Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 447236 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
इन्तजार
 
 तनहाई गाती
 परछाई साथ चलती है
 तन्हाई संग अकेला
 बस सांसें ओर वो मेला
 तनहाई गाती
 
 यादों के समन्दर 
 तैरता वो चेहरा
 आती जाती लहरें
 वो झुल्फों का बसेरा
 तनहाई गाती
 
 मंजर वो साथ
 इस दिल के पास 
 कभी साथ साथ
 बस रह गयी याद
 तनहाई गाती
 
 तरनुमा गूंजा रहा
 बस खामोशी के साथ
 तन्हाई का वो समा
 बस एक इंतजार
 तनहाई गाती
 
 तनहाई गाती
 परछाई साथ चलती है
 तन्हाई संग अकेला
 बस सांसें ओर वो मेला
 तनहाई गाती
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
 मेरा ब्लोग्स
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 मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत —

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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
बद्री-केदार
 
 ये बाटा कखकजाणा बल
 बद्री-केदार
 के बाटा जाणा ये ऊँचा हीमाला
 बाबा द्वारा
 शिव कैलसा गढ़देश
 मेरु गढ़वाल   
 
 माँ गंगोत्री को छाला
 पावन ये धारा
 कखक भाटैक बोगाण
 शीतल जल धारा
 बाबा को जाटा से
 मा से निकली माँ 
 ले अर्ध चंद्र सहारा
 वख सर्प की माला
 त्रिशूल डमरू वाला
 बाबा मरघट त्रिनेत्रवाल
 वख भाटे आयीं गंगा की  धारा
 जख बैठ्याँ मेरु केदारनाथ बाबा
 
 वख बद्री विशाला
 माँ लक्ष्मी को वासा
 बैठी छे माँ बद्री डला छाला
 नर नारायण को वख बासा
 दोई परबत को ली  सहारा
 मेरु कुल्देब्ता नरसिंह अवतार
 भविष्य बद्रीविशाला
 जगत गुरु शंक्रचर्या
 स्थापित ये बद्री धाम निराला
 
 भक्तों ये बाटा जाणा
 मुक्ती धामा  माँ गामा
 सती का धमा गौरी सरासा
 नंदा माँ का मैत कुमो गामा
 बल कुंवारी माँ भगवती ठीकण
 देख झंडा मा माँ की निशाण
 ये डोला जाणु इष्ट देबता थे पूजाण
 ये देवभूमी उत्तराखंड कुमो गढ़वाल
 
 ये बाटा जाणा बल
 बद्री-केदार
 ये जाणा ये ऊँचा हीमाला
 बाबा द्वारा
 शिव कैलसा गढ़देश
 मेरु गढ़वाल   
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
पहाडा की राणी
 
 मीथै भी तीथै भी लै जाणी छे
 जीप पहाडा मा लगदी स्वाणी छे
 गों का माथा मा कभी टुक पुहँच जाण दी  छे
 गढ़ देश की सड़कीयूँ की राणी छे
 मीथै भी तीथै भी लै जाणी छे...........................
 
 समा-सुम होंयी सड़की मा
 दूर भाटीक दीखा जाणी छे
 मीथै देखा वा  बुलाणी छे
 बत्ती जलाणी बुझाणी छे
 मीथै भी तीथै भी लै जाणी छे...........................
 
 जी.ओ.मो. का राज्य हौंयाँ
 सड़की सर र र दुआडी जाणदी छे
 विपदा खैरी बगत जब बोलूं कोई
 झट दुआडी की आ जांदी छे   
 मीथै भी तीथै भी लै जाणी छे...........................
 
 बाटा बाटा भाटेक उठाणी छे
 गों गों तक हम थै छुडी जाणी छे   
 पैंसा णीच कभी ना वा दल्काणी छे
 गढ़ देश दगडी माया लगाणी छे
 मीथै भी तीथै भी लै जाणी छे...........................
 
 ब्यो बरती मा सेवा लाणी छे
 थोडू सा मेवा ये भी खाणी छे
 बरतीयुं दगडी दगडी नाचणी छे
 दाण बुढयूँ थै खूब हँसाणी छे
 मीथै भी तीथै भी लै जाणी छे...........................
 
