Author Topic: Dr Hari Bhatt 'Shailesh' renowed Poet-साहित्यकार डॉ हरिदत्त भट्ट ‘शैलेश’  (Read 6572 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

We are sharing information about Doctor Hari Dutt Bhatt "Shalesh", renowned Poet & Literate.

About Hari Dr Hari Dut Bhatt

डॉ. हरिदत्त भट्ट ‘शैलेश’ का कृतित्व :
 
 (कहानी, कविता, संस्मरण, एकांकी, लेख उपन्यास विधाओं में तकरीबन 400 से ज्यादा रचनाओं को अंजाम दिया)
 
 उपन्यास :
 हिमालयाज माइ हैवन
 
 कहानियां :
 शिखर और शिखर
 आगे और आगे
 कॉल ऑफ द माउंटेंस
 कलाकेश्वर
 सपने और सपने
 वापसी
 वर्क और वर्क
 मेरी सतरंगी सौ कहानियां
 मेरी 21 कहानियां
 
 एकांकी :
 नौबत (हिंदी, गढ़वाली दोनों भाषाओं में)
 
 यह मिले पुरस्कार:
 राष्ट्रपति सम्मान
 हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग
 बीबीसी से
 राष्ट्रीय हिंदी परिषद से
 

 भट्ट जी का देहांत दिनाक १९ सितम्बर २०११ को हुवा!
 बहुत याद आएंगे ‘शैलेश’
 डॉ. हरिदत्त भट्ट ‘शैलेश’ का निधन साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है। 
 

M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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डा. शैलेश का निधन साहित्य जगत के लिए बड़ी क्षति है। हिंदी, अंग्रेजी और गढ़वाली में लिखने में उन्हें खास महारत हासिल थी। इतनी भाषाआें में बेहतर साहित्य की रचना करने का उन्हें खास ईश्वरीय वरदान था, जो हर किसी को नहीं मिलता।
 रस्किन बांड, प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक
 
 
 प्रोफाइल
 नाम : हरिदत्त भट्ट शैलेश
 जन्म : 15 जून 1926
 मृत्यु : 19 सितंबर 2011
 पिता : बैजराम भट्ट
 माता : रुद्री देवी
 गांव : भटवाड़ी (अगस्त्यमुनि)
 शिक्षा : प्राथमिक विद्यालय भटवाड़ी, डीएवी देहरादून, नागपुर और आगरा विवि।
 उपलब्धि : हिंदी और अंग्रेजी पत्र-पत्रिकाओं में 400 से अधिक लेख, कहानियां, एकांकी नाटक, संस्मरण, यात्रा वृतांत। 40 पुस्तकों का प्रकाशन। साहित्य और रंगमंच में सक्रिय भागीदारी।
 प्रमुख रचनाएं : गढ़वाली भाषा और उसका साहित्य, हिमालय की रोमांचकारी झलकियां, इक्कीस कहानियां, मेरी सतरंगी सौ कहानियां, शिखर और शिखर, आगे और आगे, नौबत, घूमते चेहरे, अभियान और अभियान और घाट-घाट का पानी।
 सम्मान : राष्ट्रपति सम्मान, ओएनजीसी, हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग और हिंदी संस्कृत अकादमी सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
 
 साहित्य यात्रा
 शैलेश ने पर्वतारोहण और गढ़वाली भाषा और व्याकरण को नई पहचान दी। पर्वतारोहण की पृष्ठभूमि पर लिखी पुस्तकों को दो बार यूपी सरकार ने नकद पुरस्कार दिया। स्नो एंड स्नो अंग्रेजी कहानी को बीबीसी ने भी प्रकाशित किया। शैलेश ने कई सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों और नाटकों का मंचन किया। 1964 में शैलेश ने जनवादी अभियान में सक्रिय भाग लिया। 1987 में बाल शिक्षा मेें सराहनीय योगदान के लिए राष्ट्रपति ने सम्मानित किया।
 
 प्रखर वाणी
 गढ़वाली मेरी मातृभाषा है। प्रत्येक पट्टी और परगने को मैंने अपनी आंखों से देखा है। बढे़-बूढ़ों से लोक गाथाएं और लोकगीत अपने कानों से सुने हैं। गढ़वाली भाषा और उसके साहित्य की ओर आरंभ से मेरी विशेष रुचि रही है। अनेक अधिवेशनों और गोष्ठियों से अनुभव हुआ कि गढ़वाली भाषा का वैज्ञानिक अध्ययन कई दृष्टियों से बड़ा उपयोगी साबित होगा। 1953 से मैने इस क्षेत्र में कार्य आरंभ किया। गढ़वाल की अनेक गांवों की यात्रा की। गांव-गांव जाकर लोकगीत गाथाएं कथाएं और दंत कथाएं एकत्रित की।
 -शैलेश के बोल
 
