Author Topic: Garhwali Poem by Sudesh Bhatt- फौजी सुदेश भट्ट की गढ़वाली कवितायें  (Read 15740 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt
Yesterday at 7:39am ·

आज भग्यान भयूं की
रखडी न हथी भरीं होली
कती भाई बैण्यूं कुन बैणी
भाईयूं कुन टपराणी होली
आज भग्यान भयूं की
रखडी न हथी भरीं होली
मेरी कुंगली हथी आज
बैणी तै खुजणी च
एक डोरी प्यार कुन
मेरी आंखीं भरीं च
मै जणी कती भाई
आज बंद कमरों मा ह्वाल
कती दगडया राखी बंधै की
घर घर मा घुमणा ह्वाल
भग्यान बैणी भयूं की
टीका पीटै करना होली
रंग बिरंगी राखी
भाई तै पैराणा होली
आज भग्यान भयूं की
रखडी न हथी भरीं होली

सर्वाघिकार सुरक्षित@सुदेश भटट(दगडया) आज जब म्यार लक्की न या फोटो मैकुन भेजी त मेरी कलम ..........

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dharampal Rawat
August 31 at 11:06am ·

रचना नं-21

सभि दगड्यों थैं _/\_हथ जोड़ि प्रणाम अर् सेवा-सौंलि...,
त ल्या आज आपाकि सेवा मा पेश कनु छों कुछ दोहा....
___________________________________

क्वी अचरज न कर्यां, बुरु न मन्यां, न अपुड़ से मुंड रेच्यां ।
कलजुगा कि छुवीं छों लगाणु, भा-रे क्वी ढंडी न पोड्यां ।।

कि छुछों बल अजगर करे न चाकरी, अर् पंछी करे न काम ।
क्वी लूँण-रोटि को तरसे, अर् क्वी पोड़ि-पोड़ि खाये बदाम ।।

घुगुति खुदेंणि च अपड़ा हि मैत मा, ऐश करे कांणा-गरुड़ ।
नैनसिंग लगाणु जपगणि, अर् शेरसिंग लुक्युं खटुला मूड ।।

बुबा अमांणु च भितरा कूँण, ब्वै नि सम्भालि सकणि च तीग ।
अर् सौरसि लि जयां छि टूर फर्, कभि केरल कभि कश्मीर ।।

जैथैं क्वी घूंण खैं न उप्पन तड़कैंइ, इनु हमरु नेता ह्वै जाणु च ।
मि मोर्रि ग्युं ध्याड़ि कैकि, अर् वु 7 पुश्तों तक जोड़ि जाणु च ।।

स्याल त उड़ाणु च गुलछर्रा, अर् बाघा कि हुयिं च भाजम-भाज ।
कोठि-बंगला बण्यां छि, पर पचणू च सिर्फ BPL कु हि अनाज ।।

गढ़वाल रूंणु च गढ़वल्युं खुणे, नेपाल-बंगाल का ह्वैगि पहाड़ि ।
जलम भूमि जने ढुंगु ढोल्यालि, पर स्यकुण्द कनू च बल ध्याड़ि ।।

........ जारी है.....
____________

©® सर्वाधिकार: धर्मपाल रावत,
ग्राम- सुन्दरखाल,
ब्लॉक- बीरोंखाल,
जिला- पौड़ी गढ़वाल।
31.08.2015

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt

पाटी...पुत्या

घुट्या पुत्या पाटी अर बुखल्या
कम्यडु खडिया हरचिन दगडया
कच्ची एक पक्की एक धारों धारी गेन
एल.के जी यू.के.जी नर्सरी ह्वेन
ईमला निबंध हरची सुलेख
अंग्रेजी क जमन मा हरची आलेख
पहाडा बैराखडी हरची सिलेट
बुये बाब ह्वेगेन मम्मी डैड
चटाई हरची यैगेन कुर्सी
बगदी हवा मा मौडर्न गुरजी
गुणा भाग क कठिन सवाल
मौबेल मा हल करना छन गुरजी
हरची पंद्रह अगस्त २६ जनवरी
गांधी जयंती की प्रभात फेरी
शहीदों की हुंदी छै गौं गौं मा जय जयकार
गौं गौं मा घुमदी छे स्कूल्यों की टोली
पैली निशुल्क शिक्षा लालटेन बाली क
रात मा भी पढांद छ्या गुरजी
अब त चंट छात्र भी तबी पास ह्वालु
जब ट्युसन पढण कुन गुरजी म जालु
घुट्या पुत्या पाटी बुखल्या
कम्यडु खडिया हरचैन दगडया
कच्ची एक पक्की एक धारों धारी गेन
एल.के जी यू.के.जी नर्सरी.......

