डा. शैलेश का निधन साहित्य जगत के लिए बड़ी क्षति है। हिंदी, अंग्रेजी और गढ़वाली में लिखने में उन्हें खास महारत हासिल थी। इतनी भाषाआें में बेहतर साहित्य की रचना करने का उन्हें खास ईश्वरीय वरदान था, जो हर किसी को नहीं मिलता।
रस्किन बांड, प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक
प्रोफाइल
नाम : हरिदत्त भट्ट शैलेश
जन्म : 15 जून 1926
मृत्यु : 19 सितंबर 2011
पिता : बैजराम भट्ट
माता : रुद्री देवी
गांव : भटवाड़ी (अगस्त्यमुनि)
शिक्षा : प्राथमिक विद्यालय भटवाड़ी, डीएवी देहरादून, नागपुर और आगरा विवि।
उपलब्धि : हिंदी और अंग्रेजी पत्र-पत्रिकाओं में 400 से अधिक लेख, कहानियां, एकांकी नाटक, संस्मरण, यात्रा वृतांत। 40 पुस्तकों का प्रकाशन। साहित्य और रंगमंच में सक्रिय भागीदारी।
प्रमुख रचनाएं : गढ़वाली भाषा और उसका साहित्य, हिमालय की रोमांचकारी झलकियां, इक्कीस कहानियां, मेरी सतरंगी सौ कहानियां, शिखर और शिखर, आगे और आगे, नौबत, घूमते चेहरे, अभियान और अभियान और घाट-घाट का पानी।
सम्मान : राष्ट्रपति सम्मान, ओएनजीसी, हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग और हिंदी संस्कृत अकादमी सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
साहित्य यात्रा
शैलेश ने पर्वतारोहण और गढ़वाली भाषा और व्याकरण को नई पहचान दी। पर्वतारोहण की पृष्ठभूमि पर लिखी पुस्तकों को दो बार यूपी सरकार ने नकद पुरस्कार दिया। स्नो एंड स्नो अंग्रेजी कहानी को बीबीसी ने भी प्रकाशित किया। शैलेश ने कई सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों और नाटकों का मंचन किया। 1964 में शैलेश ने जनवादी अभियान में सक्रिय भाग लिया। 1987 में बाल शिक्षा मेें सराहनीय योगदान के लिए राष्ट्रपति ने सम्मानित किया।
प्रखर वाणी
गढ़वाली मेरी मातृभाषा है। प्रत्येक पट्टी और परगने को मैंने अपनी आंखों से देखा है। बढे़-बूढ़ों से लोक गाथाएं और लोकगीत अपने कानों से सुने हैं। गढ़वाली भाषा और उसके साहित्य की ओर आरंभ से मेरी विशेष रुचि रही है। अनेक अधिवेशनों और गोष्ठियों से अनुभव हुआ कि गढ़वाली भाषा का वैज्ञानिक अध्ययन कई दृष्टियों से बड़ा उपयोगी साबित होगा। 1953 से मैने इस क्षेत्र में कार्य आरंभ किया। गढ़वाल की अनेक गांवों की यात्रा की। गांव-गांव जाकर लोकगीत गाथाएं कथाएं और दंत कथाएं एकत्रित की।
-शैलेश के बोल
यह मिले पुरस्कार :
राष्ट्रपति सम्मान
हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग
बीबीसी से
राष्ट्रीय हिंदी परिषद से