Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 447630 times)

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
किलै की तू

जिंदगी तू किलै बीच मा ऐजांदी
कबै हसोंदी तू कबै किलै मि रोलोंदी

जीना चांदो क्वी वै थे तू मार देंदी
मरनो चांदो जो वैथे किलै तू बच्चोंदी

बता तू किलै समझ मा नि ओंदी
किलै मीथे यकुली कैकि तू भूल जांदी

इतगा दूर तू किलै सुर बौडी जांदी
खुद अपरा पिछने किलै कि तू छोड़ देंदी

मरणा पैल किलै तू मिथे नि बथो देंदी
ये बेल मा जीनू किलै नि तू सिखै जांदी

अपरो भरोस किलै तू नि दे जांदी
झट आंदी पास मेरो फुर्र तू उडी जांदी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
आंख्युं देखि छ्या जो सुपनिया

आंख्युं देखि छ्या जो सुपनिया
वो सुपनिया सबै फुर वहगैनि
आटों दलों चोँ को भोव
जबै ये आकस छु गैनी
आंख्युं देखि छ्या जो सुपनिया .....

ये दिल्ली मा मेरी
अब देखा कमर टूट गैनी
कबि बरखा ने झिझोडि मिथे
कबि जदु कबि ये घाम ने पतोडी
आंख्युं देखि छ्या जो सुपनिया। ....

खुद ऐंन लगि छे मिथे
अपरो गोँ अपरि मुल्की की
पछाताणु छों द्वि पैसा बाण किलै
मिल अपरो पाड घर बार छोड़ दैनि
आंख्युं देखि छ्या जो सुपनिया। ....

टमाटर नि पिचगे गौळ मेरो
प्याज ने रुलैगे यों आंख्युं थे मेरा
कबि महलों रैंदु छा मि
अब दस बाई दस चौकट च मेरो
आंख्युं देखि छ्या जो सुपनिया। ....

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
आयो मैनो आषाढ़ को ,धान रोपी ले पहाड़ मा

सरग नि अंगवाल ले लेनी,भूमि दगडी आज त
आयो मैनो आषाढ़ को ,धान रोपी ले पहाड़ मा

चैती को गीत गै की ,हुड़की बोल अबै जगी गे
सौंण की बौछार ऐगैनी, झिर झिर कैना पहाड़ मा

हैराली पसरी मन मा, स्यार ड्यार पठार मा
बादल छैगैनी अकास मा बरसीगै अबै पहाड़ मा

जिंदगी को उल्यार च ,यो मैना सब मा ख़ास च
स्यारी हुड़की बजानी ,गीता लगैनि वा पहाड़ मा

नटैली बिगरैलि ब्योली बैठी,गैल्या को ऊ हेर मा
आषाढ़ जनि आयो , ऐजा गैल्या तू बी पहाड़ मा

जुगराज मेर दांडी कंठी , हे ह्यून की चल चांठी
सफल सुफल रख्यां देबता,धन धन्या ऐ पहाड़ मा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
मेरी माया फूल जनि

मेरी माया फूल जनि वा
डाँडो कंडो मा ऊ फुलनि
मेरी माया कन हसदि वा
तिन रितु को दगडा दगडी आज
मेरी माया फूल जनि .....
हे हे ....... अ .. अ .... ला ल ला

म्यार दगडी लुकि छिपी वा
जनि जिकुड़ी को स्वास
पल्या बाटों धड़ी अड़ी वा
गौं जानू अध बाटों मा आज
मेरी माया फूल जनि .....
हे हे ....... अ .. अ .... ला ल ला

अंख्यों मा बसी दाड़ी चा वा
मेरो अंगवाल का साथ
मेर दगडी इन रैंदी वा
जन हुलु जल्म जल्म को साथ
मेरी माया फूल जनि .....
हे हे ....... अ .. अ .... ला ल ला

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
यो बाटा हाक देदीं मिथे

यो बाटा हाक देदीं मिथे
यखुली यखुली जबै मि रैंदु
अपरो थे मिले देदीं मिथे
जबै मि ऐ परी हिट दू
यो बाटा हाक देदीं मिथे .....

कहणी लगों देदीं मेरी
कन कै मि ये पर हिटू
बालपन बथैं देदीं मेरी
ये बुढ़या मन को मेरो हिटू
यो बाटा हाक देदीं मिथे .....

माया को अंग्वाल विंको
मि कख कख खोज्यों
रीता ही रैगैनि सदनि मेरो
ऊँ बाटों को फेरो
यो बाटा हाक देदीं मिथे .....

