देव भूमि बद्री-केदार नाथये गढ़वाल
दादा दादी
बैठ छन घार
तिबारी दार
सनघुला ताला
माथा कूड़ा देखा
देखा तुम ताल
पूरा गढ़ देश का एक ही हाल
पलायन काण लग्युं इन यान
पलायन पलायन बस ये गढ़ धाम
बतवा मी थै दीख्वा इन गाम
जख नी पुन्ह्न्छु ये शैतान ण
गव्हाई दिला ये बाटा ये कूड़ा
हकीकत बयां करला ये बोहज्याँ चुलह
कबैर जल्दी छे इन मा भी आगा
कंण फुटयूँ मेर इन भाग्य
देवभूमी छुडी मी भी भागा
पलायन काण लग्युं इन यान
पलायन पलायन बस ये गढ़ धाम
रीटा कूड़ा उजड़ा पडू ये ड़णड़
बंजा पड़ा पुंगडा सरयागढ़ धाम
कमधणी नीच बस ध्याड़ी की बात
कण के विपदा को उकल चढ़लू ये गढ़ धाम
खैरी खैरी च यखा और सीयीं छ सरकार
विचार गोष्टी कै की बस बाणगया बात
शीलन्यास करै की कम चलो होलो परबत
इन मा दीण दिण चली गैनी कब आलू ओ प्रभात
पलायन मुक्त होलू मेरु गढ़ धाम
पलायन काण लग्युं इन यान
पलायन पलायन बस ये गढ़ धाम
भैर भटैक आयां व्यापारी कामदी यख रुपया हजार
यखा का नोजवान बुल्दी हमकोंण दुई चार
उंदर बाट बाट जाकी जब णी बाणी माया बात
वाख जाके तब आयी मेरी भांडी याद
चुना की रोटी ल्ह्शोंनै की चटनी को स्वाद
जेकोड़ी मा तब लगी दण मण बरसात
रहे रहे कीले वहाली याणी बात मेर गढ़ धाम
छुडी जाण तुंम सात समुदर पार
पलायन यो समस्या को नीच समधान
विचार कर ये बात जब तुम जब छुडीला गढ़ताज
पलायन काण लग्युं इन यान
पलायन पलायन बस ये गढ़ धाम
दादा दादी
बैठ छन घार
तिबारी दार
सनघुला ताला
माथा कूड़ा देखा
देखा तुम ताल
पूरा गढ़ देश का एक ही हाल
पलायन काण लग्युं इन यान
पलायन पलायन बस ये गढ़ धाम
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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