 यह मिले पुरस्कार :
 राष्ट्रपति सम्मान
 हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग
 बीबीसी से
 राष्ट्रीय हिंदी परिषद से

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गांधी परिवार की दो पीढ़ियों को पढ़ाया ‘शैलेश’ ने
 
 स्व. राजीव, स्व. संजय और राहुल गांधी के रहे हाउस मास्टर भी
 दून स्कूल के सीनियर टीचर एनपी जोशी ने अमर उजाला से बांटी यादें देहरादून। डा. हरि दत्त भट्ट शैलेश गांधी परिवार की दो पीढ़ियों को पढ़ा चुके हैं। वे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी, स्व. संजय गांधी और राहुल गांधी के हाउस मास्टर भी रहे। दून स्कूल के हिंदी के सीनियर टीचर डा. एनपी जोशी ने डा. हरि दत्त भट्ट के साथ गुजारे लम्हों की याद अमर उजाला के साथ बांटी।
 बताया कि दून स्कूल में उन्हें लाने वाले डा. हरिदत्त ही थे। दून स्कूल के भारतीय भाषा विभाग में बांग्ला, उर्दू, पंजाबी आदि भाषाओं की पढ़ाई शुरू कराने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा। बच्चाें तक से उन्होंने कभी ऊंची आवाज में बात नहीं की। एक बड़े अंग्रेजी स्कूल में उन्होंने हिंदी को एक ऐसा विषय बनाया कि हर कोई उनसे हिंदी पढ़ना चाहता था। हिंदी और गढ़वाली में तो उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हीं, अंग्रेजी पत्रिका रीडर डायजेस्ट में भी वह लगातार छपते रहे।

(by देव भूमि बद्री-केदार नाथ)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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  साहित्यविद् हरिदत्त भट्ट शैलेश नहीं रहे       Sep 20, 02:08 am    बताएं           देहरादून, जागरण संवाददाता: शिक्षाविद्, भाषा विशेषज्ञ एवं मूर्धन्य साहित्यकार डॉ. हरिदत्त भट्ट 'शैलेश' नहीं रहे। वे 81 वर्ष के थे। उनके निधन की खबर से शिक्षा, साहित्य, संस्कृति एवं रंगकर्म के क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। मंगलवार को हरिद्वार में खड़खड़ी घाट पर उनका अंतिम संस्कार होगा। डॉ. शैलेश अपने पीछे भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं।
साहित्यकार डॉ. शैलेश लंबे समय से गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे और दिल्ली के वेदांता हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था। तीन दिन पूर्व तबीयत बिगड़ने पर उन्हें हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट भर्ती कराया गया, जहां सोमवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से साहित्य, संस्कृति व कला जगत में स्तब्धता छा गई। मुंबई से उनकी अभिनेत्री बेटी हिमानी शिवपुरी भी दून पहुंच गई। मंगलवार को हरिद्वार में उनका अंतिम संस्कार होगा।
15 जून 1930 को उत्तराखंड के ग्राम भट्टवाड़ी  में जन्मे श्री भट्ट वर्तमान में दून स्कूल में अपनी बहू मालविका भट्ट एवं बेटे हिमांशु भट्ट के पास रह रहे थे। दून स्कूल में हाउस मास्टर और हेड ऑफ द हिंदी लैंग्वेज रहते हुए 32 वर्ष तक अध्यापन करने वाले डॉ. शैलेश पांच वर्ष एसएन कॉलेज में भी प्रिंसिपल रहे। हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत और गढ़वाली पर समान रूप से कमांड रखने वाले डॉ. शैलेश की 400 से अधिक कहानियां, उपन्यास, एकांकी, संस्मरण, यात्रावृत्त और लेख हिंदी-अंग्रेजी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।
डॉ. शैलेश की अंग्रेजी में लिखी कहानी 'सन एंड स्नो' को बीबीसी ने प्रसारित किया। जबकि, पर्वतारोहण की पृष्ठभूमि पर लिखी पुस्तकों पर उप्र सरकार ने दो बार नकद पुरस्कार प्रदान किया। उन्हें एकांकी लेखन में गोल्ड मैडल के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिला। इसके अलावा तमाम साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा डॉ. शैलेश को सम्मानित किया गया।


(Source - Dainik Jagran)



   

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Dr. Hari Datt Bhatt ‘Shailesh’

by - Bhishma Kukreti


Dr. Hari Datt Bhatt ‘Shailesh’ is famous for his contribution for the uplifting of Gadhwali language literature by many dimensions. Born in 1921 A. D, a small village Bharwadi, Chamoli Garhwal, Uttarakhand was teacher in Doon School Dehradun and had the privilege of being the local guardian of students like late Shri Rajeev Gandhi.

