में सरयू, उत्तर में राम गंगा व पूर्व में सोर तक फैला, इसके आस पास के बोली को गंगोली /गंडाई कही जाती है! गंगोलीहाट अर्न्तगत बड़ाउ पुंगराऊ, आठगाव,  कुमेश्वर और बेल आदि पाटिया आती है !

6.   दनपुरिया : जिला बागेश्वर परगने की बोली दनपुरिया बोली जाती है! यह बोली मल्लादानपुर, बिचला दानपुर, तल्ला दानपुर, मल्ला कत्यूर, बिचला कतियूर, बल्ला कमस्यार, पल कमस्यार, दुंग तथा नाकुरी पट्टियों में भी बोली जाती है! इसके अर्न्तगत, जोहारी, पश्चिम में गड़वाली, पूर्व में सोर्याली और सीराली तथा दक्षिण में खस्पर्जिया बोली के क्षेत्र है! इस पर गंगोली सीराली और भोटिया का प्रभाव पड़ता है !   

   

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

७. रौ - चाभैसी - नैनीताल जनपद के उत्तर पूर्वी क्षेत्र रौ चौभशी क्षेत्र में रौ - चाभैसी बोली जाती है! इसका प्रयोग रामगड़, छखाता, भीमताल व नैनीताल आदि में भी किया जाता है!  रौ - चाभैसी का खस्पर्जिया के साथ निकटस्थ सम्बन्ध है ! इस बोली को पश्चिम में पछाई, उत्तर में खस्पर्जिया, पूव में कुम्मुया और दक्षिण में भाबरी बोलियों के क्षेत्र पड़ते है !

८. चौग्खारिया :  कुमाउ के उत्तर पश्चिम से लेकर अल्मोडा के बारामंडल तक के क्षेत्र को चौग्खारिया बोली प्रचलित है, ! इस बोली क्षेत्र के उत्तर में गंगोली बोली का प्रभाव है !

९.  खसपर्जिया :  खसपर्जिया पश्चिमी कुमायू की सवार्धिक लोक प्रिय बोली है, ! इसके पूर्व में कुमुया सोर्याली, पश्चिम में पश्चिम में में पछाई, उत्तर में दानपुरिया और दक्षिण में रौ - चाभैसी क्षेत्र आते है ! जिला अल्मोडा के बारामंडल परगने में खासपर्जा पट्टी है! डॉक्टर केशव दत्त रुवाली के अनुसार खासपर्जा पट्टी कारण इस बोली का नाम खसपर्जिया पड़ा! खसपर्जिया को खस जाति के भी प्रभावित है !

१०. पछाई - पश्चिमी कुमाओं के फल्दाकोट, रानीखेत, द्वाराहाट आदि क्षेत्र को बोली पछाई कहलाती है१ कुमाओं की पश्चिमी सीमा में गड़वाली पछाई बोली जाती है !

 

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