Author Topic: Garhwali Poem by Sudesh Bhatt- फौजी सुदेश भट्ट की गढ़वाली कवितायें  (Read 15839 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दिल्ली मां बैठयां छन
उत्तराखंड बच्यांण मा
जगजगा रैली भाषंण
हुणी रैंदन दिल्ली मा
जौंन नी खैनी लाठी गोली
उत्तराखंड आंदोलन मा
वी नेता बणी गेन दीदों
आज उत्तराखंड मा
बोली भाषा कुछ नी जंणदीन
भुना छन पहाड बचोला हम
दिल्ली मा पड पडी की
राजधानी गैरसैंण लीजोला हम
बिरली की सी टक लगीं
१७ की दही की डखुली मा
तैडु सी या खता खंणैणी
बैठ बैठी की दिल्ली मा
जौं भयुं न लाठी गोली
खैन उत्तराखंड आंदोलन मा
वी बिरण हुयां छन
अपुंण उत्तराखंड मा
दिल्ली मा बैठयां छन
उत्तराखंड बच्यांण मा
जगजगा रैली भाषंण
हुणी रैंदन.......
गडवली कुमयीं भाषा जौंसारी
भाषा बचांण कुन भुना छन
पहाडियों की कछेडी लगेकी
देशी मा बिंगांणा छन
दिल्ली मा बैठ्यां छन
उत्तराखंड बचांण मा
जगजगा रैली भाषंण
हुणी रैंदन .........
सर्वाधिकार सहित@सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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आहा आज जिकुडी मा मेरी
फिर उमाल यैगे
गौं गलों की याद
त्योहार बग्वाल यैगे
बार त्योहारु मा दीदी भूली
मैत पैटीं होली
नौकरया भयुं की
अर्जी छुट्टी की जयीं होली
मीतै बी बौडी बौडी
याद गौं की यैगे
खुशीयों कु त्योहार दीदों
हपार बग्वाल यैगे
फुलझडी दिवाछलों की
मीतै याद यैगे
पुजा पिठै की बाडी
गोरु तै खलांण की याद यैगे
आहा आज जिकुडी मा मेरी
फिर उमाल यैगे
मेरी बुडडी बुये दीदों
सार लगीं होली
औलु बग्वाल्युं की छुट्टी
घीयु की गुंदकी धरीं होली
दुर परदेस्युं की घरम
हुंणी होली जग्वाल
दगडया बुल्दु भयुं तुमकुन
मुबारक ह्वा हैप्पी बग्वाल
आहा आज जिकुडी मा मेरी
फिर उमाल यैगे
गौं गलों की याद
त्योहार बग्वाल यैगे
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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आज टक मेरी फिर
गांव अपंणी लैगे
खुशियों कु त्योहार दीदों
लेकी बग्वाल यैगे
आज टक मेरी फिर
ढौल दमौ की रस्यांण
घ्यु की गुंदकी याद यैगे
पुरी पक्वड गरम श्वाल
दीदों याद यैगे
आज फिर टक मेरी
सजे धजे की बाडी झंग्वरु
गौरु ते खलौंण की याग यैगे
सिंगीयुं पर तेल लगांण
गल्यों की जोडी याद यैगे
आज टक मेरी फिर
बन बन की मिठायुं की
कन याद यैगे
हाथी घ्वाडा शेर मशीन
सौब याद यैगे
आज टक मेरी फिर
दीदी भूली मेरी सौब
मैत अयीं जयीं होली
मुडी ख्वाल मथी ख्वाल
काकी बडीयुं पन भिट्यांणा होली
आज टक मेरी फिर
दगडया भग्यान भी म्यार
छुट्टी अयां ह्वाल
बग्वली की रस्यांण मा रंगमत
ढौल दमों मा नचंणा ह्वाल
आज टक मेरी.......

