Author Topic: Garhwali Poem by Sudesh Bhatt- फौजी सुदेश भट्ट की गढ़वाली कवितायें  (Read 25981 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कविता नं-17
___________

ओ भाई साहब जी नमस्कार
भै नि पछ्यणना छौ कि तुम,
याद कारो भै ज़रा अक्वेकि
सालेकि पैलि त मीला छौ हम...

खादी कु सफेद सुलार-कुर्ता
अर् मुंडमा मा टुपला धर्युं छाई,
म्यारा चौकमा बैठा छौ घड़ेक अर्
एक च्या कु गिलास भि सड़काई..

वे दिन त कुछ हैंकि बनिं का सि
खूब हथ फर् हथ जोड़णा छाई,
क्या मैलंण्यां अर् क्या सिप्लंण्यां
सब दगड़ प्यार से मिलणा छाई...

टक्क लगैकि मिथैं याद च
सुरुक मेरि उबरि मा औ तुम,
द्वी बोतल अर् हज़ार कु नोट
मेरि जलाठी मा धैरि ग्यो तुम...

सबका समणि बोलि तुमन कि मि
जीतिकि अथेला-पथेल कै ड्युंलु,
क्वी भूखु, तीसू, नांगु नि रालु, मि
विकास कि इनि गंगा ब्वगे ड्युंलु...

अर् अब सर्र कन बिसरो तुम
कब तक जि सिन मुख फिरैला,
देखुलु मी भि चार साल बाद फिर
म्यारा चौकमा कन जि नि ऐला...

©® धर्मपाल रावत.,
ग्राम-सुन्दरखाल, ब्लॉक- बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
Yesterday at 7:42pm ·

चुलख्यंदों मा गुरा पडयूं
उबरी सुंगरी बिययीं च
कुड की मुंडल्यूं मा गुण्युं की
दमद्याट खुब मचयीं च
मुसु बिरलु की भी रस्याण यन
दबुलुंद ही डिलीवरी हुंयी च
छै दूण क दबुल बुये क
टवटकां क्वाण मा पडीं च
चूलख्यंदों मा गुरा....
दाली क भड्डु पींड की तौली
पर जंक की कस्यांण लगीं च
द्वार मोर पर भयुं खुब
धीवडु की मेस लगयीं च
उबरी बिटी सरा आकास
गैंणा साफ गिंण्यांणा छन
तुम्हरी स्कूल्या ड्रैस क्वांण मा
लुखुंदर रोज चीरना छन
जैं पाली तै लीपी बुये न
वीं पर सुर्रा लग्यूं च
क्याडु की बिठकी आज भी
छज्जा मुड धरीं च
चुलख्यंदों मा गुरा पडयूं
वबरी सुंगरी बियंयी च
कुडी क मुंडली मा गुण्यूं क
दमद्याट खुब.......

सर्वाधिकार सुरक्षित@लिख्वार सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दगडयों पंद्रह अगस्त क उपलक्ष मा मेरी या रचना फौजी भयुं कुन समर्पित जु दिन रात सीमा पर रैकन हमरी जुगली करना छन..
हे बीर सिपायूं....़़़
तुमकुन नमन म्यारु
हे बीर सिपायूं
घर बार छोडी की
बार्डर मा डट्यां छ्या सिपायूं
तुमकुन नमन म्यारु
हे बीर सिपायूं
कुरकुरी ठंडी हवा मा
रात दिन डयूटी तुम्हारी सिपायूं
घुंड घुंडयूं बरफ मा चौकस
तुम दिन रात रैंदा सिपायूं
तुमकुन नमन म्यार
हे बीर सिपायूं
घर की याद जिकुडी मा तुम
भैर नी आंण दींदा सिपायूं
बार त्योहार बोर्डर
सब कुछ तुमर सिपायूं
तुमकुन नमन म्यारु
हे बीर सिपायूं
देश की आन बान
शान तुम छ्या सिपायूं
आपदा बिपदा मा तुम
भगवान बीर सिपायूं
तुमकुन नमन म्यारु
हे बीर सिपायूं
तुमर सारु लोग सियां छन
अपण घर मा हे सिपायूं
बैरयूं तै तुम आण नी दींदा
अपुण माटु मा हे सिपायूं
तुमकुण नमन म्यारु
हे बीर सिपायूं
तुमर ह्वंद घुरे नी सकदु कुई
आंख हमकुण हे सिपायूं
हमर त गुठ्यल छ्या
तुम हे बीर सिपायूं
तुमकुन नमन म्यारु
हे बीर सिपायूं
सबसे बडु त्याग बलिदान
तुमरु बीर सिपायूं
अपण मन की खैरी कभी
तुम नी जतंदा सिपायूं
तुमकुन नमन म्यारु
हे बीर सिपायूं
सुख दुख देश क तुम
बांटी लींदा सिपायूं
देशरक्षा क बान तिरंगा
ओढी लींदा सिपायूं
तुमकुन नमन म्यारु
हे बीर सिपायूं
आखर नी छीन मीम तुमकुन
हे बीर सिपायूं
सुदेश भटट दगडया करदु
सैल्यूट तुमकुन बीर सिपायूं
तुमकून नमन म्यारु
हे बीर........
सर्वाधिकार सुरक्षित@लिख्वार सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt‎
 

