Author Topic: Garhwali Poem by Sudesh Bhatt- फौजी सुदेश भट्ट की गढ़वाली कवितायें  (Read 15673 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

We are posting some garhwali poems composed by a soilder Mr Sudesh Bhatt who is currently serving in Indian army. He has sent this introduction about himself from Ladak where he is presently posted.

मेरा जन्म पौड़ी गढ़वाल के पटटी तल्ला उदयपुर के बोंगा गांव मे 3 अक्टुबर 1979 में हुवा बचपन पहाड़ी परिवेश में हुआ. पढाई के साथ साथ घरेलू पहाडी कार्य हल जोतना गाय बकरीयां चुगाना भी पढाई की तरह ही दिनचर्या मे शामिल थी सैन्य परिवेश मे होने के कारण देश भक्ति का जज्बा तो बिरासत मे ही मिल गया था .लेखनी के प्रति बचपन से बहुत शौक था ओर हर एक घटना को अपनी कलम से गुंथनै का प्रयास करता रहा हुं

समाज सेवा के प्रति लगाव असहाय गरीब और मजबुर ईंसानों की मदद जरुरतमंद भाईयों के लिये समर्पण की भावना "दगडया"पंजीकृत संस्था के माध्यम से कर रहा हुं जिसका की मै जिसका में एक सिपाही हूँ और  समय समय पर रक्तदान शिवीर का आयोजन व गरीबों के लिये संगठन के माध्यम से खास कर अस्पताल में भर्ती मरीज को रक्त और आर्थिक सहायता भी समय समय पर देते रहते हैं

सकुन ईस बात का है कि देश का प्रहरी हुं......देश सेवा के साथ साथ कलम और दगडया के माध्यम से समाज  मे कुछ परिवर्तन ला सका अपनी लुप्त होती भाषा को बचाने मे अंश मात्र भी योगदान दे सका तो जीवन को सार्थक समझूंगा.....सुदेश भटट(दगडया)

Hope you will enjoy the garhwali poems composed by Mr Suresh Bhatt

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M S Mehta 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
01 Aug 2015 10:42am ·

म्यार गौं की सारी
झपन्यली हुयीं होली
मुंगरी बुकाण कुन बेटी ब्वारी
मैत अयीं जयीं होली
कती दीदी भूली मेरी
परदेश मा होली
लुटीर कुटीर लाल भैजी
सारु लगीं होली
बुये भग्यानी मेरी भी
कुटीर बंधणा होली
मी त छौं डयूटी दीदों
बाबा जी तै लखाणा होली
म्यार गौं की सारी
झपन्यली हुयीं होली
ककडी मुंगरयुं की बुये
फंची बंधणा होली
हैरी हैरी ककडी
मुर्या कु लुण पिसणा होली
बुये भी बेटयुं बिना
खुब खुदयाणा होली
म्यार गौं की सारी
झपन्यली हुयीं होली
बसकल्या छ्वया मंदर
सुंस्याट करना होली
कुयडी डांडीयुं मा
दीदी भूली खुद्याणा होली
म्यार गौं की सारी
झपन्यली हुयीं......
सर्वाधिकार सुरक्षित@लिख्वार सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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By Sudesh Bhatt

आज त्वै बिना सरा
सुन्याल ह्वे ग्यायी
    गांव बीटी बोर्डर तक
    मातम छै ग्यायी
तेरी मिसाईल क दम पर
यख जिकुडी फुलीं रांदी
    बैरयुं की टोली डैर न
     बंकर मा लुकीं रांदी
अब कु बणाल हमकुन
बडी बडी मिसाईल
     किलै ना तीन एक
     कलाम होर बणाई
अनाथ हुयुं लगणा
त्वै बिना देश
    रुवाणा छन लोग
     देश हो प्रदेश
आज हमर ग्वाठ क
उ गुठयल चली ग्यायी
    जै देखी क बाग कबी
     भीतर नी आयी
आज त्वै बिना सरा
सुन्याल ह्वे ग्यायी
    बम ग्वाला तीन
    यन यन बणेन
जौंन करगिल मा बैरयुं क
छक्का छुडेन
   जब मचली बार्डर मा
   लाम अर लडैयी
सबसे पैली हमतै
तेरी याद आली
    दुश्मन तै हम
    जडफती मिटै द्योला
तेरी मिसैल हम जब
लाहोर मा गिरोला
    चली गे हमतै छोडी क
    दीदा तु यखुली
तेरी मीसैल देखी
फौंज्युं तै खुद लगली
    तेरी समलोंण मिसैल
    च हमर दगडी
त्यार नौं क सैल्यूट
जब मिसैल कुन लगली
   त्वै बिना आज सरा
   सुन्याल ह्वे ग्यायी
दान संयण हो या
हो कुई जवान
    सलाम सोब त्वै कु
    करना छन कलाम
आज त्वै बिना सरा
सुन्याल ह्वे .......
 लिख्वार  सुदेश भटट(दगडया)यमकेस्वर गडवाल की तरफ बीटी कलाम साहब कुन समर्पित पंक्तियुं क दगडी सच्चु मन से श्रद्धांजली

