Author Topic: Exclusive Poems of many Poets-उत्तराखंड के कई कवियों ये विशिष्ट कविताये  (Read 30868 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

Narendra Singh Negi' Poem
=====================

औˇणा

तुमुन मैं हिटणु सिखाई
पर दनकण नि दे
तुमुन मैं बच्याणु सिखाई
पर बोल्ण नि दे
तुमुन मैं लारा लाण-पैरणा सिखैनी
पर मनमर्ज्यू पैर्ण नि दे
खाणु खाण सिखाई
पर कमौण नि दे
तुमुन मैं लिखै-पढ़ै जरूर छ
पर खुदमुखत्यारि को अखत्यार नि दे
तुमुन मैं फर पुछड़ि पंखुड़ि लगैनी
पर उड़ण नि दे
किलैकि
तुमथैं अपड़ा घर मा
बेटि कि जगा
कठपोथˇी चयेणी छै।

(Courtesy Chithi Magazine)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

dramanainital

  • Full Member
  • ***
  • Posts: 171
  • Karma: +2/-0

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

Biru Chagar

By : Chandra Mohan Jyoti

ढुंगु डाल, कुछ लाठू बतेण्डू कर धध्यो ल्वखु धौ मार तपुन बी।
जु दिल्ली अर लखनौं मां छा, सी ऐगिन अब सब च्वर यपुन बी।
गौ बण्यां गर्त गरीब यखा कै मु जा व्यर्थ बतौणौं तैं
भूखा तैं नी भरत यपुन अर नांगा गात लुकौण तैं
मुर्दा बणिन मनस्वोच यपुन, क्वैं रे नी हाथ उठौणों तैं
सरकार च ब्वनि यौं कम्प्यूटर दयौण सिखौंणौं तैं
यन छन देसा नीति नियोजन छोड़ स्वयम खुद द्यौख तपुन बी
दिल्ली अर लखन≈ मां छा, सी ऐगिन अब सब परच्यौत यपुन बी
ढुंगु डाल, दिल्ली अर लखनौं मां छा, सी ऐगिनं अब सब च्वर यपुन बी
चुस्यां जन छा झौड़ जु पैली बै, नेता बन्या छा लखनौ रैं तै
मोटा मस्त मलनग पड्यां सी, अब सब देहरादून मां ऐ तैं
ऐगीन पैली क्वैं, अब औणा क्वै ऐ ते नजर लगौण छिन
य कै तैं कार मिलिन कुरस्युं दड़ी क्वैं अब लाल्द चुवौणा छिन
क्वै बी हो कै बी पार्टियों, सब अपडू वक्त बणौणा छन
क्वै गग्गू बणिन अजगर जन, क्वै कितला गात तड़योणा छिन
हपरा तपरी मद मस्त बण्यां यी, जगु-जगु आग लगौणा छिन
स्वार्थ का झूठा कौल्दा पैथर, यख सब दगडू पुरौण्यां छिन
हमरी कन्ध्यों मा ऐच चड़यां, अर हमरै मुंड मां वार कना छिन
उल्लवा पठा त हम तुम छन, जू यौं की जय जयकार कना छिन
छैगिन गिह् गरूड़ गग्गू य, ऐगिन बोक्सा बिराट तपुन बी
गिरगिट गौं-गौं तक पौंचिन, अब ह्वेगिन भूत पिचास यपुन बी
दिल्ली अर लखनौं मां छा, सी ऐगिनं अब सब च्वर यपुन बी।
मार काट हो हल्ला तमसु यी, भुखी जनता रूवौणों तैं
सी कुछ बी करी सकदन आखिर, खुद तैं सर्वाेंच्च बतौंणों तैं
बाना अर बेकूब बतौणा, तौं मू हर इस्टाइल छिन
सी अपरा स्वार्थ का खातिर हक्का तैं रौण रूवौंणा माहिर छिन
सी बीकी और बिकै सकदन, खुद कुरसी अपरी बचौणों तैं