सर्वाधिकार सुरक्षित @लेखक सुदेश भटट(दगडया) की प्रकाशनाधिन पुस्तक "धै"बिटी साभार

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ना खेत होगा
ना खलिहान होगा
ईक दिन पहाड अपना
बीरान होगा
बीरान होंगी
गधेरे और नदियां
याद आयेंगी उनको
दीदी और भूलियां
जंगल का मंगल भी
सुनसान होगा
हर तरफ पलायन का
पसरा मातम जो होगा
बीरान होंगे
घर ओर आंगन
जमेगी घास जब
बरसेगा सावन
तब ना खेत होगा
ना खलिहान होगा
मेरा पहाड बस
बीरान सा होगा
ना गुंजेगी किलकारी
ना रौनक होगी
हर और माहोल
सुनसान होगा
आयेगा ईक दिन
जब यहां मानव ना होगा
पुरा पहाड जब
पलायन होगा
ना खेत होगा ना
खलिहान होगा
पुरा पहाड जब
बीरान होगा
बस बचेंगे खंडहर
और यादें रहेंगी
मेरे पुरखों की यादें
फिर ना मिलेंगी
कोई बंबई दिल्ली
लखनऊ बसेगा
पहाड अपना फिर
कैसै बचेगा
भावी पीढी जब
जवान अपनी होगी
संस्कृति से वो अपनी
अंजान होगी
फिर ना खेत होंगे
ना खलिहान होंगे
यादों के सफर मे
आंखों मे आंसु होंगे
ईसके सिवा कुछ
और ना बचेगा
पलायन का जब ये
सुनामी बढेगा
ना खेत होंगा
ना खलिहान होगा
पहाड अपना ....
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भटट(दगडया)

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पाटी...पुत्या

घुट्या पुत्या पाटी अर बुखल्या
कम्यडु खडिया हरचिन दगडया
कच्ची एक पक्की एक धारों धारी गेन
एल.के जी यू.के.जी नर्सरी ह्वेन
ईमला निबंध हरची सुलेख
अंग्रेजी क जमन मा हरची आलेख
पहाडा बैराखडी हरची सिलेट
बुये बाब ह्वेगेन मम्मी डैड
चटाई हरची यैगेन कुर्सी
बगदी हवा मा मौडर्न गुरजी
गुणा भाग क कठिन सवाल
मौबेल मा हल करना छन गुरजी
हरची पंद्रह अगस्त २६ जनवरी
गांधी जयंती की प्रभात फेरी
शहीदों की हुंदी छै गौं गौं मा जय जयकार
गौं गौं मा घुमदी छे स्कूल्यों की टोली
पैली निशुल्क शिक्षा लालटेन बाली क
रात मा भी पढांद छ्या गुरजी
अब त चंट छात्र भी तबी पास ह्वालु
जब ट्युसन पढण कुन गुरजी म जालु
घुट्या पुत्या पाटी बुखल्या
कम्यडु खडिया हरचैन दगडया
कच्ची एक पक्की एक धारों धारी गेन
एल.के जी यू.के.जी नर्सरी.......

सर्वाधिकार सुरक्षित @लेखक सुदेश भटट(दगडया) की प्रकाशनाधिन पुस्तक "धै"बिटी साभार

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ना खेत होगा
ना खलिहान होगा
ईक दिन पहाड अपना
बीरान होगा
बीरान होंगी
गधेरे और नदियां
याद आयेंगी उनको
दीदी और भूलियां
जंगल का मंगल भी
सुनसान होगा
हर तरफ पलायन का
पसरा मातम जो होगा
बीरान होंगे
घर ओर आंगन
जमेगी घास जब
बरसेगा सावन
तब ना खेत होगा
ना खलिहान होगा
मेरा पहाड बस
बीरान सा होगा
ना गुंजेगी किलकारी
ना रौनक होगी
हर और माहोल
सुनसान होगा
आयेगा ईक दिन
जब यहां मानव ना होगा
पुरा पहाड जब
पलायन होगा
ना खेत होगा ना
खलिहान होगा
पुरा पहाड जब
बीरान होगा
बस बचेंगे खंडहर
और यादें रहेंगी
मेरे पुरखों की यादें
फिर ना मिलेंगी
कोई बंबई दिल्ली
लखनऊ बसेगा
पहाड अपना फिर
कैसै बचेगा
भावी पीढी जब
जवान अपनी होगी
संस्कृति से वो अपनी
अंजान होगी
फिर ना खेत होंगे
ना खलिहान होंगे
यादों के सफर मे
आंखों मे आंसु होंगे
ईसके सिवा कुछ
और ना बचेगा
पलायन का जब ये
सुनामी बढेगा
ना खेत होंगा
ना खलिहान होगा
पहाड अपना ....
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भटट(दगडया)

