Author Topic: Garhwali Poem by Sudesh Bhatt- फौजी सुदेश भट्ट की गढ़वाली कवितायें  (Read 16174 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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आज भी मीतै गौं की
याद भौत आंणी च
बल्दु की जोडी अपडी
लैंदी गौडी याद आंणी च
आज बी मीतै गौं की
जंदर्युं क घुंघ्याट
गदन्युं कु सुंस्याट
बसकल्या हरच्यां गोरु की
घंडुल्युं की याद आंणी च
आज मीतै गौं की
म्वाल लगयीं जुगयीं लोखु की
चुरयीं ककडी याद आंणी च
दिल्ली छौं फ्लैटु मा पड्युं
बुये की धै सुंण्यांणी च
आज मीतै गौं की
याद भौत आंणी च
खल्यांणु मा बल्द रिटांण की
दां ल्यांण की याद आणी च
कांधा मा जु धरीक
गल्यों तै पैटांण की याद आंणी च
आज मीतै दीदों गौं की
भौत याद आंणी च
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेख..सुदेश भट्ट(दगडया)फोटो साभार सत्येस्वर प्रसाद जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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आज भी मीतै गौं की
याद भौत आंणी च
बल्दु की जोडी अपडी
लैंदी गौडी याद आंणी च
आज बी मीतै गौं की
जंदर्युं क घुंघ्याट
गदन्युं कु सुंस्याट
बसकल्या हरच्यां गोरु की
घंडुल्युं की याद आंणी च
आज मीतै गौं की
म्वाल लगयीं जुगयीं लोखु की
चुरयीं ककडी याद आंणी च
दिल्ली छौं फ्लैटु मा पड्युं
बुये की धै सुंण्यांणी च
आज मीतै गौं की
याद भौत आंणी च
खल्यांणु मा बल्द रिटांण की
दां ल्यांण की याद आणी च
कांधा मा जु धरीक
गल्यों तै पैटांण की याद आंणी च
आज मीतै दीदों गौं की
भौत याद आंणी च
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेख..सुदेश भट्ट(दगडया)फोटो साभार सत्येस्वर प्रसाद जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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#‎चुनौ‬ की मार मार कैकी
हंत्या घड्यली लगीं च
फेसबुक ब्हाटसप मा नेतों की
खुब कछेडी लगीं च
चुनौ की मार मार कैकी
जु सुनिंद हुयां छ्या ब्याली तक
अब कुबलांणा छन
च्याला च्यांटों की दगड
द्याखो फिक्वाल बंण्या छन
धार धार गाड गाड
खुब डबखंणा छन
चुलख्यंदु मा पाणी खत्या त
सुर्र पौंछणा छन
हैंस बी आंदी त कबी
खैरी बी आंदी
हमरी खैरी बिपदा मा
खुब भिट्यांणा छन
जब तक रैन सत्ता मा
फून कबी नी उठाई
आज त मिसकाल मा ही
रिप्लाई बी आई
चुनौ की मार मार कैकी
ब्याली तक जु जनता क
तमसु दिखंणा रैन
गगडांद द्योर सी अब
सिंगान सी भोट खुज्यांणा छन
निस्वार्थी नेता कमेंटस करल अवसरवादीयों कु लाईक बी स्वीकार्य नी @लेख..सुदेश भट्ट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हे पर्वतराज हिमालय तुझको
कोटी नमन मै करता हुं
शीर्ष मुकुट है तु दुनिया का
कोटी नमन मै करता हुं
तेरे दर्शन मात्र से ही
मै गौरव महसुस करता हुं
हे दुनिया के शीर्ष मुकुट
कोटी नमन मै करता हुं
गिरीराज तु पर्वतराज
कई नामों से बिभुषित है
अभिलाषा है मेरे मन की
करुं तिरंगे से तेरा ताज सुशोभित
तेरी गोद मे मां जैसा ही
प्यार की छांव पाता हुं
हे पर्वतराज हिमालय तुझको
कोटी नमन में करता हुं ..... सर्वाधिकार सुरक्षित @लेखक सुदेश भट्ट (दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दगडयों कन हुंद
टिगट यु
मी भी सुणावा
कख मिल्दु दीदों यु
मी बी बतावा
दगडयों कन हुंद
टिगट यु
जलेबी की घिरली जन हुंद कि
मट्ठी क तरां हुंद
नयी पुरंण कनै मनै कि
जीमो की टिगट क तरां हुंद
दगडयों कन हुंद
टिगट यु
अस्पताल क बिल जन हुंद कि
हल्वै कु जन हुंद
अदरण पदरण जनी बी
कुई मीतै बतावा
दीदों कन हुंद
टिगट यु
बिजली क आफिस म मिल्दु
कि डी.एम क आफिस म मिल्दु
नरेगा मनरेगा या
बी.पी.एल कार्ड मा मिल्दु
दीदों कख मिल्दु
टिगट यु
दीदों उधार पगाल या कुई
ब्याज पर ही दे द्याओ
द्वी परसेंट ना कुई
पचास परसेंट ले ल्याओ
दीदों कख मिल्दु
टिगट यु
पांच मा ना भैजी
द्वी साल मा ही लौटे द्योलु
सुत ब्याज सुदा त्यार
टिगट बी चुकोलु
दीदों कख मिल्दु
टिगट यु
बस अड्डा मा मिल्दु
या ट्रैजरी मा मिल्दु
दिल्ली ड्यारदूंण या
कखी होर बी मिल्दु
दीदों कन हुंद
टिगट यु
17 नजदीक अयुं च
टिगट ही टिगट हुयुं च
दीदों कन मिल्दु कख मिल्दु
यु कन टिगट टिगट हुयुं च
म्यार भी जिकुडी तै बिंगाण कुन
ब्याली बिटीक टिगट ल्युं च
रीसकेष बिटी ठेट
दिल्ली तक क ल्युं च
दीदों कन हुंद
टिगट यु
सर्वाधिकार सुरक्षित @सुदेश भट्ट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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‪#‎हिमालय‬ बचेगा तो
जीवन बचेगा
मानव का जीवन
फूलों सा खिलेगा
धडकन है तेरी
हिमालय हे मानव
धडकन को रुकने से
बचा ले तु मानव
हिमालय रहेगा तो
खुशहाली होगी
नदियां बहेंगी तो
हरियाली होगी
चारों ओर आलम
खुशियों का होगा
श्वेत चादर ओढे
जब हिमालय होगा
बचा ले तु मानव
हिमालय को अपने
स्वर्ग यैसा फिर
कहीं ना मिलेगा
हिमालय बचेगा तो
जीवन........
सर्वाधिकार सुरक्षित @लेख..सुदेश भट्ट(दगडया)