सी कुशल वाध्य कलाकार छन हंक्का तै नाच नचौणांे
ख्वल द्वार अ जग्गो छूल्लु तो द्यौख छज्जा बिन संकति तपुन बी
दिल्ली अर लखनौं मां छा, सी ऐगिनं अब सब च्वर यपुन बी
ह्वैगिन पद परमोशन ऐथर, गोबर छा जू रेत बण्यां य
बजरी छा सी सीमेंट बण्यां, जू पत्थर छा सब टेक बण्यां य
जू कखडयूं का छा चोर, यपुन सी आज शसक्त डकैत बण्यां या
यन परिवर्तन ह्वैगी विकासौ डरख्वा आज लठैत बण्यां य
य आग लगी यन बजर पड़ी, जू छा वी सब परचेत बण्यां य
जू छ्वीं लांणौ तैयार नी छा सी टौव्ला आज टिकैत बण्यां य
ब्वन कैन अब यौं तैं कुछ बी, बुह्जिीव सब प्रेत बण्यां य
स्यौरा स्वगौड़ा सब बंजर ह्वैगीन रंगड़ धंगड़ खेत बण्या य
धर्म शक्ति का साथ जू छा सी अब सब नाम मेट बण्यां या
जाैं पर अफू विश्वास नी छौ सी लावा लसकर सेठ बण्यां य
जौंकू कुछ मनस्वौब नी छौ सी गद्वरा शंख पठैत बण्यां य
जौं मुख धौव्णैं बी होश नी छै सी बौल्दया आज सचेत बण्यां य
लम्बा कुरता ध्वत्ता नेता यन जन मेट बण्यां य
जू मनखियौं मां बी गणैदा नी छा सी गड़गौरव अभिलेख बण्यां य
पड़ी फरक बरबाद बण्यी य, ह्वेगी बात सब खाक यपुन बी
ह्वेगीन जीवन जनतु जीव सब मन्खी नी रै मनख्यात तपुन बी
जु दिल्ली अर लखनौ मां छा, सी ऐगिन अब सब च्वर यपुन बी
पुरूष बणिन यख नेता नपोडू कुछ औरत यख उसताद बणी छिन
छौड़ी मुख मरियादा घर की दार्वा टेण्डर डल्द लगी छिन
हाल क्यवा होला ये गढ़वाल ज सृष्टि शकल बेकार ह्वेयी च
मा जननी जगदम्बा ज अब दारू बिकौण त्यार ह्वयीं च
मा° छै शान लाज गढ़वाले दूधौ सत अधिकार च जौं तै
दूधा बदला दारू पिलौंणी चल हठ अब धिक्कार छ तौं तै
बणी हमरु प्रदेश अलग पर धरती परदूषित ह्वैग्ये
जू छौ चोरी कन्नू लखनौं मा आज उबैं हमरै य ऐ ग्ये
खबरदार बण होशियार गौ गल्दू बचो घर द्यौख अपुडू बी
जु दिल्ली अर लखन≈ मां छा, सी मैडम ऐगिन आज यपुन बी

uspant

  • Newbie
  • *
  • Posts: 15
  • Karma: +2/-0
पहाड़ी लोग नकि जै शाबाश!
आपूं नि खा बेर ले सबे पढूनीं
इज बाबु अपण नान्तिनन स्कूल 
रात्ते ब्याल घर में काम करनीं
नानतिन नंग्ड़े  खुट जानी स्कूल
परीक्षा मैं भले रिजल्ट  ली उनीं
चाहे मास्टर ले नि हुनी स्कूल
गौं में रे बेर शहरन  में करनीं
ईमानदारी ले नौकरी भरपूर
जाँ ले जानी बस छाई  जानी
याद सब धरनी आपण स्कूल
पहाड़ी लोग नकि जै शाबाश!

