Author Topic: Garhwali Poem by Sudesh Bhatt- फौजी सुदेश भट्ट की गढ़वाली कवितायें  (Read 16025 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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म्यार गौं गुठ्यार मा
अब कुछ नी राई
ना त छांतु टाट पल
अर ना पाथु राई
बांजी कुडी हुंयी च
भीतरी डाली जमीं च
ताली लगीं भैर बटै
मौ दिल्ली जयीं च
अंणो गुरों की जंदर्युं पर
कन अंग्वाल भटीं च
चुलख्यंदों मा पुंछडी धरीं
सील्वटों मा सीयीं च
बारा नाजु की दबली बुये की
कन ट्वटकां हुयीं च
मेरी पाटी बुखल्या कुजंणी
कै क्वांण पडीं च
दीदी भूल्युं तै गंज्यली
उरख्यली धै लगांणी च
ताम की पींड की तौली
दुधाल गौडी खुज्यांणी च
म्यार गौं गुठ्यार मा
अब कुछ नी राई
ना त छांतु टाट पल
अर ना पाथु......
सर्वाधिकार सुरक्षित @लेख सुदेश भट्ट "दगडया"

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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स्कूल क दिन आज
फिर बौडी यैगे
गौं ख्वालों की याद
जिकुडी मा लैगे
ऊकाल उंदार छ्या
कखी सैंणु बाटु
गाड गदन्यों क बीच
म्यारु स्कूल्या छ्या बाटु
बरखा बत्वांण्यूं मा
दस मील आंण जांण
स्कूल जांण से पैली
गोट भी छे सरकांण
स्कूल क दिन आज
फिर बौडी यैगे
गौं खोलों की याद
जिकुडी.....
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेॆश भट्ट दगड्या

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कांड क डालुंद जैली
तेरी झूगली टुपली
डुंग पडल तेरी गैर्युं मा
अर तेरी घोटालों की फैलों मा
बदला की राजनिति कु
अयुं नयी रिवाज
चम्मचों की लंगार लगीं
म्यार उत्तराखंड मा
कखी घ्वाडा मर्यांणु च
कखी खली कुट्यांणु च
बिकाश की कुई बात नी
दीदों उत्तराखंड मा
आपदों की मार मा
अंध्यरु हुयुं पाड मा
एसी मा पडी पडी क
भाषंण ड्यारदूंण मा
लंबु कुर्ता अर चिपक्युं सुलार
पैन जुगा तीन नी रांण
अब क चुनौ मा दादा
तेरी खत्ता खंणै जांण
कांड क डालुंद जैली
तेरी झुगली.....
भ्रष्टाचारी सम्मानित नेतों तै समर्पित सर्वाधिकार @सुदेश भट्ट "दगडया"

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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आज चली ग्यों मां मी
छोडी की घर देश
तालु लगै कुडी पर
चल ग्यों मी परदेश
द्यवतों तै भीतर ग्वाडी
चाबी लेकी चली ग्योंऊ
बारह बर्ष कु लाटु अपंणु
ख्वैकी चली ग्योंऊ
आंखी भरीं छन आज मेरी
खुदेंणु च परांण
अपुंण गौं छोडी की आज
चली ग्यों मुलुक बिरांण
क्या क्या नी कैरी मीन
ये माट क बान
फिर भी बिधाता त्वैन
मौ मेरी लगाई घाम
आज चली ग्यों मा मी
छोडी की घर देश
कुटली दथुडी अर समलौंण
चुलै की चली ग्योंऊं
कसम खैकी द्यवतों की यख
दुबर कबी नी आंण
आज चली ग्यों मां मी
छोडी की घर......
मेरे द्रवित मन से मेहरवान सिंह जी की मार्मिक पीडा पर@सुदेश भट्ट दगड्या

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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रगर्यांणु छौं
कुरच्यांणु छौं
जग जगा
पतड्यांणा छौं
खैरी बिपदा
फजल बटै की
ब्याखन तक मी
खांणु छौं
नौकरी नी
चाकरी नी
लमडंणा छौं
फूटपाथों मा
नौकरी की
खोजा खोज
दिन दुफरा अर
घामों मा
रोज ईंटरब्यु
दीण लग्युं मी
बडी बडी
कंपन्यों मा
आंद जांद
धक्का मुक्की
खांदु दगडयों
मी मैटरो की
रेलों मा
चितै ग्यों मी
यै की दगड्यों
यीं नरबैगी
दिल्ली मा
म्यार मुल्क
जन कखी नी
ठाट बाट
दुनिया मां
रगर्यांणु छौं
कुरच्यांणु......
सर्वाधिकार सुरक्षित @सुदेश भट्ट दगडया

