Author Topic: Garhwali Poems by Anup Rawat / अनूप रावत की गढ़वाली कवितायेँ  (Read 23283 times)

Anoop Rawat "Garhwali Indian"

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चबोड़ (Fashion)
आजकल जमानु च चबोड़ कु
दूसरा से भलु दिखेणा कु होड़ कु

मेरा मुल्क मा भी फैली गे यु रोग
भारी चबोडया हूणा छन अब लोग

झणी कख बिटी आई यख भी ऐगे
टांग अपरा यख भी पसरण लैगे

नौना नौनी भारी चबोडया ह्व़े गैनी
अपड़ी रीत रिवाज सब भूली गैनी

नौनु कमाई की अठन्नी मेरु ल्यांद
अर ब्वारी बिचारी रुपया मेरी उडांद

पैली गरीबी मा पैनी लारा फट्या
और अब यु बल चबोड़ ह्वेगे रे ब्यटा

आंग अंगीडी फुर्क्याली घाघरी ख्वेगे
कुर्ता फते मुंड मा कि टोपली ख्वेगे

छोरा च की छोरी नि पछ्नेणु चा
नौ छन यनु कि कते नि बिंगेणु चा

चबोड़ पर खूब बनणा छन अब गीत
अर कखी खोणी च मेरा मुल्क कि रीत

चला दगिद्यो ये चबोड़ थे दूर भगौंला
अपरी संस्कृति हम मिली कि बचौंला

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०९-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

विनोद सिंह गढ़िया

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   परदेश मा छौं गौं की याद औणी चा

    परदेश मा छौं गौं की याद औणी चा.
    ठंडा का मारा हथ खुटी कौंपणी चा.
    ह्यून्दा कु मैना, भारी जड्डू हुयूंचा.
    भैर देखा कनी कुयेडी लौंकिचा...
    परदेश मा छौं गौं की याद औणी चा.

    घौर मा रैंदु ता डांडियों मा जांदु.
    छित्कुंडा, बांजा की डाली ल्यांदु.
    हथ खुटी अपरी तब खूब तपै लेंदु.
    ये जड्डू मा इनु नि म्वारुनु रैंदु..

    द्वि रुप्युं का बाना घार छोड्यूं चा.
    अपडूं से म्यारू मुख मोड्युं चा.
    यखुली छौं यख खुदेणु छौं मी.
    यादों मा अपडूं की रोणु छौं मी.

    घार यूँ दिनों भट्ट भूजी की खाणु
    छंछ्या पल्यो बाड़ी झ्वली फाणु.
    दै दगड़ी निम्ब्वा की कछ्मोली.
    च्या का दगड़ी भेली की डौली..

    तिबारी मा बैठी की घाम तपणु
    गैल्यों का गैल उ हैसणु खेलणु.
    डांडियों मा उ सफ़ेद ह्यूं पोडणु.
    अब परदेश मा कख बटी देखणु.

    घुट घुट गौला मा भडुली लगणी चा.
    बीत्यां दिनों की फिर याद औणी चा.
    परदेश मा छौं गौं की याद औणी चा.

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
" गढ़वाली इंडियन "
इंदिरापुरम, गाजियाबाद

Anoop Rawat "Garhwali Indian"

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घस्यारी (पहाडा की)

ऊँचा निचा डांड्यू जाणी होली घस्यारी
होली माँ बेटी काकी बोडी दीदी भुली ब्वारी
घासा का बाना जांदी मेरा पहाडा की नारी.

मुंड मा परांदा बध्युं होलू कमर मा ज्युडी
हाथ मा होली सजणी छुनक्याली दाथुड़ी

पलान्या मा बैठी की दाथुड़ी थै पल्याली
स्वामी की खुद मा कभी बाजूबंद लगाली

क्वी भरणी होली गड़ोली क्वी बंधिणी पूली
क्वी होली गैल्यों गैल ता क्वी होली यखूली

तीसालू होलु सरैल अर भूख लगणी होली
अपरी खैर भूली, स्वामी की सोचणी होली

दूर डांड्यू बीटी मैत देखि की याद च आणी
मैता की भी होली भारी वीं थै खुद सताणी

जुगराज रैयी तू सदानी हे पहाडा की घस्यारी
रावत अनूप करदू नमन त्वेकू हे पहाडा नारी


सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -२८-०३-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

Anoop Rawat "Garhwali Indian"

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म्यारा मुलुक कभी ऐकि देख

म्यारा मुलुक कभी ऐकि देख
कनु प्यारु च मयारू मुलुक रे
मुलुक की प्यारी रीत ऐकि देख
कभी जरा यख बास रैकि देख

देशों मा कु देश मेरु गढ़ देशा
हरियाली छाई रैंदी यख हमेशा
कभी हैरा भैरा डांडा ऐकि देख

रंग बिरंगा छन फूल खिल्यां
देवभूमि मा मनखी छन बस्यां
डांडी कांठ्यूं मा कभी ऐकि देख

कुलें देवदार बांज बुरांश डाली
मेलु तिमला बेडू ऐकि खयाली
ठंडो मीठो पाणी कभी पेकि देख

