Author Topic: Garhwali Poem by Sudesh Bhatt- फौजी सुदेश भट्ट की गढ़वाली कवितायें  (Read 15828 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt 

आज त्वै सरा देश
याद करना बौडा
त्वै बिना देश सरा
खुदयांणा च बौडा
गली मोहलों मा आज तेरी
जयजयकार बौडा
अंग्रेजु तै देश बिटी
तीनी निकाली बौडा
देशभक्ति कु पाठ देश तै
त्वैन सिखाई बौडा
रातों रात अंग्रेजु तै
त्वैन दौडाई बौडा
आज ह्वैंदी हमर बीच
बीर भग्यान बौडा
जुनी पर पौंछी जांद
देश अपुण बौडा
कन कन पैदा ह्वेन
म्यार देश मा बौडा
त्वै जन लौह पुरुष
कुई नी जन्मी यख बौडा
आज ह्वैंदा हमर बीच
तुम जन बीर बौडा
क्या मजाल दुश्मनु की जु
आंख घुरांदन बौडा
तेरी एक कडकताल से
अंग्रेज भी डरी गैन बौडा
झ्वाला तुमडी लेकी अपणी
रतों रात चलीगेन बौडा
लिखंण कुन त दगडया मा
बहुत कुछ त्वै पर च बौडा
जतका लेखु उतका कम
आखर नीछन मीमा बौडा

सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भटट(दगडया) की लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल जी के जन्मोत्सव पर सप्रेम भेंट

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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By -Tara Mohan Pant

