Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 448195 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मन मेरो हिंडदू रे

हिंडदू रे .... २ मन मेरो हिंडदू रे
मन मेरो हिंडदू रे तू कैथे
खोजी दे खोली दे
वो मन का गेड़ा ये मेरा (बौल्या मन) .... २
हिंडदू रे .... २ मन मेरो हिंडदू रे .... २

ये अकास को मन अल्झी कभी तू
चखुला बणी कि उडी कबी तू
म्यारा कलम का आखर बणी की ऐजा
अब त मेर पास ऐकि मिथे भेंटि जा
हिंडदू रे.... २ मन मेरो हिंडदू रे .... २

आँखियुं का वा मेरा सुपनिया
रात मां ना देकि मिन देकि दिन मां वो सुपनिया
साकार तू ऐकि वैथे कैरी जा
म्यारो चित्र नि रंगी तू वैथे अब रंगी जा
हिंडदू रे.... २ मन मेरो हिंडदू रे .... २

बालकृष्ण डी ध्यानी
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बालकृष्ण डी ध्यानी

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मथि मथि चलूं ह्युं पड़णु

हुं म ...... अ .....
मथि मथि चलूं ह्युं पड़णु
टुक टुक जियू मेरु किलै करणु
मिठी मिठी पीड़ा तब उठनि
ये आँखि मेर तू कैथे हैरनि
मथि मथि चलूं ह्युं पड़णु ......

देके दे रोज मिथे ऐ सुपन्या
भिगे दे मिथे तू रोज अब वैमा
भीजि ज्यूँ मि सदनि वै खोल मा
रोलों सड़कों का वै घोल मा
मथि मथि चलूं ह्युं पड़णु ......

अपरा अपरि मा मि लग्दी रयुं
ब्याल भौल परबत बल ये सोच्दैरों
ये डांडियों कण्ठ्यों जब ह्यूं जम जौल
ये बारी मि नक्की पहाङ परती औुल
मथि मथि चलूं ह्युं पड़णु ......

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फिर तिल जांण च कख

और्री कदगा चैनू तैथे तू मिथे इन बता
तेर मरजी कया च तू इन मेमा जता

इन रौंतेली धरती मिन तैथे दिंई
ईन बिगरेला पहाड़ मिल तै बान धर्याँ
गंगा बोई भी सरग बठै ऐेई यख
बद्री केदार नर नरयाण सब बैठ्या छन यख

और्री कदगा तिर्प्त तैथ करों तू मिथे बता
अपरि जिकुड़ी को उमाल भैर कडा तू मिसै बचा

कदगा जंगलों का बन मिल तै बान धर्याँ
ऐ फूलों की घाटी बी मिल पसारी यख
कदगा दिव्य आर्युवेद दवाई मिल लगाई च यख
भला सदा मनखी को ये मेरो उत्तराखंड

और्री कदगा तै बतओं तू खुद ही अनुभव कैरी
अपरि मनखी थे शुद कैरी तू अपरि आँखि खोली जरा

दिख जालो तैथे जो तिथे चैनू च यख
दौड़ी कि भेंटि ओलों तेथे जब मिथे धैए लाग लेलो तू जब
अपरि आप समजी जैलो जब तै बान कया धर्युं च यख
फिर तू सदनि यखी रै जालू फिर तिल जांण च कख

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अब नि क्वी रैनू चैंदु रे

बुड्या बुडरि ही रैगे रे
ये ऊकाला तू इन कया कैगे रे
अब नि क्वी रैनू चैंदु रे

ब्वारी बी हमरी हरचन लगगि रे
बेटा हमरा रुपया जब खरचन लगगि रे
सैरा का बाटा मा झड़ी लगगि रे

संघुलों परी तला लतगि रे
बिकास का ऊ झूठ वादा करेगि रे
ज्वानो को धैर्य खचगि रे

अब नि क्वी रैनू चैंदु रे .... ?

बालकृष्ण डी ध्यानी
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मि ऊनि कि ऊनि ही रेग्युं जी

मि ऊनि कि ऊनि ही रेग्युं जी
सुपन्या मेरा बुनि ऊ बुनि ही रैगे जी

कया पाई यख कया खोई मिल बल
दोई आँखि सन्तोस नि पाई बस रोई बल

अपरा ना क्वी यख ना क्वी बिराण जी
ये भेद जानि कि बी मि किलै अजाण राई जी

रात गुजरी गे अब ये दीना की बारी ऐई बल
अंधारु बितीगे किलै की मेरो ऊजाळू नि ऐई बल

आंख्युं समण सब चित्र चलोमांन जी होणा छन
जिकोडि माया सब किलै कि ऐमा सब पिसण छन

बालकृष्ण डी ध्यानी
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मेरी बात से ..........

