Author Topic: Garhwali Poems by Anup Rawat / अनूप रावत की गढ़वाली कवितायेँ  (Read 23261 times)

विनोद सिंह गढ़िया

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[justify]दोस्तों, इस टॉपिक के माध्यम से एक युवा उत्तराखंडी भाई अनूप रावत हमें अपनी गढ़वाली कविताओं से रूबरु कराएँगे।
 
 श्री अनूप रावत का परिचय :

भारतवर्ष के पहाड़ी राज्य, उत्तराखंड के पौड़ी जिले के ग्वीन गाँव में मेरा जन्म हुआ. अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय ग्वीनखाल से पूर्ण की और इंटर की परीक्षा जनता इंटर कॉलेज ग्वीनखाल से की. स्नातक के बाद जम्मू विश्वविद्यालय से शिक्षाशास्त्र में स्नातक (B.Ed) किया, और वर्तमान समय में कुमाऊ विश्वविद्यालय से स्नाकोत्तर (M.A.) अंग्रेजी (English) विषय में कर रहा हूँ. वर्तमान समय में मैं अपने परिवार के साथ इंदिरापुरम, गाजियाबाद में निवास करता हूँ. अध्यापन के क्षेत्र में भविष्य बनाने के लिए प्रयत्नरत हूँ.
मुझे कवितायेँ लिखने का शौक है, और अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोने की कोशिश करता हूँ. कुछ सच्चाई, कुछ कल्पना, और कुछ समाज के माध्यम से सुनी हुयी बातों को शब्दों में पिरो कर कविता लिखने की कोशिश कर रहा हूँ. मैंने कुछ कविताएं गढ़वाली और हिंदी में लिखी हैं. जो की मेरे ब्लॉग में प्रकाशित हुई हैं. मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कवितायेँ लोगों तक पहुंचा सकूं.

आपका अपना

अनूप सिंह रावत " गढ़वाली इंडियन "
ग्वीन, बीरोंखाल, उत्तराखंड

इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उ. प्र.)

विनोद सिंह गढ़िया

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अबकी बार जब मी गयुं घार
कुछ सूनु सी लगी मिथे गौं गुठ्यार
खाली - खाली छै मेरी छज्जा तिबार

जब नजर फेरी मिन वार प्वार
तबरी पल्या खोला की बोडी
दिखे ग्यायी मिथे गैल्यो हफार

पूछी मिन किले हे बोडी
छन यु गौं गुठ्यार खाली - खाली
बोडी बोली यनी छन वल्या पल्या छाली

सबकू काम मा साथ देणु वालू
सरया गौं मा एक चतरू ही छायी
यनी बीमारी लगी की वी भी नि रायी

कुड़ी पुन्गुड़ी लोग छोड़ी चलि गेनी
गौं का गौं अब ता रीता ह्वेगेनी
पुन्गुड़ी बांजी अर कुड़ी उजदडा ह्वेगेनी

मल्या खोला का भगतु न भी
अबकी बार झणी बारा कैरी याली
उ भी नौकरी का बान परदेश चलि ग्यायी

बुढया लोग ही रैगेनी अब ब्यटा घार मा
ज्वान बैख सब चलि गेनी परदेश मा
बैठ्या छावा कब आला हम भी सार मा

सूनी ह्वेगेनी ब्यटा जन्दरी उरख्याली
परदेश मा बसी गेनी झणी किले सब उत्तराखंडी
सभ्या मेरा सगी सम्बन्धी कुमाउनी अर गढ़वाली

मिन बोली बोडी चल सब ठीक ह्वे जालु
आली जब यार घार की तब लौटी की आला
जख भी राला सभी एक दिन जरूर आला...

अबकी बार जब मी गयुं घार
कुछ सूनु सी लगी मिथे गौं गुठ्यार
खाली - खाली छै मेरी छज्जा तिबार

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
"गढ़वाली इंडियन"
बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

विनोद सिंह गढ़िया

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मेरु मुल्क मेरु पराण

सुण रे दिदा गीत मिन सदानी गाण
उत्तराखंड च हे मेरु मुल्क मेरु पराण

पंच प्रयाग, पंच बद्री केदार छन यख
देवभूमि मेरु पहाड़ देवों कु वास यख
गंगोत्री यमनोत्री, भागीरथी मैत जख
धन भाग हमरु जु हम जन्म लेनी यख
सुण रे दिदा गीत मिन सदानी गाण
उत्तराखंड च हे मेरु मुल्क मेरु पराण

ऊँची निची डांडी कांठी छन हैरा बुग्याल
चम चम चमकणु स्वाणु ऊँचो हिमाल
मनखी बस्यां छन वल्या पल्या छाल
रंगीलो कुमाऊ मेरु छबीलो गढ़वाल
सुण रे दिदा गीत मिन सदानी गाण
उत्तराखंड च हे मेरु मुल्क मेरु पराण

