हाँ ऐसी बात है तुम में
कुछ ख़ास बात है तुम से
हाँ ऐसी बात है तुम में
एहसास मेरे, मेरे सपने तुम से
मेरी जिंदगी की उधेड़ बन तुम में
मेरे हर फ़साने में बस तुम्हरा नाम
मेरे हर बहाने में तुम्हरा नाम
जिक्र नहीं मेरा आता बस तुम बिन
अकेले वो रात गुजरी मेरी बस तारे गिन
कुछ बातें, जिनकी वजह नहीं होती
कुछ दूरियां आँखों से जुदा नहीं होती
असफल हूँ मै मेरी सफलता तुम हो
आलसी हूँ मै मेरी चपलता तुम हो
जिंदगी का मेरा हर सबक हो तुम
मेर हर पल,वक्त का सबब हो तुम
तुम बिन बहुत बहुत मैं अकेला हूँ
पूर्ण होता हूँ मैं जब दुकेला हूँ
कुछ बात कहना है तुम से
बस यूँ ही संग रहना है अब तुम से
चुप हूँ मैं मेरी आवाज हो तुम
मेरे उड़ानों की परवाज हो तुम
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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