 रोजगार को नायु बाटा दीखाणी छे
 पालयन समस्या ओषधी लगणी छे
 गरीब भूलह दो नाणी कामणु छे
 सरकार थै ये भी कटकणु छे
 मीथै भी तीथै भी लै जाणी छे...........................
 
 म्यार गढ़ देश की चूल्हों जलाणी छे
 सीट फुलह हुग्य छाजा मा बीठाणी छे
 तेडा मेडा सड़की मा पंमपंम बजाणी छे       
 गड्वाली गीतों की केसैट बजाणी छे   
 मीथै भी तीथै भी लै जाणी छे...........................
 
 
 मीथै भी तीथै भी लै जाणी छे
 जीप पहाडा मा लगदी स्वाणी छे
 गों का माथा मा कभी टुक पुहँच जाण दी  छे
 गढ़ देश की सड़कीयूँ की राणी छे
 मीथै भी तीथै भी लै जाणी छे...........................
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
पंचमी विदेश मा
 
 आयी पंचमी मवो की
 हरये बटेगे गाँव मै
 हीशोलों की दाणी रुलों मा
 खुशी छेगे जीकोडी खोलो मा
 आयी पंचमी मवो की
 जीकोडी उडीगे गँवा मा 
 चकुली सी बैठी डाला मा
 हरणु लग्युं मै गों मा
 येगै बसंत पंचमी मेर पह्डामा
 बैठ्युंच च मी ये विदेश मा     
 आयी पंचमी मवो की
 हरये बटेगे गाँव मै
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
गढ़देश गढ़वाल
 
 जगी जाँवाँ नारैण    ............२
 उत्तराखंड नारेण गढ़देशा नारैण   
 जगी जाँवाँ जगी जाँवाँ ये .................
 
 राज नेताओं नारेण नेता गण नारैण     
 छायो ये पहाडमा नारंगी नारैण   
 जगी जाँवाँ जगी जाँवाँ ये .................
 
 कोटद्वार नारेण दूँण नारैण   
 ब्याल शराब ही शराब व्हाई यख गढ़ देश नारैण   
 जगी जाँवाँ जगी जाँवाँ ये .................   
 
 हाथ मा नारेण कमल मा बैठुयाँ नारैण   
 हाथी मा चढ़यु नारेण सायकल सवार नारैण   
 जगी जाँवाँ जगी जाँवाँ ये .................
 
 अपक्षा  विपक्ष सतापक्ष मा नारैण   
 दलीय निर्दलीय संग गीजोंच नारैण
 जगी जाँवाँ जगी जाँवाँ ये .................
 
 छाल-बली नारैण महाबली नारैण
 विपदा गढ़देशा कीले णी सारेण ये नारैण
 जगी जाँवाँ जगी जाँवाँ ये .................
 
 रुपयों मा छप्युं नारैण ठेखेदारों का ठेकों मा नारैण
 देखा बंजा पुन्गाडा नारैण देखा राड़दा ड़णड़ नारैण
 जगी जाँवाँ जगी जाँवाँ ये .................
 
 माया मा नारैण छाया मा नारैण
 काया मा नारैण साया मा भी नारैण
 जगी जाँवाँ जगी जाँवाँ ये .................
 
 उत्तराखंड गढ़वाल थै जागी दै म्यार नारैण
 गढ़ को गण गण थै जगा दै म्यार नारैण
 जगी जाँवाँ जगी जाँवाँ ये .................
 
 बेरोजगारी पल्याँण भ्गादै नारैण
 प्रगती ये पह्डामा बसादै म्यार नारैण
 जगी जाँवाँ नारैण    ............२
 
 खैरी विपदा का साथ छुड छुड मेरा नारैण
 आपरा लोगों की रक्षा कर कर मेरा नारैण
 जगी जाँवाँ नारैण    ............२
 
 देख देख नारैण रीटा रीटा ये गढ़ सारा नारैण
 गढ़ की बेटी ब्वारी थै दै दे अब त्यारू सरू
 जगी जाँवाँ नारैण    ............२
 
 कब सवेरा वहाली  ये देशा मा नारैण
 कब तो दैणु व्हालो म्यार गढ़ देशा मा नारैण
 जगी जाँवाँ नारैण    ............२
   
