Author Topic: Garhwali Poem by Sudesh Bhatt- फौजी सुदेश भट्ट की गढ़वाली कवितायें  (Read 25814 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बचपन भीतर बंद म्यारु
खुज्यांण कुन अयुं छौं
जाळ लग्यां छन द्यो द्यवतों पर
हटांण कुन अयुं छौं
पित्रु की फोटु पाळी पर
सरा धुळ मां भरीं च
बुये की पर्या रयी पर दीदों
कन कुयडी जमीं च
ग्वाई लगै जों भितर्युं मा
सरा बांजी हुयीं च
बचपन छौं खुज्यांणु दीदों
अर आंखी मेरी भरीं च
गंज्यल्युं पर दीदी भूल्युं की
सरा धीवडु लग्युं च
दुधाळ गौडी की पींड की तौली
सरा जंक मा भरीं च
बचपन भीतर बंद म्यारु
खुज्यांण कुन अयुं छौं
जाऴ लग्यां छन द्यो द्यवतों पर
हटांण कुन अयुं....
सर्वाधिकार रक्षित @लेख सुदेश भट्ट"दगड्या"

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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नित बंदना हे हिमालय
चरणों मे तेरी करता हुं
शीश झुका कर कोटि नमन
शत बार तुझे मै करता हुं
मानव का जीवन भी निर्भर
हे हिमालय तुझ पर है
भारत का सतर्क प्रहरी
तु अडिग खडा हिमालय है
तुझसे पहिचान है भारत की
गंगा यमुना का तु उदगम है
रीसी मुनियों की तपस्थली तु
प्रहरियों की कर्मभूमि है
नित बंदना हे हिमालय
चरणों मे तेरी करता हुं
शीश झुका कर कोटि नमन
शत बार तुझे मै....
सर्वाधिकार रक्षित @सुदेश भट्ट"दगड्या"हिमालय प्रेमियों को सप्रेम समर्पित

 

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