थोला मेलू की स्वाणी आयीं बहार
ज्यूं भोरी की खतेणु प्यार उलार
ताती-२ जलेबी पकोड़ी खैकि देख

डाँडो ग्वरेल अर घास घस्यारी
रोल्युं जायीं होली पाणी पन्यारी
बांसुरी की भौण मा ख्वेकि देख

स्कुल्या छोरी छ्वारा छन कना जाणा
उकाल उंदार मा गरा बस्ता लिजाणा
ठठा मजाक उंकी जरा तू ऐकि देख

थाडों मा लग्युं च रे रांसू मंडाण
थड्या चौंफला छौंपती मा नचाण
बार त्योंहारों की रौनक ऐकि देख

घ्यू दूध की छरक यख हूंद भारी
कोदा रोटु धन्या की चटनी प्यारी
छंछ्या झोली फाणु कभी खैकि देख

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०२-०४-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)[

Anoop Rawat "Garhwali Indian"

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म्यारा मुलुक कभी ऐकि देख

म्यारा मुलुक कभी ऐकि देख
कनु प्यारु च मयारू मुलुक रे
मुलुक की प्यारी रीत ऐकि देख
कभी जरा यख बास रैकि देख

देशों मा कु देश मेरु गढ़ देशा
हरियाली छाई रैंदी यख हमेशा
कभी हैरा भैरा डांडा ऐकि देख

रंग बिरंगा छन फूल खिल्यां
देवभूमि मा मनखी छन बस्यां
डांडी कांठ्यूं मा कभी ऐकि देख

कुलें देवदार बांज बुरांश डाली
मेलु तिमला बेडू ऐकि खयाली
ठंडो मीठो पाणी कभी पेकि देख

थोला मेलू की स्वाणी आयीं बहार
ज्यूं भोरी की खतेणु प्यार उलार
ताती-२ जलेबी पकोड़ी खैकि देख

डाँडो ग्वरेल अर घास घस्यारी
रोल्युं जायीं होली पाणी पन्यारी
बांसुरी की भौण मा ख्वेकि देख

स्कुल्या छोरी छ्वारा छन कना जाणा
उकाल उंदार मा गरा बस्ता लिजाणा
ठठा मजाक उंकी जरा तू ऐकि देख

थाडों मा लग्युं च रे रांसू मंडाण
थड्या चौंफला छौंपती मा नचाण
बार त्योंहारों की रौनक ऐकि देख

घ्यू दूध की छरक यख हूंद भारी
कोदा रोटु धन्या की चटनी प्यारी
छंछ्या झोली फाणु कभी खैकि देख


सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक -०२-०४-२०१२
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

Anoop Rawat "Garhwali Indian"

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अज्वाण सी अन्वार

अज्वाण सी अन्वार मन मा बसी ग्यायी
दिल मेरु आज यु झणी कख हर्ची ग्यायी.

मुल - मुल हैंसणी कभी छै व शरमाणी
घुंघर्याली ल्वाटुली छै मुखुड़ी मा आणी.

गौला मा हंसुली नाक नथुली सजणी छै
हाथों मा चूड़ी, खुट्यों पैजबी बजणी छै.

पैन्युं छौ लाल बिलोज मा पिंगली साड़ी
गैल्याण्यु गैल हिटणी छै सबसे अग्वाड़ी

देखदा ही ख्वेगे छौ मी विंकी आंख्यों मा
मन भरमैगे मेरु विंकी रसीली बातों मा.

कनिके बिंगो वीमा अपरा दिल की बात
ख्याल विंका ही आणा सरया दिन रात

कब ऐली वा मीमा दगिड्यो रौडी-दौड़ी
कब बणाली हमारी मल्यो की सी जोड़ी

हे प्रभु अब तू ही मेरी माया विमा बिंगे दे
मिथे वींकू अर वींथे मेरी गैल्या बणे दे...

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
“गढ़वाली इंडियन” दिनांक - २२-०५-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

Anoop Rawat "Garhwali Indian"

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द्वी हाथ जोड़ी की मेरा दगिड्यो आज बोलियाल.
जय देवभूमि, जय उत्तराखंड, जय ऊँचो हिमाल.
डांडी कांठ्यूं कु मुल्क मेरु कुमाऊँ गढ़वाल.
जय देवभूमि, जय उत्तराखंड, जय ऊँचो हिमाल.

बद्री - केदार की छत्रछाया मा मनखी बस्यान
गंगोत्री यमनोत्री का किनारा गौं का गौं बस्यान
भलु च मिजाज अर मीठी च यख बोलचाल.
जय देवभूमि, जय उत्तराखंड, जय ऊँचो हिमाल.

फूल हैंसणा छन यख ऊँची नीची डांड्यों मा
हैरी हरियाली छाई च यख गैरी-२ घाट्यों मा
देवधरा बारामास इनी रेंद गैल्या तू सुणियाल.
जय देवभूमि, जय उत्तराखंड, जय ऊँचो हिमाल.