मेरी बात से तू इतगा नराज ना व्है
बैठ मेर समण मे सै तू दूर ना जै
मेरी बात से ..........

ये निरबगि पोटगि का बणा
बल टक्का छंन हम थे कमणा
रोटलो चोंवल भूजि लेकि
ये पियारी भूकी पोटगि कू भूक मिटाणा

बात मेर समझ जै इतगा नराज ना व्है
बैठ मेर समण मे सै तू दूर ना जै
मेरी बात से ..........

शौक चढ़ी छे मिथे की मि ते थे छोड़ीकि जोलों
ते छोड़ीकि मि तू बता मि कन कै यखुली रोलों
यूँ ना सतों मिथे यूँ ना ये जिकुड़ी झुरो
तू ही रामी छे मेरी तू ही छे रौतेली

इतगा झूठ नखरा ना कैर सुदी नराज ना व्है
बैठ मेर समण मे सै तू दूर ना जै
मेरी बात से ..........

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मि उन्दु उन्दु विंथे बोलन्दो बल

मि उन्दु उन्दु विंथे बोलन्दो बल
वा फुंडे फुंडे किलै जांदी छे
गीत मेरा माया का
वा मेर दगडी किलै नि लगन्दी छे
मि उन्दु उन्दु विंथे बोलन्दो बल ..... .

विं बान मि कख कख नि रौड़ी बल
बस मि और्री मेरी ये जिकुडि ही जंणदि छे
आंख्युं मा बस्य मेरा सपुनिया ऊ
में दगडी तू किलै नि देक जांदि छे
मि उन्दु उन्दु विंथे बोलन्दो बल .....

लोक लाज की चिंता बल ...... अ.
तै थे बी नि मि थे बी छे
हाँ बोलदे अपरि गिचि से छुची
मि तै थे मंगणा कुन तेरो घार आच आनु छौं
मि उन्दु उन्दु विंथे बोलन्दो बल .....

वा फुंडे फुंडे किलै जांदी छे
गीत मेरा माया का
वा मेर दगडी किलै नि लगन्दी छे
मि उन्दु उन्दु विंथे बोलन्दो बल .....

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होली की रस्याण

होली की रस्याण
कया देवरु कया जेठान
रंगमत बणया छन सबी का सबी
रंगी गे मेरो बी पहाड़
होली की रस्याण ...........

कया फ्योंली कया बुरांस
डंडा को टोक चङयूं च ये उल्यार
डळियू डळियू मा छैई मौल्यार
दीदी भुलियूं की मुखड़ी व्हैगे लाल
होली की रस्याण ...........

गद्नियों का छला बी रंग गैनी
बैरी मन बी गौळी से गौळी मिल गैनी
दानों स्याणौ अद्मुख पौडीकी
दीदा आच असीस छकैकी मिल गैनी
होली की रस्याण ...........

पाकी गै मीठा मीठा पकवान
भंगलो पकोड़ा खूब नाचै द्याई मिथे आच
गीतों को पिली मिल रसपान
धन्य मेरो पहाड़ धन्य मेरो कोमो-गढ़वाल
होली की रस्याण ...........

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किलै कि समज मा नि ऐई

अबी बी मिथे मि
किलै कि समज मा नि ऐई
बिरदयूं ही रेगे मि
किलै कि खुद थे मि खोज नि पाई
अबी बी मिथे मि ........

ये आँखा बी नि छन मेरा
वे बी व्है गे अब बिराण
खोज्नु छे वै थे पैल मिथे
वैल खोजी दयाई पैल ऐ जमणा
अबी बी मिथे मि

कै पर करुलो मि भरोसा
जबै अपरि परी भरोसा नि राई
धोक दयूं छे मिल अपरि थे छकैकि
अब पछतानु छे तू अब किलै कि
अबी बी मिथे मि

देवों की भूमि छे वा मेरी पियारी
मि वै दगडी बी लाडा पियार नि कैर पाई
अब रिटनु छों मि यक्ला यकुलू
कख बी मिल अब धार नि पाई
अबी बी मिथे मि

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तर ऊ हैरी का आँखा कैका छन

पछाँण बी मि छों
में से अजाण बी मि छों
कदगा .... २ खोज मि मिथे
यख हरच्युं बी मि छों

टूटी गे छे वे धागा
विं परी अल्जी गेढ बी मि छों
ऊ उंदरु का बाटू बी मि छों
ऊ उकालो को चढ़े बी मि छों

ये मौल्यार ये फुल्यार मेरा छन
ये भुकी और्री तिसी बी मि छौं
ये पोटगी को सुकसुकहाट बी मि छों
औरी वैकि कबलाहट बी मि छों

सुख बी मेरा दुःख बी मेरा छन
हैंसदी आँखि मेरी रुंदरी बी मेरी च
सबी का सबी यख मेरा छन
तर ऊ हैरी का आँखा कैका छन

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