सर्वाधिकार सहित @सुदेश भटट(दगडया) की बग्वली की शुभकामनाओं की दगड (फोटो साभार सत्येश्वर प्रसाद जोशी जी)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मुझे मेरे गांव का
त्योहार याद आ गया
तुम्हारी दीपावली
हमारा बग्वाल आ गया
मुझे मेरे गांव का
त्योहार याद आ गया
तुम्हारे लिये मिलावटी बर्फी
मिठाईयों का त्योहार आ गया
हमारे पहाडों मे घी की गुंदकी
अर सुवाल पक्वडीयुं की रस्यांण लेके आ गया
मुझे मेरे गांव का
त्योहार याद आ गया
शहरों मे अमीरों के लिये
पीने का बहाना लेके आ गया
मेरे पहाडों मे अमीर गरीब
सबको मिलाने बग्वाल आ गया
मुझे मेरे गांव का
त्योहार याद आ गया
तुम्हारे शहरों मे डींजे
ध्वनी प्रदुषंण लेके आ गया
वायु मंडल को दुषित करने
पटाखों का धुंवा छा गया
मुझे मेरे गांव का
त्योहार याद आ गया
तुम्हारी तो लडियां जलाने गुल होती
बिजली का सहारा आ गया
हमारे पहाडों मे सदाबहार
मुछ्यल.दीवाछलों का बगत आ गया
मुझे मेरे गांव का
त्योहार याद आ गया

सर्वाधिकार@सुदेश भटट(दगडया)की देशी दगडयों कुन समर्पित पंक्ति

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मुझे मेरे गांव का
त्योहार याद आ गया
तुम्हारी दीपावली
हमारा बग्वाल आ गया
मुझे मेरे गांव का
त्योहार याद आ गया
तुम्हारे लिये मिलावटी बर्फी
मिठाईयों का त्योहार आ गया
हमारे पहाडों मे घी की गुंदकी
अर सुवाल पक्वडीयुं की रस्यांण लेके आ गया
मुझे मेरे गांव का
त्योहार याद आ गया
शहरों मे अमीरों के लिये
पीने का बहाना लेके आ गया
मेरे पहाडों मे अमीर गरीब
सबको मिलाने बग्वाल आ गया
मुझे मेरे गांव का
त्योहार याद आ गया
तुम्हारे शहरों मे डींजे
ध्वनी प्रदुषंण लेके आ गया
वायु मंडल को दुषित करने
पटाखों का धुंवा छा गया
मुझे मेरे गांव का
त्योहार याद आ गया
तुम्हारी तो लडियां जलाने गुल होती
बिजली का सहारा आ गया
हमारे पहाडों मे सदाबहार
मुछ्यल.दीवाछलों का बगत आ गया
मुझे मेरे गांव का
त्योहार याद आ गया

सर्वाधिकार@सुदेश भटट(दगडया)की देशी दगडयों कुन समर्पित पंक्ति

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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रगबग सी हुयुं छौं
दिल्ली की घिमसांण मा
धक्का मुल्कों मा रक्सां
हुयुं छौं ईं दिल्ली मा
फोन पर ही बात हुंदी
अपणु से यीं दिल्ली मा
मिलणा कु तो टैम ही नी
कैमा ईं दिल्ली मा
डबख डबख डबखंणु छौं
चकौर सी दिल्ली मा
कबेलदारी हुयीं घर
नौकरी खुज्यांणु छौं दिल्ली मा
गौं क तिबाट चौबटों की
याद आंणी दिल्ली मा
रगाबगी हुयीं दीदों
मैकु लाल बत्युं मा
कभी चांदनी चौक कभी
कनाट प्लैश फुटपाथों मा
कभी डोर टु डोर छौं जाणु
समान बिचंण कुन दिल्ली मा
रगबग सी हुयुं छौं
दिल्ली की घिमसांण ....
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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आज कु शीर्षक हे दारु..
मरन म दारु बचंण म दारु
हैंसद ख्यल्द अर रुवांद मा दारु
ब्यौ मा दारु म्याल मा दारु
घाटम मड्यों तक चयैंणी दारु
हे दारु हे दारु हे दारु हे दारु
भैंसी बियायी त पैली दारु
बल्द लायी त पिलाई दारु
बेटी लखांण त लखनर कुन दारु
ब्वारी आयी त समधी कुन दारु
हुलेरु कुन त छैयी दारु
अब त डुलेरु कुन भी दारु
फड पकांण त पैली दारु
हल लगांण त तब भी दारु
हे दारु हे दारु हे दारु हे दारु
गुरज्युं कुन भी चयैंणी दारु
बामण जजमान सबकुन दारु
पुजा पिठै मा पैली दारु
हंत्या घड्यलु मा ह्वाई दारु
कौ कार्यों मा यैथर दारु
नामकरण मा जरुरी दारु
रामचंद्र नौ धर्यांणु
पेलम पेल कैकी दारु
हे दारु हे दारु हे दारु हे दारु
देबी दयबतों की जगाम
दारु ही अब द्वास लगली
थुल्युं न ही कीटी .कीटी...........
सर्वाधिकार @सुदेश भटट (दगडया) स्थान नाम चरित्र काल्पनिक मात्र है

