आयो मैनो आषाढ़ को ,धान रोपी ले पहाड़ मा
सरग नि अंगवाल ले लेनी,भूमि दगडी आज त
आयो मैनो आषाढ़ को ,धान रोपी ले पहाड़ मा
चैती को गीत गै की ,हुड़की बोल अबै जगी गे
सौंण की बौछार ऐगैनी, झिर झिर कैना पहाड़ मा
हैराली पसरी मन मा, स्यार ड्यार पठार मा
बादल छैगैनी अकास मा बरसीगै अबै पहाड़ मा
जिंदगी को उल्यार च ,यो मैना सब मा ख़ास च
स्यारी हुड़की बजानी ,गीता लगैनि वा पहाड़ मा
नटैली बिगरैलि ब्योली बैठी,गैल्या को ऊ हेर मा
आषाढ़ जनि आयो , ऐजा गैल्या तू बी पहाड़ मा
जुगराज मेर दांडी कंठी , हे ह्यून की चल चांठी
सफल सुफल रख्यां देबता,धन धन्या ऐ पहाड़ मा
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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