मेरी या रचना सीमा पर तैनात फौजी भयूं कुन समर्पित
गडवली बीर

औडलु तुफानों से
दीदा कभी डैरी ना
दुश्मनु की गोली से
पिछने कभी होयी ना
गडवली कुमौं क बीर
उतराखंड की शान छ्या
भारत की सीमा पर
डांड्यूं जन खडु छ्या
जु भी आलु रस्ता मा तु
कीडु सी पतेडी दे
गडवली खुन छै तु
बैरयुं तै जतयी दे
गबर जसवंत की
कसम भूलों तुमतै च
भारत की सीमा बीर
गडवलियुं तै लगाणी च
छलनी ह्वे जा
जिकुडी फिर बी
पिछने कबी देखी ना
आखरी सांस तक भुला
बैरयूं तै तु छोडी ना
दुश्मनु क तोप टैंक
कुणज सी मरोडी दे
बैंकर दुश्मन क भूला
तिमलु सी फोडी दे
औडल तुफानों से
भूला कबी डैरी ना
मा क दुधीक लाज छै तु
भूली की राखी कु शान छै
गडवली बीर भूला
दुश्मनु कु काल छै
औडल तुफानों से
भूला कभी डैरी ना....
सर्वाधिकार सुरक्षित@लिख्वार सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
 

आज फिर दिल्ली मां
गौं की याद यैगे
फ्लैटु मां बंद छौं
वबरीयुं की याद यैगे
आज फिर दिल्ली मा
गौं की याद यैगे
मैट्रो की स्वचालित सीढी देखी
रुल्दीयुं की याद यैगे
अप्पू घर क झूलों मा
बड की लगुली याद यैगे
आज फिर दिल्ली मा
गौं की याद यैगे
बाथरुम क फुहारा देखी
छींचवाडों की याद यैगे
बिल्डिगों की लिप्ट देखी
ग्यूडु की याद यैगे
आज फिर दिल्ली मां
गौं की याद यैगे
औडोमास देखी यख
गंदयल कु पालु याद यैगे
एसी कुलर की हवा खैकी
गौं की धार याद यैगे
आज यीं दिल्ली मा
गौं की याद यैगे
फ्रिज की तिबासी खैकी
सैदी भूज्जी की याद यैगे
लोगु की कैपरी देखी यख
जंग्यों की याद यैगे
आज यीं दिल्ली मा
गों की याद यैगे
मदर डैरी देखी
दुधाल गौडी याद यैगे
डैनिंग टेबल देखी
ठीलकों की याद यैगै
आज यीं दिल्ली मा
गौं की याद ......
सर्वाधिकार सुरक्षित@लिख्वार सुदेश भटट(दगडया)

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आज स्वतंत्रता दिवस क सुअवसर पर मेरी या रचना दुर दराज सीमा पर तैनात फौजी भयूं कुन समर्पित.....
गडवली बीर....

औडल तुफांनो से
दीदा कभी डैरी ना
दुश्मनु की गोली से
पीछने कभी होई ना
गडवली कुमौं क बीर
उतराखंड की शान छ्या
भारत की सीमा पर
डांडिंयूं जन खडु छ्या
गबर जसवंत की
कसम भूलों तुमतै च
भारत की सीमा धै
बीर गडवलीयुं तै लगाणी च
औडल तुफांनो से
दीदा कभी डैरी ना
छलनी ह्वे जा
जिकुडी चाहे
पिछने तु देखी ना
आखरी सांस तक भूला
बैरी तै तु छोडी ना
दुश्मन कु तोप टैंक
कुणज सी मरोडी दे
बैंकर दुश्मन कु भुला
तिमलु सी फोडी दे
औडल तुफांनों से
भूला कभी डैरी ना
मां क दुधीक लाज तु
बैंणी क राखी कु शान छै
गडवली बीर भूला
दुश्मन कु काल छै
औडल तुफांनो से
भूला कभी डैर ना
दुश्मन की गोली से
पीछने तु होई ना......
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Sudesh Bhatt
 