uspant

  • Newbie
  • *
  • Posts: 15
  • Karma: +2/-0
कुमाऊँ की महिलाएं
कल की यादें जैसे आज भी ताज़ा सी थीं
गाँव की कर्मठ बच्चियां और स्त्रियों की
हर भेदभाव और शोषण के चलते भी
एक जीवंत अंदाज़ में कर्तव्यपरायणता
अभाव के बीच सपने और किलकारियां
कुछ करने की ललक और उनके सपने
शहर में रहकर भी वे हर द्वन्द से जूझतीं
शिक्षा, कामकाज भी के हर क्षेत्र में बढ़तीं
कामकाजी स्त्रियों का समन्वय का प्रण
परिवार, व्यवसाय के बीच व्यस्त क्षण
कभी हार न मान भी चुपचाप रहकर
नियति मान हर हाल में खुश दिखकर
अगली पीढ़ी को भी सदा प्रेरित करतीं
उनकी गगनचुम्बी उड़ान के मंतव्य को
प्रतिक्षण निश्वार्थ वे सबका साथ निभायें
धन्य धन्य हैं वे सब कुमाऊँ की महिलाएं
....actually relevant for most Indian and South Asian Women:)
 from my blog...uspant.blogspot.com

uspant

  • Newbie
  • *
  • Posts: 15
  • Karma: +2/-0
चैत
ओ नान्तिन्नक बौज्यू; आयो महिना चैत
तुम समालो नान्तिना; मैं न्हे जाछूं मैत

भै बेंणी सब देश गईं; को ल्युन्छ भिटोली
मेरा बाबू अब बुढ है गईं; मेर इजा छ खेत
तुम समालो नान्तिना; मैं न्हे जाछूं मैत

नान छना मैं कसि रौनक; सबे हिली मिली
यो कसो छ दीन आयो; बुढ बुढ़ा बस मैत
तुम समालो नान्तिना; मैं न्हे जाछूं मैत

हम ले भोलि बुढ़ा हूँला; फेरि हम यसे देखूंला
सबे नानतिन देश न्हे जानि; को जोतला खेत
तुम समालो नान्तिना; मैं न्हे जाछूं मैत

by: Udaya Shankar Pant

uspant

  • Newbie
  • *
  • Posts: 15
  • Karma: +2/-0
Udaya Pant 06 September at 17:45
कौतिक
बागेस्वर कौतिक मेंs; चलि रै झमा झम
हिट दिदी भुला सबैs; नाच्नू छमा छम

क्या रंगीलो रंग रन्गियो; कौतिक में आsज
भौजी- ददा नान्तिनाs; रंग में रंगींs छन
शीला, लीला उर्मिलाs; सब्बे मगन छन
कस लगूनी ठूमका; पाल घरे की आsम

गौं घर का ज्वान आsज; एकबटिया छन
झौड़ गानि चांsचरी; छम छमा छम छम
गीत भरी रीत छ यो; म्यार कौतिके शाsन
भल है रया सब लोगोs; नाचिया छमा छम

uspant

  • Newbie
  • *
  • Posts: 15
  • Karma: +2/-0
बाट देखुनू 
फिर मोटर ले ऐ गे  लेकिन
मेर सुवा नि आय आज ले
कतु दिन बटी बाट देखछूं
चिठी पत्री लै एक  नि आई
नान्तिना अब रोज़े  पूछनी
इजा! बाबु कै दिन आला
रोज़ नई मैं बात बतूनी
तभी ऊं स्कूल लै जाला
सब्नक बाबू घर   ऐ रईं
एकै तों छन काँ लुकि रईं
तीन दिन हिटिं हई गईं
पत्त नैं काँ छन रमी रईं
मेर पास त फ़ोन ले न्हेति
ओ दीदी एक फोन करि दिया
मैं फ़िक़र बड़ी   है  रै  छ
मेरो यो काम करि दिया
by: Udaya pant

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,865
  • Karma: +27/-0
पहाड़ के रोज रोज के जीवन का बड़ा सटीक विवरण दिया है सर आपने.

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22