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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खुद्यांणु छौं खुज्यांणु छौं
यैकी मी ये माटु मा
बचपन खत्युं म्यारु
दीदों ये माटु मा
दिख्यांणा नी छन गैल्या म्यार
बचपन क स्कूल्या
समलोंण खुज्यांणु छौं मी
धार गाड डाल्यूं मा
खुज्यांणु छौं गल्यों की दौंली
यैकी अपणी छान्युं मा
हल जूवा नीसुड गैल्यों
सब दब्यां छन माट मा
बुये की मेरी कुटी दाथी
जंक लगीं च धरीं पस्युंणों मा
छील्लु की बिठकी धरीं च
सुखांण चुलख्यांदों मा
भ्यूंल की डाली मा बैठीं
घुघती यखुली घुरांणी
भौल जांण ड्यूटी दगड्यों
जिकुडी झुर झुर झुरांणी
खुज्यांणु छौं खुद्यांणु छौं
यैकी मी ये माटु....
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भट्ट दगड्या

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मैट्रो क कुरच्याट मा
गाड्यूं कु पुंप्याट मा
रगाबगी हुंयी दीदों
दिल्ली क रगर्याट मा
अपुंण पर्या कुई नी यख
रुप्यों की बस माया च
घामु मा छौं लरक तरक
दिल्ली का फूटपाथों मा
डबखा डबखी रोज दीदों
नौकरी खुज्यांणु छौं
पेट क खातिर दीदों
गाली सेठुक खांणु छौं
औल पौली छोडी कुडी
बांजी कैकी यैग्यों मी
बांजी तिबरी डिंड्याल्युं की
खुद लगीं यी दिल्ली मा
मैट्रो कु कुरच्याट मा
गाड्यूं क पुंप्याट ......
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भट्ट "दगडया"

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कबी आल दीदों यी
दिन बचपन क बौडी की
खुद लगंणी आज दगड्यों
आम की डल डाल्युं की
दिन भर डबखा डबखी
बड की बडुल्युं मा
झूला खिल्दा छा जब दगड्यों
डल डल्युं की लुर्युं मा
बसकल्या गाड गदन्या
जांण ढंडियुं नयांण कु
डबखा डबखी रैंदी छैयी
तिमला खैंण खांण कु
कुर्चे पतडे हर्ची गेन
दिन म्यार बचपन
खुज्यांणु छौं युं नन तिनों मा
अपणु मी बचपन
कब आल दीदों यी
दिन बचपन क बौडी की
खुद लगंणी आज दगड्यों
आम की डल डाल्यूं....
सर्वाधिकार सुरक्षित @लेख.. सुदेश भट्ट "दगड्या"

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कुडी क यैथर पैथर
डाल जम्यां छन पाड मा
तालों पर भी फांक फूट्यां छन
चाबी धरीं च बंबै मा
बचपन भीतर ग्वाडी गुडी की
तालु लगै की चली गेनी
गोर कसयुं जोग कैकी जु
भांड ठंटर्यों तै दे गेनी
बुबा ददों की समलौंण यख
आज दिखेंणी जरा जरा
यनी डाल जामल भीतर्युं पर
वा भी दबे जाली कैदिन सरा
कुडी क दार पटल टुटगेन
गैंणा गिंण्यांणा भीतर बीटी
यीं कुडी क मौ भग्यानी
बंबै दिल्ली गेन जब बिटी
बौडी की यैजा दगड्यों म्यार
बचपन अपणु टीपी जा
बुबा ददों की यीं समलौंण तै
द्वी हथ्युं न उकरी जा
कुडी क यैथर पैथर
डाल जम्यां छन पाड मा
तालों पर भी डाल जम्यां छन
चाबी धरीं च बंबै.....
सर्वाधिकार सुरक्षित लेख@सुदेश भट्ट "दगडया"फोटो साभार भगवान सिंह रावत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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लौंकदी कुयडी मा
हैरी भरी डांड्यूं मा
झर्र झुरेगे मेरु परांण
गदन्युं कु सुंस्याट मा
मैत की मी खुद लैगे
पुंगड्यूं की धांण मा
भै बैंण्युं की याद यैगे
लौंकदी कुयडी मा
गाड की कुयडी मांजी
पौंछी गे यख धार मा
जिकुडी उदास मेरी
लौंकदी कुयडी मा
घनघोर कुयडी लगीं
दिखेंणी नी मैत की धार
बसकल्या रुण झूंण मांजी
खुद लगीं कुयडी मा
लौंकदी कुयडी मा
हैरी भरी डांड्यू....
मेरी सबी दीदी भूल्यूं तै समर्पित या खुदेड रचना सर्वाधिकार @सुदेश भट्ट दगड्या

 

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