Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 232973 times)

devbhumi

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सुबेर रति

सुबेर रति दिनभर तेरि बाति
तेरि बाति हो अ ......
दिनभर तेरि बाति सुबेर रति
सुबेर रति हो अ ......सुबेर रति

चौक मां तेरि पैजी
बोल्दी कया जी हे...हे जी...जी
रुमक देखणु  छैलु अब हैगे  भौळ
औरि दगड़्या सुबेर बणिक ऐजा तू घौर
सुबेर रति हो अ ......सुबेर रति

चखलूँ कि भीर भीर
बणिगे तू मेर तकदीर फिर...फिर
देख दूर दूर वै पहाड़ टूक
सोना की बणिगे तू मेर फूल
सुबेर रति हो अ ......सुबेर रति

बथों की फर फर
ठंडी खुदों कि तू सर...सर
दूर बगदी गदनि को उड़द फेस
तेर खुद फिर सुवा हेगे तेज
सुबेर रति हो अ ......सुबेर रति

बालकृष्ण डी ध्यानी
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हाँ ऐसी बात है तुम में

कुछ ख़ास बात है तुम से 
हाँ ऐसी बात है तुम में
एहसास मेरे, मेरे सपने तुम से
मेरी जिंदगी की उधेड़ बन तुम में

मेरे हर फ़साने में बस तुम्हरा नाम
मेरे हर बहाने में तुम्हरा नाम
जिक्र नहीं मेरा आता बस तुम बिन
अकेले वो रात गुजरी मेरी बस तारे गिन

कुछ बातें, जिनकी वजह नहीं होती
कुछ  दूरियां आँखों से जुदा नहीं होती
असफल हूँ मै मेरी सफलता तुम हो
आलसी हूँ मै मेरी चपलता तुम हो

जिंदगी का मेरा हर सबक हो तुम
मेर हर पल,वक्त का सबब हो तुम
तुम बिन बहुत बहुत मैं अकेला हूँ
पूर्ण होता हूँ मैं जब दुकेला हूँ

कुछ बात कहना है तुम से
बस यूँ ही संग रहना है अब तुम से
चुप हूँ मैं मेरी आवाज हो तुम
मेरे उड़ानों की  परवाज हो तुम 

बालकृष्ण डी ध्यानी
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नि रैगे रे तू

नि रैगे रे तू पैलु जनु
सुदि सुदि खिक्लाट....२
तू किलै कि कनु
किलै कि कनु  ........

बौग  ह्वैजा जा फुंड़ चली जा तू
इन बेकार कि छुईं ना मिसा
छुईं ना मिसा ......

अजि अबी तक अग्णाणु छ्या मि
अपड़ो थे अगेट्णु,किबलाणु छ्या मि.
एक एक कैकि उपरि ह्वैनि
उपरि ह्वैनि ......

उच्च कन्दुर्या अब सबि ह्वैनि
उकाला चढै चढै सबि हफि गैनि
समासुम छ्या अब खुदेणु छु मि
अब खुदेणु छु मि ......

 नि रैगे रे,तू पैलु जनु

बालकृष्ण डी ध्यानी
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ब्याखुनि कु सैलु घाम     

गीत बनिगे पीढ़ा मेरि
जीकोडी कु धक धक  सूर
आंख्युं कि बरखा बरखि गे
माया गदनि बौगि गे सुर

कख दूर रैगैनि
गौं मेरा भांड्या दूर बिरड़ीगैनी
मिसळीगियु मि अजाणु  मां
माया कि इन झुठि दुकनियूं  मां

खुद ऐगे यख हिट दा हिट दा
जियु किलै तू यख  रामी गे
बंद कैरी कि आँखा बॉडी ऐल कया तू
जख मि जोंलु तख तू सुख देल कया

सुकि डालि मां फूटिगे
फिर मौली गे माया कु बसंत
ऐग्याई  मौल्यार बौडी कि
अंग्वाल लेकि बथों की फिर ह्वैग्याई स्पर्श

बालकृष्ण डी ध्यानी
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ख़्वाब मा मेर तू ऐग्याई

ख़्वाब मा मेर तू ऐग्याई
जीबन मा ऐगे मौल्यार
बाटों माँ पड्यां कांडों थे
तू दूर कैरग्याई
मुखड़ी परि छैगे  मेरु फुल्यार

देख नींदी मेर मेसे हर्चि ग्याई
मिथे चढ़िगे माया को बुखार
जाण कया होलो  भौल मां अब
कया देल वा मिथे अपड़ी पछाँण
ख़्वाब मा मेर तू ऐग्याई .....