आण वाल च अब
राखी कु त्योहार
बन बन की राख्युं न
सज्यूं ह्वाल बजार
आण वाल च अब
राखी कु त्योहार
दीदी भूली मेरी सब
खुश हुयीं होली
हथ्यूं मा लिफप लेकी
डाखनों मा जयीं होली
दुर प्रदेशु मा भै बंद
सारु लग्यां ह्वाल
मेरी तना डाखनों मा
चिटठी पत्री पुछणा ह्वाल
आण वाल च भयूं
राखी कु त्योहार
फौजी दीदा भी म्यार
खुश हुयां ह्वाल
बौर्डरु मा छुट्टी कुन
अर्जी दिणा ह्वाल
भै बैण्युं क प्यार कु
पबित्र त्योहार
मुबारक ह्वा सब्यूं कुन
रखडी कु त्योहार
आण वाल च दीदों
रखडी क त्योहार
बन बन की राख्यूं न
सज्यूं ह्वाल......
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Sudesh Bhatt

न्याल हुयुं हपार द्याखो
म्या गौं क पाणी
बंठा पंदयर तै धै लगाणु
म्यार गौं क पाणी
सुन्याल हुयुं हपार द्याखो
म्यार गौं क पाणी
कबी आपस मा लडद छ्या
अपणी अगल्यारी क बान
डिग्गी क यैंछ कंटर बजाणं मा
चितांद छ्या अपणी शान
हपार द्याखो पाणी कन
यखुली हुयुं च
कब आल पंदयर पाणीम
सारु लग्युं च
सुन्याल हुयुं हपार द्याखो
म्यार गौं क पाणी
बिन पंदयरु क पाणी म्यारु
यन खुद्याणु च
बाट पनक खबडाट बी
बजुद बंठा चितांणु च
मेरी याद बी दीदों
यखी पन खत्यां छन
बजै बजै की कती कंटर
ये पाणीम ही फूडयां छन
सुन्याल हुयुं हपार द्याखो
म्यार गौं क पां.......
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प्वां प्वां मचीं च
यी नरबै दिल्ली मा
गाडियूं की घीमसांण
जाम लग्यूं दिल्ली मा
भागम भाग सब्यूं कुन
मचीं च यीं दिल्ली मा
सडक्यूं मा जाम खुब
लग्यूं च यीं दिल्ली मा
प्वां प्वां मचीं च
यी नरबै दिल्ली मा
अपणु कुन बी टैम नी
कैम भी यीं दिल्ली मा
जाणी क भी अजांण लोग
बण जदीन दिल्ली मा
सुबेर बिटी श्याम तक
परेशान यीं दिल्ली मा
फूटपाथ की मुंगरी देखी
घर की याद औंदी दिल्ली मा
प्वां प्वां मचीं च
खुब यीं दिल्ली मा
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भटट(दगडया)

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रखडी (राखी) कु त्योहार नजदीक च। जौं कि भैणि या भाई नि ह्वाला, वूं थैं कनु लगदु होलु। --------------------------------------------------

कनू छै विधाता तू त निरदयी रैई।
रखडी त्यौहार द्याई भैणी नि देई।।
कनु छै विधाता तू त निरदयी रैई।
रखडी त्यौहार द्याई भाई नि द्याई।।

एक भैणी मीकू दिंदु क्या बिगड़ी जांदू।
ए त्यौहार मि भि त्वैकु भेट पिठै ल्यांदु।।
एक भाई मीकू दिंदु क्या बिगड़ी जांदू।
ए त्यौहार मि भि त्वैकु भेट पिठै ल्यांदु।।

जौं भयों कि भैणि ह्वैलि रखडी पैराला।
बिना भैणि वळा छ्वारा प्यटा प्यटि र्वाला।।
जौं भैण्यू का भाई ह्वाला रखडी पैराली।
बिना भायों वळी छे्वरी प्यटा प्यटी र्वेली।।

त्योहार का बान सुदी दंतुडी द्यखाला।
आंख्यू का कूणू मा छ्वारा आंसू लुकाला।।
त्योहार का बान सुदी दंतुडी द्यखाली।
आंख्यू का कूणू मा छ्वेरी आंसू लुकाली।।

दगड्या भग्यान म्यारा रखडी पैराला।
अपणी भैण्यू का हथौं खटी मीठि खाला।।
दगड्या भग्यान मेरी रखडी पैराली।
अपणा भयों थै टीका पिठैई लगाली।।

त्योहार कू भैणी नि दे त्यारु च कसूर।
खुशि कनकै मनौलु नि दे घार पूरू।।
त्योहार कू भाई नि दे त्यारु च कसूर।
खुशि कनकै मनौलु नि दे घार पूरू।।

निठुर समिझि मिल, क्याच तेरी माया।
धर्म्यालि भैणि, त्वैन मीकू दे ही द्याया।।
निठुर समिझि मिल, क्याच तेरी माया।
धर्म्यालु भाई, त्वैन मीकू दे ही द्याया।।

ऐंसु की रखडी,देवी तु ह्वै जैई दैणी।
भैण्यू थै तु भाई देई,भायों थैई भैणी।।
ऐंसु की रखडी, देवी................

सर्वाधिकार
सुरक्षित @दर्शनसिंह रावत "पडखंडाई
दिनांक 25/08/2015

 

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