लएयां पैयां फ्योली फूली बांज बुरांश
कफुआ मोर घुघूती बसणी च हिलांश
कनु भलु लगदु यख बरखुंदु चौमास
बेडू पक्यां रैन्दन यख त हे बारामास
सुण रे दिदा गीत मिन सदानी गाण
उत्तराखंड च हे मेरु मुल्क मेरु पराण

हिंशोला किन्गोड़ा काफल तिमला दाणी
सेव अनार आम माल्टा नारंगी की दाणी
छ्वाल्या धारा मंगरू कु ठंडो मीठो पाणी
मेहनत भारी होंदी यख खाणी कमाणी
सुण रे दिदा गीत मिन सदानी गाण
उत्तराखंड च हे मेरु मुल्क मेरु पराण

थोला मेला लगदन यख आंदी चा बहार
बैख हो या बांद करी जान्दन सज श्रृंगार
थड्या चौंफला लगदन खतेंदु चा प्यार
मिली जांदू जब सरया मुल्क गौं गुठ्यार
सुण रे दिदा गीत मिन सदानी गाण
उत्तराखंड च हे मेरु मुल्क मेरु पराण

वीरों भडु कु मेरु बावन गढ़ों कु देशा
देश का बाना म्वारणा कु तैयार हमेशा
मेरा कुमाऊ गढ़वाल रैफल का जवान
बोर्डर पर छन कमर कसी देश का बान
सुण रे दिदा गीत मिन सदानी गाण
उत्तराखंड च हे मेरु मुल्क मेरु पराण

ज्यू पराण मेरु कखी होरी नी लगदु
पुनर्जन्म हो त यखी फिर मी मंगदु
हे प्रभु सुणि ले रावत अनूप की पुकार
कुशल राखी सदानी मेरु गौं गुठ्यार
सुण रे दिदा गीत मिन सदानी गाण
उत्तराखंड च हे मेरु मुल्क मेरु पराण

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
" गढ़वाली इंडियन "
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

विनोद सिंह गढ़िया

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बसंत ऋतु फिर बौडी ऐगे

    देखा गैल्यों बसंत ऋतु फिर बौडी ऐगे.
    डांडी काठ्यूं मा फिर हरियाली छैगे...

    फूल पाती कनि सजिणी छि देखा हफार.
    बौडी की ऐगे फिर घर-बणों मा मोळ्यार..

    चखुला भी देखा कना रंगमत फिर ह्वेगेनी.
    बनी - बनी की आवाज पहाड़ों मा छैगेनी..

    रूडी आई छौ सब अप दगिडी लीगे छौ.
    फिर ह्युंद मा सब थर थर कौन्पीगे छौ..

    रंग रंगीली बहार मा ब्वाला हे झुमैलो.
    थड्या चौफला आज ज्यूँ भोरी की खेलो..

    सारी पुन्गिदियों मा काम कु बगत ऐगे.
    हैल, कुटुलू, दथुड़ी सब तैयार फिर ह्वेगे..

    लइयां पैयां फ्योली फूली बांज बुरांश.
    कफुआ मोर घुघुती बसिणी हिलांश..

    देखा गैल्यों बसंत ऋतु फिर बौडी ऐगे.
    डांडी काठ्यूं मा फिर हरियाली छैगे...

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
" गढ़वाली इंडियन "
इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

Bhishma Kukreti

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Appreciable trys from the young poet no doubt subject is old.

Anoop Rawat "Garhwali Indian"

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   धन धन हे मेरा पहाडा की नारी


 
 खैरी दुःख विपदा छन त्वैकू भारी.
    जनु भी होलू हे हिक्मत ना हारी..
    धन धन हे मेरा पहाडा की नारी...

    भेलू पखाण, डांडी कांठी घासा कु जांदी.
    स्वामी जी की खुद मा, बाजूबंद लगान्दी.
    सासु बेटी ब्वारी होली पहाडा घस्यारी..
    धन धन हे मेरा पहाडा की नारी...

    रौली गदिन्युं छ्वाल्या मा पाणी कु जांदी.
    बांजा जाड्यूं कु ठंडो मीठो पाणी ल्यांदी.
    मुंडमा धैरी कसेरी आणी होली पन्यारी..
    धन धन हे मेरा पहाडा की नारी...

    सारी पुन्गिदयूं मा रोपणी कु जाणु.
    दुध्याल नौन्याल थे ऐकि बुथ्याणु.
    काम काज होलू न्यरी द्वि सारी..
    धन धन हे मेरा पहाडा की नारी...