 मै दगडी भी तै दगडी भी अपरु नारैण
 जगी दयाव गढ़ वासी अपरु जीकोड़ी मा बैठ्युं नारैण
 जगी जाँवाँ नारैण    ............२
 
 ये बार भाई भुल्हों दै दयावा उताराखंड नारैण
 म्यार गढ़देश को उतरखंड को नारैण
 विपदा हरी खैरी हरी नारैण
 हे नारैण जगी जाँवाँ नारैण    ............२
 
 जगी जाँवाँ नारैण    ............२
 उत्तराखंड नारेण गढ़देशा नारैण   
 जगी जाँवाँ जगी जाँवाँ ये .................
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
विपदा गढ़ा की भैजी
 
 विपदा गढ़ा की भैजी ये अपर गढ़ा की
 को सुणलो को सुणलो आज
 विपदा गढ़ा की
 
 हर्ची गैणी हर्ची गैणी यख
 राजधानी १७  जिल्हों की
 ११ बरस हर्ची रुपया खर्ची
 दूँण सरकार वा मनमर्जी 
 
 विपदा गढ़ा की भैजी ये अपर गढ़ा की
 को सुणलो को सुणलो आज
 विपदा गढ़ा की
 
 क्रांतीकरीयुं को सप्नीयुं को ताज
 कखक लुक्युं व्हालो वा आज
 गैरसैण को वो काटों को ताज
 केले णी वख फुल खिला आज 
 
 विपदा गढ़ा की भैजी ये अपर गढ़ा की
 को सुणलो को सुणलो आज
 विपदा गढ़ा की
 
 बंजा पुंगडा मनख्यूं की आस
 रडत डाणडीयू मा वा बरसात
 जंगलात मा चोरो का वो हाथ
 दारू का ठेकादोरों का बस साथ
   
 विपदा गढ़ा की भैजी ये अपर गढ़ा की
 को सुणलो को सुणलो आज
 विपदा गढ़ा की
 
 माटा का कूड़ा लेंटर का कूड़ा की बात
 बेटी बावरी नुँनो ओर दाण बुढयाँ साथ
 गों गों केले रीट होग्याई गढ़ देश आज
 प्रगती बाटा मा कालु सर्प बैठ्युं आज 
 
 विपदा गढ़ा की भैजी ये अपर गढ़ा की
 को सुणलो को सुणलो आज
 विपदा गढ़ा की
 
 टेहरी डैम बणी नई टेहरी को आधार
 सरकार छुड़ीगै पास बस्याँ गों का साथ
 अधर मा लटकी च ओंकी सुरक्षा आज
 बिजली की लोड शैडींग सरू गढ़ हैरण 
 
 विपदा गढ़ा की भैजी ये अपर गढ़ा की
 को सुणलो को सुणलो आज
 विपदा गढ़ा की
 
 स्कुल भरा भरा म्यार गढ़ देश मा आज
 एक शिक्षकों को पड़ाणु सारा स्कुल थै आज
 कब बदले गा ये गढ़ देशा की हलता
 बेटी ब्वारी पन्तेद्र मा करणी च बात
 
 विपदा गढ़ा की भैजी ये अपर गढ़ा की
 को सुणलो को सुणलो आज
 विपदा गढ़ा की
 
 उतराखंड देवभूमी दूर खडी देखणी आज
 को बणालो ये ये गढ़ देशा को  सम्राट
 आयींच बेल को हरुलो मेरी विपदा खैरी आज
 को हंसलू मी थै  को बाणलू मीथै रुतैला ये गढ़वाल
 लगी चु मी एक ही आस
 
 विपदा गढ़ा की भैजी ये अपर गढ़ा की
 को सुणलो को सुणलो आज
 विपदा गढ़ा की
   
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
मत मेरु पह्ड़ा बाण
 
 चुनवों को दीण च
 उत्तरखंड को दीण च   
 अपरू मत को दीण च
 अधिकार को दीण च
 
 एक वोट को दीण च
 गढ़ की सोच को दीण च
 नयै दिशा को दीण च 
 कदगा जग्याँ हम आज वो दीण च 
 चुनवों को दीण च
 
 गैरसैण को दीण च
 गढ़ को इतिहस को दीण च
 शहीद को सहादत को दिण च
 खैरी विपदा को दीण च
 चुनवों को दीण च
 