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हरु हरपाल ह्वै ग्या
कीडु कृपाल ह्वे ग्या
दिल्ली जैकी भाई
धनु धनपाल ह्वे ग्या
हरु हरपाल ह्वे ग्या
कीडु कृपाल...
   दिग्गु दिगंबर ह्वै ग्या
    शंभू स्वयंबर ह्वे ग्या
    भर्ती ह्वेकी ईंटैलिजैंट
     सुदेश जाडु ह्वे ग्या
    हरु हरपाल ह्वे ग्या
    कीडु कृपाल ...
रामु रमेश ह्वे ग्या
काल्या महेश ह्वे ग्या
बंबई मा जैकी
दिनु दिनेश ह्वे ग्या
हरु हरपाल ह्वे ग्या
कीडु कृपाल ...
   अज्जु अजय ह्वे ग्या
    गज्जु गजेंदर ह्वे ग्या
    म्वाटा भाई भी दिल्ली जैकी
    बल मनीराम ह्वे ग्या
    हरु हरपाल ह्वे ग्या
     कीडु कृपाल ह्वे ग्या
दगडया कु सनोज भाई
सुभाष भटट ह्वे ग्या
बुकंडी कु सत्या दा
एस.पी जोशी ह्वे ग्या
     हरु हरपाल ह्वे ग्या
     कीडु कृपाल ह्वे ग्या
      भर्ती ह्वेक ईंटैलिजैंट
      सुदेश जाडु ह्वे ग्या
       हरु हरपाल ह्वै ग्या
       कीडु कृपाल.....

सर्वाधिकार सहित सुदेश भटट(दगडया)की हास्य ब्यंग रचना(दगडयों जैक नाम मिलणा हुवाल बुरु नी मन्या)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
July 31 at 7:34am ·

रोंत्यालु उलारु दीदों
म्यार अपण गों च
म्यार बचपन
खत्यूं जखपन
यी वी भग्यांन
गांव च
तिबरी डिंडयाली अर
नीमदरीयुं से सज्यूं गांव च
रोंत्यालु उलारु दीदों
म्यार अपण गांव च
मैत की बेटयूं क
सारु भग्यान गांव च
ठंडी ठंडी हवा चलदी
धार मा बस्युं गांव च
रोंत्यालु उलरु दीदों
म्यार भग्यान गांव च
बेटी ब्वारी कुन सुख दीदों
घास लखुड क गांव च
फ्रिज से भी ठंडु पाणी
गाड गदन्यु क गांव च
रोंत्यालु उलरु दीदों
म्यार भग्यान गांव च
भटट बंधुओं से
रचयुं बसयुं
हैंसदु खिलद
गांव च
मेकुन स्वर्ग से भी बडु
म्यार भग्यान गांव ब्वांग च
सर्वाधिकार सुरक्षित @लिख्वार सुदेश भटट(दगडया)की कलम से
रौंत्यालु उलारु दीदों
म्यार अपुण.......

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
July 23 at 9:16pm ·

हे मां त्वै बिना
आंखी नम हुंयी च
सुबेर श्याम फोटो तेरी
मेरी जिकुडी धरीं च
आंदी बगत मांजी तीन
लगै द्या बिदकी क पिटयी
आंखी तेरी भी भरीं छै
मां मीन भी चिताई
मुंड मलासी क मा तु
मीतै पैटाणा रैयी
बस मा नी बैठी जब तक
तु धार बीटी दिखणा रैयी
हे मां त्वै बिना
आंखी नम हुंयीं च
तेरी चुडा बुखाणु की
मां याद भौत आंद
घुंड घुंडीयुं बर्फ मा जब
डयूटी लगी जांद
हे मा त्वै बिना...........
सर्वाधिकार सुरक्षित....सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
July 22 at 8:33am ·