ठंडी बयार आणि, ब्वगणी च यख गाड गदेरी
बणो ग्वरेल, पन्देरूं मा पनेरी, डांड्यों मा घसेरी
मन लुभौण्या गीत दगिड्या आज तू भी गयाल
जय देवभूमि, जय उत्तराखंड, जय ऊँचो हिमाल.

चखुला भी यख बनी-२ का डाल्यूं मा चुच्याणा
कभी यख कभी वख देखा रैबार थै पहुँचाणा
ह्वेगे सुबेर अर पोडिगे रुमुक सब यून बोलियाल
जय देवभूमि, जय उत्तराखंड, जय ऊँचो हिमाल.

काम काज का बगत सब लोग छन पुंगिड्यों मा
प्याज पिरण्या, धण्या की चटनी छन रोट्यों मा
खैर फटान कु भेली कुटुकी मा अहा च्या पियाल
जय देवभूमि, जय उत्तराखंड, जय ऊँचो हिमाल.


सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन" दिनांक - २१-०५-२०१२
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)
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Anoop Rawat "Garhwali Indian"

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    सर बिरोली जब भी आंद,
    अन्याड़ सदानी कैरी जांद।।

    द्वार ढ़ोंग्यां रैंदा पट्ट,
    पर खोली देंदी स्या चट्ट।
    दूध की भांडी पेयी जांद।
    सर बिरोली जब भी आंद,
    अन्याड़ सदानी कैरी जांद।।

    सुबेर कल्या रोटी पकायी,
    तिबारी डिडांळी साफ़ कायी।
    तब तक स्या सब खै जांद।
    सर बिरोली जब भी आंद,
    अन्याड़ सदानी कैरी जांद।।

    कल्यो दे कैन जलोठा धरयुं,
    स्यूं भी सीं बिरोली ना खयुं।
    सब गायी निर्भगी का प्याट।
    सर बिरोली जब भी आंद,
    अन्याड़ सदानी कैरी जांद।।

    छै मेरी कुछ कुखुड़ी सैंती,
    वु भी छनी से भैर खैंची ।
    छि भै भारी नुक्सान कै जांद।
    सर बिरोली जब भी आंद,
    अन्याड़ सदानी कैरी जांद।।

    ढुंढणु छौं पर हथ नि आणी,
    अन्याड़ कनी मूसा नि खाणी।
    छडम ह्व़े त निंद उडी जांद।
    सर बिरोली जब भी आंद,
    अन्याड़ सदानी कैरी जांद।।

    सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
    “गढ़वाली इंडियन” दिनांक: १७-०९-२०१२

Anoop Rawat "Garhwali Indian"

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!!! कन्या भ्रूण हत्या पर कुछ पंक्तियाँ  !!!

Quote
आणि दे वीं ईं दुनिया मा,
जीणी दे वीं ईं दुनिया मा।।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।

घर की लक्ष्मी च नौनी, वीं आणी दे।
देख हे, सूण हे, वींथे भी फर्ज निभाणी दे।
सबसे अगिन्या रैली सब थै देली मात।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।

एक ही जन्म मा वींका छन रूप अनेक।
सदानी बिटि करदी आणि व कर्म हे नेक।
दुनिया का उद्धार खातिर कारली एक दिन रात।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।

तीलू, रामी, गौरा ह्वेनी बड़ी-२ नारी।
जौन करी काम यनु दुनिया दे तारी।
छाया सभ्या यु भी रे मनखी नारी जात।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।

आज की दुनिया मा बेटी बेटा बराबर चा।
ध्यान से देख फर्क नीचा कुछ भी द्वियु मा।
टक्क लगे सुणी ले अनूप रावत कि या बात।
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात।
कुछ त डेर वै बिधाता से राखी ले मनख्यात।

©2012 अनूप सिंह रावत ” गढ़वाली इंडियन “
ग्वीन, बीरोंखाल, पौड़ी, उत्तराखंड (इंदिरापुरम)
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Anoop Rawat "Garhwali Indian"

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प्रेम कु फूल खिलिगे जिकुड़ी मा,
कैथे जी द्यूं अब खुज्याणु छौं।
को होलु ऐका काबिल दगिड्यो,
वैथे मी अब ता भट्याणु छौ।।

जब बिटि आयी या ज्वानी,
बणों – बणों मी डबकणु छौ।
सुपिन्यों मा ऐ ज्वा बांद,
वींथे यख-वख ढुंढणु छौं।।

काम काज मा ज्यूं नि लगणु,
झणी किलै इनु तरसेणु छौं।
गौला बाडुली, खुट्यों मा पराज,
झणी किलै मी खुदेणु छौं।।

बथों उडणु यु बालु मन मेरु,
जनि तनि ये समझाणु छौं।
भेंट करै द्यावा अब ता हे,
64 कोटि देवतों मनाणु छौं।।

प्रेम कु फूल खिलिगे जिकुड़ी मा,
कैथे जी द्यूं अब खुज्याणु छौं।

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
“गढ़वाली इंडियन” दिनांक: 03-11-2012

 

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