तेरु मेरु रिस्ता कया छ
जीकोडी मेरी तू  मिथे बथा
अध बाटूँ तेर मेर भेंट ह्वैग्याई
भाग्या मां लिख्युं कया वेळ ह्वैजाण
ख़्वाब मा मेर तू ऐग्याई .....

आगास मां मिल लेखीयाळी
जीकोडी को मेरु सरयू  उल्यार
मेर पिऱती आली तेर नींदी मा
अपड़ी जीकोडी को खोली राखी दार
ख़्वाब मा मेर तू ऐग्याई .....

बालकृष्ण डी ध्यानी
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जिकोडी मां भरयुं रुमक थे

जिकोडी मां भरयुं रुमक थे
जरा सी उजालु चैनु जी

कन के कटन ऐ जिबान थे
अबै तक कैन बी नि बिंगी  जी

अपड़ो सुख थे तू देख्दी जा
कांडों मां नंगी खुथी लेकि हिट दी जा

खिजाण लग्यां इन ऊकालों बाटों मां
सबै थे सिधु सैणु ऊन्दरु बाटों चैनु जी

अपड़ी ही पीड़ा मां सबै यख रैगैनी
जन सुबेर ह्वाई सुधि , ऊनि सुधि यखि रति बितगैनी

जिकोडी मां भरयुं रुमक थे  .....

बालकृष्ण डी ध्यानी
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किलै कि

किलै कि छूट होलु मैसे मेरु गढ़देश
क्या ह्वैगे हुलि मैसे इन बात
सोच्नु छौं बैथी
इखलु मि आज  ऐ बिराण देश

कैरी छ लाख कोशिश मैन
जिकोड़ि थे मेरी नि मिली यख चैन
आंख्युं मां रैगयाई
बल बस तेर ख़ुद (औरी ऐ आँसूं )..... २

बल बिसरि तेर छुईयुं की याद आणि छे
मिथे औरृ तेर पास लाणी छे
रात मां सौंण कि यन बरखा लगै कि
नींदी मेर मैसे तू किलै (दूरजाणि छे )..... २

तेर बिगैर भौत कठिन छ यख जिबन
सास भी परण दगडी अब यन बोल्न लगीं छन
कब भेंट होलि अब कन भेंट होलि
टपरानु रैगे बल मेरु  (च्खलू जन मन )..... २

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तेर माया परभा

इन बी न उन बी
जन बी न तन बी
रटन लग्युं तेरु नौ परभा
जपण लग्युं तेरु नौ परभा

जख बी तू तख बी
यख बी तू वख बी 
ऐ आंख्युं रिटन लगि तेर मुखड़ी परभा
फिरण लगि तेर मुखड़ी परभा

सुधि बी तू मुंदी बी
ऊब बी तू ऊंदी बी
तै दगड हुन लगि मेर भेंट परभा
हुन लगि तेरु मेरु मेल परभा

कन इन ऐ माया छै
इन सैलु की छ्या छे
बरखा जनि मि बरखण लग्युं मेर परभा
ऐमा भिजण लग्युं मेर परभा

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तेर माया परभा

इन बी न उन बी
जन बी न तन बी
रटन लग्युं तेरु नौ परभा
जपण लग्युं तेरु नौ परभा

जख बी तू तख बी
यख बी तू वख बी 
ऐ आंख्युं रिटन लगि तेर मुखड़ी परभा
फिरण लगि तेर मुखड़ी परभा

सुधि बी तू मुंदी बी
ऊब बी तू ऊंदी बी
तै दगड हुन लगि मेर भेंट परभा
हुन लगि तेरु मेरु मेल परभा

कन इन ऐ माया छै
इन सैलु की छ्या छे
बरखा जनि मि बरखण लग्युं मेर परभा
ऐमा भिजण लग्युं मेर परभा

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हे बोई

पंसारी जा हे बोई  हैरयाळी मेरा पहाड़ मां
हे बोई मेरु उत्तराखंड ऐ कुमो-गढ़वाला मां

दैणा  हवैजा हे माँ सरस्वती मेर पहाड़ों मां
आखर-आखर गेठी दे हमरू ढूंगा गारों मां

बोती जा हे देबि जौ हमरा कूडा कूडा गौं स्यारों मां
फूली दे बसंत बौंऊ कु जूड़ा जूड़ा मां

छोटा छोटा नौनीयूँ  कु नकोडि कु छेदन
कन भली लगदी फूली त्यूं छूटी नकोडि मां

पिलो रुमाल रेशम कु उड़िगे हे आगास मां
जौं राखीदयाँ हे दानो हमरा, हमरा कपलि मां

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