बिंगी ना सकि मि अब तक
वो मेरो इन बाटों मा हिटनु
बाटो मेरो और्री मि ऐको
बस जी बस मेरो हिटनु हिटनु
यो बाटा हाक देदीं मिथे .....

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
झिर झिर कैकि ऐजादी

झिर झिर कैकि ऐजादी
बरखा मेरो पहाड़ों मा
ऊ आंसू को पाणी लुके देई
मेरी बोई की आंख्युं का
झिर झिर कैकि ऐजादी ....

एकान्त आलो या
या तू ये रात दिन मा
भितर को कोंना बैठी हुलि
यखुली यखुली रुनि वा
झिर झिर कैकि ऐजादी ....

खैरी पीड़ा विपदा लुकनि हुलि
विंकी हैंसदरि मुखडी का पैथर वा
म्यलदु मेरी बोई
म्यलदु विंकी मुखडी या
झिर झिर कैकि ऐजादी ....

चाल तू इन ना चमकी
सिंयी होली अब बी वा
विंकी की निंदी ना तोड़ी
कदगा बरसी भ्तेक ना सिंयी वा
झिर झिर कैकि ऐजादी ....

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
चल देखन ऐजादि

हे हमरू पह्ड़ा
हे हमरू गढ़वाल
चल देखन ऐजादि

दगड़यूँ दगड़ कैकि
अपरुं दगडी मिसण कुन
तू ऐथे भेटंण ऐजादि

हे हमरू पठार
हे हमरू बुग्याल
चल देखन ऐजादि

कैर दे सिकैसैरी
अब की बार च तेरी बारी
ऐबारी इथे मिलण तू ऐजादि

हे हमरू गुठ्यार
हे हमरू स्यार
चल देखन ऐजादि

इन नारज ना हो छुछा
कुच त युक्ति लढा
कै भाना कैकि यख ऐजादि

हे हमरू प्यार
हे हमरू दुलार
चल देखन ऐजादि

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
तेरी खुद मा

तेरी खुद मा .. २
मि रैंदु रात दिन बस अब
तेरी खुद वा बल तेरी खुद मा

झण कैकि तू आंदि
तू झण कैकि चली जांदी
जुगनी जनि चमकि कि
ऊ उकालो बाटो अटकानदी
तेरी खुद वा बल तेरी खुद मा .. २

आंदि जांदी ये बेल बी
खेल जांदी मेर दगडी वा खेल बी
जियु को कंडो छे मेर मन माया
तै बिगर मिथे बांजो कै जांदी वा
तेरी खुद वा बल तेरी खुद मा .. २

सुपनियों मा ऐकि
तू मिथे अपरो बनेकी
अपरि माया को जालो मा
मिथे अटकेकी यखुली कै जांदी
तेरी खुद वा बल तेरी खुद मा .. २

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
रति भर तेरी

रति भर तेरी
येखुद तेर ऐंदी जांदी रै
तुम्हरी याद मा
यूँ आँखु थे तेरा आंसू रुलांदी रै
रति भर तेरी .....

ये जून बी बल
बस तेर ही मुखडी देखंदी रै
ये जुन्याली मा
तू मेसे तेर छुईं लगौंदी रै
रति भर तेरी .....

सिंना को बेला मा
इनि रोज आणि जांदी रे
सिरोनो परी मेर
तू अपरि छपा छोड़ जांदी रे
रति भर तेरी .....

मिठी मा तेरी
मिथे इनि सदनि गेड़ी ले
छोड़ी ना सकी कोई
इनि मिथे अपरि मिठी मा ले
रति भर तेरी .....

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
कण निरास व्हाई

कण निरास व्हाई
लिखी पड़ैकि नौनु मेरो दिल्ली की व्हाई
कबि पैंदु छ्या ऊ सुलार कुर्ता
अब टीसर्ट जींस वैल पैर द्याई

आंदी छ्या खुद वैथे कबि कबार मेरी
तबैर बडुली लगै वैल झट बोई बोल द्याई
अब भी जबैर मिल वैथे याद कैर
अब दा ममी मा ऐबारी बल बोई कख हर्चिग्याई

अंग्रजी आख़र पढ़ण छ्न बल अब नत नतण
ददा ददी ये धयै कख भत्ते अब हमथे एकण आई
बल अब जबैर हिंदी को ब्याकरणु को इन गत व्हाई
तब मेर गढ़वाली कख और्री कण कै कि बची रालि

जबैर जैल मेट्रो को एक बार झौंप खेल द्याई
वैल अब कब कै बाण जीएमओ धक खाणा छाई
दूर भतेक बस जी अब वो सुपनिया देखदु मेरा ऊ
कि मेरो उत्तराखंड खण्ड खण्ड किलै की व्हाई

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22