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‪#‎गथु‬ सी कुट्युं छै
अल्लु सी थिंच्यु छै
म्यार मुल्क मा यैकी खली
अदमरु पडयुं छै
तु दलीप राणा ही खुब छै रे
किलै बंणी खली
अपर नौ कमांण कुन जौंन
त्वै कुटै दिया खली
गथु सी कुट्युं छै
अल्लु सी थिंच्यु छै
खली की आड मा लोग
कमांण चैंदिन नाम
समली क रै दादा नीथर
मौ लगी जाली घाम
हमरी बांजी फांग्यु क
बुट्या उपाड दे खली
आपदा क ढुंगो तै
उंद फरकै दे खली
युं नरबैग्युं की चाल मा तीन
सौल सी घिरये जांण
यी राल सत्ता मा चुर
त्यार नौनु न छुरये जांण
देश बिदेश मा तीन
नाम कमाई खली
म्यार मुलुक यैकी नरबै
तु गथु सी कुटे गे खली
अरे नरबैग्युं बुलांण ही छ्या त
कै हल्या तै बुलांद
बांजी फांग्यु मा हल
कखी डाल लगांद
गथु सी कुट्युं छै
अल्लु सी थिंच्यु छै
तेरी यीं पीडा मा हम
तेरी दगड छ्या खली
कल्यो देकी लखोला त्वै
त्यार सिरमौर हे खली
अरे शुरबीरों की धरती मा
तेरी थिंच्वाणी बणी ग्या खली
युं नरबैग्युं तै त शरम नी
नाक कटै द्या खली
गथु सी कुटयुं छै
अल्लु सी......
खली@लेख..सुदेश भट्ट(दगडया)

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हंत्या घड्यली लगीं च
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खुब कछेडी लगीं च
चुनौ की मार मार कैकी
जु सुनिंद हुयां छ्या ब्याली तक
अब कुबलांणा छन
च्याला च्यांटों की दगड
द्याखो फिक्वाल बंण्या छन
धार धार गाड गाड
खुब डबखंणा छन
चुलख्यंदु मा पाणी खत्या त
सुर्र पौंछणा छन
हैंस बी आंदी त कबी
खैरी बी आंदी
हमरी खैरी बिपदा मा
खुब भिट्यांणा छन
जब तक रैन सत्ता मा
फून कबी नी उठाई
आज त मिसकाल मा ही
रिप्लाई बी आई
चुनौ की मार मार कैकी
ब्याली तक जु जनता क
तमसु दिखंणा रैन
गगडांद द्योर सी अब
सिंगान सी भोट खुज्यांणा छन
निस्वार्थी नेता कमेंटस करल अवसरवादीयों कु लाईक बी स्वीकार्य नी @लेख..सुदेश भट्ट(दगडया)

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आज भी मीतै गौं की
याद भौत आंणी च
बल्दु की जोडी अपडी
लैंदी गौडी याद आंणी च
आज बी मीतै गौं की
जंदर्युं क घुंघ्याट
गदन्युं कु सुंस्याट
बसकल्या हरच्यां गोरु की
घंडुल्युं की याद आंणी च
आज मीतै गौं की
म्वाल लगयीं जुगयीं लोखु की
चुरयीं ककडी याद आंणी च
दिल्ली छौं फ्लैटु मा पड्युं
बुये की धै सुंण्यांणी च
आज मीतै गौं की
याद भौत आंणी च
खल्यांणु मा बल्द रिटांण की
दां ल्यांण की याद आणी च
कांधा मा जु धरीक
गल्यों तै पैटांण की याद आंणी च
आज मीतै दीदों गौं की
भौत याद आंणी च
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेख..सुदेश भट्ट(दगडया)फोटो साभार सत्येस्वर प्रसाद जोशी

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खुशियों कु रैबार लेकी
फंची भैरीक यै ग्यायी
रंग बिरंगी रंगु क दगडी
हपार होली यै ग्यायी
नौकर्या दगड्या भी म्यार
लग्यां छुट्टी क सार मा
ड्यूटी मा ज्यु नी लगणु
उल्टी गिंती हाथ मा
रंग बिरंगी यैग्या होली
छुट्टी की अर्जी लैन मा
म्यारु घुपल्या भी सारु लग्यु बल
बाबा आल होली मां
दीदी भुली मेरी सबी
पैटंणा होली मैत कु
ढौल दमौं बजंणा ह्वाल
म्यार गौं मा चैत का
दुर छौं परदेश दगड्यों
खुद तुम्हारी लगीं च
फंची भौरी की मेरी तुमकु
हैप्पी होली लखंयीं च
खुशियों कु रैबार लेकी
फंची भरी क......
सर्वाधिकार सुरक्षित @सुदेश भट्ट (दगडया)

 

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