 गढ़ को जनता को दीण च
 ११ बरसा को हेर को दिण च
 गढ़ की आवाज को दीण च
 अपरू संन्माना को दीण च         
 चुनवों को दीण च
 
 हीट दगडी दगडी जोंला
 अपरा वोट का प्रयोग करोंला
 गढ़ देश तेरो वो मेरो भूलह
 दगडी हम गढ़ थै संजोंला
 चुनवों को दीण च   
 
 उत्तरखंड चुनवा ३०/०१/२०१२
 
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ जन्मदिन 
 
 नटखट नन्दलाल
 घर आयो च आज
 ध्यानी परिवार मा
 छायो हर्ष उल्लास
 
 आयुष ध्यानी जी
 बोई रख्युं च नाम
 पाली गाम मा बटी
 गुड चीनी च आज
 
 दादा दादी को प्राण
 चंचल चु बडु शैतान
 उछेदी मा अग्र स्थान
 गुस्सा मा मचग्या तूफान   
 
 नाणी नाणी उंगल मा
 पकखड़ णु छे ये जहँ
 अन्ख्न्युं मा सपना छीण   
 भविष्य को बाण
 
 जीकोडी भी म्याल्दी च
 बोई दीदी दादा दादी बाण
 देखे णी कोइ आज हेर
 जागवली भी करदू सरू घर-भार
 
 गढ़वाली गीतों की धुन
 मुखमा आंदी रैनद बार बार
 तुतली गीची णी बुल्दो
 ठंडो रै ठंडो मेर पहाड़ हवा ठंडी
 
 आज आयुष को जन्मदिन च
 आशीष दैल तुम म्हनुभावा
 ये चु मयारू पह्ड़ा को दुलार
 आशीष सदनी जय बद्री-केदार   
 
 नटखट नन्दलाल
 घर आयो च आज
 ध्यानी परिवार मा
 छायो हर्ष उल्लास
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
शब्द (अक्षर )
 
 बाद मुदत शब्द से मुलकात होयी
 उसे समझने मै ही उमरदरज गयी
 
 कोशीश की थी मैने वो नाकाम होयी
 दर्पण मै मेरी तस्वीर मक़ाम होयी
 
 गैरैतै चश्म का वो इजहार सा होआ
 पर्दाये हुस्न शब्द से करार सा होआ
 
 गर की सूरत सी वह मुझसे शुमार होयी
 कलम ये दावत के फर्श पर बीमार होयी
 
 कतराये खून की शोखी मै वो गुलबदन
 पतझड़ ये अशीकी मझार मै दफाहा होयी
 
 शब्द नै देखी जब खुद की गुरबातै बोन्द
 हलक मै शब्द के फिर से सरसाहटा होयी
 
 बाद मुदत शब्द से मुलकात होयी
 उसे समझने मै ही उमरदरज गयी
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
ये बात मी थै पीड़ा दयाई
 
 एक बात बड़ी पीड़ा दयाई
 दिल्ली दिल लुछी ग्याई
 मेरा गढ़ देश का वासी
 अब बस दिल्ली का व्हाई
 पहड़ी बोली अब गैर हुग्याई
 एक बात मी थै बड़ी पीड़ा दयाई
 
 जब मीलों मी जीथे  भी
 भै बन्दों दगडी बोली मील अप्डी बोली
 वो बन्दा ला हींदी मा आपरा मुख खोली
 मी समझाल ये बोली कभी भाषा णी होली 
 एक बात मी थै बड़ी पीड़ा दयाई
 
 हिंदी णीच गैर वो म्यार देश की भाष
 मान छ मी छुं हिन्दुस्तनी उत्तरखंडी
 पर तरस जंदु नयी पीडी का मुखमा
 सुणा को मेर ये गढ़वाली बोली
 एक बात मी थै बड़ी पीड़ा दयाई
 
 एक बात बड़ी पीड़ा दयाई
 दिल्ली दिल लुछी ग्याई
 मेरा गढ़ देश का वासी
 अब बस दिल्ली का व्हाई
 पहड़ी बोली अब गैर हुग्याई
 एक बात मी थै बड़ी पीड़ा दयाई
 
 भुल्हों तुम थै पीड वहाई गड्वाली बोली बचाव भाष बनवा
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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