He was always been an active cultural activist for development and saving Gadhwalism. He wrote many articles, more than three hundred stories, more than ten plays and memorial or many personalities and areas, travel stories, adventurous memories of mountaineering in Garhwali and Hindi languages. He published more than twenty books on different subjects. His main books are as:

•   Hari Doob ( a collection of Garhwali folk Stories in Garhwali)
•   Naubat ( a collection of five Gadhwali dramas)
• Garhwali Bhasha aur uska Sahitya ( A research work and the book is used as reference book on many researches for Garhwali language)
•   Garhwali Bhasha par Bhasha Vaigyanik Addhyayan ( A research book on the origin of Garhwali language)
• Kali Das Jeewan Path Par ( A critic book on the literature of Sanskrit classic creative -Kali Das and also proved in support of Lalita Prasad Naithani’s theory  that Kali Dash was from Kaviltha, Chamoli Garhwal)
•   Dharti ke Phool ( story collection in Hindi)
•   Barf aur Barf  ( Memorial types of stories in Hindi)
•   Sapne aur Sapne ( Story collection in Hindi)
•   Chakkar aur Chakkar ( Story collection)
•   Keuchh Kahaniyan ( story collection)
•   Ghumte chehre (story collection)
•   Kala ke Swar (Story collections)
•   Parvatrohan ( book about mountaineering)
•   Abhiyan and Abhiyan ( memories about mountaineering)
•   Solah Samsmaran ( Memories)

He was awarded by Uttar Pradesh government for Garhwali Bhasha par Vaigyanik Addhyayan and play writings. His works on mountaineering and dramas is translated in many Indian and foreign languages.

BBC and Akashvani relayed his many stories and experiences on drama and adventures of mountaineering. He was always active in Garhwali cultural programs until he resided in Dehradun. At present Dr Hari Datt Bhatt resides in Munssorie after retiring from Doon School, Dehradun.

This year (2009), Arjun Singh Gusain Prathisthan, Mumbai awarded Hari Datt Bhatt Shailesh for “Arjun Singh Gusain Purushkar” for his contribution of developing Garhwali literature and mountaineering. Deepa Guasain established Arjun Singh Prasthistan in the memory of her late husband Arjun Singh Gusain, the editor of Hilans and a super activist of Uttarakhand movement.

Hari Datt Bhatt is the father of famous Hindi movie actress and TV serial performer Himani Bhatt Shivpuri


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Haridutt Bhatt 'Shailesh'-
"Garhwali bhasha aur uska sahitya",
 Hindi Samiti, UP, 1976.

Devbhoomi,Uttarakhand

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प्रख्यात साहित्यकार, भाषा विशेषज्ञ और शिक्षाविद्् डा. हरिदत्त भट्ट 'शैलेश' का पार्थिव शरीर मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गया। हरिद्वार के खड़खड़ी शमशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया। सैकड़ों नम आंखों ने दिवंगत शैलेश को अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई दी। साहित्य, कला, शिक्षा, संस्कृति एवं रंगमंच से जुड़े लोगों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

लंबे समय से गुर्दे की बीमारी से पीड़ित चल रहे डा. शैलेश का हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में सोमवार को निधन हो गया था। मंगलवार को उनके पार्थिव शव को अंतिम संस्कार के लिए हरिद्वार लाया गया और यहां खड़खड़ी शमशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। दिवंगत डा. शैलेश के पुत्र हिमांशु भट्ट ने पिता को मुखाग्नि दी।

 मुखाग्नि देते वक्त हिमांशु भट्ट फूट-फूट रो पडे़। इस मौके पर साहित्य, कला, संस्कृति, शिक्षा एवं रंगमंच से जुडे़ सैकड़ों लोग मौजूद थे। बेहद भावुक अंदाज में दिवंगत डा. शैलेश की पुत्री हिमानी ने पिता की विरासत को अक्षुण्ण रखकर आगे बढ़ाने की बात कही।

 उन्होंने कहा कि दिवंगत पिता ने भाषा, साहित्य और शिक्षा जगत में उल्लेखनीय कार्य किया है। उनके व्यक्तित्व और कृतत्व से बहुत सीखने को मिलता है। उनके पढ़ाए गए छात्र आज भी भाषा, साहित्य, शिक्षा क्षेत्र में समर्पित भाव के साथ कार्य कर रहे हैं।

 

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