    प्याज पिरन्यां कंडली की भुज्जी पकाली.
    कुशल रख्यां स्वामी परदेश देवतों मनाली.
    बौडी आला स्वामी अबकी बारी..
    धन धन हे मेरा पहाडा की नारी...

    हर रूप मा तेरु ही नौ चा हे लथ्याली.
    माँ बेटी ब्वारी बोडी काकी अर स्याली.
    तीलू रामी गोरा ह्वेन यख महान नारी..
    धन धन हे मेरा पहाडा की नारी...

Anoop Rawat "Garhwali Indian"

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कन्या भ्रूण हत्या पर कुछ पंक्तियाँ

आणि दे वीं ईं दुनिया मा, जीणी दे वीं ईं दुनिया मा..
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात.
कुछ त डेर वे बिधाता से राखी ले मनख्यात..

आज की दुनिया मा बेटी बेटा बराबर चा
ध्यान से देख फर्क नीचा कुछ भी द्वियु मा
टक्क लगे सुणी ले अनूप रावत कि या बात.
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात.
कुछ त डेर वे बिधाता से राखी ले मनख्यात..

तीलू, रामी, गौरा ह्वेनी बड़ी-२ नारी.
जौन करी काम यनु दुनिया दे तारी..
छाया सभ्या यु भी रे मनखी नारी जात...
क्या चा वींकु दोष ज्वा ह्व़े व बेटी जात.
कुछ त डेर वे बिधाता से राखी ले मनख्यात..

Anoop Rawat "Garhwali Indian"

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मेरु गौं

ऊँचा निचा डांडयूँ का बीच बस्युं च मेरु गौं
कनु भालू स्वाणु च दगिदयो मेरु गौं.

छ्वाल्या मंगरू कु ठंडो मीठो पाणी
आम सेव काफल तिमला की दाणी
अहा क्या बिंगो कनु प्यारु च मेरु गौं

घास घसेनी बाजूबंद लगानी जख
डांडयूँ माँ ग्वरेल बांसुरी बजान्दा वख
अहा थोला मेलु माँ रंग्यु होलू मेरु गौं

सारी पुन्गिदयों माँ कम काज लग्युं
सब का सब देखा कनु काम लग्युं.
अहा पसीना मेहनत कु लतपथ मेरु गौं
ऊँचा निचा डांडयूँ का बीच बस्युं च मेरु गौं
कनु भालू स्वाणु च दगिदयो मेरु गौं.

विनोद सिंह गढ़िया

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ना बांस तू घुघुती घूर-घूर



    ना बांस तू घुघुती घूर-घूर
    परदेश छन स्वामी दूर-दूर
    मेरु सन्देश ली उडिजा फूर-फूर

    फोटो देखि की मन थे बुथ्याणु
    राजी ख़ुशी रयां देवतों मनाणु

    ड्यूटी लगीं होली कश्मीर बोर्डर
    दुश्मन ऐग्याई बल सरकारी ऑर्डर

    सरेल मेरु यख मन उमा लग्युंचा
    ज्यू पराण मेरु हे तौमा लग्युंचा

    हम कुशल छावा चिंता नि कर्यान
    स्वामी आप अपरू ध्यान धर्यान

    फुर्र उडी जा दी ली जा मेरु संदेशा
    तुम दगडी राली मेरी माया हमेशा

    लड़े जीती की स्वामी घार अयान
    गढ़वाल रायफल कु मान रख्यान

    जीती आवा झठ बैठ्यों छौं जग्वाल
    दगडी खेलला स्वामी इगास बग्वाल

    ना बांस तू घुघुती घूर-घूर
    परदेश छन स्वामी दूर-दूर
    मेरु सन्देश ली उडिजा फूर-फूर

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
 "गढ़वाली इंडियन"
 बीरोंखाल, पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड)
 इंदिरापुरम, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)

Anoop Rawat "Garhwali Indian"

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मेरु गौं

ऊँचा निचा डांडयूँ का बीच बस्युं च मेरु गौं
कनु भालू स्वाणु च दगिदयो मेरु गौं.

छ्वाल्या मंगरू कु ठंडो मीठो पाणी
आम सेव काफल तिमला की दाणी
अहा क्या बिंगो कनु प्यारु च मेरु गौं

घास घसेनी बाजूबंद लगानी जख
डांडयूँ माँ ग्वरेल बांसुरी बजान्दा वख
अहा थोला मेलु माँ रंग्यु होलू मेरु गौं

सारी पुन्गिदयों माँ कम काज लग्युं
सब का सब देखा कनु काम लग्युं.
अहा पसीना मेहनत कु लतपथ मेरु गौं
ऊँचा निचा डांडयूँ का बीच बस्युं च मेरु गौं
कनु भालू स्वाणु च दगिदयो मेरु गौं.

सर्वाधिकार सुरक्षित © अनूप सिंह रावत
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