दगड्या छे यमकेस्वर कु
दगड्या बंणीक रैयी तु
सुख दुख मा सब्युं क दगडी
दगड्या बंणी रैय्यी तु
यमकेस्वर की शान छे
मान छे अभिमान तु
बरखा बत्वांणी मा बौल्या
यमकेस्वर क छे बान तु
कमर कसीं दगड्यों तुमरी
लपोड्यांणा छा माटु मा
यमकेस्वर क बान दीदों
लग्यां छा दिन रात मां
औडलु तुफानों मा
बरखों से तु डैरी ना
यमकेस्वर क बान दगड्या
स्वार्थ अपंणु कबी देखी ना
आस छा दगड्यों तुम
धार मा की जून सी
उज्यलु बंणी यैग्या तुम
अब बिकाश क बाट मा
राजनिति क चुलख्यंदों तै
ग्वाटा सी फरकई दे
बंद पड्यां बिकास क
द्वार तु जनकैई दे
जूनी पर लौंफे की दगड्या
गैंणा सी तु तोडी दे
बिकाश की गंगा दगड्या
यमकेस्वर मा लैय्यी दे
दगड्या छे यमकेस्वर कु
दगड्या बंणी रैय्यी.....
यमकेस्वर के लिये संघर्ष रत बिकाश कार्यों के लिये सीमित संसाधनों के बाद अपने प्रयासों से यमकेस्वर को अलग पहिचान दिलाने के लिये यहां के रैबासी व प्रवासीयों की सामाजिक संगठन "दगड्या परिवार"व उसके समर्पित कार्यकर्ताओं को समर्पित ये लेख सर्वाधिकार सरक्षित@सुदेश भट्ट "दगड्या"