छोड कर घर बार
सरहदों पर चला गया
दोस्त सब कहते हैं
कहीं फौजी खो गया
दीपावली के पर्व पर
बम गोलों के संग हो गया
अबीर गुलाल के वक्त पर
लाल रंग में रंग गया
देश की रक्षा करते हुये
जो संग तिरंगे के सो गया
दोस्त सब कहते हैं
कहीं फौजी खो गया
घर में जब पहुंचा तो
तिरंगे में अलग ही पहिचान थी
जिन गलियों मे खेला था
वो सब सुनसान थी
जिन गोदों मे पला बडा था
उनका बुरा हाल था
आंसूंओं की बारीष मे
बाढ का सा मंजर था
दोस्त सब कहते हैं
कहीं फौजी खो गया
पकड जिन उंगलियों को
संभलना सीखा था
खुद बेसहारा हुये पिता
टूटी दीवार को पकडे था
जिस मुख से सुनता था लोरी
वो आज बेजुबान थी
तडप रही थी ममता आज
मां रो रो के बेहाल थी
दोस्त सब कहते हैं
कहीं फौजी .....
बहिनों का तो कहना ही क्या
रो रो के बेहाल थी
चिपट चिपट इक दुजे से
शहीद भाई को निहारती थी
राखी की सौंगध दे उसको
जगाती बार बार थी
दोस्त सब कहते हैं
कहीं फौजी खो गया
उस माथे का क्या कहना
जिसने संग लिया कभी
मंडप मे सिंदुर था
दुनिया उजड गयी उसकी
वो खुद बेजान थी
जिसकी हुई मांग सुनसान थी
दोस्त सब कहते हैं
कहीं फौजी खो गया
(शहीदों को कोटी कोटी नमन)
लेखक..सुदेश भटट(दगडया)सर्वाधिकार सुरक्षित प्रकाशित रचना २०१०...

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Sudesh Bhatt
July 20 at 1:55pm ·

ककडी मुंगरी चुराण क
मैना लगी ग्यायी
हपार घर्या चौरु की टक
लौंकदी कुयडी पर लगी ग्यायी
मुर्या क चटणी
दिनी मा पीसै ग्यायी
सोणा कों की ककडी चुरोला
प्लान यु गोरुम बणै ग्यायी
झमट्यां झमट्यां सी टोली
घर बिटी निखली ग्यायी
नंगी खुटयूं मा अग्यर
चप्पल हथ मा फंसै ग्यायी
ककडी मुंगरी चुराण क...........रचना सर्वाधिकार सहित ..सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
July 19 at 5:38pm ·

मां की ममता....

नौ महीने तक रखा कोक मे
दुख दर्द को झेला है
तरह तरह की पीडा सहकर
मां ने कोक मे पाला है
जब चलती थी सर्द हवायें
आंचल मे ढंक लेती थी
तपते दिनों मे जेट के मां
हिला आंचल से हवा देती थी
जब नींद नही आती थी मुझको
लोरी सुना सुलाती थी
भुख सताती थी मुझको मां थोडा खाकर
भरपेट मुझे खिलाती थी
नौ महीने तक रखा कोक मे
दुख दर्द को झेला है
तरह तरह की पीडा सहकर
मां ने कोक में पाला ह
क्या करुं बहुत दुर हुं
याद करता मां को हर रोज हुं
देश के खातिर सरहद पर
दिन रात तैनात हुं
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
July 18 at 9:26am ·

आज जिकुडी दीदों यख
उदास हुयीं च
हथ्यूं मा रैफल
टक घर लगीं च
बौडी बौडी की याद गौं की
बडुली लगीं च
वनी बसकल्या डांडियूं मा यख
कुयेडी लौंकी च
यख डयूटी मा पराण
मैत की बेटी बणी च
कुटीर फूचांण क ज्यू नी भुना
ज्वा मां की बंधीं च
गौं खोलों की याद दीदों
आणी च भारी
तख लग्यूं बसकाल
यख हुणी बर्फवारी
यख भी डांड्युं मा दीदों
घुघती च घुराणी
घुट घट बडुल्युं मा मेरी
जिकुडी झुराणी
मां की दीयीं रुटी अदबट की
मीसै नी खयायी
बक्सा मा धरी समाली क मीन
दगडयौं तै समलोंण बताई
आज जिकुडी दीदों यख
उदास हुयीं च
हथ्युं मा रैफल टक
घर लगीं च

सुदेश भटट(दगडया)

 

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