अहा !
नौणि जस गलड़ त्यारा,
के चें ते क्रीम क्लिंजर ?
स्यौ जस लाल है रईं,
के करछीं अब तू मेकप ?
बैजन्ती मालैलि तु छाजि भई,
अब के पैरछी मटर माल ?
आंगड़ी पिछौड़ आंग भयो,
अब के चैंछ साड़ी बिलौज ?
हंवे ! मेरि पुन्यू जून जसि,
तु तसिकै म्यर हिय में रई
~~~~~~तरदा

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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फिर बी फैशन हो ऐसा जी

खानु कू नि पैंसा
फिर बी जमानु चैणु ऐसा जी
फिर बी फैशन हो ऐसा जी

छोरी जनि लट्लु
ब्याल च की बैठूल नि समझने हो
फिर बी फैशन हो ऐसा जी

बोबा व्हैगे बोई जी
बोई व्हैगे अब बोबा हो
फिर बी फैशन हो ऐसा जी

कन बदली हुणि च
वो कख जाने की सोचणी हो
फिर बी फैशन हो ऐसा जी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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जखि म्यारा स्वामी वखि मि जी

जखि म्यारा स्वामी वखि मि जी
देश हो या हो अब भैरदेशा जी
जखि म्यारा स्वामी वखि मि जी

लुन रोटी अब मिल नि खाणु जी
बर्गर पिज्जा जब म्यारा स्वामी लाणु जी
जखि म्यारा स्वामी वखि मि जी

रामी नि बनने ना मीथै बहूरानी जी
पैल टिकिट कटै जब स्वामी मुंबई दिखाणु जी
जखि म्यारा स्वामी वखि मि जी

ये उकाला का बाटा अब व्हैजा टाटा
दोई मैन की छुट्टी मा स्वामी स्विजरलैंड घुमाणु जी
जखि म्यारा स्वामी वखि मि जी

हीटे हीटे ये पहाड़ किले अब कमरी पटणु जी
हवाई जहाज मा जब म्यारा स्वामी मि थे उढणु जी
जखि म्यारा स्वामी वखि मि जी

बालकृष्ण डी ध्यानी
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ऐ बी जावा ऐ बी जावा

ऐ बी जावा ऐ बी जावा
म्यारा गढ़ देशा मा जी ऐ बी जावा

बाटों बाटों मा हिटा कांडों कंडो मा
नाचा नाचा दीधो ढ़ोल दामू मा
नचेड़ी डंडी कंठी ऐजा मेरो साथी
ऐ बी जावा ऐ बी जावा
म्यारा गढ़ देशा मा जी ऐ बी जावा

रंग रंगा की फूल खिल्या छन
मस्त व्हैकि लस्का धसका लग्या छन
जोड़ा तोड़ कैरि सब खूब नच्या छन
ऐ बी जावा ऐ बी जावा
म्यारा गढ़ देशा मा जी ऐ बी जावा

ये उकाल दगङया दगडी सरोंला
रुकी सुकी खैकी अपरी हिमत बढोंला
हैरी भैरी सैरी धरती थे चल सरग बणोंला
ऐ बी जावा ऐ बी जावा
म्यारा गढ़ देशा मा जी ऐ बी जावा

बालकृष्ण डी ध्यानी
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आज की बात कुछ और्री च

आज की बात कुछ और्री च
तुमरो साथ कुछ और्र च

तुम बोल्दिना, मुख खोल्दिना
ये मुलकात कुछ और्र च
आज की बात कुछ और्री च

बैठी रयां दगडी म्यारा तुम
तुमरो पियार कुछ और्र च
आज की बात कुछ और्री च

बिंग नि सकदु बोल नि सकदु
ये जीयु की बात कुछ और्र च
आज की बात कुछ और्री च

ढुंगा गारों को मेरो संसार
मयाल्दु मेरु पहाड़ कुछ और्र च
आज की बात कुछ और्री च

आज की बात कुछ और्री च
तुमरो साथ कुछ और्र च

बालकृष्ण डी ध्यानी
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मुल्क बणाई

कैका बणा मुल्क बणाई कै बणा
छोड़िकि जाणा छन किलै सब भाई कै बणा

कैका बणा गोली मिल यख खाई कै बणा
तेरा आंख्युं ल बल आंसूं चुलैई कै बणा

कैका बणा मेरो रौंतेलों मुल्का कै बणा
अप्रि ब्यथा वैल खुद किलै लगैई कै बणा

कैका बणा मिन भाणा बनेई कै बणा
कैथे सुणाण मिल यकुली हे राई कै बणा

बालकृष्ण डी ध्यानी
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तुम थे देखि

तुम थे देखि त ये बिचार ऐई
जिंदगी घाम , तुम घणेर सौली

आच फिर जियु नि एक आस बंधी
आच जियु थे फिर हमुन समझेई

तुम जबै हर्ची जला तब सोचला
हमुल कया खोई कया पाई
.
हम जैथे गुनगुना नि सक्दा
बगता न इन गीत किलै गाई

बालकृष्ण डी ध्यानी
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सौब चलगेन छोडी माटी
दुर देस बिदेशु मा
बौडी सक्दा बौडी जावा
गौं की छानी पटाल्युं मा
ज्यूंदी मुयली सी कुडी ह्वैगे
डाल जम्यां छन कुडी मा
धार मंदर पाणी सुखी गेन
मल्सु फूल्यूं च पुंगडी मा
मुखडी दिखे जा दीदों कभी तुम
साल अर द्वी सालु मा
जुनी सी तैं मुखडी दिखै जा
अपण गौं की धार मा
सोब चलगेन छोडी माटी
दुर देस बिदेशु मा
बौडी सक्दा बौडी जावा
गौं की छानी.....
तुम त बणी ग्या देशी बाबु
ऊंची मंजिल फ्लैटु मा
बिसरी गे तु गौं की माटी
जैकी दुर परदेशु मां
भुली गे तु छींच्वाडु झरना
नयेंणु छै फुहारों मा
जलडयूं कु ठंडो पाणी
खुज्याणु छै फिरीजों मा
धै" लगांणु भयुं मी तुमतै
बौडी जावा गांव मा
उकरी सक्दा उकरी ल्यावा
खत्यां दिन बालपन मां
सोब चलगेन छोडी माटी
दुर देश बिदेशु मा
बौडी सक्दा बौडी जावा
गौं की छानी.....
सर्वाधिकार सुरक्षित@लेखक सुदेश भटट(दगडया)

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नयु लिख्वार छो। मेरी या रचना मातृशक्ति कुन समर्पित च।
शीर्षक- हे माँ

धुआयी,तपायी तीन मितै
पाली-पोषीक बडू कायी।
धन्य छे हे माँ तू
ममता तेरी कण रायी।।

बणूँ मा घासकु जान्दी तू त
टक तेरी घर ई रायी।
म्यार तै भूख लगी होली
दौड़ी ए की दूध पिलायी।।

मेरु बाल ,मेरु कालू
बोलिक प्यार दीन्दी छे।
जरा सा रवै जांदू छया त
पीठ थपकेकी सुलादी छे।।

हँसे, खिले मै सिवाली
फ़िर धाणी कु चली जान्दी।
ह्वै जान्दु अगर मुन्डारु मै
चिन्ता त्वे लगी रान्दी।।

ममता क सागर हे माँ तू
तेरु कज्र कनकै दियोल।
त्वै कुन सौ बार नमन
तेरु सदनी मि ऋणी रोलु।।
।। ।।

 

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