तुमको भुलाया है
टुकड़े टुकड़े दिल के आज जोड़कर
ग़म को मीलों पीछे आज छोड़कर
एक सुख का गीत मैंने रचाया है
देखो आज कितने प्यार से तुमको भुलाया है
टुकड़े टुकड़े दिल के आज जोड़कर
पत्थरों में बज रहा संगीत है
जंगलों में खो गया वो मेरा मीत है
बहती गंगा की धार कह रही यही
जो दिल को खो के जोड़ दे वो ही संगीत है
उसी टूटे सितार को मैंने जोड़कर
एक नये उमंग राग को आज छेड़कर
देखो आज कितने प्यार से तुमको भुलाया है
टुकड़े टुकड़े दिल के आज जोड़कर
माना जिंदगी में परेशानियां बहुत है
उनकी मनमानियां भी बहुत हैं
बस मैंने अपने एक मन को मनाकर
उन परेशानियां को मनाया है
देखो आज कितने प्यार से तुमको भुलाया है
टुकड़े टुकड़े दिल के आज जोड़कर
सब हैं पर तू आज भी खोया हुआ
अपने और अपनों में तू सोया हुआ
सांसों की डोरी ने तुझे बस भरमाया है
नियति ने माया संग वो भेद छुपाया है
देखो आज कितने प्यार से तुमको भुलाया है
टुकड़े टुकड़े दिल के आज जोड़कर
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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