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देखा देख्युं मा
सरा भ्याल ह्वै ग्या
म्यार गौं मुलुक
सुनसान ह्वै ग्या
आदीम त दुर
चकलु न भी छ्वाडी
तिबारी डिंडयाल्युं से
सब्युं न मुख म्वाडी
गौं के बाट आंण कुन
खार खांणा छन
आपदों क मुवावजा मा
प्लाट कुन रगरयांणा छन
देखा देख्युं मा
सरा भ्याल ह्वै ग्या
म्यार गौं मुलुक सुनसान.....
गडवली बुलंण मा
दिल्ली मा सरमांणा छन
श्वारों मनन घी दाल
गडवाल बिटी खुब मंगाणा छन
दिल्ली मा यैकी अफु
बड चितांणा छन
गौं मा द्वार चटबा छुड्यां
यख द्वार ढकी क बैठ्यां छन
म्यार गौं मुलुक
सुनसान.......
.......सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हपार स्यु गौं बस्युं
दीदों द्याखो धार मा
लोग चलीगेन द्वार ढकी
सडक यैग्या चौक मा
देवी द्ययवता भीतर उगडयां
सुनिंद छन परदेश मा
कुछ दिल्ली बंबई बसगेन
कुछ हपार बिदेश मा
बंठों पर सी जंक लग्या
बिसलरी धरीं सिरंण्यु मा
फ्रिजु की तिबासी भुजी
सवदी हुंणी परदेश मा
मेरी दीदी भुली दीदों
हिटी नी सकदन गांव मा
घस्यर लखड्यल बी जमा अलगसी
ह्वेगेन जैकी परदेश मा
धै लगांण मा हुयीं शरम
रैबार जंदिन फोन मा
गांणा सुणदन अंगरेजी भग्यान
लीड कुचीं च कान मा
हपार स्यु गांव बस्युं
दीदों द्याखो......
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भटट(दगडया)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हपार स्यु गौं बस्युं
दीदों द्याखो धार मा
लोग चलीगेन द्वार ढकी
सडक यैग्या चौक मा
देवी द्ययवता भीतर उगडयां
सुनिंद छन परदेश मा
कुछ दिल्ली बंबई बसगेन
कुछ हपार बिदेश मा
बंठों पर सी जंक लग्या
बिसलरी धरीं सिरंण्यु मा
फ्रिजु की तिबासी भुजी
सवदी हुंणी परदेश मा
मेरी दीदी भुली दीदों
हिटी नी सकदन गांव मा
घस्यर लखड्यल बी जमा अलगसी
ह्वेगेन जैकी परदेश मा
धै लगांण मा हुयीं शरम
रैबार जंदिन फोन मा
गांणा सुणदन अंगरेजी भग्यान
लीड कुचीं च कान मा
हपार स्यु गांव बस्युं
दीदों द्याखो......
सर्वाधिकार सुरक्षित@सुदेश भटट(दगडया)

 

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