"मै अंग्रेजी मे देहाती अंग्रेज"
मेरी अंग्रजी इतनी जबरदस्त है की बस पुछो मत 100 प्रतिशत सुनता हु लेकिन समझता 0 प्रतिशत हु,99 प्रतिशत पढ लेता हु लेकिन समझता 9 प्रतिशत हु, 10 प्रतिशत लिख भी लेता हु लेकिन 10 दिन बाद अपने लिखे को ही नही पढ पाता हु. अब बताओ हु न मै अंग्रेजी मे देहाती अंग्रेज अरे भई जब छटी क्लास मे पहुचने के बाद abcd पढंगे लिखंगे तो देहाती अंग्रेज ही तो बनंगे क्योकी पहले गांव मे 1 से 5 तक अंग्रेजी नही पढाई जाती थी क्योकी अ,आ, क,ख, बारहखडियां पढना लिखना, मुख जुबानी याद करना ही भारी पडता था.
वैसे तो मै हिन्दुस्तान के सबसे कठिन माने जाने वाले बोर्ड से मध्यम क्लास तक पढा लिखा हु यानी उत्तर प्रदेश शिक्षा बोर्ड. उस समय उत्तराखण्ड उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा था.
जहां आज के दौर मे शिक्षा के क्षेत्र मे भारी बदलाव देखने को मिल रहे है जैसे अब 10-दसवीं का बोर्ड सिस्टम खत्म कर दिया गया है वही हमने उस दौर मे 5पांचवी क्लास का बोर्ड इक्जाम दिया. आज जहां डीविजन सिस्टम खत्म कर ग्रेड सिस्टम बना दिया है वही हमारे दौर मे 1,2,3 डीविजन पास करना एक जंग जीतने के बराबर होता था और अगर डीविजन पास नही भी हुवे तो कोई बात नही ग्रेस सिस्टम से पास होना ही बहुत बडी बात होती थी.
खैर छोडो ये सब बाते मुझे तो देहाती अंग्रेज होने पर ही संतुष्टी है कम से कम किसी अंग्रेज से तो मेरा पाला नही पडेगा जो अपने तो क्या किसी के भी नही होते, जो गैरो को तो क्या अपनी माँ बहनो को माँ बहन समझना जरूरी नही समझते.
बात अंग्रेजी की चल रही है इसलिए अंग्रेजो को भी बीच मे ले आया हु हालाकी मै देहाती अंग्रेज शहरी अंग्रेज को -0 प्रतिशत ही समझ पाता हुं.
क्योकी उनकी भाषा 100 प्रतिशत लोकल भाषा होती है यानी वो अपनी बोल चाल मे ग्रामर का स्तेमाल नही करते जैसे की एक हिन्दुस्तानी 100 प्रतिशत ग्रामर इंग्लिस बोलता है, लिखता है.
अरे छोडिये जाने दिजीये इस अंग्रेजी और अंग्रेजो को इन्होने ने तो हर दिमांग हर देश मे राज कर रख्खा है जरा गौर से सोचीये.
बच्चा अंग्रेजी मे कम नम्बर लाता है तो सबसे पहले उसे माँ बाप की प्रताडना मिलती है बहार वालो की बात तो छोडो वो तो कहंगे ही कि तुम्हारा बच्चा पढाई मे कमजोर है आदि.. और हां अगर फेल हो जाये तो फिर तो आत्म हत्या तक बात पहुच जाती है. आखीर कब हमारी यह मानसिक्ता बदलेगी और हम यह कब सोचंगे कि जिन्दगी एक उपाधी (डीग्री) नही प्रयोगिक (प्रैक्टिकल) है.
अगर कोई देश प्रगति करता है तो अंग्रजी कहती है फला देश की यह प्रगति पुरे विश्व के लिए अशांती और खतरा है उस देश पर विटो पावर का स्तेमाल करने लगते है क्योकी वो ये कतई नही चाहते है कि अंग्रेजी से आघे कोइ जाये या उनसे कोई आघे बढे. या उनकी संस्कृति से आघे किसी देश की संस्कृति बिश्व मे पहचान बनाए. अगर विश्वास नही होता तो किसी अंग्रेज से पुछने की जरुरत नही है अपने प्रवासी भारतीयों से पुछ लिजीये.
सुन्दर सिंह नेगी 16/07/2010.