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कुरच्याट देखी क लगणां यन
दुनिया यै ग्या जन दिल्ली मा
मैट्रो की सौल दुंली आज
मीन भी देख्याल दिल्ली मां
राजीव चौक बिटी
भितरी भितर
कखन कख
पौंछी ग्यो मी दिल्ली मा
कुरच्याट देखी क लगंणा यन
दुनिया यै ग्या जन दिल्ली मा
मैट्रो की भीड मा
सीट मिली
जन संजीवनी बुटी
मिली ग्या दिल्ली मा
अफु चलदी सीढी
रिंग यैगै देखी दिल्ली मा
कुरच्याट देखी लगणा यन
दुनिया यै ग्या......
रात मा भी घाम जन
लग्युं ह्वा यीं दिल्ली मा
कबरी स्यांद हंवाल भग्यान लोग
यी डयबलपमेंट दिल्ली मा
सुबेर बिटी ब्याखन तक
रिटदी रै ग्यों दिल्ली मा
सौल सी कन घिर्यों
भितरी भितर दिल्ली मां
कुरच्याट देखी क लगणा यन
दुनिया यैग्या जन......
लिख्वार@सुदेश भटट(दगडया)

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यीं कुडी क मौ दीदों
दिल्ली बंबई चलगेन
छानी पटली बेची
गोर कसयूं तै देगेन
हपार नीमदरी द्याखो
कन बीरान हुयीं च
लर भैर सुखांण छोडीक
अफु बंबई बसीं च
द्वार मोर अधखुली छोडी
जंदरी टवटकां पडीं च
देवी दयवतों क आल पर कन
मकडजली लगीं च
गौर से द्याखो कुडी दीदों
धै लगांणी च
उरख्यली गंज्यली मेरी
दीदी भूल्युं तै खुज्यांणी च
यीं कुडी क मौ दीदो.
दिल्ली बंबई चलगेन...
कल्चवंणी की तौली
बारह दुंण की दबली
छंचल्या अर पर्या
दही की डखुली हर्ची ग्यायी
यीं कुडी क मौ दीदों
दिल्ली बंबई.........
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भटट(दगडया)फोटो साभार प्रदीप बिष्ट जी भडेत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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म्यार गांव मुल्कु मा
यन रिवाज अंयु च
सासू पुंगडि धाण्यूं दीदों
ब्वारि चैटिंग लगीं च
सासू ह्वेगे काणी बैरी
ब्वारि फैंसी बणी च
जींस पैरी हथ मोबेल
कंदुडी लीड कुचीं च

सासू बेली कटणी बिचरी
तिबासी चुन की रुट्यूं मा
मौडर्न फैंसी ब्वारी
मिस्यां चौमिन टिक्युं मा
सासू खांदी रुखु सुखु
चौकल ठील्कों मा
म्यार मुल्क फैंसी ब्वारी
दीदों डेनिंग टेबुल मा
खुट हथ धरी की सेवा
हरची ग्या पहाड से
हाई हैलो नयी रिवाज
यैग्या जर्मन फ्रांस से
म्यार गांव मुल्क दीदों
यन रिवाज अयुं च..
लुरका तुरकों मा सासू
ब्वारी राणी बणीं च
सासू खै द्या जुं लिखलु न
ब्वारि पार्लर जयीं च
म्यार गांव मुल्क दीदों
यन रिवाज अयुं च...
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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छुट बुगल्या नेतों की
बयार यै ग्यायी
2017 बल न्याड
यै ग्यायी
बसगल्या छ्वाया सी
यन फुट्यां छन
धार धार गांव गांव
सौब जगा जम्यां छन
कती अपकुण पुंगडी की
तलास मा लग्यां छन
एक दल बिटी जु
हैंक दल खुज्याणा छन
सुख दुख मा जु कभी
कैक काम नी यैन
श्राद्धों मां यैंसु भग्यान
कती जगह दिखे गेन
2017पर गरड की सी
लगीं भग्यांन की टक
कभी फेसबुक कभी
ब्हाटसप मा जक बक
दल बदलु की भी समाज मा
खुब गगडाट हुयीं च
सिंगान सी मथी फांग कभी
मुडी फांग झल्कां झल्कां हुयीं च
छुट बुगल्या नेतों की बल
बयार यै ग्यायी
2017 बल न्याड.....

सामाजिक कार्यकर्ता मदन कपरुवाण जी द्वारा उपलब्ध करवाये गये शीर्षक पर आधारित किसी भी ब्यक्ति बिशेष का लेख से कोई संबध नही @सुदेश भटट(दगडया)

 

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